प्रिया त्रिपाठी सुबह का वक्त था और गाँव में धुंध की हल्की परत अब भी खेतों के ऊपर तैर रही थी। प्रिया यादव, जो छुट्टियों में अपने घर लौटी थी, माँ के कहने पर मंदिर जा रही थी। रास्ते में उसे कुछ गड़बड़ महसूस हुई—गाँव के सबसे बड़े सरसों के खेत की मेड़ पर कुछ लोग भीड़ लगाकर खड़े थे, फुसफुसाते हुए बात कर रहे थे, मानो कोई बड़ा अनर्थ हो गया हो। प्रिया पास पहुँची तो उसकी आँखें ठिठक गईं: अर्जुन सिंह, गाँव के सबसे प्रतिष्ठित नेता और भावी उम्मीदवार, का शव खेत की गीली मिट्टी पर पड़ा था।…