• Hindi - क्राइम कहानियाँ - रहस्य कहानियाँ

    काला लैम्पपोस्ट

    ऋषभ शर्मा १ दिल्ली के उत्तरी हिस्से में एक ऐसा इलाका है जिसे लोग अब बस “पुराना औद्योगिक क्षेत्र” कहकर पुकारते हैं। कभी यहाँ कारख़ानों की कतारें थीं, मशीनों की आवाज़ और मजदूरों की भीड़ से गली-गली गूंजती रहती थी, लेकिन अब सब कुछ खंडहर में बदल चुका है। टूटे हुए शटर, जंग लगे बोर्ड, काई से ढकी दीवारें और जगह-जगह पड़े लोहे के टुकड़े इस क्षेत्र को एक अजीब वीरानी का चेहरा देते हैं। सबसे भयावह है उस लंबे, टेढ़े-मेढ़े रास्ते के बीचों-बीच खड़ा एक पुराना, काला लैम्पपोस्ट। उसकी पीली रोशनी धुंधली और कांपती-सी लगती है, जैसे खुद उस…

  • Hindi - प्रेतकथा

    बरगद का वादा

    १ गाँव से ज़रा हटकर, कच्ची पगडंडी के किनारे, खेतों और बंजर ज़मीन के बीच खड़ा था एक विशाल बरगद का पेड़। उसकी जटाएँ धरती से लटककर साँपों की तरह रेंगती थीं और उसका फैलाव इतना था कि बरसात के दिनों में आधा गाँव उसकी छाँव में आ सकता था। लेकिन यह छाँव गाँववालों के लिए सुकून नहीं, बल्कि डर का पर्याय थी। पेड़ के चारों ओर का इलाक़ा वीरान और सुनसान पड़ा रहता; न कोई पशु पास आता, न कोई इंसान। कहते थे कि बरगद के पत्तों की सरसराहट भी आम हवा की तरह नहीं, बल्कि किसी की फुसफुसाहट…

  • Hindi - प्रेतकथा

    कंचनपुर की पिशाचनी

    शैलेश पटनायक १ बिहार के सुपौल जिले के पूर्वी छोर पर बसा था कंचनपुर गांव — खेतों और तालाबों के बीच झूमता हुआ एक शांत पर रहस्यमय संसार। दोपहर की गर्मी ढल रही थी जब नीलोत्पल मिश्रा और उसकी नवविवाहिता पत्नी संध्या, गांव की कच्ची सड़कों से गुजरते हुए अपने पुश्तैनी मकान के सामने पहुंचे। पुराने समय की लाली पुती दीवारें, टीन की छत और आंगन में खड़े आम और नीम के पेड़ गांव के परिवेश की आत्मा को जीवंत बनाए हुए थे। संध्या ने पहली बार इस मिट्टी की गंध को महसूस किया — नम, सोंधी, और किसी अनजाने…

  • Hindi - प्रेतकथा

    पंचम गली की आत्मा

    नवनीत मिश्रा बनारस के घाटों से दूर, पुराने शहर के भीतर एक मुड़ी-तुड़ी सी गलियों की भूलभुलैया में बसी थी पंचम गली — एक ऐसी जगह जो शहर के नक्शे में शायद दर्ज भी न हो, पर लोगों की यादों में सदी भर की कहानियाँ समेटे जीवित थी। यहीं पोस्टिंग हुई थी सब-इंस्पेक्टर अर्पित चौधरी की। अपने कंधों पर सख्त बूटों की टकटक, आँखों में यकीन और जेब में पिता का पुराना कम्पास लिए, अर्पित ने पहली बार उस गली में कदम रखा था जब दिन उतरकर संध्या की बाँहों में समा चुका था। गली की हवा में एक अजीब…