अमृता वीर १ पंजाब का छोटा-सा कस्बा उस दिन रोशनी और संगीत से जगमगा रहा था। गलियों में बिछी झालरें और घर-घर से आती ढोलक की थाप पूरे माहौल को उत्सवमय बना रही थी। सर्दियों की हल्की ठंडी हवा में पकवानों की खुशबू, शहनाई की गूँज और औरतों की गिद्दा-भांगड़ा की आवाज़ें मिलकर एक रंगीन तस्वीर बना रही थीं। अर्जुन सिंह, कस्बे के एक सम्मानित परिवार का बेटा, आज दूल्हा बना था। उसकी बारात घोड़ी पर सजी धजी, चमकदार लाइटों और ढोल-नगाड़ों के बीच निकली तो मोहल्ले भर के लोग देखने निकल आए। उधर सिमरन कौर, गाँव के किनारे बसे…