अनुभव तिवारी १ सांझ की बेला में जब गंगा किनारे वाराणसी का दशाश्वमेध घाट धीरे-धीरे दीपों और मंत्रोच्चार से भरने लगता है, तो वहाँ का हर दृश्य किसी अलौकिक चित्र की तरह आँखों में उतरता है। सूरज का अंतिम प्रकाश गंगा की सतह पर सुनहरी आभा बिखेरता है और उसकी लहरें मानो उस प्रकाश को अपनी गोद में समेटने के लिए आपस में खेलती हुई झिलमिलाती हैं। घाट की सीढ़ियों पर भीड़ उमड़ आई है—कहीं श्रद्धालु अपने हाथों में फूल और दीये लिए खड़े हैं, कहीं विदेशी पर्यटक मंत्रमुग्ध होकर इस दृश्य को कैमरे में कैद कर रहे हैं, और…