• Hindi - प्रेतकथा - रहस्य कहानियाँ

    कालका मंदिर का रहस्य

    अर्पण शुक्ला अध्याय की शुरुआत गर्म, सुनहरे रेगिस्तान की छवि से होती है, जहाँ सूरज की तेज़ किरणें रेत की लहरों पर चमकती हैं। आर्यन, सायली, करण और निधि, चार कॉलेज के दोस्त, अपनी बैकपैक में जरूरी सामान पैक कर, राजस्थान की असीमित रेगिस्तानी भूमि की ओर निकलते हैं। हर कोई इस यात्रा को लेकर उत्साहित और थोड़ा नर्वस महसूस कर रहा था, क्योंकि उनकी योजना सिर्फ पर्यटन या तस्वीरें लेने तक सीमित नहीं थी; उनका उद्देश्य प्राचीन स्थलों, भूतपूर्व किलों, और लोककथाओं में गहराई से उतरना था। कार की खिड़की से बहती हवा उनके चेहरे को छू रही थी,…

  • Hindi - क्राइम कहानियाँ

    खून का सौदा

    अमितेश ठाकुर एपिसोड 1 — बारिश की गवाही रात की बारिश समंदर से उठी हवा में नमक घोल रही थी। सिवरी के जर्जर डॉक पर पीली रोशनी के नीचे धरती काली चमकती थी, जैसे किसी ने डामर पर तेल उँडेल दिया हो। कंटेनर नंबर 7C-319 की मुहर टूटते ही लोहे की चरमराहट से हवा काटती हुई निकली और चुप्पी के बीच आर्यन भोसले ने आधी नज़र घड़ी पर डाली—01:47। उसके साथ तीन और लोग थे—दारू का कैप उल्टा लगाए योगी, चुपचाप रहने वाला शागिर्द समीर, और सांवला, ठिगना ड्राइवर जग्गू। सब हथियारबंद, सबकी उँगलियाँ ट्रिगर की खाल से दोस्ती करती…

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    तेरी मेरी अधूरी बातें

    आरव मेहता भाग 1 : मुलाक़ात की ख़ामोशी दिल्ली की भीगी दोपहर थी। बरसात का मौसम हमेशा ही लोगों को अपने भीतर छिपे हुए जज़्बातों से मिलाता है। मेट्रो स्टेशन के बाहर लोग अपने-अपने रास्ते भाग रहे थे, किसी के हाथ में छाता था, किसी के कंधे पर बैग। उसी भीड़ में खड़ी थी आर्या, नीली सलवार-सूट पहने, बालों से टपकते पानी की बूँदें जैसे उसकी आँखों में चमक को और गहरा बना रही थीं। वह लाइब्रेरी से लौट रही थी, हाथ में किताबों का ढेर था। अचानक किसी ने पीछे से पुकारा— “सुनिए… आपकी किताब गिर गई।” आर्या ने…

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    नीली फाइल

    आकाश बर्मा १ लखनऊ की उस सुबह में गली के दरवाज़े बंद थे, खिड़कियों के पर्दे आधे खींचे हुए, और लोगों के चेहरे पर अजीब-सा सन्नाटा पसरा हुआ था। सूरज की पहली किरणें जब पुरानी हवेली जैसे बने मकानों की दीवारों से टकराईं, तभी एक चीख ने पूरे मोहल्ले की नींद तोड़ दी। चीख घर के भीतर से आई थी—पत्रकार आरव मेहता के पड़ोसी ने सबसे पहले देखा कि दरवाज़ा आधा खुला है और भीतर से कुर्सी के गिरने जैसी आवाज़ें आ रही हैं। जब लोग धीरे-धीरे दरवाज़े तक पहुँचे तो सामने का दृश्य किसी बुरे सपने जैसा था—कमरे के…

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    भूलभुलैया हवेली

    १ राजस्थान की तपती दोपहर में जब रेत के ढेर सुनहरी चमक बिखेर रहे थे, उसी समय वीरेंद्र राठौड़ अपने सफर की थकान झेलते हुए गाँव में पहुँचा। गाँव छोटा था, लेकिन सदियों पुराने किलेनुमा घरों और मिट्टी के झोपड़ों से भरा हुआ। हर गली से गुजरते हुए उसे महसूस होता कि लोग उसे एक अजीब नज़र से देख रहे हैं—जैसे उसकी पहचान उनसे अलग हो, जैसे उसका मक़सद उन्हें पहले ही मालूम हो। गाँव के चौपाल पर बैठे बूढ़े धीरे-धीरे आपस में फुसफुसाते, और बच्चे डरते-डरते उसके बैग को देखते, मानो किसी अनजाने यात्री का सामान हमेशा रहस्य से…

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    साया-ए-इश्क़

    निखिल आनंद एपिसोड 1: पहली मुलाक़ात शाम ढल रही थी। शहर की सड़कों पर पीली बत्तियाँ जल चुकी थीं और हवा में नमी का हल्का-सा स्वाद था। किसी पुराने फ़िल्मी गीत की धुन पास के पानवाले की दुकान से छनकर आ रही थी। भीड़ के बीच भी कभी-कभी अकेलापन उतना ही गहरा लगता है जितना वीराने में। और उसी अकेलेपन में वह पहली बार दिखी—गुलाबी सलवार-कमीज़ में, एक हाथ में किताब थामे, दूसरे हाथ से साइकिल संभालती हुई। आदित्य उस वक़्त कॉलेज के बरामदे में खड़ा था। वह इतिहास का लेक्चर ख़त्म कर चुका था और दोस्तों के साथ बाहर…

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    प्यार का दूसरा मौका

    अदिति देशपांडे १ अन्विता के लिए घर की चारदीवारी किसी कैदख़ाने से कम नहीं थी। सुबह की धूप जब परदों के बीच से छनकर कमरे में आती, तो भी उसमें कोई गर्माहट नहीं होती थी। उसके जीवन का हर दिन एक ही तरह का था—संघर्ष और चुप्पी का। रसोई की खटपट, दीवारों पर टंगी तस्वीरों की उदासी, और हर शाम दरवाज़े की आहट जब विवेक घर लौटता, तब उसका दिल अजीब-सा धड़कने लगता। विवेक का चेहरा देखना उसके लिए किसी कड़ी परीक्षा जैसा था—जहाँ हर शब्द में तिरस्कार, हर नज़र में ठंडापन, और हर चुप्पी में भारीपन छिपा होता। अन्विता…

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    पलंग के नीचे

    समीरा त्रिपाठी नई दिल्ली के बाहरी इलाक़े में फैला वह अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स पहली नज़र में बिल्कुल साधारण लगता था—ऊँची-ऊँची इमारतें, बच्चों के खेलने का पार्क, गाड़ियों की पार्किंग में जमी धूल और शाम को लौटते दफ़्तरियों की भीड़। लेकिन इमारत नंबर बी–7 का फ्लैट 203 किसी कारणवश हमेशा खाली रहता था। लोगों ने कई बार वहाँ किराएदार देखे थे, लेकिन कुछ ही हफ़्तों में वे सामान समेट कर चले जाते। पड़ोसियों की बातें थीं कि रात के समय उस घर से अजीब आवाज़ें आती हैं—कभी फुसफुसाहट, कभी फर्नीचर खिसकने की, कभी किसी के धीमे-धीमे रोने की। मगर इन सब कहानियों…

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    घाटों पर लिखी मोहब्बत

    प्रियांशु त्रिवेदी भाग 1 : पहली मुलाक़ात वाराणसी की संकरी गलियाँ हमेशा से एक रहस्य समेटे रहती हैं—कभी पान की लाली से सजी हंसी, तो कभी मंदिर की घंटियों में घुली प्रार्थना। सूरज जैसे ही गंगा के ऊपर लालिमा फैलाता, घाट की सीढ़ियाँ जीवन से भर जातीं। ठीक ऐसे ही एक सुबह, दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की तैयारी हो रही थी। भीड़ जमा हो चुकी थी, पुजारियों के मंत्रोच्चार वातावरण में घुल रहे थे, और हवा में अगरबत्ती का धुआँ लहराते हुए अतीत और वर्तमान को जोड़ रहा था। इसी भीड़ में थी आर्या—सफेद सूती सलवार में, हाथ में…

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    डिलीवरी कोड

    १ बारिश की हल्की बूँदें बेंगलुरु की सड़कों पर नाचती हुई बह रही थीं। रात लगभग साढ़े बारह बज रहे थे और सड़कें दिनभर के ट्रैफिक के बाद अब शांत थीं, बस कहीं-कहीं गाड़ियों की हेडलाइट्स और चाय की दुकानों की मद्धम रोशनी दिख रही थी। आर्यन मल्होत्रा अपनी पुरानी लेकिन भरोसेमंद स्कूटी पर सवार, एक आख़िरी डिलीवरी करने के इरादे से निकला था। उसके फोन की स्क्रीन पर फ़ूड डिलीवरी ऐप खुला था, और ऊपर से आती बारिश की बूंदें स्क्रीन पर गिरकर फैल रही थीं। तभी अचानक ऐप की लाइट थीम धीरे-धीरे काली हो गई—जैसे किसी ने अंदर…