सोमा ठाकुर रोहित ने जैसे ही बी.ए. अंतिम वर्ष की परीक्षा पास की, एक अजीब सा आत्मविश्वास उसके भीतर भर गया था। वह एक छोटे शहर का सीधा-सादा लड़का था, लेकिन आंखों में बड़े सपने पलते थे—अपने दम पर कुछ बनना, परिवार की हालत सुधारना, और समाज में सम्मान अर्जित करना। उसके पिता, श्री मनोहर लाल शर्मा, एक सेवानिवृत्त क्लर्क थे, जिनकी पेंशन से जैसे-तैसे घर चलता था। मां गृहिणी थीं और एक छोटी बहन कॉलेज में पढ़ रही थी। रोहित हमेशा से पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन साधनों की कमी और प्रतियोगी माहौल ने उसे भीड़ का हिस्सा बना…