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    एलाहाबाद की अड्डेबाज़ी

    आरव तिवारी भाग 1 – संगम किनारे की शुरुआत इलाहाबाद की शामें हमेशा से अनोखी रही हैं। जहाँ एक ओर संगम का किनारा अपने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से लोगों को आकर्षित करता है, वहीं दूसरी ओर सिविल लाइन्स और कटरा की गलियों में एक अलग ही ज़िंदगी धड़कती है। विश्वविद्यालय के सामने की चाय की दुकानों से लेकर लोकनाथ गली के ठेले तक, हर जगह अड्डे जमते हैं—जहाँ बातों का सिलसिला गंगा की धारा की तरह कभी रुकता नहीं। आरव, कहानी का नायक, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का शोध छात्र था। वह इतिहास पढ़ता था, लेकिन उसके दिल में इलाहाबाद की…