सुनील पाटिल
राजेश और आर्टी की शादी हो चुकी थी, और अब वे अपनी शादी के बाद के हनीमून के लिए तैयार थे। दोनों ने एक शांत और सुरम्य हिल स्टेशन का चुनाव किया था, जो उनके दिलों के करीब था। हालांकि, राजेश को यात्रा की योजना बनाते वक्त कुछ उलझन थी, क्योंकि वह हमेशा से ही हर चीज़ को व्यवस्थित और नियंत्रित रखना पसंद करते थे। वह चाहते थे कि उनका हनीमून एक सपने जैसा हो, बिना किसी परेशानी और अड़चनों के। आर्टी, जो हमेशा से रोमांचक और नए अनुभवों की तलाश में रहती थी, इस यात्रा को लेकर काफी उत्साहित थी। उनके मन में विचार था कि यह यात्रा उनके जीवन के सबसे खूबसूरत और अविस्मरणीय दिनों में से एक होनी चाहिए। दोनों के पास अलग-अलग अपेक्षाएँ थीं, लेकिन वे यह मानते थे कि यह सफर उनकी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।
होटल में चेक-इन करने के बाद, उन्होंने अपनी यात्रा की योजना बनाई। एक स्थानीय टूर गाइड से संपर्क किया गया, और कुछ ही देर में वह गाइड श्यामजी का फोन आया। श्यामजी की आवाज़ में एक जबरदस्त आत्मविश्वास था, जो शुरू में तो राजेश और आर्टी को थोड़ा संदेहास्पद लगा, लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि गाइड की बातें शायद स्थानीय अनुभव को और भी दिलचस्प बना देंगी। श्यामजी ने उन्हें सुनिश्चित किया कि वह उन्हें न केवल सबसे अच्छे स्थल दिखाएंगे, बल्कि साथ ही साथ स्थानीय संस्कृति और इतिहास के बारे में दिलचस्प तथ्यों से भी अवगत कराएंगे। आर्टी तो उनकी बातों से प्रभावित हो गईं, लेकिन राजेश के मन में हल्का सा संकोच था।
अगले दिन सुबह, श्यामजी होटल में पहुंचे, और उनकी एंट्री ने राजेश और आर्टी को थोड़ी चौंका दिया। श्यामजी की उम्र तकरीबन 42 साल थी, और वह पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरे हुए थे। उनका पहनावा थोड़ा अजीब था — वह बड़े रंग-बिरंगे कपड़े पहने हुए थे और उनके हाथ में एक चमचमाती छड़ी थी, जो वह हर कदम पर घुमा रहे थे। उनका मुंह हमेशा मुस्कान से भरा हुआ था, और उनकी बातों में एक जोश था, जो तुरंत ही लोगों का ध्यान खींचता था। उन्होंने आर्टी से कहा, “मम, आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं, इस जगह की खूबसूरती आपके रूप को और भी निखार देती है!” आर्टी मुस्कुरा पड़ीं, और राजेश ने हल्की सी घबराहट महसूस की। लेकिन आर्टी के उत्साह ने राजेश को थोड़ी राहत दी, और वह सोचने लगे कि शायद यह गाइड उनकी यात्रा को और भी मजेदार बना देगा।
जैसे ही श्यामजी ने अपना गाइडिंग शुरू किया, उनका उत्साह और ज्यादा बढ़ गया। उन्होंने राजेश और आर्टी को पहले स्थलों के बारे में बताना शुरू किया। उनकी एक अजीब आदत थी — वह हर स्थान को “विशेष” बताते थे, भले ही वह स्थान किसी सामान्य दृश्य से अधिक कुछ न हो। सबसे पहले, श्यामजी उन्हें एक किले के पास लेकर गए और बताया, “यह किला 1200 साल पुराना है, और यह एक प्रसिद्ध शासक द्वारा बनवाया गया था।” राजेश ने संकोच करते हुए पूछा, “क्या यह शासक नाम के किसी विशेष इतिहास का हिस्सा थे?” श्यामजी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बिल्कुल, यह शासक एक महान योद्धा थे, जो दिन-रात युद्ध लड़ते थे।” आर्टी ने उत्सुकता से पूछा, “किसके साथ लड़ते थे?” श्यामजी ने एक और मुस्कान दी और कहा, “यह किला दरअसल उस शासक के दुश्मनों से बचाव के लिए नहीं, बल्कि एक अदृश्य आक्रमणकारी से था।” राजेश को थोड़ा समझ में नहीं आया, लेकिन आर्टी इस “दुश्मन” के बारे में और जानने के लिए तैयार हो गईं।
जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ी, श्यामजी ने और भी कई जगहों का भ्रमण कराया, जिनका इतिहास पूरी तरह से गलत था। एक जगह पर वह बताते हैं, “यह झील भारत के सबसे पुराने जलाशयों में से एक है। यहाँ की मछलियाँ अद्भुत गुणों वाली होती हैं।” राजेश और आर्टी झील के किनारे खड़े हुए थे, और राजेश ने श्यामजी से पूछा, “क्या सच में इन मछलियों के बारे में कुछ विशेष जानकारी है?” श्यामजी ने एक लंबी साँस ली और कहा, “बिल्कुल, इन मछलियों को खाने से आपकी उम्र बढ़ जाती है, और आप बिल्कुल युवा दिखने लगते हैं!” आर्टी हंसी नहीं रोक पाईं, और उन्होंने राजेश से कहा, “देखो, यह जगह तो वाकई जादुई है!” लेकिन राजेश को अब यकीन होने लगा था कि श्यामजी ने इस यात्रा के लिए सिर्फ अपनी कल्पनाएँ ही बनाई हैं। लेकिन आर्टी के उत्साह ने उन्हें चुप रहने को मजबूर कर दिया।
यात्रा के दौरान श्यामजी की बातें और अधिक मजेदार होती गईं, लेकिन एक सवाल हर समय राजेश के दिमाग में घूमता रहा — “क्या यह यात्रा वाकई उन्हीं रास्तों पर जा रही है, जो उन्होंने हमें बताया था?”
अगले दिन श्यामजी ने राजेश और आर्टी को एक और दिलचस्प स्थान पर ले जाने का वादा किया। उन्होंने बताया कि यह जगह “इतिहास की रहस्यमयी गुफा” थी, जिसे लगभग 500 साल पहले एक रहस्यमयी संत ने खोजा था। श्यामजी का उत्साह फिर से चरम पर था, और उनके साथ चलने के लिए आर्टी तैयार थीं, जबकि राजेश अब अधिक सतर्क हो गए थे। वह जानने लगे थे कि श्यामजी की जानकारी अक्सर गलत होती है, लेकिन आर्टी के लिए यह यात्रा रोमांचक बन गई थी।
गुफा के पास पहुंचने तक श्यामजी ने कहानी शुरू कर दी। उन्होंने कहा, “यह गुफा एक प्राचीन गुफा है, जिसे संत शिवप्रकाश ने खोजा था। वह यहां ध्यान करते थे, और इस गुफा में वो ऊर्जा है, जो लोगों को अनहोनी से बचाती है।” राजेश ने श्यामजी से पूछा, “क्या इस गुफा का कोई ऐतिहासिक प्रमाण है?” श्यामजी ने झट से जवाब दिया, “बिलकुल, यहाँ पर जो पेड़ हैं, वे पांच सौ साल पुरानी किस्म के हैं, और इनका इतिहास केवल हमारे ग्रंथों में लिखा है।” राजेश का मन चकरा गया। पेड़ तो वैसे भी बड़े और हरे-भरे थे, लेकिन पांच सौ साल पुरानी किस्म के होने की बात एकदम नई थी। फिर भी वह चुप रहे, क्योंकि आर्टी पूरी तरह से श्यामजी की कहानियों में खोई हुई थी।
गुफा में घुसते ही श्यामजी ने एक और आश्चर्यजनक कहानी शुरू कर दी। “इस गुफा में एक रहस्यमयी स्तंभ है, जिसे छूने से हर व्यक्ति की इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं। लेकिन इसे छूने से पहले आपको एक विशेष मंत्र का उच्चारण करना पड़ता है।” आर्टी उत्सुकता से उन सभी मंत्रों को सुनने लगी, और श्यामजी ने उन्हें मंत्र का उच्चारण करके दिखाया। राजेश को यह सब कुछ हास्यास्पद लगा, लेकिन उसने आर्टी को खुश देख कर कुछ नहीं कहा। वह जानते थे कि आर्टी को ऐसी विचित्र बातों में मजा आता है, और उनके लिए यह यात्रा यादगार हो रही थी।
अचानक, श्यामजी ने गुफा के भीतर एक अजीब सी चीज़ देखी — एक पुराना पत्थर, जिसे देखकर वह बहुत खुश हो गए। “यह वह पत्थर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह कभी भी किसी के लिए समय का दरवाजा खोल सकता है। अगर आप इसे हाथ में पकड़े तो भविष्य में क्या होने वाला है, इसका पता चल जाता है।” श्यामजी ने वह पत्थर राजेश और आर्टी को दिखाया, और आर्टी ने मजाक करते हुए श्यामजी से पूछा, “क्या इस पत्थर से हमें लॉटरी का नंबर भी मिल सकता है?” श्यामजी ने जवाब दिया, “यह केवल भाग्य के सवालों का जवाब देता है, और तुम्हारे जैसे मजाकिया लोग इसे समझ नहीं सकते!” राजेश को फिर से श्यामजी की बातों पर हंसी आई, लेकिन आर्टी पूरी तरह से आश्वस्त हो गई कि वह एक असाधारण यात्रा पर निकली हैं।
गुफा से बाहर निकलते हुए, श्यामजी ने एक और रोचक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस इलाके में एक खास प्रकार का फूल उगता है, जो केवल पूर्णिमा की रात को खिलता है। यह फूल एक अद्भुत खुशबू छोड़ता है, जो दिल और दिमाग को शांति देती है। आर्टी ने पूछा, “क्या हम इसे देख सकते हैं?” श्यामजी ने जवाब दिया, “नहीं, यह केवल उस रात खिलता है, लेकिन मैं आपको बता सकता हूँ कि यह फूल आपको अगले जन्म में भी मिल सकता है!” इस पर राजेश को हंसी आ गई, लेकिन वह फिर भी कुछ नहीं बोले। वे दोनों जान चुके थे कि श्यामजी की जानकारी में बहुत सारी गलतियाँ थीं, लेकिन उनका उत्साह इतना ज्यादा था कि वे अक्सर बेतुकी बातों को हंसी में उड़ा देते थे।
यात्रा के इस दिन के बाद, राजेश ने महसूस किया कि श्यामजी न सिर्फ एक गाइड थे, बल्कि वह एक मनोरंजनकर्ता भी थे। वह लगातार कुछ न कुछ ऐसा बोलते रहते थे जो हंसी और भ्रम का कारण बनता था। लेकिन आर्टी को यह सब मजेदार लग रहा था, और वह पूरी तरह से इस यात्रा का आनंद ले रही थी। इस दौरान, श्यामजी ने जो भी जानकारी दी, वह या तो गलत थी या बहुत ही अजीब, लेकिन वह इसे इस तरह से पेश करते थे जैसे यह पूरी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण बात हो।
राजेश को अब इस यात्रा पर पूरी तरह से विश्वास नहीं था, लेकिन वह आर्टी की खुशी के लिए उसे आनंद लेने देने का फैसला करते हैं। वह जानते थे कि श्यामजी के अजीब तर्कों से वह कभी भी सही जानकारी नहीं पाएंगे, लेकिन यह यात्रा उनकी जिंदगी में एक नई रंगीन यादों की भरमार बनाएगी। श्यामजी की बातों में इतने उतार-चढ़ाव थे कि किसी भी परिस्थिति में हंसी आना तय था।
दिन के अंत में, राजेश और आर्टी ने यह तय किया कि अगले दिन वे श्यामजी की अगली यात्रा के लिए तैयार होंगे। हालाँकि, राजेश को श्यामजी की जानकारी पर अब कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन आर्टी के लिए यह यात्रा सिर्फ एक मस्ती और रोमांच का नाम थी। और यही थी श्यामजी की अद्भुत यात्रा की खासियत — वह कभी भी असलियत से जुड़ी जानकारी नहीं देते थे, लेकिन वह हंसी और मज़े से पूरी यात्रा को और भी रोमांचक बना देते थे।
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सुबह की रोशनी के साथ श्यामजी ने राजेश और आर्टी को अगले दिन की यात्रा के लिए उत्साहित किया। इस बार उनका रुख एक प्रसिद्ध झरने की तरफ था, जिसे स्थानीय लोग “स्वर्गीय झरना” कहते थे। श्यामजी ने दावा किया कि यह झरना न केवल अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि उसके पानी में अजीब शक्ति भी है, जो आत्मा को शांति प्रदान करता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग इस झरने का पानी पीते हैं, उनकी किस्मत बदल जाती है। राजेश, हालांकि अब श्यामजी की बातों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते थे, फिर भी आर्टी के उत्साह के कारण वह उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गए।
हालांकि, जैसे ही उन्होंने यात्रा शुरू की, श्यामजी का आत्मविश्वास और बढ़ गया। वह लगातार राजेश और आर्टी को “स्वर्गीय झरने” के बारे में और भी रहस्यमय बातें बताते गए। रास्ते में श्यामजी ने कहा, “यह रास्ता थोड़ा मुश्किल है, लेकिन विश्वास करो, हम जब झरने तक पहुंचेंगे, तो ऐसा लगेगा जैसे हम स्वर्ग में प्रवेश कर रहे हैं।” आर्टी ने मजाक करते हुए कहा, “अगर हम सच में स्वर्ग में जा रहे हैं, तो क्या वहां हमें मुफ्त में जोड़ी मिलेगी?” श्यामजी ने इसे हल्के में लिया और कहा, “बिल्कुल, यहाँ हर चीज मुफ्त है, अगर आप इस रास्ते का अनुसरण करते हैं।”
लेकिन कुछ ही मिनटों में सब कुछ बदल गया। श्यामजी ने उन्हें एक रास्ते पर मोड़ दिया, जो पहले से ही घना जंगल था। राजेश को थोड़ी चिंता होने लगी, लेकिन आर्टी पूरी तरह से भ्रमित थी। वह मान रही थी कि यह बस एक और रोमांचक मोड़ है। जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, जंगल और भी घना होता गया। रास्ते में श्यामजी ने अपनी छड़ी से घने झाड़ियों को हटाया और कहा, “यह रास्ता कम लोग ही जानते हैं, लेकिन यहाँ से सीधे हम झरने तक पहुंचेंगे।” राजेश ने पूछा, “क्या यह रास्ता सच में सुरक्षित है?” श्यामजी ने हंसते हुए कहा, “आप चिंता न करें, मैं एक अनुभवी गाइड हूं। यह रास्ता बहुत ही खास है।”
कुछ देर में, रास्ता और कठिन हो गया। श्यामजी लगातार अपनी बातें करते रहे, लेकिन राजेश अब शक करने लगे थे कि वे सच में सही दिशा में जा रहे हैं। आर्टी की आँखों में उत्साह था, लेकिन राजेश की चिंता बढ़ती जा रही थी। श्यामजी ने उन्हें एक पेड़ के नीचे बैठने का इशारा किया और कहा, “यह जगह आराम करने के लिए एकदम सही है, यहाँ से झरना और भी पास हो जाएगा।” राजेश ने गुस्से में कहा, “यह रास्ता किस दिशा में जा रहा है? हम घने जंगल में खो गए हैं।” श्यामजी ने अपनी मुस्कान बनाए रखते हुए कहा, “यह बस एक छोटा सा मोड़ है, झरना कुछ ही दूर है।”
अचानक, कुछ समय बाद श्यामजी ने बताया कि यह रास्ता आगे जाने से पहले चढ़ाई में बदल जाएगा। यह सुनकर राजेश और आर्टी चौंक गए। वह चढ़ाई बेहद खड़ी थी, और राजेश ने तुरंत कहा, “यह रास्ता मुझे बिल्कुल ठीक नहीं लग रहा।” लेकिन आर्टी ने इसे एक नए अनुभव के रूप में लिया और चढ़ाई शुरू कर दी। श्यामजी ने उन्हें आश्वस्त किया, “यह एक आसान चढ़ाई है, बस आप मुझे ध्यान से फॉलो करें।”
जैसे ही वे चढ़ाई करने लगे, राजेश की चिंताएँ और बढ़ने लगीं। चढ़ाई पर चलते हुए, वह महसूस करने लगे कि कुछ भी ठीक नहीं है। श्यामजी का आत्मविश्वास अब पहले जैसा नहीं था। वह अपने कदमों को तेज़ करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हर बार रुक कर वह एक कहानी या मजेदार तथ्य सुनाते थे, जैसे कि “यह चढ़ाई भगवान शिव की तपस्या का स्थल है!” राजेश को अब यह सब हास्यास्पद लगने लगा। उन्होंने श्यामजी से कहा, “क्या तुम जानते हो कि हम असल में कहां जा रहे हैं?” श्यामजी ने थोड़ी देर सोचा, फिर हल्की सी हंसी के साथ कहा, “हम बस थोड़ी देर में सही रास्ते पर पहुँचने वाले हैं। आप चिंता न करें।”
कुछ घंटों बाद, चढ़ाई खत्म होने के बजाय और कठिन हो गई। अब उन्होंने देखा कि वे एक बिल्कुल अलग जगह पर पहुंच गए थे, जो न तो झरने के पास था, न ही किसी सही मार्ग पर। यहां चारों ओर केवल घना जंगल था। राजेश का गुस्सा अब खुलकर सामने आ गया। वह चिल्लाए, “हम कहाँ हैं? यह रास्ता बिल्कुल सही नहीं है! हम यहाँ कैसे आ गए?” श्यामजी ने थोड़ा परेशान होकर कहा, “अरे, यह बस एक छोटा सा मोड़ है। हम वापस लौटेंगे और फिर सही रास्ते से जाएंगे।”
आर्टी अब थोड़ी घबराई हुई थी, लेकिन वह श्यामजी के उत्साह से भरी हुई थी। उसने राजेश से कहा, “चलो, हम चलते हैं। शायद श्यामजी सही कह रहे हों।” लेकिन राजेश को यकीन नहीं हो रहा था कि वे सच में कहां जा रहे हैं। वह यह सोचने लगे कि श्यामजी ने उन्हें कैसे इतने दूर और गलत रास्ते पर धकेल दिया।
आखिरकार, कुछ घंटे और खोने के बाद, उन्होंने किसी स्थानीय व्यक्ति से रास्ता पूछा। वह व्यक्ति श्यामजी से सीधे कह रहा था, “यह तो गलत रास्ता है! झरना तो पूरी तरह से दूसरी दिशा में है!” राजेश की आँखों में गुस्सा था, लेकिन वह कुछ नहीं बोले। आर्टी ने थोड़ी मुस्कुराहट के साथ कहा, “कम से कम हम जंगल की शांति का अनुभव कर रहे हैं!”
जैसे ही वे सही रास्ते पर लौटे, श्यामजी ने अपनी गलतियाँ स्वीकार करते हुए कहा, “मुझे लगता है, मैं थोड़ा रास्ता भूल गया था। लेकिन देखिए, हम यहाँ भी अच्छा समय बिता रहे हैं!” राजेश और आर्टी दोनों हंसी में घुल गए, हालांकि वे जानते थे कि श्यामजी का मार्गदर्शन कभी भी सही नहीं हो सकता था।
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झरने के रास्ते से बाहर निकलते हुए, राजेश और आर्टी अब पूरी तरह से थक चुके थे। उनका मन पूरी यात्रा में व्यस्त था, लेकिन श्यामजी का उत्साह कम नहीं हुआ था। वह लगातार कुछ नई योजना या आकर्षक जगह के बारे में सोचते रहते थे। अब जब वे जंगल से बाहर आ गए थे, श्यामजी ने उन्हें एक अन्य स्थान दिखाने की योजना बनाई। उन्होंने कहा, “अब हम जाएंगे उस प्राचीन मंदिर में, जो भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर एक ऐसी जगह है, जहाँ आने से इंसान के सारे पाप धो दिए जाते हैं। और सबसे खास बात यह है कि यहाँ एक बहुत पुराना, रहस्यमय मूर्तिकला है, जिसे छूने से हर व्यक्ति की इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं।”
राजेश और आर्टी को थोड़ी थकान महसूस हो रही थी, लेकिन आर्टी की जिज्ञासा ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। वह इस यात्रा को केवल एक साहसिक यात्रा नहीं, बल्कि अपने जीवन का अनमोल अनुभव मान रही थी। उन्होंने राजेश से कहा, “देखो, श्यामजी के साथ जो भी हो, कम से कम यह यात्रा रोमांचक तो है।” राजेश ने हल्की सी मुस्कान दी, लेकिन उनके मन में श्यामजी के बारे में सवाल अब बढ़ने लगे थे।
मंदिर तक पहुँचने में ज्यादा समय नहीं लगा। यह एक छोटे से गाँव के किनारे स्थित था, जो बिलकुल भी धार्मिक नहीं लग रहा था। गाँव में हलचल कम थी, और मंदिर भी बहुत पुराना और बिखरा हुआ था। श्यामजी ने मंदिर के गेट पर खड़े होकर कहा, “यह मंदिर बहुत पुराना है। कहते हैं कि यहाँ भगवान शिव का वास है, और जिन लोगों के जीवन में कोई समस्या हो, वे यहाँ आकर हल पा सकते हैं।” राजेश ने सवाल किया, “क्या यह मंदिर किसी ऐतिहासिक पुस्तक में भी है?” श्यामजी ने जवाब दिया, “यह मंदिर बहुत पुराने समय से है। इसे लोग बहुत समय से जानते हैं, लेकिन इसे छिपाया गया था ताकि सिर्फ वे लोग आ सकें, जो इसके असली महत्व को समझें।”
यह सुनकर राजेश का मन फिर से चकरा गया, लेकिन आर्टी का उत्साह फिर से बढ़ गया। उसने तुरंत मंदिर के भीतर प्रवेश किया, और श्यामजी ने पीछे से बताया, “यह मंदिर केवल सच्चे भक्तों के लिए है। जो यहाँ आकर विशेष पूजा करते हैं, उनकी हर इच्छा पूरी होती है।” श्यामजी ने वहाँ रखे छोटे से पत्थर की मूर्तियों की ओर इशारा किया और कहा, “यह मूर्ति सिर्फ उन्हीं लोगों को दिखाई देती है, जो दिल से विश्वास करते हैं।” आर्टी ने आश्चर्य से पूछा, “क्या हमें भी यह मूर्ति देखनी चाहिए?” श्यामजी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां, यदि आप सच्चे मन से आस्थावान हैं, तो आपको यह जरूर दिखाई देगी।”
राजेश को अब समझ में आ गया कि श्यामजी न केवल गाइड थे, बल्कि वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो पूरी तरह से लोककथाओं और अजीब-अजीब विश्वासों में विश्वास करते थे। जैसे-जैसे वे मंदिर के भीतर और आगे बढ़े, श्यामजी ने मंदिर के अंधेरे कोनों में घेरकर कहा, “यहां एक विशेष स्थान है, जहां एक बहुत पुरानी शक्ति बसी हुई है। यदि आप यहाँ ध्यान लगाते हैं, तो आपकी आत्मा को शांति मिलती है। लेकिन याद रखिए, यह ध्यान केवल बहुत विशेष लोग ही कर सकते हैं।”
राजेश ने घबराते हुए कहा, “क्या यह ध्यान करने से हम सुरक्षित रहेंगे?” श्यामजी ने जवाब दिया, “सुरक्षित नहीं, लेकिन यह शक्ति आपकी आत्मा को मजबूत करती है।” इस बीच, आर्टी की नजरें उस स्थान पर थीं, जहाँ श्यामजी इशारा कर रहे थे। वह वहां ध्यान लगाने के लिए तैयार हो गई, लेकिन राजेश ने उसे रोकते हुए कहा, “यह सब बहुत अजीब है। क्या तुम्हें लगता है कि हम इस पर विश्वास कर सकते हैं?”
लेकिन आर्टी को श्यामजी के उत्साह और जोश ने पूरी तरह से आकर्षित कर लिया था। उसने कहा, “देखो, अगर कुछ अच्छा हो सकता है, तो क्यों न इसे ट्राई करें?” राजेश ने सिर झुकाया और कहा, “ठीक है, लेकिन अगर कुछ गड़बड़ हुआ, तो मुझे नहीं लगता कि हम इस जगह में कोई ‘शक्ति’ महसूस करेंगे।” श्यामजी ने हंसते हुए कहा, “अरे, आप दोनों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। बस ध्यान से पूजा करो, और देखो, भगवान शिव का आशीर्वाद जरूर मिलेगा।”
जब आर्टी और श्यामजी ध्यान में बैठ गए, तो राजेश थोड़ा परेशान महसूस कर रहा था। उसकी दिमागी शांति अब पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी। वह चुपचाप मंदिर में इधर-उधर घूमने लगा और श्यामजी की उन अजीब बातों को सोचने लगा। फिर, कुछ समय बाद, श्यामजी ने कहा, “देखो, अब आप दोनों को असली अनुभव होगा!” वह उत्साहित होकर बोले, “आप देखिए, यहाँ एक जादुई पत्थर है। इस पत्थर को छूने से सभी दुख खत्म हो जाते हैं।”
राजेश को अब समझ में आ गया कि यह सब एक चाल थी। श्यामजी ने उन्हें मंदिर में खो जाने के बाद इस ‘जादुई पत्थर’ के बारे में बताया था, जो उनके भ्रम को और बढ़ाता था। राजेश ने हंसी के साथ कहा, “यह सब एक मजाक है, है ना?” आर्टी ने जवाब दिया, “नहीं, मुझे लगता है कि श्यामजी सच कह रहे हैं। ऐसा लगता है कि यह जगह सच में खास है।”
राजेश ने अंततः सोचा कि यह पूरी यात्रा एक मजेदार अनुभव बन चुकी है। श्यामजी की हास्यास्पद कहानियों और विश्वासों से यह यात्रा न केवल उनके लिए अविस्मरणीय बन गई, बल्कि साथ ही यह उन्हें यह सिखा गई कि कभी-कभी भ्रम और मजाक भी जीवन का हिस्सा होते हैं। मंदिर से बाहर निकलते हुए श्यामजी ने कहा, “आप दोनों को आशीर्वाद मिला है, और अब हम अगले स्थान पर जाएंगे।” राजेश और आर्टी ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दिए।
यहाँ तक कि श्यामजी की अद्भुत जानकारी भी अब उनके लिए केवल एक मजेदार अनुभव बन गई थी, और वे इसके साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार थे।
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अगले दिन, श्यामजी ने एक नई योजना बनाई। वह राजेश और आर्टी को एक स्थानीय त्यौहार में शामिल होने के लिए ले जाना चाहते थे, जो इलाके के एक प्रसिद्ध गाँव में हो रहा था। इस त्यौहार के बारे में श्यामजी ने कहा, “यह त्यौहार बहुत खास है। यह एक प्राचीन परंपरा है, जो सिर्फ कुछ ही स्थानों पर मनाई जाती है। यहां पर लोग बिना कपड़ों के भागते हैं, और यह उनकी आध्यात्मिक शुद्धता और उन्नति का प्रतीक है।”
राजेश और आर्टी दोनों ही पहले तो इस बात को सुनकर चौंके, लेकिन श्यामजी की कहानी ने उनका मन मोड़ लिया। आर्टी तो पहले से ही इस विचार के लिए तैयार थी, और राजेश ने इसे केवल एक मजेदार अनुभव मानते हुए इसे मंजूरी दी। श्यामजी ने कहा, “यह त्यौहार एक तरह से जीवन के सबसे गहरे रहस्यों को खोलता है। अगर आप इसमें भाग लेते हैं, तो आपके जीवन के सारे पाप खत्म हो जाएंगे।” आर्टी उत्सुकता से बोली, “क्या हम सच में इसमें भाग ले सकते हैं?” श्यामजी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बिलकुल! आप दोनों को इससे बेहतर अनुभव और क्या हो सकता है?”
गाँव में पहुंचते ही, राजेश और आर्टी ने देखा कि लोगों का उत्साह बढ़ा हुआ था। चारों ओर रंग-बिरंगे कपड़े थे, लोग ढोल की थाप पर नाच रहे थे, और गांव की सड़कों पर हंसी-मज़ाक का माहौल था। श्यामजी ने उन्हें बताया, “यह त्यौहार हर साल इस दिन मनाया जाता है, और यह आधिकारिक रूप से ‘स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का उत्सव’ है। यहाँ हर कोई खुलकर नाचता है, गाता है और हर बुराई को पीछे छोड़ देता है।” आर्टी तो पूरी तरह से उत्साहित हो गई, लेकिन राजेश को अब कुछ संदेह होने लगा था।
वह दोनों जब त्यौहार में शामिल हुए, तो श्यामजी ने उन्हें बताने की कोशिश की कि इस उत्सव का असली उद्देश्य आत्म-शुद्धि और भक्ति है। “यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है,” श्यामजी ने कहा, “और इस प्रक्रिया में भाग लेने से सभी बुराइयाँ दूर हो जाती हैं।” श्यामजी के लगातार उत्साही और विश्वास से भरे शब्दों ने आर्टी को और भी अधिक प्रेरित किया, जबकि राजेश की आँखों में अब भी चिंता और संदेह था। वह समझ नहीं पा रहे थे कि इस सबका वास्तविक उद्देश्य क्या है।
त्यौहार की शुरुआत हुई और सभी लोग नृत्य करने लगे। यह उत्सव इतना रंगीन और जीवंत था कि आर्टी को यह बेहद मजेदार और रोमांचक लगने लगा। वह नृत्य में पूरी तरह से मग्न हो गई, लेकिन राजेश थोड़े हिचकिचाते हुए खड़ा रहा। अचानक, श्यामजी ने कहा, “अब हमें इस हिस्से में भाग लेना है।” वह उन्हें एक बड़े मंच की ओर ले गए, जहां पर लोग बिना कपड़ों के नृत्य कर रहे थे। श्यामजी ने बिना कोई संकोच किए कहा, “यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जिसमें सभी लोग अपने भीतर की बुराइयों को छोड़ने के लिए बिना कपड़ों के नृत्य करते हैं। यह आत्मा की शुद्धि का सबसे अच्छा तरीका है।”
राजेश को यह सब सुनकर झटका लगा, और वह श्यामजी से गुस्से में कहने लगे, “क्या आप गंभीर हैं? यह क्या बेतुकी बात है? हम यहाँ क्यों हैं?” श्यामजी ने जवाब दिया, “आप नहीं समझ रहे हैं। यह शुद्धि की प्रक्रिया है, जो जीवन के हर एक पहलू को बदल देती है।” राजेश अब पूरी तरह से परेशान हो गए थे, लेकिन आर्टी ने श्यामजी के साथ अपनी बातों को सुना और कहा, “देखो, अगर हम थोड़ा मजाक नहीं करते तो क्या होगा? हम तो बस थोड़ी मस्ती करने आए हैं।”
राजेश ने फिर भी इसका विरोध किया और कहा, “मुझे लगता है कि हमें यहाँ से निकल जाना चाहिए। यह ठीक नहीं है।” आर्टी ने थोड़ा ठहर कर कहा, “मुझे लगता है कि हमें थोड़ा और देखना चाहिए। श्यामजी शायद सही हैं।” हालांकि, राजेश के मन में अब यह साफ था कि वह इस परंपरा को नहीं समझ सकते थे, और वह आर्टी से फिर से कहने लगे, “यह सब सिर्फ एक मजाक है, और हमें इससे बाहर निकलना चाहिए।”
जब वे दोनों त्यौहार के इस अजीब मोड़ से बाहर निकलने के लिए लौट रहे थे, श्यामजी ने कहा, “आप दोनों के लिए यह अनुभव ज़रूर एक चमत्कारी बदलाव लाएगा। अब, अगर आप तैयार हैं, तो अगले स्थान पर चलते हैं।” राजेश और आर्टी, दोनों ने एक दूसरे को देखा और सहमति दी कि यह यात्रा अब बहुत ज्यादा हास्यास्पद हो गई थी। वे पूरी तरह से थक चुके थे, लेकिन आर्टी की उत्साही आँखों ने श्यामजी के हर गलत फैसले को नकारते हुए उसे मजेदार बना दिया था।
जब वे होटल वापस लौटे, तो राजेश ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “यह यात्रा एक नयी तरह की अनुभवों से भरी हुई थी, लेकिन अब मुझे लगता है कि हमें वापस घर जाना चाहिए।” आर्टी ने हंसी के साथ जवाब दिया, “तुम हमेशा मेरे मज़े को कम करने की कोशिश करते हो! लेकिन ठीक है, हमें आगे बढ़ना चाहिए। अगले कदम क्या होंगे, मैं जानने के लिए उत्साहित हूँ।”
श्यामजी की हास्यास्पद गाइडिंग, उनके द्वारा बनाई गई भ्रामक धार्मिक मान्यताएँ, और राजेश और आर्टी के बीच की बातचीत ने इस यात्रा को बिल्कुल अविस्मरणीय बना दिया था। और यही थी श्यामजी की खासियत — उनका हर कदम मजेदार होता था, भले ही वह पूरी तरह से भ्रमित करता हो।
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राजेश और आर्टी के लिए यह यात्रा अब एक मनोरंजन से अधिक कुछ नहीं रह गई थी। श्यामजी की हर कहानी, हर रास्ता और हर स्थान एक नए भ्रम के साथ जुड़ा हुआ था। इस दिन उन्होंने एक और स्थल पर जाने का निर्णय लिया, जो उनके अनुसार “प्राकृतिक ऊर्जा का केंद्र” था। श्यामजी ने बताया, “यह स्थान दुनिया का सबसे शक्तिशाली ऊर्जा क्षेत्र है। यहाँ पहुँचने से व्यक्ति को मानसिक शांति और शारीरिक ऊर्जा मिलती है, और अगर आप यहाँ ध्यान लगाते हैं तो आपकी सारी समस्याएँ सुलझ जाती हैं।” आर्टी को फिर से यह सब दिलचस्प लगा, लेकिन राजेश के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आने लगी थीं।
इस बार श्यामजी उन्हें एक पहाड़ी इलाके में ले गए, जहाँ घने जंगल और चढ़ाई के रास्ते थे। जैसे ही उन्होंने चढ़ाई शुरू की, श्यामजी ने फिर से अपनी बातों से उन्हें उत्साहित करना शुरू कर दिया। “यह रास्ता थोड़ा कठिन है, लेकिन एक बार आप इसे पार कर लें, तो आपका जीवन बदल जाएगा। यह वही जगह है जहाँ प्राचीन संत ध्यान करते थे और अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करते थे।” राजेश अब बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हो रहे थे, क्योंकि श्यामजी की हर बात पर विश्वास करना उनके लिए बहुत मुश्किल हो गया था। लेकिन आर्टी, हमेशा की तरह, इस रोमांचक सफर का आनंद ले रही थी।
चढ़ाई में उन्होंने रास्ते में मिलने वाले एक स्थानीय व्यक्ति से पूछा, “क्या यह रास्ता सही है? हम सही दिशा में जा रहे हैं?” स्थानीय व्यक्ति ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “यह रास्ता तो सही है, लेकिन आपको और ऊपर चढ़ना पड़ेगा। पर ध्यान रखना, ऊपर जाने में काफ़ी समय लगता है।” श्यामजी ने कहा, “देखिए, हम सिर्फ थोड़ी देर में पहुँचने वाले हैं। बस, आप लोग भरोसा रखें।” लेकिन राजेश को यह सब अब सच्चाई से अधिक फंतासी जैसा लग रहा था।
चढ़ाई करते-करते वे एक घने जंगल में पहुँच गए, जहाँ रास्ता और भी कठिन हो गया। अब तो श्यामजी के आत्मविश्वास में भी कमी आने लगी थी। उनका कदम पहले जैसा तेज नहीं था। वह बार-बार रास्ता बदलते और फिर शरमाते हुए कहते, “यह जंगल थोड़ा घना है, लेकिन हम सही रास्ते पर हैं। आप लोग मुझे फॉलो करें।” राजेश ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा, “अगर हम और ऊपर चढ़ने के बजाय सीधे जंगल में खो गए तो?” श्यामजी ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “आप चिंता मत करें, हम कुछ ही देर में वहाँ पहुँच जाएंगे। बस थोड़ा और चलते हैं।”
काफी समय और श्रम के बाद, उन्होंने पाया कि वे अब न सिर्फ गलत रास्ते पर थे, बल्कि उनकी पूरी यात्रा बेकार जा रही थी। राजेश अब पूरी तरह से परेशान हो गए थे। वह समझ चुके थे कि श्यामजी ने पूरी तरह से गलत रास्ता पकड़ा है। श्यामजी का आत्मविश्वास और उनका साहस अब खत्म हो चुका था। उन्होंने कहा, “देखिए, शायद हमें थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। मैं गाइड हूं, और यह रास्ता सही है। बस थोड़ा सा और समय चाहिए।”
आर्टी अब श्यामजी के शब्दों में उलझ चुकी थी। वह सोचने लगी कि क्या वे सच में गलत रास्ते पर हैं या फिर श्यामजी की कहानियों में कुछ सच था। “क्या यह सब सच में हमारे जीवन को बदलने वाला है?” उसने सोचते हुए कहा। श्यामजी ने हंसी में कहा, “बिलकुल! आपको यकीन होगा जब आप पहुँचेंगे। यह जगह अपने आप में खास है।”
लेकिन जैसे ही वे आगे बढ़े, उन्हें एक और स्थानीय व्यक्ति मिला, जो बहुत ही हैरान था कि वे इस कठिन रास्ते पर क्यों चल रहे थे। उसने कहा, “यह रास्ता उस तरफ नहीं जाता। आपको वापस लौटना होगा, और फिर एक दूसरा रास्ता पकड़ना होगा।” श्यामजी थोड़े संकोच में थे, लेकिन उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि मैंने थोड़ा रास्ता बदल लिया है। लेकिन आप लोग चिंता न करें, मैं फिर से सही रास्ता दिखा दूँगा।”
राजेश को अब पूरी तरह से यकीन हो गया कि यह यात्रा एक बड़े मजाक से ज्यादा कुछ नहीं थी। उन्होंने कहा, “श्यामजी, अब मैं कहता हूँ कि हमें वापस लौटना चाहिए। इस यात्रा में अब कोई दिशा नहीं रही।” आर्टी ने थोड़ी देर सोचा और कहा, “हमें तो थोड़ा और चलना चाहिए, मुझे लगता है कि अब हम सही रास्ते पर हैं। क्या तुम इसे एक और मौका नहीं देना चाहते?” राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा, ठीक है, लेकिन मैं कहता हूँ कि अगर हम अब भी गलत रास्ते पर हैं, तो मुझे पूरा यकीन हो जाएगा कि यह सब मजाक था।”
यहाँ से, श्यामजी ने उन्हें एक और रास्ते की तरफ ले जाना शुरू किया, जो बिल्कुल नया था। राजेश और आर्टी ने फैसला किया कि अब वह पूरी तरह से श्यामजी के साथ चलेंगे, लेकिन अपने दिल में एक हल्का सा संदेह था। वे यह समझ चुके थे कि श्यामजी के साथ यात्रा में मजाक और भ्रम दोनों होते थे, और यह यात्रा उन्हें जीवन के एक नए दृष्टिकोण से रूबरू करवा रही थी।
अंत में, जब वे सही रास्ते पर लौटे, तो श्यामजी ने कहा, “देखिए, अब आप देख रहे हैं कि मैं किस तरह से आपको सही दिशा में लेकर आया। अब हमें अगले स्थान पर जाना है।” राजेश और आर्टी एक-दूसरे को देखकर मुस्कराए, और बिना कोई शब्द कहे, उन्हें समझ में आ गया कि यह यात्रा एक मस्ती से भरी हुई कहानी थी, और श्यामजी की हर गलती और भ्रम सिर्फ उस मजेदार अनुभव का हिस्सा बन चुकी थी।
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राजेश और आर्टी अब पूरी तरह से समझ चुके थे कि इस यात्रा का असली मकसद सिर्फ एक ही था — मस्ती और अनुभव, न कि तथ्यों और वास्तविकताओं का पक्का ज्ञान। श्यामजी के साथ बिताए हर दिन ने उन्हें यह सिखाया कि जीवन में कुछ घटनाएँ सिर्फ भ्रम और उलझन से भरी होती हैं, और हमें उनसे उबरकर खुश रहना चाहिए। हालांकि, राजेश अब तक यह समझ चुके थे कि श्यामजी के साथ यात्रा में कोई निश्चित दिशा नहीं थी, लेकिन आर्टी का उत्साह और श्यामजी की अजीबोगरीब जानकारी ने यात्रा को एक मजेदार अनुभव बना दिया था।
उस दिन जब श्यामजी ने एक और स्थान पर जाने का प्रस्ताव रखा, तो राजेश ने पहली बार बिना किसी आपत्ति के हामी भर दी। “देखो, हम जो कर रहे हैं, वह गलत नहीं है, बस हमें इसे अच्छे मूड में देखना चाहिए,” उन्होंने आर्टी से कहा। आर्टी ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह यात्रा बहुत मजेदार रही है, और मुझे लगता है कि हमें इसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसे यह है।”
श्यामजी ने उस दिन उन्हें एक मंदिर जाने के लिए कहा, जो “दुनिया का सबसे प्राचीन और शक्तिशाली मंदिर” था, जहाँ भगवान विष्णु का वास था। “यह स्थान खास है,” श्यामजी ने कहा, “यहाँ के जल में वो शक्ति है जो किसी भी रोग को ठीक कर देती है।” हालांकि राजेश को अब श्यामजी की बातों पर विश्वास नहीं था, लेकिन आर्टी को हर नई बात में दिलचस्पी थी। वह श्यामजी की बातें गंभीरता से नहीं लेती थी, लेकिन इसे एक अनोखा अनुभव मानकर उनका अनुसरण करती थी।
मंदिर तक पहुंचने में बहुत समय लगा, और रास्ता फिर से कठिन था। लेकिन इस बार राजेश को इतना गुस्सा या झुंझलाहट महसूस नहीं हो रही थी। वह आर्टी की खुशमिजाजी को देखकर चुपचाप चलते गए। वे जानते थे कि यह यात्रा उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी से अलग एक मजेदार रोमांच है, जो उन्हें श्यामजी के साथ बिताए गए समय के बारे में हमेशा याद रहेगा।
मंदिर के पास पहुँचते ही, श्यामजी ने अपनी एक और रहस्यमयी बात शुरू कर दी। “यह मंदिर केवल उन लोगों के लिए है जो जीवन में आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं। अगर आप यहाँ आकर जल में स्नान करते हैं, तो आपकी सारी कष्ट दूर हो जाएंगे,” श्यामजी ने कहा। अब राजेश और आर्टी ने यह मान लिया था कि श्यामजी की जानकारी में कोई सच्चाई नहीं है, लेकिन उन्होंने इस अवसर का मजा लेने का फैसला किया।
राजेश ने धीरे से आर्टी से कहा, “यह सब थोड़ा अजीब सा लग रहा है, लेकिन देखो, हम यहाँ हैं तो हमें इसका मजा लेना चाहिए।” आर्टी ने हंसी में जवाब दिया, “बिल्कुल, यह किसी भी यात्रा के सबसे मजेदार पहलुओं में से एक है। और हम इसे एक मजेदार अनुभव के रूप में ही देख रहे हैं।”
जब वे मंदिर में पहुँचे, तो वहाँ की शांति और दिव्यता ने उन्हें थोड़ा सोचने पर मजबूर किया। यह जगह सचमुच शांत थी, और श्यामजी के शब्दों की गूंज धीरे-धीरे उनके दिमाग से बाहर निकलने लगी। आर्टी ने मंदिर के जल में स्नान किया और फिर उसने कहा, “राजेश, मुझे ऐसा लगता है कि यह यात्रा सिर्फ एक मजेदार अनुभव नहीं, बल्कि जीवन को समझने का एक तरीका भी बन गई है।” राजेश ने सोचा, और फिर हल्की मुस्कान के साथ कहा, “हो सकता है, पर मुझे लगता है कि हमें कभी भी किसी के शब्दों पर पूरी तरह से विश्वास नहीं करना चाहिए।”
मंदिर के बाद, श्यामजी ने उन्हें एक और स्थान पर जाने का इरादा किया — इस बार वह एक पुराना किला था, जो उन्होंने बताया था कि “यह स्थान प्राचीन युद्धों का साक्षी रहा है और यहाँ की दीवारों में वह ऊर्जा है, जो युद्ध के समय की लड़ाइयों के अनुभव को जागृत करती है।” लेकिन इस बार राजेश ने बिना किसी विरोध के श्यामजी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। “चलो, देखते हैं इस किले में हमें क्या नया अनुभव मिलता है,” राजेश ने कहा।
किले में पहुँचने के बाद, श्यामजी ने फिर से अपनी कहानियाँ सुनानी शुरू कर दीं। “यह किला एक बार एक महान सम्राट का था, और यहाँ की दीवारों में उनकी आत्मा बसी हुई है,” श्यामजी ने कहा। राजेश और आर्टी दोनों ने एक-दूसरे को देखा और मुस्कुराए। इस यात्रा ने उन्हें यह सिखाया था कि जीवन में हर अनुभव कुछ नया सिखाता है, भले ही वह अनुभव कभी हास्यास्पद क्यों न हो।
किले के अंदर घूमते हुए, राजेश ने महसूस किया कि श्यामजी की बातें जितनी भी अव्यावहारिक हों, वे कम से कम यात्रा को जीवंत बना देती थीं। “शायद यही है असल यात्रा का मतलब,” राजेश ने सोचा। “यह सब कुछ ढूंढने और नए अनुभव प्राप्त करने का नाम है, न कि सच्चाई के पीछे भागने का।”
जब वे किले से बाहर आए, तो श्यामजी ने कहा, “देखिए, यह किला कितना खास है, हर दीवार में एक कहानी बसी हुई है!” राजेश और आर्टी ने बिना कुछ कहे, सिर हिलाया। श्यामजी की उत्साही बातें अब उन्हें परेशान नहीं करती थीं, बल्कि वे इसे जीवन का एक मजेदार अनुभव मान चुके थे।
यात्रा के इस आखिरी दिन, जब वे वापस होटल लौट रहे थे, तो आर्टी ने कहा, “मुझे लगता है, हमें श्यामजी की तरह अपने जीवन में भी हर दिन को एक नए रोमांच के रूप में देखना चाहिए।” राजेश ने हंसी में कहा, “बिल्कुल, और कभी-कभी हमें किसी के भ्रमों का हिस्सा बनने से डरना नहीं चाहिए।”
इस यात्रा ने उन्हें एक बहुत बड़ा सबक दिया — जीवन में कभी भी हर चीज़ को पूरी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, बल्कि हर अनुभव का आनंद लेना चाहिए, चाहे वह कितना भी अजीब क्यों न हो।
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यात्रा का अंतिम दिन आ गया था। राजेश और आर्टी अब श्यामजी के साथ लौटने के लिए तैयार थे। कई दिन की अजीबोगरीब गाइडिंग और भ्रमपूर्ण कहानियों के बाद, उन्होंने यह फैसला किया कि वे इस यात्रा को एक सीख के रूप में लेंगे, न कि किसी गाइड के सही मार्गदर्शन के रूप में। श्यामजी ने यात्रा के दौरान उन्हें जो कुछ भी बताया, वह शायद गलत था या फिर अधिकतर फंतासी और कल्पना पर आधारित था, लेकिन इसने उन्हें यह सिखाया कि कभी-कभी जीवन में कुछ चीजें अनकही और अप्रत्याशित होती हैं, और उन्हें उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए।
हालांकि, श्यामजी के साथ बिताए गए दिनों ने कुछ बहुत जरूरी विचारों को भी जन्म दिया। आर्टी ने राजेश से कहा, “हमने जो अनुभव किया है, वह कुछ अलग ही था। मुझे लगता है कि इस यात्रा ने हमें यह सिखाया है कि हर चीज़ को सच्चाई के रूप में देखना जरूरी नहीं है, क्योंकि कभी-कभी भ्रम में भी कुछ अच्छा होता है।” राजेश ने इस पर सिर झुकाया और कहा, “हां, सही कहा तुमने। शायद जीवन में असल सच्चाई यही है — कि हमें अपने अनुभवों से कुछ न कुछ जरूर सीखना चाहिए, भले ही वे कितने भी विचित्र क्यों न हों।”
श्यामजी ने उन्हें वापस उनके होटल की ओर लौटा दिया, लेकिन रास्ते में एक अंतिम बार उन्होंने अपनी कहानी का एक और मोड़ दिया। “अब जो स्थान हम जा रहे हैं, वह दुनिया की सबसे बड़ी रहस्यमय जगह है,” श्यामजी ने कहा। राजेश और आर्टी ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुराए, इस बार उनके चेहरों पर हल्की सी निराशा नहीं, बल्कि एक समझ थी। वे जानते थे कि श्यामजी की बातें फिर से एक नयी, काल्पनिक कहानी का हिस्सा होंगी, लेकिन अब वे इसे पूरी तरह से मजाक के तौर पर लेते थे।
हालांकि श्यामजी की तरह से सच्चाई और वास्तविकता का कोई खास मतलब नहीं था, फिर भी वे दोनों जानते थे कि इस यात्रा ने उनके जीवन को कुछ अलग तरीके से देखा। वे सभी अजीब, भ्रमित करने वाले अनुभवों को भी एक उपहार की तरह देखते थे। इस यात्रा ने उनके रिश्ते को और मजबूत किया था, और उनके दृष्टिकोण को बदला था। अब वे किसी भी चुनौती को अधिक खुले दिल से लेने के लिए तैयार थे।
जब वे होटल पहुंचे, तो श्यामजी ने उन्हें धन्यवाद दिया, “आप दोनों का धन्यवाद, आप लोगों के साथ यात्रा करना बहुत अच्छा था। मैं जानता हूँ, कुछ बातें अजीब रही होंगी, लेकिन मुझे खुशी है कि आपने इसका आनंद लिया।” राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “श्यामजी, हमें बहुत कुछ सिखने को मिला। हालांकि, अगली बार हम किसी और गाइड के साथ यात्रा करेंगे।” आर्टी ने भी मजाक करते हुए कहा, “हां, लेकिन हमें श्यामजी जैसे गाइड की याद जरूर आएगी। हमारी यात्रा अब तक की सबसे अद्भुत यात्रा थी!”
श्यामजी ने थोड़ी झेंप में जवाब दिया, “अच्छा, मैं भी समझता हूँ। लेकिन अगले यात्रा पर हम फिर से साथ होंगे, ठीक है?” और सभी तीनों जोर से हंसे। इस यात्रा के अंत में, यह बिल्कुल साफ था कि श्यामजी के साथ बिताए समय ने उनके जीवन के कुछ सबसे खास क्षण दिए थे — और उन क्षणों ने उन्हें कुछ बहुत मूल्यवान सिखाया था।
राजेश और आर्टी ने श्यामजी से विदा ली और अपने घर लौटने के लिए तैयार हो गए। इस यात्रा ने उन्हें यह एहसास दिलाया कि जीवन को गंभीरता से लेना जरूरी नहीं होता; कभी-कभी एक छोटी सी यात्रा, कुछ मजेदार पल, और थोड़ी सी अराजकता हमें सही दृष्टिकोण दे सकती है। श्यामजी की अद्भुत गाइडिंग, जो कभी पूरी तरह से सही नहीं होती थी, उनके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन लेकर आई थी।
वापसी की यात्रा के दौरान, राजेश और आर्टी ने इस असामान्य गाइड के साथ बिताए हर पल का आनंद लिया। यह उनकी जिंदगी के सबसे रोमांचक, हास्यपूर्ण और यादगार दिनों में से एक था।
जब वे घर लौटे, तो राजेश ने आर्टी से कहा, “अब हम कभी भी किसी यात्रा पर जाएं, हमें श्यामजी की तरह अपनी आँखें खोल कर देखनी चाहिए, क्योंकि कभी-कभी भ्रम में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।” आर्टी मुस्कुराई और कहा, “मुझे लगता है, हम अगले गाइड से जितना भी सुनें, हमें उसी के हिसाब से समझना चाहिए। लेकिन हर यात्रा में यही मजा होता है कि हमें अपने अनुभवों से ही सच्चाई मिलती है।”
यात्रा का अंत हो चुका था, लेकिन इसके पीछे की सिखावन, हंसी और यादें हमेशा उनके साथ बनी रहेंगी।
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