• Hindi - यात्रा-वृत्तांत

    कैलाश के द्वार तक

    अनिर्बान दास उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे के कोने पर खपड़ैल की छत वाला पुराना त्रिपाठी निवास खड़ा था। बाहर बरामदे में तुलसी चौरे पर दिया जल रहा था, जिसकी मद्धम लौ में रात की निस्तब्धता भी जैसे प्रार्थना कर रही थी। घर के भीतर दीवारों पर लगे पुराने चित्रों में गुज़रे समय की गूँज थी — कहीं शंकर भगवान की तस्वीर, तो कहीं लक्ष्मी देवी की धुंधली हो चुकी तस्वीर, जिनकी याद इस घर के हर कोने में बसी थी। 72 वर्ष के शंकरनाथ त्रिपाठी लकड़ी की चौकी पर बैठे, रुद्राक्ष की माला जपते हुए आँखें बंद…