• Hindi - क्राइम कहानियाँ

    सात कदम

    बनारस की तंग और घुमावदार गलियाँ जैसे अपने भीतर सदियों का इतिहास समेटे खड़ी थीं, जिनमें सुबह-सुबह की गंगा आरती की घंटियों की आवाज़ और अगरबत्तियों की महक हवा में तैरती रहती थी। लेकिन उस दिन की सुबह इन गलियों पर एक अजीब सन्नाटा छाया हुआ था। सूरज की पहली किरणें जैसे ही पुराने कच्चे मकानों की दीवारों पर पड़ीं, शहर में अफवाहों का तूफ़ान फैलने लगा—“चौखंबा मोहल्ले में एक व्यापारी का कत्ल हो गया।” लोगों की भीड़ उस घर के सामने जमा हो गई थी, जो शहर के सबसे पुराने कपड़ा कारोबारियों में से एक, लक्ष्मण प्रसाद का था।…

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    छठ घाट का खून

    अनुभव कुमार १ गंगा नदी के तट पर पटना का छठ घाट उस शाम अलौकिक सौंदर्य से भरा हुआ था। सूरज धीरे-धीरे क्षितिज में ढल रहा था और उसकी सुनहरी किरणें गंगा के जल पर फैलकर पूरे वातावरण को एक अद्भुत आभा प्रदान कर रही थीं। हज़ारों श्रद्धालु, महिलाएँ रंग-बिरंगे साड़ी में, पुरुष पारंपरिक धोती-कुर्ता पहने, बच्चों की चहकती आवाज़ें और डूबते सूरज की ओर हाथ जोड़कर खड़े सभी लोगों का दृश्य ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो धरती पर कोई स्वर्ग उतर आया हो। हर कोई अपने-अपने टोकरी में फल, ठेकुआ और नारियल सजाकर जल में खड़ा था और…

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    गुमशुदा दुल्हन

    अमृता वीर १ पंजाब का छोटा-सा कस्बा उस दिन रोशनी और संगीत से जगमगा रहा था। गलियों में बिछी झालरें और घर-घर से आती ढोलक की थाप पूरे माहौल को उत्सवमय बना रही थी। सर्दियों की हल्की ठंडी हवा में पकवानों की खुशबू, शहनाई की गूँज और औरतों की गिद्दा-भांगड़ा की आवाज़ें मिलकर एक रंगीन तस्वीर बना रही थीं। अर्जुन सिंह, कस्बे के एक सम्मानित परिवार का बेटा, आज दूल्हा बना था। उसकी बारात घोड़ी पर सजी धजी, चमकदार लाइटों और ढोल-नगाड़ों के बीच निकली तो मोहल्ले भर के लोग देखने निकल आए। उधर सिमरन कौर, गाँव के किनारे बसे…

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    खेत में खून

    प्रिया त्रिपाठी सुबह का वक्त था और गाँव में धुंध की हल्की परत अब भी खेतों के ऊपर तैर रही थी। प्रिया यादव, जो छुट्टियों में अपने घर लौटी थी, माँ के कहने पर मंदिर जा रही थी। रास्ते में उसे कुछ गड़बड़ महसूस हुई—गाँव के सबसे बड़े सरसों के खेत की मेड़ पर कुछ लोग भीड़ लगाकर खड़े थे, फुसफुसाते हुए बात कर रहे थे, मानो कोई बड़ा अनर्थ हो गया हो। प्रिया पास पहुँची तो उसकी आँखें ठिठक गईं: अर्जुन सिंह, गाँव के सबसे प्रतिष्ठित नेता और भावी उम्मीदवार, का शव खेत की गीली मिट्टी पर पड़ा था।…

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    सफेद कोट का खून

    राहुल भार्गव अध्याय 1: मौत ऑपरेशन थिएटर में सुबह के सात बजे का वक्त था, जब शहर के मशहूर नवरत्न मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल की दीवारें अपने अंदर एक गहरा रहस्य समेटे खामोश खड़ी थीं। अस्पताल की कांच की दीवारों से धूप की हल्की किरणें भीतर झांक रही थीं, लेकिन उनकी चमक अस्पताल के स्टाफ की घबराहट के सामने फीकी पड़ गई थी। ऑपरेशन थिएटर नंबर तीन के दरवाजे के बाहर नर्सें, जूनियर डॉक्टर्स और वार्ड बॉय जमा थे, जिनकी आंखों में डर और हैरानी दोनों थे। भीतर से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी, लेकिन दरवाजे के निचले हिस्से से खून…