सिया वर्मा
भाग 1: DM से Destiny तक
“Poetry is dead, bro,” अर्जुन ने कहा और अपने लैपटॉप का स्क्रीन बंद कर दिया।
“Then why are you still liking sad quotes at 2AM?” समृद्धि ने चुटकी ली और उसके हाथ से फोन छीन लिया। वो दोनों Instagram के एक ऑनलाइन पोएट्री लाइव सेशन पर मिले थे—एक accidental like ने चैट की शुरुआत करवाई थी।
समृद्धि, Delhi University की final year की student थी, psychology major, और poems लिखने का जुनून उसकी insomnia की सबसे प्यारी दोस्त बन चुका था। आर्यन, एक Mumbai वाला introvert था, जो ज़्यादा बोलता नहीं था लेकिन DMs में deep बातों का master था। दोनों की दोस्ती poetry के उस एक लाइव इवेंट से शुरू हुई थी जिसमें समृद्धि ने अपनी एक कविता पढ़ी थी—“पसंद की चाय और अनकही बातें।” आर्यन ने सिर्फ एक रिएक्शन भेजा था—।
और फिर शुरू हुआ कहानी का पहला चैप्टर—seenzone से बाहर निकलने की कोशिश।
“Hi, your poetry hit hard,” आर्यन ने लिखा था।
“Thx. Which line tho?”
“जहाँ तुमने लिखा था, ‘मैं डरती हूँ उन लोगों से, जो सिर्फ तब आते हैं जब मन हो, लेकिन चले जाते हैं बिना बताए।'”
“Well, relatable?”
“More than my toxic ex’s playlist.”
ये चैट कभी memes, कभी late-night overthinking वाले monologues में बदलती रही। दोनों का bond weirdly comfort वाला था—जैसे midnight Maggie, ज़रूरत तो नहीं थी, लेकिन हो जाए तो perfect लगती थी।
एक दिन समृद्धि ने पूछा, “IRL मिलोगे?”
आर्यन थोड़ी देर तक टाइप करता रहा लेकिन भेजा कुछ नहीं।
Seen.
बस एक “👀” और फिर silence।
तीन दिन। कोई रिप्लाई नहीं। समृद्धि ने सोचा, “Classic ghosting.”
उसने अपने group chat में लिखा—“Y’all remember the poetry guy? Dead.”
लेकिन चौथे दिन एक नोटिफिकेशन आया—“I’m sorry. मेरा भाई hospital में था। I got overwhelmed.”
“Could’ve just told me…”
“I know. I suck at communication.”
“That’s not cute anymore.”
“I’ll fix this. Meet me?”
जनपथ के एक छोटे-से बुक कैफे में दोनों पहली बार मिले। समृद्धि ने पर्पल hoodie पहनी थी और बालों में messy bun। आर्यन jeans और black tee में इतना नर्वस था जैसे किसी viva में आया हो।
“Hi,”
“Hi,”
awkward silence.
“तो, तुम्हारा toxic ex कौन है?” समृद्धि ने तोड़ दिया चुप्पी का मज़ा।
आर्यन हँस पड़ा, “She used to write poetry too. But सिर्फ तब जब guilt होता था।”
“Therapy. You need it.”
“I’m already in it.”
“Hot.”
कुछ ऐसा ही था उनका पहला असली connection। वो कैफे अब “हमारा कैफे” बन गया था।
लेकिन digital दुनिया में हर emotion के साथ आता है confusion का emoji।
एक रात, समृद्धि ने अपनी poetry page पर एक नई पोस्ट डाली:
“तेरा जाना उतना बुरा नहीं था, जितना तेरा रहकर भी चुप रह जाना था।”
आर्यन ने देखा।
Liked.
No comment.
No DM.
फिर आया तीन दिन का रेड ज़ोन—seenzone।
समृद्धि ने अपने Notes app में लिखा:
“क्या मैं फिर से किसी ‘maybe’ में फँस गई हूँ?”
पर चौथे दिन आर्यन ने कॉल किया।
“Sorry. Panic attack था। Words नहीं मिल रहे थे। बस तुम्हारी कविता पढ़कर guilt feel हुआ।”
“तुम्हारा guilt मेरा content नहीं है। Grow up.”
“मैं सीख रहा हूँ, समृद्धि। तुम्हारे साथ honest रहने की कोशिश कर रहा हूँ।”
वो बातचीत तीन घंटे चली। प्यार नहीं था, पर affection था। label नहीं था, पर connection था।
Gen Z relationships complicated होते हैं—DM से शुरू, Stories में पलते हैं, और एक emoji से टूट भी सकते हैं।
लेकिन समृद्धि और आर्यन की ये कहानी बस शुरू ही हुई थी।
एक अनकहा प्यार, जो seenzone में अटका नहीं रहना चाहता था।
भाग 2: “Ghosting का Geography”
“तू फिर से उसे टाइम दे रही है?” अंशिका ने पूछा, जब समृद्धि ने तीसरी बार आर्यन के message को read करके भी reply नहीं किया था।
“बस सोच रही हूँ,” समृद्धि ने कहा, “उसने कहा कि therapy जा रहा है। Healing time लेती है।”
“और जब तू healing में थी, तब वो कहाँ था?”
“Seenzone में।”
“Exactly.”
समृद्धि ने फोन का स्क्रीन घूरते हुए देखा—आर्यन ने एक नया Reel पोस्ट किया था। Background में Arijit की कोई emotional गाना, और वीडियो में वो बारिश में भीगता हुआ, ज़मीन की ओर देखता हुआ, sad boy aesthetic की full energy में।
“Ugh,” समृद्धि बुदबुदाई। “इंसान क्या है या इंस्टाग्राम filter?”
पिछले दो हफ्तों में उनकी बातचीत हां-ना के बीच झूलती रही। कभी एक random meme, कभी एक छोटा voice note, तो कभी एक बड़ा gap। और हर बार समृद्धि ने खुद को समझाया—”at least he’s trying.”
एक रात समृद्धि ने आर्यन को कॉल कर ही लिया।
“Hey,”
“Hey…” उसकी आवाज थकी हुई लगी।
“सब ठीक?”
“बस थोड़ा थका हुआ हूँ। Mental clutter, you know.”
“चाहो तो बात मत करो, I get it,”
“नहीं… तुमसे बात करना actually थोड़ा soothing लगता है। बस… पता नहीं कैसे explain करूँ।”
फिर silence।
समृद्धि को पता था कि ये वही pause है जिसमें अक्सर लड़कियाँ खुद को छोटा कर लेती हैं, और लड़के खुद को misunderstood feel करते हैं।
“तू क्या expect करती है?” उसने पूछा।
“Clarity. एक simple ‘I want this’ या ‘I don’t.’ That’s all.”
“पर ज़िंदगी इतना simple कहाँ है?”
“जब feelings unclear होती हैं, तब ही लोग hurt होते हैं, Aryan.”
आर्यन चुप रहा।
“तू सोच रहा है मैं overthink कर रही हूँ?”
“नहीं, I just… I’m scared.”
“Scared of me?”
“Scared of feelings. Scared of fucking it up again.”
इस बार समृद्धि ने जवाब नहीं दिया। कॉल कट किया और इंस्टाग्राम खोला। एक नया पोस्ट लिखा—
“कभी-कभी लोग तुम्हें इसलिए नहीं छोड़ते क्योंकि वो चले जाना चाहते हैं। वो इसलिए छोड़ते हैं क्योंकि वो खुद के पास रुक नहीं पाए।”
पांच मिनट में आर्यन का like आ गया। फिर एक DM—
“I read it thrice.”
लेकिन कोई real talk नहीं। कोई solution नहीं। सिर्फ sad quotes, likes, और फिर से वही delay।
कभी-कभी रिलेशनशिप एक Google Map की तरह हो जाते हैं। तुम address डालते हो—”clarity”, “commitment”, “truth”—लेकिन हर बार route reroute होता रहता है।
समृद्धि ने अगले दिन therapy session में यही बात उठाई।
“Why am I still stuck on someone who’s emotionally half-present?”
Therapist ने मुस्कुराकर पूछा, “क्या वो आपको वही देता है जो आप खुद से नहीं देतीं?”
“मतलब?”
“Validation. Silence में भी उसकी presence चाहिए, क्योंकि तुमने खुद को सिर्फ certainty में accept करना सीखा है।”
उस दिन समृद्धि पहली बार खुद के Notes app की जगह एक डायरी लेकर बैठी। पहला वाक्य लिखा—
“I’m not a maybe. I’m not a project. I’m not a pending notification.”
इसी बीच आर्यन ने message किया—
“Movie this weekend?”
समृद्धि ने देखा। सोचा।
कुछ पल बाद उसने लिखा—
“Can we first talk before pretending everything is fine?”
आर्यन typing में था। फिर message आया—
“Yeah, let’s talk.”
दोनों CP में मिले। CCD की खिड़की के पास बैठे। बाहर बारिश की बूंदें ज़मीन पर falling poetry लिख रही थीं।
“मैं sorry हूँ,” आर्यन ने कहा।
“माफ़ी नहीं clarity चाहिए। क्या हम कुछ हैं या नहीं हैं?”
“I don’t know.”
“That’s your answer, Aryan. I know who I am, what I want. और मैं किसी ‘I don’t know’ में अपना दिल lose नहीं कर सकती।”
आर्यन ने उसकी आँखों में देखा।
“मैं तुमसे प्यार नहीं करता… अभी नहीं। लेकिन मैं चाहता हूँ कि मैं कर पाऊँ।”
समृद्धि ने अपनी कॉफी उठाई।
“Love is not a syllabus, Aryan. जिसे time लगे पूरा होने में। Either it’s there, or it’s not.”
वो उठी, और पहली बार पीछे देखे बिना चली गई।
आर्यन ने उसे जाते देखा। पहली बार महसूस हुआ—ghosting geography नहीं होती, एक mindspace होती है। जहाँ लोग खुद से दूर होकर दूसरों को भी confused छोड़ जाते हैं।
शाम को समृद्धि ने अपने Notes app में लिखा—
“मैं एक Map नहीं, जो तुम खोओगे तो वापस मिल जाएगा। मैं एक destination हूँ, जहाँ तुम अगर रुकना नहीं चाहते, तो मेरी खामोशी तुम्हारे लिए रास्ता छोड़ देगी।”
भाग 3: “Therapy का Truth Bomb”
“Hi, I just wanted to say… I’m proud of you,” आर्यन का मेशेज सुबह 7:46 AM पर आया। समृद्धि ने अलार्म snooze किया, आँखें मिचमिचाईं और एक ठंडी साँस छोड़ी।
“पता नहीं वो अब भी क्यों मेसेज करता है,” उसने बड़बड़ाते हुए स्क्रीन साइड में सरका दिया।
लेकिन उस मेशেজ में कुछ था। एक आदत जैसी—जैसे पुराने songs जो break-up के बाद भी playlist में रह जाते हैं।
उस दिन उसका therapy session सुबह 10 बजे था। therapist, अदिति मैम, हमेशा की तरह कॉफी के मग के पीछे से मुस्कराती मिलीं।
“कैसा चल रहा है, समृद्धि?”
“मैंने उससे बात करना बंद कर दिया है… mostly,”
“और दिल में?”
“वहीं अटका हुआ है। I wish feelings had a block button.”
अदिति हँसीं। “Feelings को block नहीं किया जा सकता। उन्हें process करना पड़ता है। चलो, आज हम ’emotional backlog’ का एक छोटा exercise करें।”
टेबल पर एक खाली कागज़ रखा गया।
“इस पेज को आर्यन समझो। और हर emotion जो तुम उसके लिए महसूस करती हो, एक sentence में लिखो।”
समृद्धि ने pen उठाया। पहले धीमे, फिर तेज़। जैसे बारिश की पहली बूँदें किसी सूखी मिट्टी को छूकर ज्वालामुखी बना दें।
“तू आया भी confusion बनकर, और गया भी।”
“तूने कहा love takes time, पर तेरा time कभी आया ही नहीं।”
“मैंने तुझमें healing ढूंढ़ी, तू खुद एक जख्म था।”
“फिर भी, शुक्रिया… तुझे खोकर खुद को पा लिया।”
उसने pen नीचे रखा। आँखें नम थीं, पर दिल थोड़ा हल्का।
अदिति ने कहा, “Now fold it. Keep it in your diary. Don’t throw it. Let it exist. You’re allowed to carry your pain, but don’t let it control you.”
घर लौटते वक्त समृद्धि ने वही कागज़ अपने कमरे की डायरी में छुपा दिया। फिर मोबाइल उठाया और आर्यन की चैट खोली। कुछ पल देखती रही। typing… not typing… फिर उसने कुछ नहीं लिखा।
उस शाम उसने एक नई कविता पोस्ट की:
“उसने कहा, मैं अधूरा हूँ। मैंने कहा, मैं पूरा होकर थक गई हूँ।”
likes आए। comments आए। लेकिन एक notification में सबसे अलग था—
आर्यन ने फिर से तुम्हारी स्टोरी देखी है।
जैसे कोई छाया पीछे से देख रही हो, पर पास नहीं आती।
अगले दिन समृद्धि कॉलेज में बैठी थी जब एक नई लड़की—कव्या—उसके पास आई।
“Hi, are you the samriddhi from Insta? Your poems are fire!”
“Thanks!”
“Also… weird thing… do you know Aryan Verma?”
समृद्धि की साँस अटक गई। “Yeah, why?”
“He texted me last week after I did a live. Said he loved my voice… and my ‘pain’. I thought he was sweet but… it felt familiar.”
“Familiar कैसे?”
“Like, he was trying to find the same wound in everyone. जैसे उसे healing से ज़्यादा pain से प्यार है।”
समृद्धि ने एक सर्द हँसी हँसी।
“Maybe he’s still figuring himself out.”
“Maybe. But I hope he stops before turning everyone into therapy content.”
उस दिन समृद्धि घर आकर चुपचाप बैठ गई। अपने पुराने मेसेजेज़ पढ़े। voice notes सुने। और महसूस किया—कभी-कभी हम किसी को नहीं, एक version को मिस करते हैं। वो version जो हमने उनके अंदर देखना चाहा, पर जो शायद कभी था ही नहीं।
रात 11 बजे एक नया message आया—आर्यन का।
“Can we talk? One last time. Please.”
उसने पहले तो फोन को face-down रखा। फिर पाँच मिनट बाद उठाया।
“Okay. One call. No nostalgia. No emotional blackmail.”
“Promise.”
कॉल शुरू हुआ। आर्यन की आवाज थकी हुई थी, पर अलग नहीं थी।
“I went to therapy today,”
“Good. तुम्हें चाहिए था,”
“And… my therapist told me I’ve been chasing ghosts.”
“तुमने मुझे भी एक बना दिया था,”
“I know. I hurt you. मैंने तुम्हें एक pause button बना दिया… जब भी दुनिया बड़ी लगे, मैं वापस आ जाऊँ… that’s not fair.”
“That’s not love either,” समृद्धि ने कहा।
“Was it ever love?”
“शायद नहीं। पर affection था। उम्मीद थी। और अब clarity है। That’s enough.”
कुछ देर दोनों चुप रहे। फिर आर्यन ने कहा—
“Thanks for being my mirror.”
“Be your own now.”
कॉल कट हुआ।
उस रात समृद्धि ने पहली बार कोई स्टोरी नहीं डाली। उसने कुछ delete नहीं किया, कुछ block नहीं किया। बस अपने आप को एक मैसेज लिखा:
“I’m proud of you. You walked out of the seenzone and into yourself.”
भाग 4: “Green Flags और Self-Tags”
“Okay class, what are green flags in a relationship?” समृद्धि ने जब मनोविज्ञान के टUTORIAL क्लास में ये सवाल उठाया, तो तीन तरह के जवाब आए—एक group ने कहा, “Loyalty,” दूसरा group बोला, “Consistency,” और एक लड़का पीछे से बोला, “Instagram bio में girlfriend का नाम होना।”
समृद्धि मुस्कुराई। “Green flags aren’t grand gestures. They’re the tiny, boring, consistent things that feel like peace.”
बोलते-बोलते उसकी नजर खिड़की के बाहर चली गई। बाहर हल्की धूप थी। हवा में ठंडी नरमी थी—जैसे कोई कहना चाहता हो, “बीत गया सब कुछ… और फिर भी सब कुछ यहीं है।”
आर्यन से आख़िरी कॉल को दो हफ्ते हो चुके थे। न वो वापस आया, न समृद्धि ने मुड़कर देखा। लेकिन उसकी दुनिया बदल गई थी—थोड़ा सा, हल्का सा।
उसने अब Instagram के sad quotes को mute कर दिया था। और poetry अब pain से नहीं, clarity से निकलती थी।
अब वो हर सुबह उठती थी और खुद से एक सवाल पूछती—आज तूने खुद को कितना priority दी?
Answer कोई perfect नहीं होता, लेकिन honest होता।
एक नई आदत भी जुड़ गई थी—journaling के बाद “self-tagging।”
मतलब, खुद को एक label देना। जैसे—
#HealingSam
#SoftNotWeak
#BoundariesQueen
कभी-कभी ये cheesy लगता, पर therapeutic भी।
इसी बीच उसके कॉलेज में एक नया गेस्ट लेक्चरर आया—विवान मलिक। Urban Youth Psychology पर सेशन लेने आया था।
लंबा कद, specs, डैम्प ब्लू शर्ट, और वो awkward confidence जो smart लोगों में होती है।
“Hi, I’m Vivaan. I’m not here to teach. I’m here to understand why Gen Z feels everything so deeply, yet hides it so well.”
क्लास में हलचल हुई। समृद्धि ने उसे observe किया—वो flashy नहीं था। उसकी बातें धीरे-धीरे असर कर रही थीं, जैसे कोई Spotify playlist जो एकदम पसंद तो नहीं आती पर loop में लग जाती है।
Lecture के बाद समृद्धि ने उससे सवाल पूछा—
“Do you think Gen Z is too dramatic about love?”
विवान ने मुस्कुरा कर कहा, “No. I think we’re the first generation who are finally brave enough to admit we’re scared to be alone. Drama तो बस cover है।”
वो जवाब समृद्धि के Notes App में चला गया।
“Bravery is not holding on. It’s letting go with honesty.”
कुछ दिन बाद, समृद्धि को कॉलेज के एक event में विवान के साथ काम करने का मौका मिला। टॉपिक था—“Boundaries in Digital Love.”
वो दोनों एक कॉर्नर में बैठे presentation स्लाइड्स बना रहे थे। विवान ने एक slide में लिखा—
“Seenzone is not a sin. Silence भी एक language है।”
“True,” समृद्धि ने कहा। “But when silence confuses more than calms, वो toxic हो जाती है।”
विवान ने उसकी ओर देखा।
“तुमने इस silence को जीया है क्या?”
“जीया नहीं, survive किया है।”
“अब?”
“अब… मैं उसे story समझती हूँ, जो पूरी हो चुकी है।”
उसने पहली बार बिना हिचकिचाहट के यह कहा था। और वो सच था।
Event के दिन समृद्धि ने pastel blue कुर्ता पहना था, आँखों में कोहल और होंठों पर वो confident मुस्कान जो heartbreak के बाद मिलती है।
स्टेज पर उसने कहा—
“हम सबने toxic love के red flags के बारे में सुना है। पर आज मैं green flags की बात करना चाहती हूँ।
Green flags वो होते हैं जो flashy नहीं होते—
जब कोई तुम्हारी बात को interrupt नहीं करता।
जब कोई ‘sorry’ बोलने से नहीं डरता।
जब कोई तुम्हारे plans को value करता है।
और सबसे ज़रूरी—जब कोई तुम्हारी boundaries को सम्मान देता है, बिना तुम्हें guilt feel कराए।”
तालियाँ बजीं। पर उससे ज़्यादा जो click हुआ, वो था समृद्धि का खुद को applause देना—मन ही मन।
इवेंट के बाद, विवान ने पूछा,
“कभी poetry publish करने का सोचा है?”
“सोचा है… पर डर लगता है।”
“फिर तो करना ज़रूरी है।”
उस रात समृद्धि ने एक नई कविता लिखी—
“उसने कहा, मैं अधूरा हूँ,
मैंने कहा, ठीक है…
पर मुझे पूरा रहने दो,
ताकि जब तुम लौटो,
मैं खुद को खो न दूँ।”
और पहली बार उसने लिखा—Written by Sam.
Not for likes, not for a DM. बस खुद के लिए।
अब आर्यन एक स्मृति था। एक season की तरह—जरूरी, लेकिन permanent नहीं।
और सामने खुल रही थी एक नई किताब, एक नई page के साथ।
भाग 5: “Soft Closure, Sharp Edges”
“Closure isn’t always a conversation. कभी-कभी ये बस एक सुबह होती है जहाँ तुम्हें उसकी याद आए… लेकिन दिल धड़कता नहीं।” समृद्धि ने अपनी नई कविता के लिए यह लाइन लिखी, फिर रुक गई।
शाम का वक्त था, उसका कमरा हल्की पीली लाइट में डूबा हुआ था। खिड़की के बाहर की हवा से परदे नाच रहे थे जैसे उसके अंदर कुछ हल्का हो चला हो। मन में अब आर्यन का चेहरा धुंधला था—जैसे पुराने WhatsApp DP जो बदल चुके हैं, पर दिमाग में कहीं बचे रहते हैं।
वो अपने लैपटॉप पर अपने poetry पेज की पहली draft बना रही थी—”Half-Hearts & Healing.”
Chapter titles पहले से फिक्स थे—
1. When Blue Ticks Became Goodbyes
2. Voice Notes with No Voice
3. Seen But Not Felt
4. Clarity Isn’t Cruelty
5. The Day I Unfollowed You But Not Myself
उसने खुद को ही approval दी। “Not bad, Sam. तुम अब खुद को explain नहीं करती। बस express करती हो।”
पर एक चीज़ बाकी थी—soft closure का आख़िरी task।
उसने अपने Google Drive से एक folder खोला—“A&R”—Aryan & Rants।
उस फोल्डर में उनकी conversations के सारे screenshots थे, voice notes, even वो Insta Reels जो दोनों ने साथ देखे थे।
उसने deep breath ली, सब select किया, और एक final बार सब देखा।
“तू अच्छा इंसान था… लेकिन मैं अब खुद के लिए better बन चुकी हूँ।”
Click—Delete.
No recycle bin. No “Are you sure?”
बस एक खाली screen और थोड़ी मुस्कुराहट।
अगले दिन कॉलेज में एक नई energy के साथ पहुँची समृद्धि। आज एक open mic था—जहाँ उसे अपनी original poems पढ़नी थी। एक साल पहले यही उसे डराता था—stage, spotlight, strangers’ eyes—but अब ये सब validation नहीं, celebration था।
वो मंच पर आई, audience हल्के चाय-कॉफी की खुशबू और हँसी से भरा था। उसने माइक पकड़ा और कहा—
“आज मैं कोई break-up poem नहीं सुनाने आई। मैं आज उस लड़की की बात करूँगी जो break नहीं हुई।”
तालियाँ।
उसने कविता पढ़ी—
“मैंने चाहा था किसी के साथ बैठ कर चुप रहना,
पर जब साथ ना रहा,
तो मैंने खुद की ख़ामोशी से दोस्ती कर ली।
तू लौटा भी, तो क्या?
मैं अब इंतज़ार की लड़की नहीं,
‘आगे बढ़ी हुई’ वाली हूँ।”
कविता खत्म हुई। तालियाँ फिर बजीं। पर इस बार applause के पीछे validation नहीं, belonging थी।
स्टेज से उतरते वक्त किसी ने उसे पीछे से टोका—
“Samriddhi?”
वो मुड़ी। आर्यन था।
उसका दिल एक सेकंड को झटका खा गया, लेकिन उछला नहीं।
उसने देखा—आर्यन की आँखों में guilt नहीं था, पर nostalgia था।
“Didn’t know तुम भी यहाँ हो,” उसने कहा।
“मैं अब हर जगह हूँ जहाँ मैं खुद को नहीं खोती,” समृद्धि ने कहा।
आर्यन ने थोड़ा झिझकते हुए पूछा—
“सुना… तुमने publish करना शुरू किया?”
“हाँ। और ये सिर्फ poetry नहीं है। ये documentation है मेरे healing का।”
“मैंने वो कविता सुनी… the ‘waiting girl’ one। That hit me.”
“Glad. पर अब मैं impact के लिए नहीं लिखती, clarity के लिए लिखती हूँ।”
एक awkward silence।
आर्यन ने धीरे से कहा—
“क्या हम कभी दोस्त बन पाएंगे?”
समृद्धि ने उसकी आँखों में देखा।
“Maybe in another story. इस वाले में मेरी जगह खुद के लिए है।”
वो मुस्कुराई और चल दी।
उस रात उसने अपने poetry page पर एक caption लिखा—
“Soft closure feels like this: you saw them again, and didn’t fall apart. You remembered the hurt, and didn’t become it. You smiled, and it wasn’t for them. It was for you.”
फिर एक छोटी सी note भी add की—
“To all the girls stuck in the seenzone—remember, you are not the wait. You are the poem.”
फोन का स्क्रीन बंद किया। एक cup गरम चाय ली। अपनी खिड़की के पास बैठ गई। बाहर की हवा में वो familiar शाम का melancholy था, लेकिन अब वो डरावना नहीं था।
उसने खुद से कहा—“Next part life का अब मेरे terms पर होगा।”
भाग 6: “Rebound नहीं, Rebuild”
रविवार की सुबह थी। समृद्धि ने मोबाइल अलार्म बंद किया, फिर तुरंत इंस्टाग्राम खोलने की जगह डायरी उठाई। आजकल वो स्क्रीन की जगह कागज़ से बात करती थी। पहले पन्ने पर लिखा था—“आज किसी और के बारे में नहीं, सिर्फ खुद के बारे में सोचना है।”
उसने बालों को messy बन में बाँधा, नींबू पानी बनाया, और Spotify पर एक लता मंगेशकर वाला mellow playlist चला दिया। खुद से वादा किया था—“आज का दिन ‘healing aesthetic’ नहीं होगा, असली healing होगी।”
कभी-कभी दुनिया कहती है, heartbreak के बाद तुम्हें एक नया ‘interest’ चाहिए—एक rebound, जो तुम्हारे पुराने दर्द पर plaster की तरह लगे। पर समृद्धि अब उस trap से बाहर आ चुकी थी।
वो rebound नहीं चाहती थी।
वो खुद को फिर से rebuild करना चाहती थी।
उसने अपने कमरे की सफाई शुरू की। एक पुराना box मिला—उसके poetry journals, पुराने letter papers, कुछ café bills, और एक Polaroid जिसमें उसकी मुस्कान थोड़ी मजबूरी से भरी थी।
“तब मैं खुद को भूल कर किसी और को important बना रही थी,” उसने बुदबुदाया।
अब उसके कमरे की दीवारों पर नए पोस्टर थे—Audre Lorde, Rupi Kaur, और एक sticky note जिसमें लिखा था—
“Don’t water dead plants.”
शाम को समृद्धि कैफे मोसा में गई—वही जगह जहाँ कभी वो आर्यन से मिली थी। पर आज वो अकेली नहीं थी, वो थी उसके साथ—उसकी सबसे करीबी दोस्त अंशिका।
दोनों के सामने दो mugs रखे थे—एक में hazelnut cappuccino, और एक में chamomile tea।
“तो अब poetry collection कब आ रही है?” अंशिका ने पूछा।
“कुछ हफ्तों में,” समृद्धि मुस्कुराई। “पहली बार ऐसा कुछ कर रही हूँ जो सिर्फ मेरे लिए है, किसी की approval के लिए नहीं।”
“Love it. और boy department?”
“Closed for renovation.”
दोनों ज़ोर से हँसीं।
उसी वक़्त एक लड़का कैफे में आया—ब्लैक hoodie, AirPods, और हाथ में एक किताब—“Milk and Honey”।
अंशिका ने आँख मारी, “Poetry boy alert!”
समृद्धि ने सर हिलाया, “Not today, Satan.”
“Thoda harmless flirting चल सकता है।”
“Flirting से ज़्यादा मुझे अब filters से डर लगता है।”
“True. Gen Z boys be like—love bombing on Monday, ghosting by Friday।”
थोड़ी देर बाद वो लड़का accidental ही समृद्धि की टेबल के पास आया और बोला—
“Excuse me, is this seat taken?”
“Actually—” समृद्धि शुरू ही कर रही थी कि अंशिका ने मुस्कुरा कर कहा, “Yes, by self-respect.”
लड़का थोड़ा झेंप गया, फिर भी हँसते हुए कहा, “Fair enough.”
वो पास की सीट पर बैठ गया और चुपचाप पढ़ने लगा।
“कभी-कभी लड़कों को भी no सुनना ज़रूरी होता है,” समृद्धि ने फुसफुसा कर कहा।
“और कभी-कभी खुद को ‘yes’ कहना भी।”
उस दिन समृद्धि ने café के tissue पर एक नई कविता लिखी—
“अब मैं खुद को चाहती हूँ,
बिना filters,
बिना waiting clocks,
बिना उन सवालों के,
जो जवाब से ज़्यादा डराते थे।”
घर लौटते समय समृद्धि ने एक नया podcast एपिसोड सुना—“Heartbreak is not the villain. It’s the beginning.”
उसने headphones निकाले और खुद से बोली, “Exactly.”
अगले दिन कॉलेज में विवान फिर दिखा। इस बार वो एक छोटी discussion session ले रहा था—“Attachment Styles and Gen Z Dating.”
वो casually बोला, “हम अक्सर instant connection के नाम पर trauma bonding कर बैठते हैं। और फिर कहते हैं—‘हम तो बस समझते हैं एक-दूसरे को।’ पर क्या हम खुद को समझते हैं?”
समृद्धि के हाथ अपने आप लिखने लगे—
“मैंने तुझमें खुद को ढूँढ़ा,
और जब तू खो गया,
मैं भी खुद को खो बैठी।
अब मैं खुद में लौट आई हूँ,
थोड़ी टूटी,
थोड़ी नई।”
सेशन के बाद विवान ने पूछा, “Sam, तुम कब poetry reading कर रही हो अगली?”
“Thursday open mic. तुम आओगे?”
“Of course. I’ll bring tissues too.”
“Emotional या nasal?”
“Let’s see कितने आंसू आते हैं।”
दोनों हँसे।
इस बार समृद्धि को flirtation awkward नहीं लगा। न ही validation की जरूरत महसूस हुई।
ये connection था, बिना pressure के।
रात को समृद्धि ने अपने poetry पेज पर लिखा—
“मैं किसी की अधूरी कहानी नहीं बनना चाहती,
और न ही किसी का last chapter।
मैं खुद की पहली line हूँ।”
और साथ में एक caption—“Rebuild > Rebound.”
अब जब वो mirror देखती थी, उसे सिर्फ एक लड़की नहीं दिखती थी,
उसे दिखती थी एक survivor, एक storyteller,
और सबसे बड़ी बात—एक लड़की जिसने खुद को वापस पा लिया।
भाग 7: “Dating Apps & Identity Gaps”
“Swipe left. Swipe right. Match. Ghost. Repeat.”
समृद्धि ने Tinder को uninstall करने से पहले यही लिखा था अपने diary में।
लेकिन दो हफ़्ते बाद, boredom और curiosity के मेल से फिर से Bumble इंस्टॉल कर लिया।
“बस देख रही हूँ,” उसने खुद से कहा, “कोई agenda नहीं है।”
उसने प्रोफाइल बनाया:
📍 Delhi
📝 Poet | Psychology student | Recovering from romantic idealism
🎧 Favorite song: ‘Cold/Mess’ but I’m trying to be just ‘Warm/Okay’ now.
📷 Profile pic: Sunset में खिड़की के पास coffee पीते हुए candid shot।
पहला match—नाम था Neil। Bio: “Crypto analyst by day, sadboi by night.”
पहला मेसेज: “Hey, you like poetry? Roses are red, I’m sad in bed.”
समृद्धि ने स्क्रीन घूरा। “Red flag, लेकिन entertaining,” सोचते हुए reply किया:
“Violets are blue, maybe therapy is for you?”
Chat interesting थी, लेकिन within 2 days, वही कहानी—Neil disappear हो गया।
Seenzone deja vu.
समृद्धि ने फ्रेंड्स ग्रुप में लिखा:
“Another episode of ‘Men as Memes’. Stay tuned!”
अंशिका ने जवाब दिया: “Bumble boy से Bumble bye तक का सफर fast होता है।”
एक रात, उसने app खोला और एक नया match मिला—नाम था Zayan।
Bio: “Design student. Book hoarder. Terrible at texting, amazing at chai.”
पहली बार कोई ऐसा मिला जो धीरे बोलता था, जल्दी जवाब नहीं देता था, लेकिन जब देता था तो उसमें effort होता था।
“Tumhari poetry पढ़ी,” उसने कहा।
“Kaunsi wali?”
“‘I left when I realized I was waiting more than living.’ That one hit hard.”
Zayan और समृद्धि की बातचीत हफ्तों चली—memes, voice notes, occasional deep conversations, और mutual playlists का आदान-प्रदान।
पर इस बार समृद्धि ने खुद से एक boundary बना ली थी—“No expectations without communication.”
एक दिन Zayan ने पूछा,
“Why did you leave dating apps earlier?”
“Because I was trying to find home in houses with broken doors,” समृद्धि ने लिखा।
“Same. I kept looking for validation in people who didn’t even know themselves.”
उसने धीरे से सोचा—ये शायद पहला ऐसा conversation है जो ‘trauma dump’ नहीं, ‘healing exchange’ है।
दोनों ने मिलने का प्लान बनाया—एक आर्ट गैलरी में।
Zayan ने पूछा, “Do I bring flowers or poems?”
“Bring silence. If we’re comfortable in that, we’re good,” समृद्धि ने जवाब दिया।
गैलरी में वो मिला—olive green shirt, beige pants, specs और एक सूटकेस जैसी मुस्कान।
“Hey,”
“Hey,”
चुप्पी। पर वो चुप्पी awkward नहीं थी, बस शांत थी।
एक पेंटिंग के सामने दोनों रुके—एक लड़की जो खिड़की से बाहर देख रही थी।
Zayan ने कहा, “कभी-कभी वो लड़की मैं खुद हूँ।”
समृद्धि ने मुस्कुराकर कहा, “मैं वो खिड़की हूँ जिससे बाहर की दुनिया थोड़ी blurry लगती है।”
काफी देर बाद वो एक कॉफ़ी शॉप गए। Zayan ने कहा, “You know, I was scared you’d be disappointed.”
“Why?”
“क्योंकि मैं Insta poet नहीं हूँ। बस लोगों की आँखों से शब्द पकड़ लेता हूँ।”
“Then that’s poetry already,” समृद्धि ने कहा।
वो एक soft date था—जहाँ न कोई proposal था, न flirtation की ज़रूरत। बस दो लोग थे जो टूटने के बाद जुड़ने की जल्दबाज़ी में नहीं थे।
रात को समृद्धि ने एक voice note भेजा:
“तुम्हें देखकर ऐसा लगा जैसे कोई mirror हो जो judgmental नहीं, बस साफ़ हो।”
Zayan का जवाब आया—“तुम्हारी आवाज़ भी कविता है। वो भी वो वाली, जो समझने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए होती है।”
उसने मुस्कुराकर फोन रखा।
और अपने Notes App में लिखा:
“Maybe not everyone is a distraction.
Maybe some are reminders—
कि तुम पूरी हो,
किसी के बिना भी।”
Bumble फिर से uninstall कर दिया।
नफरत नहीं, संतोष के साथ।
क्योंकि अब उसे ज़रूरत नहीं थी एक और ‘match’ की।
अब वो खुद से matched थी।
उसने अपनी poetry collection के लिए एक नया सेक्शन जोड़ा—
“Apps and Gaps”
जहाँ वो उन conversations को दर्ज कर रही थी जो खत्म नहीं हुए, बस अपनी-अपनी जगह ठीक थे।
अब dating एक game नहीं था।
अब ये एक journey थी—जहाँ destination से ज़्यादा important था कि रास्ते में खुद को ना खो दे।
भाग 8: “The Unfollow Festival”
October के आखिरी हफ्ते में Instagram पर एक नया trend चला—#UnfollowFestival।
किसी influencer ने शुरू किया था—idea ये था कि जिन profiles से अब कोई emotional value नहीं बची, उन्हें unfollow किया जाए।
Toxic exes, draining influencers, और वो पुराने crushes जो सिर्फ guilt और memories देते हैं—सबको virtual goodbye।
समृद्धि ने इस ट्रेंड को देखते ही सोचा, “क्या मैं ये कर सकती हूँ? क्या मैं सच में unfollow कर सकती हूँ उन लोगों को जिनसे अब बस screen बची है, connection नहीं?”
उसने अपने profile पर जाके आर्यन का अकाउंट खोला। DP वही पुरानी थी—एक beachside candid जिसमें वो sunglasses में smile कर रहा था जैसे life sorted हो।
उसके प्रोफाइल को देखना अब वैसा नहीं लगता था जैसे पहले लगता था। अब उसमें curiosity थी, पर ache नहीं।
उसने सोचा—“Unfollowing someone doesn’t mean I hate them. It means I’m choosing myself.”
उसने unfollow बटन दबाया। No drama. No tears. बस click और calm।
इसके बाद वो profiles की एक लिस्ट बनाने लगी:
– Old school friends who now only post MLM schemes
– एक ex situationship जो अब हर Sunday spiritual quote डालता है लेकिन खुद कभी accountability नहीं लिया
– वो college senior जो हर poetry पर “nice” लिखकर dismiss करता था
हर unfollow के साथ उसे थोड़ा खालीपन नहीं, बल्कि space महसूस हुआ। जैसे digital दुनिया में भी थोड़ा detox मिल रहा हो।
Unfollow करने के बाद उसने एक Insta story डाली:
“Letting go isn’t about cutting ties. It’s about weaving new ones—with peace, with clarity, with self.”
उसने साथ में एक hashtag डाला—#DigitalDetoxFeelsLikeTherapy
कुछ देर बाद, Zayan का message आया—
“Unfollow festival join किया?”
“हाँ। तुम?”
“Almost. बस एक नाम बचा है…”
“कौन?”
“तुम। क्योंकि तुम्हें unfollow नहीं करना चाहता—follow भी नहीं। बस देखना चाहता हूँ बिना filters के।”
“Nice save,” समृद्धि ने हँसते हुए भेजा।
“नहीं, serious था।”
“Okay. लेकिन mutual following के बिना भी connection possible है।”
“Exactly. That’s why I like you. You don’t chase attention, you choose authenticity.”
उस दिन समृद्धि ने अपने नए article के लिए टॉपिक लिखा—“Digital Boundaries for Emotionally Intelligent Beings”
उसने अपने ब्लॉग में लिखा:
“हम हर सुबह आँख खोलते ही उन चेहरों को देखते हैं जो अब हमारी जिंदगी का हिस्सा नहीं रहे। क्या ये प्यार है? या आदत? या बस algorithm की चालाकी?
Unfollowing किसी को ज़िद नहीं है। ये self-respect है। ये उस notification से छुटकारा है जो सिर्फ screen चमकाता है, दिल नहीं।”
कॉलेज में अगली morning discussion थी—“What’s worse: Blocking or Ghosting?”
बहस heated थी। कोई बोला—“Block करना immature है।”
कोई बोला—“Ghosting cowardice है।”
समृद्धि ने कहा, “Blocking boundaries हैं। Ghosting confusion है। Blocking clarity देता है। और clarity cruelty नहीं होती।”
सब चुप हो गए।
उस discussion के बाद एक लड़की—नेहा—समृद्धि के पास आई।
“तुम्हारी बात सुनकर मैंने अपने ex को block कर दिया। तीन साल से बस उसकी stories देख रही थी, खुद की life pause करके। Thanks.”
“Happy Unfollow Festival,” समृद्धि ने मुस्कुराकर कहा।
शाम को Zayan ने कॉल किया।
“चलो कहीं घूमने चलते हैं।”
“कहाँ?”
“जहाँ network ना हो।”
“वाह। Unfollow का final level?”
दोनों next day एक botanical garden गए। पेड़ों के बीच, गुलाब के गंध में, और हरियाली के silence में समृद्धि को महसूस हुआ—ये वो space है जो उसने खुद के लिए बनाई है।
Zayan ने पूछा, “Are you still scared of attachments?”
“नहीं। अब मैं बस aware हूँ।”
“क्या मैं poem बन सकता हूँ?”
“Already हो,” समृद्धि ने कहा।
वो दोनों एक बेंच पर बैठे, Zayan की उँगलियाँ कांपती हुई उसकी ओर बढ़ीं, लेकिन उसने hold नहीं किया। बस पूछा,
“May I?”
समृद्धि ने हाँ में सिर हिलाया।
इस बार कोई डर नहीं था। कोई baggage नहीं था। ये कोई healing project नहीं था।
ये दो पूरे लोगों का मिलना था—not for escape, but for expression.
रात को समृद्धि ने अपनी journal में लिखा:
“I used to think love is when someone holds your hand.
Now I know, love is when they ask before holding it.”
उसने इंस्टाग्राम स्टोरी डाली—
📷 दो चाय के कप, पीछे धुंधला जंगल
Caption:
“Follow peace. Unfollow anything else.”
#UnfollowFestivalComplete
भाग 9: “DMs, Deadlines और Dil”
“Final submissions due in 72 hours!” – कॉलेज की notice board पर ये लाइन bold letters में चमक रही थी। हर कोई भाग रहा था—notes, printouts, last-minute panic, और Google Docs के endless tabs में डूबा हुआ। समृद्धि के लिए भी यही हाल था—एक तरफ उसकी poetry collection का final edit pending था, दूसरी तरफ psychology thesis की formatting गड़बड़ हो गई थी।
कहने को ये chaos था, लेकिन इस बार वो overwhelmed नहीं थी। शायद इसलिए क्योंकि उसका दिल अब pending नहीं था।
डेस्क पर बैठी समृद्धि ने लैपटॉप खोला। सामने Zayan का voice note pending था—“Hey, don’t forget to breathe. And also, chai पी ली क्या?”
उसने play नहीं किया। बस smile की। उसे पता था—अब validation voice notes में नहीं, खुद के progress में मिलती है।
थोड़ी देर बाद Zayan ने एक meme भेजा—“Deadline near? Let’s panic productively!”
Reply में समृद्धि ने thumbs-up emoji भेजा। फिर खुद से बोली—“पहले thesis, फिर feelings।”
अगले तीन दिन वो coding की तरह poetry edit कर रही थी। हर लाइन को देखती, पढ़ती, delete करती, फिर rewrite करती।
Example:
Original line: *“तेरे बिना अधूरी हूँ।”
Edited version: “तेरे साथ भी अधूरी थी।”
हर कविता अब सच जैसी लगने लगी थी—raw, but resilient.
Zayan बीच-बीच में मेसेज करता—“Lunch किया?”, “Deadline hug चाहिए?”, “Caffeine or care?”
लेकिन वो कभी भी clingy नहीं हुआ। उसने समझा कि priorities कभी भी love को छोटा नहीं करतीं, बस उसे stable बनाती हैं।
एक रात, समृद्धि thesis के footnotes में उलझी थी, जब उसका इंस्टाग्राम खुला और एक पुराना DM दिखा—आर्यन का। दो साल पहले की बात—
“तू मेरी pause है, समृद्धि। हर बार तेरे पास आकर शांति मिलती है।”
वो मेसेज अब archive में पड़ा था, लेकिन असर अब भी था।
उसने खुद से पूछा—”क्या मैं अब किसी की pause नहीं, खुद की priority हूँ?”
उसने उस DM को delete नहीं किया। बस close कर दिया—क्योंकि अब closure delete से नहीं, distance से आता है।
दूसरे दिन poetry book का cover file फाइनल हो गया। नाम था: “Notes From the Seen Zone”
Subtitle: From typing… to talking… to turning away.
Zayan ने cover देखकर कहा, “I love the title. It’s smart and sad at the same time.”
“Like my past.”
“Like most people’s 20s.”
कॉलेज का submission दिन आया। सारे students भागते हुए lab में, printer खराब, pen drive corrupt, panic full-on।
समृद्धि headphones लगाकर line में खड़ी थी—’Agar Tum Saath Ho’ softly बज रहा था।
Zayan सामने से आया। “You look peaceful in this chaos.”
“Internal शोर थोड़ा कम हुआ है।”
“Submit हो गया?”
“Almost.”
“Then chai?”
“Always.”
दोनों कैंटीन में गए। पीछे हॉस्टल के लड़के चिल्ला रहे थे, कोई Maggi का order ले रहा था, कोई exam की रात के कसमे खा रहा था।
Zayan ने कहा, “तुम्हारी किताब छपने वाली है। Thesis भी submit हो गई। और दिल?”
समृद्धि मुस्कुराई।
“दिल भी first draft से final version की तरह evolve हो गया है।
अब वो किसी के reply का इंतज़ार नहीं करता।
अब वो खुद को जवाब देने लगा है।”
Zayan ने पूछा, “और… इस दिल में मेरे लिए कोई footnote है?”
“हूँ… शायद acknowledgment section में। With soft fonts and chai stains.”
“Enough for now.”
चाय की चुस्कियों के बीच, दोनों ने खामोशी साझा की—वो खामोशी जिसमें कोई awkwardness नहीं थी। बस comfort था।
रात को समृद्धि ने अपनी डायरी में लिखा:
“Submission done.
Feelings filed.
Now, only edits for life remain.”
उसने Zayan को एक voice note भेजा—
“Thanks for not being a distraction. Thanks for being direction.”
Zayan का reply आया—
“Thanks for letting me read between your lines.”
Instagram खोला—notification में एक नया comment था उसकी कविता पर:
“You write like closure finally kissed you and left lipstick marks of truth.”
वो अब भी poetry लिख रही थी, लेकिन अब हर कविता एक end नहीं, एक beginning थी।
भाग 10: “Seenzone से Self-zone”
आख़िरकार वो दिन आ ही गया। समृद्धि की पहली poetry collection “Notes from the Seen Zone” प्रिंट होकर आ गई थी। किताब हाथ में पकड़ते हुए उसकी उंगलियाँ काँप रहीं थीं, पर ये डर वाला कम्पन नहीं था—ये वही excitement थी जो उस समय होती है जब तुम पहली बार खुद को सुना हुआ महसूस करते हो।
घर के कोने में बैठकर उसने किताब का पहला पन्ना पलटा—dedication में लिखा था:
“उन सभी typing bubbles के नाम, जो कभी words नहीं बने… और उन खामोशियों के, जिन्होंने मुझे खुद तक पहुँचाया।”
छोटे से launch event में उसकी सबसे करीबी दोस्तें थीं, प्रोफेसर अदिति मैम भी आई थीं, और सबसे आश्चर्य की बात—Zayan भी।
वो आया, थोड़े फूल लेकर, और एक छोटा brown notebook, जिसमें पहला पन्ना खाली था।
“तुमने अपनी कहानी लिखी,” उसने कहा, “अब ये तुम्हारे readers के लिए है—to write theirs.”
समृद्धि ने मुस्कुराकर कहा, “Shayad यही सबसे प्यारी बात है—जब तुम्हारा healing, किसी और के healing की वजह बन जाए।”
Reading शुरू हुई। समृद्धि ने एक कविता पढ़ी—
“Seenzone वो जगह है,
जहाँ किसी की आँखें तुम्हारे शब्द पढ़ती हैं,
पर जवाब नहीं देतीं।
पर अब, मैंने वहाँ से लौटकर
खुद से बात करना सीखा है।
अब मैं खुद को read भी करती हूँ,
और reply भी।”
तालियाँ बजीं। पर सबसे ज़्यादा तालियाँ वो थी जो समृद्धि ने मन ही मन खुद को दीं।
इवेंट के बाद Zayan उसके पास आया।
“Proud of you, Sam.”
“Thanks. और तुम? क्या कभी लिखोगे?”
“मैं शायद उन लोगों में से हूँ जो खुद को express नहीं करते, लेकिन महसूस ज़रूर करते हैं।”
“तुमने मुझे express करना सिखाया है, silence में भी।”
Zayan थोड़ी देर चुप रहा।
फिर कहा, “And you taught me—presence isn’t loud, it’s consistent.”
उस रात समृद्धि छत पर गई। हल्की सर्दी, खुला आसमान, और कानों में playlists नहीं, बस अपनी heartbeat की धुन।
उसने फोन उठाया, आर्यन का चैट खोला। कोई urge नहीं थी, कोई ache नहीं था। बस acknowledgment थी।
उसने खुद को कहा, “He was a chapter. I am the whole book.”
फिर Zayan का मैसेज आया—
“आज का sunset miss मत करना। थोड़ी orange poetry ज़रूरी है।”
उसने लिखा—
“Seen. But this time, reply भी है—Yes, I’m watching it. With me.”
कभी ‘Seenzone’ वही जगह थी जहाँ वो अटकी रहती थी।
अब वो ‘Selfzone’ बन चुकी थी—जहाँ वो रहती थी, बिना permission माँगे, बिना reply का इंतज़ार किए।
अब वो किताबें लिखती थी। कविताएँ पढ़ती थी। therapy लेती थी। boundaries बनाती थी। और सबसे बढ़कर—खुद से daily बातचीत करती थी।
उसकी Notes App की आखिरी entry थी:
“अब कोई typing नहीं कर रहा,
ना ही कोई Seen दिख रहा है।
पर फिर भी, conversation जारी है।
मेरे और मेरे बीच।
Seenzone से निकलकर
मैं अब Selfzone में हूँ।”
समाप्त




