मनीष कुमार तिवारी भोपाल की शाम में एक अजीब सी खामोशी थी, जैसे कोई पुरानी आवाज़ शहर की हवाओं में छुपी हुई हो। रामस्वरूप मिश्रा, पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हवलदार, का पार्थिव शरीर श्मशान से घर वापस नहीं आया था — वह वहीं राख बन चुका था, और अब केवल स्मृतियों में बचा था। उनके बेटे अभिषेक मिश्रा ने अनगिनत हाथ मिलाए, नम आँखें देखीं और एक अजीब से खालीपन को अपने भीतर महसूस किया। पंडित, रिश्तेदार और कुछ पुराने सहयोगी भी आए थे, लेकिन सबसे ज़्यादा चुभती थी वह चुप्पी जो उनकी माँ संध्या के चेहरे पर थी —…
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विक्रम चतुर्वेदी दिल्ली की पुरानी गलियों में सर्दियों की रातें हमेशा से रहस्यमयी रही हैं, लेकिन उस रात की धुंध कुछ अलग थी—जैसे हवा में अजीब सी गंध घुली हो, जैसे पुरानी कहानियाँ अचानक फिर से ज़िंदा हो उठी हों। रात के करीब ढाई बज रहे थे जब पुरानी दिल्ली के एक तंग गली में एक मृत शरीर मिला। कोहरे की मोटी चादर के बीच झांकती स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी में उसका चेहरा साफ़ नहीं दिख रहा था, लेकिन जो दिख रहा था, वो डरावना था—उसके चेहरे पर गहरी दहशत की झलक थी, जैसे मौत से पहले उसने कुछ…
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किरण मलिक १ दिल्ली के प्रमुख व्यापारिक इलाके, कनॉट प्लेस के एक शाही अपार्टमेंट में एक सनसनीखेज हत्या हुई। ये हत्या उस इलाके के मशहूर और सफल कॉर्पोरेट लॉयर, नेहा सूद की थी। रविवार की सुबह, उनके अपार्टमेंट से एक अजीब गंध उठी, जो कि पड़ोसियों को खींच लाई। जब पुलिस और फायरब्रिगेड की टीम वहां पहुँची, तो भीतर का दृश्य भयावह था। नेहा सूद का शव उनके बेडरूम में बेतहाशा तरीके से पड़ा था, चेहरे पर एक उथला सा घाव था, और शरीर के पास कोई भी संघर्ष के निशान नहीं थे। हर चीज चुपचाप और व्यवस्थित थी, सिवाय…