• Hindi - रहस्य कहानियाँ

    निशान

    कौशिक मिश्रा १ गांव की सुबहें हमेशा एक सी होती थीं—मुर्गों की बांग, कुएं पर बर्तनों की छनछन, और स्कूल जाने की हड़बड़ाहट। लेकिन उस दिन जैसे सब कुछ रुका हुआ था। चौधरी टोले के नुक्कड़ पर लोग जमा थे, आंखों में डर और होठों पर चुप्पी। पायल, बारह साल की एक होशियार बच्ची, जो हर रोज़ अपनी साइकिल से स्कूल जाती थी, आज सुबह अपने बिस्तर से ही गायब थी। दरवाज़ा अंदर से बंद था, खिड़कियां सलामत, और कमरे में उसकी किताबें सजी थीं जैसे अभी-अभी वो पढ़ाई करके उठी हो। लेकिन सबसे अजीब था उस दरवाज़े के बाहर…

  • Hindi - कल्पविज्ञान - रहस्य कहानियाँ

    ऑपरेशन: शिवलिंग

    शशांक त्रिवेदी १ कश्मीर की पहाड़ियों में दिसंबर की कड़ाके की ठंड बर्फ के परदे की तरह चारों ओर फैली थी। गुलमर्ग के निकट, बर्फ से ढके एक निर्जन घाटी में सेना की एक स्पेशल यूनिट गश्त पर थी—नेतृत्व कर रहे थे मेजर शौर्य व्यास, जो अपनी दृढ़ निगाहों और अचूक निर्णयों के लिए जाने जाते थे। सेना को एक हफ्ते पहले सूचना मिली थी कि LOC के करीब किसी दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों के संकेत मिले हैं, लेकिन सैटेलाइट इमेज में कुछ अजीब सा दिखा—बर्फ के नीचे गोलाकार संरचना की आकृति, जो प्राकृतिक नहीं थी। संदेह और…

  • Hindi - क्राइम कहानियाँ - रहस्य कहानियाँ

    बीबी का मक़बरा: अधूरी मोहब्बत का ख़ून

    रागिनी शुक्ला १ औरंगाबाद की सर्द रात की हवा में एक अजीब सी खामोशी पसरी हुई थी, जैसे इतिहास की परतों में दबी कोई अनकही दास्तान सांस रोके खड़ी हो। बीबी का मक़बरा अपने जमे हुए सौंदर्य के साथ अंधेरे में भी चमक रहा था, उसकी संगमरमर की दीवारों पर चाँदनी बिखरी हुई थी और चारों ओर खामोश दरख़्तों की कतारें स्याह साए सी लग रही थीं। उस रात मक़बरे के प्राचीन दरवाज़ों के पीछे किसी को भी भनक नहीं थी कि वहाँ मौत दस्तक देने वाली है। आयशा खान, एक युवा पत्रकार जो दिल्ली से आई थी, इसी मक़बरे…

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    काली चट्टान का रहस्य

    शिवांगी तिवारी 1 मुंबई से लगभग 40 किलोमीटर दूर, समंदर के किनारे एक छोटा-सा गांव है—रॉकविले। यह गांव शहर की चकाचौंध से दूर है, लेकिन वहां की सबसे खास और डरावनी चीज़ है—’काली चट्टान’। हर शाम समंदर के बीचोंबीच उस काली चट्टान पर एक अजीब-सा नीला उजाला दिखाई देता है। कोई नहीं जानता वो रोशनी आती कहाँ से है। इसी गांव में पत्रकार आरव मेहरा आया था, एक स्टोरी की तलाश में। वो क्राइम रिपोर्टर था लेकिन इस बार उसने खुद चुना था रॉकविले आना। उसे किसी ने एक अनाम ईमेल भेजा था— “If you want the story of your…

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    सीलन की दीवार

    अनुज वर्मा दिल्ली की उमस भरी गर्मी की दोपहर में नेहा शर्मा जब पुरानी दिल्ली की तंग गलियों से होकर उस हवेली की तरफ़ बढ़ी, तो उसके दिल में हल्का-सा डर और अजीब-सी उत्सुकता एक साथ उभर आई। हवेली का नाम उसने कई बार सुना था, अख़बारों में उसकी तस्वीरें भी देखी थीं, पर सामने खड़े होकर उसकी जर्जर दीवारों को देखना जैसे किसी पुराने ज़ख्म की परत हटाने जैसा था। टूटी हुई जालीदार खिड़कियाँ, ऊपर से झूलती बेलें और लोहे का ज़ंग खाया बड़ा सा दरवाज़ा — सब कुछ जैसे समय के थपेड़ों से थक कर झुक गया था।…

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    शिवमंदिर के पीछे

    शिवानंद पाठक कोल्हापुर की घाटियों से गुजरती जीप धूल उड़ाते हुए चिखली गाँव की सीमा में प्रवेश कर रही थी। जीप में बैठे वेदांत त्रिपाठी खिड़की से बाहर झाँकते हुए मंदिर की मीनार की झलक पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। वे भारत सरकार के पुरातत्व विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी थे और इस अभियान के मुख्य अन्वेषक भी। चिखली जैसे दूरदराज़ गाँवों में आना उनकी रिसर्च का हिस्सा नहीं, बल्कि जुनून था। उनके साथ बैठी थीं रुचिका देशमुख, एक दक्ष रिसर्च एनालिस्ट, जो कोल्हापुर से ही ताल्लुक रखती थीं। उनके हाथ में मंदिर के नक्शे और एक पुरानी पांडुलिपि…

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    अंधेरे की परछाइयाँ

    विवेक यादव १ दिल्ली की हल्की सर्दियों की उस सुबह अर्जुन सिंह की आंखें अलार्म घड़ी की कानफाड़ू आवाज़ से खुलीं, पर दिलो-दिमाग में जो बेचैनी थी, वह किसी अलार्म से नहीं जागी थी। अपने छोटे से किराये के फ्लैट में अर्जुन ने दीवार पर टंगी घड़ी की ओर देखा—सुबह के सात बजने वाले थे। बाहर से दूधवाले की साइकिल की घंटी, अखबार के लड़के की पुकार और पड़ोसी की चाय के प्याले की खनक सुनाई दे रही थी, मगर अर्जुन का मन इन साधारण आवाजों से परे किसी और ही दुनिया में भटक रहा था। वो दुनिया, जो सपनों…

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    रामलाल का भूतिया स्कूटर

    सुभाष मिश्र रामलाल फतेहपुर कस्बे की एक तंग गली में रहने वाला एक साधारण आदमी था। उम्र कोई पैंतालीस के आसपास, चेहरे पर झुर्रियों की कुछ रेखाएँ जो हर सुबह के संघर्ष और हर शाम की थकान की गवाही देती थीं। पेशे से वह नगरपालिका दफ्तर में एक लिपिक था, और महीने की पहली तारीख को तनख्वाह मिलते ही उसकी जेब से पैसों के पंख लग जाते थे। रामलाल की ज़िंदगी बसों और साइकिल रिक्शाओं पर कट रही थी। हर सुबह वो अपने घर से निकलता, पहले आधा किलोमीटर पैदल चलता, फिर एक धक्का-मुक्की वाली बस में लटकते-लटकते दफ्तर पहुँचता।…

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    सांकलों के पीछे

    अर्चित रस्तोगी भाग १ चौक बाज़ार की पुरानी सड़कें जब रात के अंधेरे में चुप हो जाती हैं, तब भी एक जगह है जहाँ हलचल बनी रहती है—चौधरियों की हवेली। लोगों का कहना है कि उस हवेली के भीतर से आधी रात के बाद ज़ंजीरों की खनक सुनाई देती है। कोई कहता है बंधी हुई आत्मा है, तो कोई कहता है किसी ने वहाँ कुछ छुपा रखा है। राघव, एक २७ वर्षीय पत्रकार, दिल्ली से इस छोटे से शहर “दौरगंज” आया था। वह क्राइम रिपोर्टिंग में नाम कमाना चाहता था, पर दिल्ली की भीड़ और राजनीति ने उसे थका दिया…

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    अधूरी तस्वीर

    असिम बर्मा वाराणसी की उस पुरानी गली में जहां मकान सड़ चुके थे, दीवारें सीलन से भरी थीं और खिड़कियों से झाँकता धूप भी मानो थक हार कर लौट जाना चाहती थी, वहीं एक मोड़ पर खड़ा था वह मकान, जो न तो पूरी तरह खंडहर था, न ही पूरी तरह जीवित। मकान नंबर ३२। तीन मंजिला पर पुराना, ईंट से बना, और उसकी दीवारों पर चिपकी परतें समय की कहानी बयाँ करती थीं। मैं, राघव शास्त्री, उस दिन अपना सामान लेकर उस मकान के तीसरे माले की ओर बढ़ रहा था, जैसे कोई पुराना रिश्ता फिर से मिलने को…