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किरण मलिक
१
दिल्ली के प्रमुख व्यापारिक इलाके, कनॉट प्लेस के एक शाही अपार्टमेंट में एक सनसनीखेज हत्या हुई। ये हत्या उस इलाके के मशहूर और सफल कॉर्पोरेट लॉयर, नेहा सूद की थी। रविवार की सुबह, उनके अपार्टमेंट से एक अजीब गंध उठी, जो कि पड़ोसियों को खींच लाई। जब पुलिस और फायरब्रिगेड की टीम वहां पहुँची, तो भीतर का दृश्य भयावह था। नेहा सूद का शव उनके बेडरूम में बेतहाशा तरीके से पड़ा था, चेहरे पर एक उथला सा घाव था, और शरीर के पास कोई भी संघर्ष के निशान नहीं थे। हर चीज चुपचाप और व्यवस्थित थी, सिवाय एक चीज के—उनके शव के पास एक छोटा सा कागज पड़ा था, जिस पर एक संदेश लिखा था: “Secrets have a price.” पुलिस ने तुरंत घटनास्थल का निरीक्षण किया, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो उनकी मौत के कारणों को स्पष्ट कर सके। नेहा की हत्या ने दिल्ली के न्यायिक जगत को हिलाकर रख दिया था। यह किसी साधारण हत्या की घटना नहीं थी; यह किसी बड़े पैमाने पर हुई साजिश का हिस्सा लग रही थी, जो कि कहीं गहरे और अंधेरे रहस्यों को उजागर करने की कोशिश कर रही थी।
संदेश का अर्थ साफ नहीं था, लेकिन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, एसीपी देवांश कपूर ने इसे गहरे संदिग्ध तरीके से देखा। उन्हें लगा कि ये हत्या एक व्यक्तित्व को निशाना बनाकर की गई है, और यह केवल एक व्यक्ति की शारीरिक हत्या नहीं थी, बल्कि एक व्यक्तिगत बयान भी था। देवांश कपूर का अपना अतीत भी उतना ही गहरा और दर्दनाक था, जितना यह मामला। एक पुलिस अधिकारी होने के नाते, वह हमेशा सच्चाई के पीछे भागते रहे थे, लेकिन उनकी निजी जिंदगी में एक ऐसा राज़ था, जो उन्हें अक्सर भटका देता था। उनकी पत्नी, मीरा कपूर, लगभग दस साल पहले अचानक लापता हो गई थी, और उस घटना का आज तक कोई हल नहीं निकला था। क्या नेहा सूद की हत्या भी उस अंधेरे और गहरे रहस्य से जुड़ी थी, जो देवांश के दिल में अब भी हाहाकार मचाता था? ये सवाल उनके दिमाग में बार-बार उठ रहे थे।
नेहा सूद के अपार्टमेंट से मिले एक अन्य चौंकाने वाले सुराग ने देवांश को और भी उलझा दिया। एक सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि घटना के ठीक तीन दिन पहले नेहा को एक अजनबी ने देखा था। यह व्यक्ति उसके घर में दाखिल हुआ था, लेकिन कैमरे में उसकी पहचान नहीं हो सकी। यह अजनबी न केवल एक सामान्य संदिग्ध था, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति था जो पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से नेहा को निशाना बना रहा था। देवांश ने अपनी टीम को हर एक संभावित सुराग पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। क्या वह व्यक्ति हत्या से पहले नेहा को धमकाने आया था? या फिर वह केवल एक और कड़ी था, जो पूरे रहस्य को सुलझाने में मदद करेगा? इस सवाल का जवाब अब केवल समय और जांच के द्वारा ही मिल सकता था। देवांश कपूर को यह अहसास हो गया था कि यह केस व्यक्तिगत रूप से उन्हें भी परेशान करने वाला था।
२
नेहा सूद की हत्या ने दिल्ली की सभी बड़ी अदालतों, पुलिस थानों, और मीडिया हाउसों में हलचल मचा दी थी। हर किसी के दिमाग में एक ही सवाल था: कौन था वह व्यक्ति जिसने नेहा को इस भयानक तरीके से मार डाला? लेकिन यह सवाल और जटिल हो गया था, जब पुलिस ने एक और चौंकाने वाला तथ्य पाया। तीन दिन बाद, यानी नेहा की हत्या के ठीक तीन दिन बाद, एक और शव दिल्ली के बाहरी इलाके के एक सुनसान पार्क में पाया गया। इस बार पीड़ित व्यक्ति एक बड़े सरकारी अधिकारी, राहुल मिश्रा थे। उनकी हत्या भी बहुत ही ठंडे तरीके से की गई थी, उनके शरीर में एक छेद था, और यह भी किसी तरह के संघर्ष के बिना हुआ था।
राहुल मिश्रा के शव के पास एक और खत पाया गया, जिस पर वही शब्द लिखे थे जो नेहा सूद के शव के पास थे: “The truth will burn; the lies will drown.” यह संदेश और भी रहस्यमय था, क्योंकि राहुल मिश्रा के बारे में भी किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं थी। उनकी छवि एक शुद्ध और ईमानदार अफसर की थी, जिनकी ईमानदारी की पूरी दिल्ली कायल थी। तो फिर वह कौन से राज़ थे जिन्हें छिपाया गया था? क्या वह भी किसी रहस्यमय दुनिया का हिस्सा थे, जिस तक पुलिस नहीं पहुँच पाई थी? इस बार संदेश में एक और गहरी बात थी, एक तरह से चेतावनी की भावना थी।
एसीपी देवांश कपूर ने इस नए संदेश को गहरे नजरिए से देखा। उन्हें एहसास हुआ कि यह अब केवल दो हत्या के मामले नहीं थे, बल्कि यह एक तरीके से एक बड़े साजिश का हिस्सा थे। यह कोई आम अपराध नहीं था। दोनों ही पीड़ितों का जुड़ाव अलग-अलग दुनिया से था—नेहा एक प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट लॉयर थी, और राहुल मिश्रा एक सरकारी अफसर थे, जिनका सर्कल और उनकी लाइफस्टाइल बिलकुल अलग था। क्या यह सभी हत्या एक बड़े नेटवर्क या साजिश को उजागर करने के लिए की गई थीं? देवांश को इस बात का शक था कि “कातिल” केवल एक ही व्यक्ति नहीं था, बल्कि किसी बड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक पूरे संगठन ने काम किया था।
इस बार, देवांश ने अपने छोटे दल के साथ एक नया कदम उठाने का फैसला किया। उन्होंने अपनी सबसे तेज और सक्षम इंस्पेक्टर, प्रिया यादव को साथ लिया। प्रिया यादव, जो अभी तक कुछ मामलों में अपूर्णताओं से जूझ रही थी, अब एक गंभीर भूमिका में थी। देवांश और प्रिया ने एक साथ मिलकर पुलिस की पुरानी फाइलें खंगालनी शुरू की। उन्हें एक नए सुराग का सामना करना पड़ा जब उन्होंने राहुल मिश्रा के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारियाँ खोजी। मिश्रा के नाम पर कई संदिग्ध ट्रांजैक्शंस थे, जो बड़े कॉर्पोरेट नेटवर्क से जुड़े थे। क्या वह भी किसी बड़े गोरखधंधे का हिस्सा थे? और अगर हाँ, तो क्या उनकी हत्या का कनेक्शन नेहा सूद से था?
देवांश ने एक चौंकाने वाले निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश की। क्या यह केवल एक सामान्य बदला था, या फिर यह किसी प्रकार के सामूहिक रहस्य को उजागर करने की कोशिश थी? दोनों ही पीड़ितों के पास से मिले संदेश अब उसे और भी अधिक उलझा रहे थे। क्या वह संदेश किसी प्रकार के संकेत थे? या फिर सिर्फ एक कातिल की चालाकी थी, जो हर एक कदम को सोच-समझ कर उठा रहा था? इस रहस्य को सुलझाने में अब समय एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला था, और देवांश ने यह तय किया कि वह इस मामले को लेकर और भी गहरे चलेगा—क्योंकि अब उसे शक था कि यह केवल एक हत्या की साजिश नहीं, बल्कि एक खतरनाक खेल था, जिसमें हर व्यक्ति एक मोहरा था।
प्रिया ने देवांश से पूछा, “सर, अगर ये हत्या एक साजिश है, तो इसका निशाना कौन हो सकता है?” देवांश ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “हमें यह समझने की जरूरत है कि यह कोई सामान्य व्यक्ति का काम नहीं है। यह एक बड़ा खेल है, और इसका उद्देश्य हमसे कहीं आगे है।”
इस अध्याय में, पुलिस की जांच एक नए मोड़ पर पहुंच गई। अब यह साफ था कि कातिल केवल बदला लेने वाला नहीं था, बल्कि वह एक ऐसी साजिश को उजागर करने का काम कर रहा था, जो अब तक छिपी हुई थी। देवांश और प्रिया को इस खेल के अगले कदम की तैयारी करनी थी, और इसके लिए उन्हें अपने डर और संकोच को पीछे छोड़कर इस खतरे का सामना करना था।
३
दिल्ली के सरकारी दफ्तरों और उच्च वर्गीय इलाकों में इस समय एक भय का वातावरण था। नेहा सूद और राहुल मिश्रा की हत्या के बाद, शहर की पुलिस, न्यायिक व्यवस्था, और मीडिया सभी कड़ी निगरानी में थे। पुलिस विभाग पर दबाव बढ़ता जा रहा था, और हर कोई यही उम्मीद कर रहा था कि जल्द ही इस मामले का हल निकले। लेकिन एसीपी देवांश कपूर और उनकी टीम के लिए यह मामला उतना आसान नहीं था। हर नई जानकारी के साथ यह मामला और उलझता जा रहा था।
राहुल मिश्रा और नेहा सूद की हत्याओं के बाद, अब तक जो सबसे बड़ा सुराग था, वह था कातिल का संदेश। वह संदेश जो लगातार दोनों हत्याओं के पास पाया गया था—जैसे ही देवांश ने उन संदेशों का विश्लेषण करना शुरू किया, उसे एक और खतरनाक संकेत मिला। संदेशों के शब्दों के बीच एक पैटर्न था, और वह पैटर्न केवल एक ही चीज़ की ओर इशारा कर रहा था: किसी बड़े घोटाले या अपराध की ओर। वह अपराध, जो दिल्ली की उच्च स्तरीय सरकार, बड़े व्यापारियों और कॉर्पोरेट जगत से जुड़ा हो सकता था। देवांश को यह साफ महसूस हो रहा था कि इन हत्याओं के पीछे केवल व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी, बल्कि यह एक बड़े साजिश का हिस्सा था।
इंस्पेक्टर प्रिया यादव अब तक देवांश के साथ इस मामले की गहरी जांच में लगी हुई थी। हालांकि वह एक युवा और उर्जावान अधिकारी थी, लेकिन धीरे-धीरे वह भी महसूस कर रही थी कि यह केस जितना उसने सोचा था, उतना साधारण नहीं था। पहले कुछ दिनों तक वह सिर्फ एक सामान्य हत्या की उम्मीद कर रही थी, लेकिन अब उसे ये समझ में आ रहा था कि यहाँ पर कुछ और था। देवांश के साथ घनिष्ठ काम करने के बाद, उसे यह भी अहसास हो रहा था कि देवांश अपने व्यक्तिगत दुःख और ग़म से कैसे जूझ रहे हैं। उसकी पत्नी मीरा कपूर का गायब होना, जो दस साल पहले हुआ था, अब तक देवांश की सबसे बड़ी सजा बन चुका था। वह अक्सर अपनी पत्नी के बारे में सोचते थे और उसे अपने हर कदम में तलाशते थे।
प्रिया ने एक दिन देवांश से कहा, “सर, अगर इस हत्यारे का मकसद सिर्फ बदला था, तो उसने हमारी आँखों में और हमारे हाथों में बहुत कुछ छोड़ा है। लेकिन ये संदेश, जो हर बार हत्या के पास पाए गए हैं, इसका मतलब कुछ और है। शायद कातिल हमें कुछ बता रहा है, या फिर हमसे कुछ छिपा रहा है।”
देवांश ने गहरी सांस ली, और अपनी सोच को व्यवस्थित करते हुए कहा, “तुम ठीक कह रही हो, प्रिया। यह केवल हत्या का मामला नहीं है। यह एक सांकेतिक खेल है, और हमें इसे समझने की जरूरत है। हर हत्या से कातिल ने हमें एक संकेत दिया है, और अगर हम उसे नहीं समझ पाए, तो हम कभी नहीं जान पाएंगे कि वह क्या चाहता है।”
एक ओर रहस्यमय बात सामने आई। जब देवांश और प्रिया ने राहुल मिश्रा के बारे में गहराई से जांच की, तो पता चला कि वह भी एक अंडरग्राउंड व्यापार नेटवर्क से जुड़ा हुआ था। उसकी मौत के बाद, एक चौंकाने वाली जानकारी मिली—वह किसी प्रकार के उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार में फंसा हुआ था, और उसकी जान को खतरा था। क्या उसकी हत्या उसी नेटवर्क से जुड़ी हुई थी, जिसे देवांश और प्रिया खंगाल रहे थे? ये सवाल अब देवांश के दिमाग में बार-बार घुम रहे थे।
एक रात, देवांश और प्रिया अपने मुख्यालय में इस मामले पर चर्चा कर रहे थे, जब अचानक देवांश को एक फोन आया। फोन पर एक अजनबी आवाज थी, जो धीमे से बोल रहा था: “मैं जानता हूँ कि तुम क्या ढूंढ़ रहे हो, देवांश। तुम गलत दिशा में जा रहे हो। सच की कीमत चुकानी होगी।” यह आवाज न तो महिला थी और न ही पुरुष। यह कुछ ऐसा था जो उन्हें डराने के लिए बनाया गया था। देवांश का दिल धड़कने लगा। यह कोई और नहीं, बल्कि “कातिल” था, जो अब उन्हें सीधे तौर पर चेतावनी दे रहा था। उसने उन दोनों को एक बार फिर से अपने जाल में फंसाया था।
देवांश और प्रिया ने इस फोन कॉल को गंभीरता से लिया और तुरंत अपनी जांच को और तेज किया। अब तक उन्हें यह महसूस हो रहा था कि यह मामला केवल हत्याओं से जुड़ा नहीं था, बल्कि यह एक बड़े घोटाले और अपराध से संबंधित था। यह किसी रहस्यमय और शक्तिशाली व्यक्ति की चाल थी, जो अब अपनी पहचान छिपाकर, देवांश और उसकी टीम को चुनौती दे रहा था।
लेकिन देवांश को एक और सवाल सताने लगा: क्या यह केवल एक साजिश थी, या फिर यह कोई व्यक्ति था, जो वर्षों से उस साजिश का हिस्सा रहा था? क्या वह व्यक्ति जो अब तक देवांश के सामने था, वह उसी रहस्यमय घोटाले का एक हिस्सा था, जिसका उसने जीवनभर पीछा किया था? देवांश अब तक अपनी पत्नी मीरा के लापता होने के मामले को अलग से नहीं देख पा रहे थे। क्या उसकी पत्नी की गुमशुदगी और ये हत्या एक ही मामले के हिस्से थे?
अब तक, देवांश को यह समझ में आ गया था कि वह अकेला नहीं था। वह न केवल हत्याओं के रहस्य को सुलझा रहा था, बल्कि वह खुद अपनी पत्नी की गुमशुदगी और उस रहस्यमय खेल का हिस्सा बन चुका था, जो उसे अपनी पूरी जिंदगी में न केवल एक पुलिस अधिकारी बल्कि एक इंसान के रूप में भी नष्ट कर सकता था।
यह अब एक व्यक्तिगत लड़ाई बन चुकी थी, और देवांश को अपनी परेशानियों और डर का सामना करना था।
४
नेहा सूद और राहुल मिश्रा की हत्याओं के बाद, दिल्ली में एक डर का माहौल था। पुलिस पर लगातार दबाव बढ़ रहा था, और किसी भी व्यक्ति को इस बात का यकीन नहीं था कि यह हत्याएं एक अकेले कातिल का काम हैं। एसीपी देवांश कपूर और उनकी टीम को यह अब साफ़ दिखने लगा था कि यह केवल हत्या का मामला नहीं था, बल्कि एक बड़े पैमाने पर चल रही साजिश का हिस्सा था।
इंस्पेक्टर प्रिया यादव के साथ अपनी जाँच को और गहराई से करते हुए, देवांश को पता चला कि दोनों पीड़ितों का अतीत कुछ ऐसा था, जो सीधे तौर पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और सत्ता के खेल से जुड़ा हुआ था। राहुल मिश्रा एक प्रतिष्ठित सरकारी अधिकारी थे, और उनका नाम उच्च स्तरीय सरकारी घोटालों से जुड़ा हुआ था। वहीं, नेहा सूद भी एक प्रभावशाली कॉर्पोरेट लॉयर थीं, जो किसी बड़ी कानूनी लड़ाई का हिस्सा थीं, जिसमें बड़े कारोबारियों और राजनेताओं के हित जुड़े थे। दोनों ही पीड़ितों के बीच एक अदृश्य कड़ी थी—एक गहरी साजिश, जिसे केवल एक व्यक्ति या समूह ही उजागर कर सकता था।
देवांश की समझ में आ गया कि यह केवल एक आम हत्यारा नहीं था। जो कुछ हो रहा था, वह कोई बड़े स्तर पर खेल चल रहा था, जिसमें उन्होंने अकेले ही इस जाल को उलझाने की कोशिश की थी। कातिल ने हर हत्या के बाद वही संदेश छोड़ा था, जो एक स्पष्ट संकेत था—सच्चाई का पर्दाफाश होगा, लेकिन उस सच्चाई की कीमत चुकानी पड़ेगी। देवांश को अब इस बात का एहसास हो रहा था कि यह व्यक्ति एक योजनाबद्ध तरीके से उन्हें चक्कर में डालने की कोशिश कर रहा था।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, प्रिया ने एक और महत्वपूर्ण तथ्य का खुलासा किया। दोनों हत्याओं के बाद, मृतकों के बारे में जो जानकारी सामने आई, उसने एक अदृश्य लिंक को उजागर किया। दोनों पीड़ितों ने एक समय में एक ही व्यवसायिक ग्रुप के खिलाफ काम किया था, और उनके खिलाफ गवाही देने के कारण उनके खिलाफ कई खतरे उठाए गए थे। यह ग्रुप न केवल दिल्ली के बड़े व्यापारी और राजनेताओं से जुड़ा था, बल्कि इसके कनेक्शन अंडरवर्ल्ड तक थे। कातिल ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह उन लोगों के लिए सजा देने आया है, जिन्होंने इसे और इसके जैसे अन्य निर्दोष लोगों को तंग किया।
लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब देवांश ने जांच के दौरान एक नए पहलू पर ध्यान दिया। कातिल को लेकर कुछ अजीब बातें थीं। उसने हर हत्या के बाद, पुलिस और मीडिया को एक संदेश भेजा था। लेकिन यह संदेश केवल धमकी देने वाला नहीं था, बल्कि इसमें एक गहरी मानसिक चाल भी थी—यह कातिल केवल एक हत्यारा नहीं था, वह किसी प्रकार का खेल खेल रहा था, जिसमें हर कदम पर पुलिस को चक्कर में डालने की कोशिश की जा रही थी।
प्रिया ने इस खेल को समझने के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाया। उसने कातिल के द्वारा छोड़े गए संदेशों और हत्याओं के पैटर्न का गहराई से विश्लेषण करना शुरू किया। उसे एक अजीब सा पैटर्न मिला, जो शुरुआत में नजरअंदाज किया गया था। यह पैटर्न साफ़ तौर पर यह संकेत दे रहा था कि कातिल की अगली प्राथमिकता किसी बड़ी योजना के क्रियान्वयन से जुड़ी हो सकती थी। क्या यह हत्या एक रिवेंज का हिस्सा थी, या फिर किसी बड़े रहस्य का हिस्सा?
कातिल का पैटर्न और संदेश अब तक देवांश को भ्रमित कर रहे थे। एक ओर बात, जो देवांश के दिमाग में बार-बार आ रही थी, वह थी “कातिल का साया”। देवांश को अब यह महसूस होने लगा था कि कातिल एक अत्यंत चतुर व्यक्ति है, जो ना केवल अपनी हर चाल को भली-भांति योजनाबद्ध करता है, बल्कि वह इस खेल में अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों से एक कदम आगे रहता है। यह कोई सामान्य अपराधी नहीं था—यह किसी दिमागी जाल में फंसी हुई सजा देने वाली मानसिकता का शिकार था।
फिर एक दिन, जब देवांश और प्रिया इस जाँच की गहरी खामियों में डूबे हुए थे, उन्होंने एक और सूचना प्राप्त की। यह सूचना एक गुमनाम व्यक्ति से मिली, जिसने कातिल के बारे में एक बहुत महत्वपूर्ण राज खोला। उस व्यक्ति ने दावा किया कि कातिल का साया शहर के सबसे बड़े व्यापारिक और राजनीतिक घरानों से जुड़ा हुआ है, और इसके पीछे कुछ और बड़ा साजिश है। कातिल उन लोगों को मार रहा था जिन्होंने सत्ता और प्रभाव का उपयोग करके गरीब और निर्दोष लोगों को कुचला। यह कोई व्यक्तिगत बदला नहीं था, बल्कि यह एक शुद्ध न्याय की खोज थी, जिसमें सत्ता और ताकत का खेल खेला जा रहा था।
देवांश को अब यह समझ में आने लगा कि वह अकेला नहीं है। कातिल का “साया” अब तक हर कदम पर उसका पीछा कर रहा था। यह खेल अब उसे और उसकी टीम को अपनी असली पहचान और अपने मूल्यों का मूल्यांकन करने के लिए मजबूर कर रहा था। देवांश अब पूरी तरह से समझ चुका था कि यह केवल एक हत्या का मामला नहीं था—यह एक बड़ा खेल था, जिसमें केवल कुछ ही लोगों को अपनी भूमिका निभाने का अवसर था।
यह अब देवांश के लिए एक व्यक्तिगत संघर्ष बन चुका था, और इस जाल से बाहर निकलने के लिए उसे अपनी सारी मानसिक शक्ति और साहस का इस्तेमाल करना था। कातिल का साया अब उसकी पूरी जिंदगी को अपनी गिरफ्त में लेने की तैयारी कर चुका था।
५
दिल्ली के गगनचुंबी इमारतों और भीड़-भाड़ वाली सड़कों के बीच, एसीपी देवांश कपूर और इंस्पेक्टर प्रिया यादव एक भयंकर मानसिक दबाव का सामना कर रहे थे। दोनों ही अधिकारियों को इस समय यह साफ़ हो चुका था कि कातिल केवल एक सामान्य व्यक्ति नहीं था। वह किसी गहरी साजिश का हिस्सा था, जिसे समझना अब मुश्किल हो रहा था। कातिल ने उन्हें एक मानसिक खेल में फंसा दिया था, जिसमें हर कदम पर एक नया मोड़ सामने आ रहा था। यह खेल केवल हत्याओं तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें और भी कई गहरे रहस्य थे, जिनका खुलासा करना जरूरी था।
जांच में एक नया मोड़ तब आया जब देवांश ने पिछले कुछ दिनों की घटनाओं पर पुनः गौर किया। कातिल का पैटर्न अब और भी जटिल हो चुका था। हर हत्या के बाद छोड़े गए संदेशों के पीछे अब कोई निश्चित दिशा नजर नहीं आ रही थी। वे केवल मानसिक संकेत थे, जो कातिल अपने शिकार को चकरघिन्नी में डालने के लिए छोड़ता था। इस खेल में, कातिल हर बार एक कदम आगे था। हर हत्या के बाद, देवांश और प्रिया को ऐसा लगता था कि कातिल की पकड़ से वे कभी बाहर नहीं निकल सकते।
एक रात, देवांश और प्रिया फिर से अपनी टीम के साथ एक गुमनाम कॉल के बाद एक नई दिशा में जांच करने निकले। कॉल करने वाले ने उन्हें एक पुरानी हवेली की ओर इशारा किया, जो दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित थी। यह हवेली एक भूतिया और वीरान जगह मानी जाती थी, और वहां जाने का कोई सामान्य कारण नहीं था। लेकिन इस हवेली का नाम एक बार फिर से कातिल से जुड़ा हुआ था, और देवांश को महसूस हुआ कि यह एक सुराग हो सकता है। हवेली के बारे में और अधिक जानकारी जुटाते हुए, उन्होंने पाया कि एक समय में वह जगह दिल्ली के सबसे बड़े व्यापारी परिवारों के बीच एक व्यापारिक बैठक का स्थल हुआ करती थी।
जब वे हवेली पहुंचे, तो माहौल घना और भूतिया सा था। हवेली के बाहर घने पेड़ थे, जिनकी शाखाएं अजीब तरीके से हवा में झूल रही थीं, जैसे कुछ छिपा हुआ रहस्य हवा के बीच घुला हो। हवेली के भीतर, मटमैले दीवारों और टूटी खिड़कियों ने उन दोनों को और भी भयभीत कर दिया। देवांश का दिल धड़क रहा था, और प्रिया की आँखों में भी डर था, लेकिन दोनों ने इस खतरनाक जगह पर अपने कदम बढ़ाए। जैसे-जैसे वे हवेली के अंदर बढ़ते गए, उन्हें एहसास हुआ कि कातिल उन्हें कहीं न कहीं ट्रैप कर रहा था। यह सिर्फ एक हवेली नहीं थी, यह एक जाल था, जो उन्होंने खुद ही खोला था।
अचानक, हवेली के भीतर गहरे अंधेरे में एक हल्की सी आवाज सुनाई दी। किसी की धीमी सांसों की आवाज, फिर एक हलका सा रचनात्मक खड़कना। देवांश और प्रिया ने तुरंत अपनी बंदूकें खींच लीं। हवा में गंध थी, जैसे कोई मांसाहारी जानवर पास ही हो। उन्होंने धीरे-धीरे आवाज की दिशा में कदम बढ़ाए और देखा कि सामने एक पुरानी सी सीढ़ी नीचे की ओर जा रही थी। देवांश ने प्रिया से कहा, “हम नीचे जाएंगे, लेकिन ध्यान रखना, यह हमारे लिए आखिरी मौका हो सकता है।”
दोनों ने सीढ़ी से नीचे उतरते हुए, अंधेरे तहखाने में कदम रखा। यह स्थान पूरी तरह से वीरान था, और दीवारों पर जाले लगे हुए थे। यहां किसी प्रकार का जीवन प्रतीत नहीं हो रहा था, लेकिन एक अजीब सी घुटन और दबाव महसूस हो रहा था। अचानक, एक तेज़ चमक और फिर घना अंधेरा छा गया। किसी ने कमरे का लाइट बंद कर दिया था। देवांश और प्रिया चौंक गए, लेकिन तभी एक शीतल आवाज सुनाई दी, “तुम दोनों का खेल अब खत्म होने वाला है।”
यह आवाज कहीं दूर से आ रही थी, लेकिन वह किसी और की नहीं, बल्कि कातिल की थी। अब तक देवांश ने पूरी तरह से यह समझ लिया था कि कातिल ने उन्हें अपनी जाल में फंसा लिया था। यह खेल अब केवल हत्या का नहीं, बल्कि मानसिक रूप से उन्हें तोड़ने का खेल बन चुका था। कातिल ने उन्हें खुद के सामने खड़ा करने के लिए यह हवेली चुनी थी, और अब वे उसे पाकर भी उससे कहीं दूर थे।
“तुम यह नहीं समझ पाओगे, देवांश। तुम जैसे लोग हमेशा सच्चाई का पीछा करते हो, लेकिन कभी उसे पाते नहीं। मैं तुम्हें रास्ता दिखाता हूं, तुम चाहो तो मेरे साथ आ सकते हो, या फिर तुम मुझे पकड़ने की कोशिश कर सकते हो,” कातिल ने और भी घातक तरीके से कहा।
देवांश और प्रिया को समझ में आ गया कि कातिल एक बुरी तरह से उन्हें खेल में उलझा चुका था। अब यह केवल एक भूतिया दौड़ नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु का सवाल बन चुका था। कातिल जानता था कि वे डरेंगे नहीं, लेकिन वह चाहता था कि देवांश और प्रिया अपनी मानसिकता को खोकर, उसे हराने का जतन करें।
हवेली से बाहर निकलने के बाद, देवांश और प्रिया को यह महसूस हुआ कि कातिल अब पूरी तरह से उनके खेल में उलझ चुका था। यह उनके लिए केवल एक अंतिम दौड़ थी—एक दौड़, जो अब उनके जीवन और मौत के बीच का अंतर तय करेगी। कातिल को पकड़ने का समय आ चुका था, लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी सारी सीमाएं पार करनी थीं।
इस दौरान देवांश की अपनी अंदर की लड़ाई भी तेज़ हो गई थी। क्या वह अपनी पत्नी मीरा की गुमशुदगी के मामले को सुलझा सकेगा, या फिर यह हत्या का रहस्य उसे भी एक शिकार बना लेगा?
६
दिल्ली की रात अब और भी गहरी हो चुकी थी। देवांश और प्रिया ने हवेली से बाहर निकलने के बाद, महसूस किया कि कातिल ने उन्हें पूरी तरह से चक्कर में डाल दिया है। हवेली से बाहर निकलते वक्त, उनके दिमाग में सिर्फ एक ही सवाल घूम रहा था—क्या यह सब सच में कातिल की योजना का हिस्सा था, या फिर वे किसी बड़े रहस्य से सिर्फ छेड़छाड़ कर रहे थे, जिसे समझने में वे नाकाम रहे थे?
देवांश अब अपनी व्यक्तिगत लड़ाई से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। उनकी पत्नी मीरा कपूर की गुमशुदगी, जो पिछले दस वर्षों से एक रहस्य बनी हुई थी, अब उनकी हर सोच में घुल चुकी थी। क्या उनका अतीत अब इस केस से जुड़ा हुआ था? क्या कातिल उनकी पत्नी के मामले में किसी गहरे राज़ को छिपा रहा था?
यह सवाल अब देवांश के लिए अनिवार्य हो गया था। वह अपने व्यक्तिगत भूतकाल और इस जघन्य हत्या के बीच एक कड़ी ढूंढने में सफल नहीं हो पा रहे थे। लेकिन प्रिया के लिए यह मामला पूरी तरह से अलग था। उसने पूरी जांच में एक नई दिशा अपनाई। उसने महसूस किया कि कातिल केवल एक बदला लेने वाला नहीं था। वह किसी बड़े उद्देश्य के लिए काम कर रहा था, और उसके हर कदम के पीछे एक बड़ा खेल था। प्रिया ने देवांश को समझाया, “सर, मुझे लगता है कि कातिल हमसे और ज्यादा चीजें छुपा रहा है। वह हमें सिर्फ हत्या तक सीमित नहीं रखना चाहता। वह चाहता है कि हम उसके दिमाग में घुसें, उसकी सोच को समझें, और फिर उसकी चुप्पी तोड़ें।”
देवांश को प्रिया का यह विचार सही लगा, और उन्होंने इस नई दिशा में जांच जारी रखने का निर्णय लिया। लेकिन फिर एक दिन, देवांश को एक गुमनाम कॉल आई, जिसने उनकी पूरी दुनिया हिला दी। कॉल करने वाले ने दावा किया कि वह देवांश की पत्नी मीरा के मामले से जुड़ी अहम जानकारी रखने वाला है। कॉल करने वाले ने बिना किसी हिचकिचाहट के कहा, “अगर तुम अपनी पत्नी का रहस्य सुलझाना चाहते हो, तो मुझे सुनो। मीरा मरी नहीं थी। वह कहीं जीवित है, लेकिन तुम उसे ढूंढ नहीं पा रहे हो।”
यह कॉल देवांश के लिए किसी सपने जैसा था। क्या मीरा सचमुच जिंदा थी? अगर हाँ, तो वह कहां हो सकती थी? देवांश और प्रिया ने तुरंत इस नए सुराग पर ध्यान दिया और जांच शुरू की। यह सुराग उन्हें उस जगह ले गया, जहां मीरा की गुमशुदगी के बाद कोई जानकारी नहीं मिली थी—एक पुराने अस्पताल के रिकॉर्ड में। देवांश ने याद किया कि मीरा अपने आखिरी समय में कुछ दिलचस्प बातें कह रही थी, जो अब उनकी समझ में आ रही थीं। मीरा ने कभी इस अस्पताल का नाम लिया था, लेकिन देवांश ने इसे तवज्जो नहीं दी थी।
अगले दिन, देवांश और प्रिया उस अस्पताल पहुंचे, जो अब एक वीरान और खंडहर में तब्दील हो चुका था। यह वही अस्पताल था, जहां मीरा के लापता होने से कुछ समय पहले उसका इलाज किया गया था। अस्पताल के रिकॉर्ड से पता चला कि मीरा ने वहां एक मानसिक इलाज के लिए दाखिला लिया था, लेकिन उसके बाद उसकी गुमशुदगी के मामले को दबा दिया गया था। यह नई जानकारी देवांश के लिए एक बड़ा झटका था। क्या मीरा किसी मानसिक संकट से गुजर रही थी? क्या वह सच में किसी खतरनाक मामले में फंसी हुई थी?
देवांश और प्रिया ने अस्पताल के गहरे और सुनसान हिस्सों का निरीक्षण किया, और आखिरकार एक पुराने कक्ष में एक संदिग्ध फाइल मिली। फाइल में मीरा के नाम के साथ कई अजीब दस्तावेज़ थे, जिनमें उसके इलाज से जुड़े कुछ रहस्यमय पहलू थे। एक दस्तावेज़ में यह उल्लेख था कि मीरा को किसी और की गुमशुदगी के बारे में जानकारी थी, और उसे इस वजह से चुप रहने को कहा गया था। क्या यह किसी बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा था? क्या मीरा ने जानबूझकर अपने ही पति से सच्चाई छुपाई थी?
इस जांच के दौरान, देवांश की अंदर की लहरें तेज़ हो गईं। वह अब तक पूरी तरह से खो चुका था, न केवल अपनी पत्नी के रहस्य में, बल्कि उस रहस्य में जो इस जघन्य हत्या के खेल में छिपा था। क्या कातिल ने जानबूझकर उसे और उसकी पत्नी को इस बड़े जाल में फंसाया था? क्या उसकी पत्नी का लापता होना और यह हत्या एक-दूसरे से जुड़ी हुई थीं?
प्रिया ने देवांश को देखा और कहा, “सर, हम जिस दिशा में जा रहे हैं, वह अब और भी घातक हो सकता है। कातिल शायद वही है जो हमारे सबसे करीब है, और वह हमसे बहुत आगे सोचता है। हमें उसे हर कदम पर समझने की जरूरत है।”
देवांश ने एक गहरी सांस ली और फिर कहा, “मैं जानता हूँ प्रिया, मुझे एहसास हो रहा है कि कातिल हमसे खेल रहा है, लेकिन हम उसे पकड़ने के लिए उसके दिमाग में घुसेंगे। यह अब सिर्फ एक केस नहीं है। यह मेरी पत्नी का मामला भी है, और मैं इसे कभी नहीं छोड़ूंगा।”
अब देवांश और प्रिया के सामने सिर्फ एक ही रास्ता था—कातिल की मानसिकता को समझना, उसकी अगली चाल को भांपना, और उसे उसी के खेल में मात देना। इस खेल में कोई भी कदम पीछे नहीं हो सकता था, क्योंकि हर कदम में उनकी अपनी जिंदगी दांव पर लगी हुई थी। कातिल का जाल और भी गहरा हो चुका था, और देवांश की लहरों को शांत करने का अब एक ही तरीका था—सच्चाई की खोज में पूरी तरह से डूब जाना।
७
देवांश कपूर और प्रिया यादव अब इस खेल के भीतर गहरे घुसे हुए थे, लेकिन जितना वे कातिल के करीब पहुँचने की कोशिश कर रहे थे, उतनी ही ज्यादा उनकी स्थिति जटिल होती जा रही थी। कातिल की चालों का अंदाजा लगाना अब और भी मुश्किल हो गया था। हर कदम पर वह उन्हें अपनी नयी चालों से भ्रमित कर देता था, मानो वह जानता था कि देवांश और प्रिया क्या करने वाले हैं।
कातिल ने अब तक केवल दो हत्या की थीं, लेकिन इन हत्याओं के साथ उसने जो मानसिक दबाव डाला था, वह कहीं ज्यादा खतरनाक था। उसने हर बार उन दोनों को कुछ न कुछ संकेत दिए थे, लेकिन हर संकेत केवल उन्हें और उलझाने के लिए था। और अब, वह अपनी अगले कदम पर पूरी तरह से तैयार था। देवांश और प्रिया की जांच ने एक नया मोड़ लिया जब उन्हें एक और धमकी भरा संदेश मिला।
“तुमने सच के करीब पहुंचने की कोशिश की, देवांश। लेकिन अगर तुमने आगे बढ़ने की कोशिश की, तो तुम और तुम्हारे लोग मेरी अगली लक्ष्य बनेंगे। तुम्हारे पास अब केवल एक मौका है—सच का सामना करने का। तुम मेरे पास आकर मेरे खेल का हिस्सा बन सकते हो, या तुम यह खेल हार जाओगे। तुम्हारा अगला कदम तुम्हारे भविष्य को तय करेगा।” यह संदेश किसी गहरे साजिश का संकेत था, जो अब देवांश और प्रिया के लिए एक कड़ी चुनौती बन चुका था।
संदेश में न केवल धमकी थी, बल्कि कातिल ने एक बार फिर से अपने खेल की तरफ इशारा किया था। वह जानता था कि देवांश इस खेल को जीतने के लिए हर कदम सोच-समझकर उठाएगा, लेकिन कातिल ने उसे यह भी बता दिया था कि उसे और उसके लोगों को इस खेल से बाहर करने की पूरी योजना थी। अब यह खेल सिर्फ कातिल के बारे में नहीं था—यह देवांश के और उसके सहयोगी प्रिया के बारे में भी था।
देवांश और प्रिया ने इस नई चेतावनी के बाद एक बार फिर से अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को देखा। उन्होंने महसूस किया कि कातिल उन्हें अब डराने नहीं, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति को कमजोर करने की कोशिश कर रहा था। वह जानता था कि उनकी कमजोरियाँ क्या हैं, और वह उन कमजोरियों को समझकर अपनी अगली चाल चला रहा था।
“अगर हम डर गए तो वह हमें हर बार जीतता जाएगा, प्रिया,” देवांश ने कहा। “हमें अपने डर को काबू में रखना होगा, और हर कदम ठंडे दिमाग से उठाना होगा।”
प्रिया ने जवाब दिया, “हमने बहुत कुछ खो दिया है, सर। लेकिन अगर हम इस खेल में जीतने के लिए उतरें, तो हम एक साथ इसका सामना कर सकते हैं। हमें कातिल को उसके खेल में हराना होगा, उसी के तरीके से।”
अब तक की घटनाओं और कातिल की चुप्पी से यह साफ़ हो चुका था कि वह एक खतरनाक खेल खेल रहा था, और इस खेल का अंत केवल सच्चाई के खुलासे से हो सकता था। देवांश और प्रिया ने यह ठान लिया कि उन्हें अब कातिल को उसके ही जाल में फंसाने के लिए एक नई रणनीति अपनानी होगी।
इस बीच, देवांश की पत्नी मीरा कपूर के बारे में मिली जानकारी ने उनके दिल में और भी उथल-पुथल मचाई थी। वह अब यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि उनकी पत्नी की गुमशुदगी और यह हत्याएँ क्या आपस में जुड़ी हुई थीं। क्या कातिल ने अपनी मानसिक चालों में मीरा के मामले को भी शामिल किया था? क्या मीरा अब भी जीवित थी, और अगर हाँ, तो वह कहां हो सकती थी?
देवांश और प्रिया ने इस सवाल का हल निकालने की पूरी कोशिश की। उन्हें एहसास हुआ कि कातिल का सबसे बड़ा हथियार उसकी चुप्पी है—वह कुछ नहीं बोलता, बस संकेतों और मानसिक दबाव के जरिए अपने शिकार को खेल में उलझाता है। कातिल अब तक देवांश के डर और चिंता को समझ चुका था, और वह उसी का फायदा उठा रहा था।
एक दिन, देवांश और प्रिया एक गहरे तहखाने में पहुँचे, जो कातिल की पहचान के लिए एक और कदम था। यह तहखाना दिल्ली के एक पुराने इलाके में स्थित था, जहाँ पहले से ही अंधेरा और डर फैला हुआ था। यहां उन्हें कुछ और सुराग मिले—कुछ पुरानी फाइलें, दस्तावेज़, और गुप्त नोट्स, जो कातिल के मानसिक खेल की कहानी बयां कर रहे थे। उन दस्तावेज़ों में से एक ने देवांश को झकझोर दिया।
“कातिल वही है जिसे तुम कभी नहीं पहचान पाओगे, देवांश। वह तुम्हारे आस-पास है, और तुम उसे ढूंढ नहीं सकते। तुम अपनी पत्नी के रहस्य में खो चुके हो, लेकिन मैं तुम्हारा असली शिकार हूं।”
यह संदेश अब देवांश के दिमाग में गूंजने लगा। क्या कातिल सच में उनका शिकार बन चुका था, और वह अपनी गहरी चालों से देवांश को कमजोर करने की कोशिश कर रहा था? क्या वह उन्हें मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश कर रहा था, ताकि वह अपनी पूरी योजना को साकार कर सके?
देवांश अब पूरी तरह से इस खेल में डूब चुका था। वह जानता था कि अगर उसे कातिल को हराना है, तो उसे अपनी पूरी ताकत और मानसिकता को एकजुट करना होगा। यह सिर्फ उसकी और प्रिया की लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह अब एक मानसिक युद्ध बन चुका था, जिसमें कातिल को हराने के लिए उसे अपनी सारी शक्तियों का इस्तेमाल करना था।
“अब वह दिन आ चुका है, प्रिया,” देवांश ने कहा। “हमने डर को परे रखा है, अब हमें कातिल का सामना करना होगा। यह उसका आखिरी चेतावनी था, लेकिन अब हम उसे उसके खेल में मात देंगे।”
यह तय था—देवांश और प्रिया कातिल के खिलाफ अपनी आखिरी लड़ाई में उतरने वाले थे, और यह लड़ाई केवल सच्चाई और न्याय के लिए नहीं, बल्कि अपनी खोई हुई चीजों को वापस पाने के लिए भी थी। कातिल ने उन्हें जितनी बार धमकी दी, अब उतनी ही बार वे उसे उसके खुद के खेल में हराने के लिए तैयार थे।
८
दिल्ली के अंधेरे और रहस्यमय रह चुके रास्तों पर अब एक नई हवा चल रही थी। एसीपी देवांश कपूर और इंस्पेक्टर प्रिया यादव दोनों ही अपनी पूरी ताकत और सोच के साथ कातिल की आखिरी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार थे। कातिल, जिसने उन्हें मानसिक खेलों में उलझाया था, अब खुद को एक बड़ी साजिश से बाहर नहीं निकाल सकता था। यह लड़ाई केवल पुलिस और कातिल के बीच नहीं थी, यह देवांश के अपने अतीत, अपनी पत्नी मीरा की गुमशुदगी, और उसकी जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई को जानने की भी थी।
संदेशों, धमकियों और मानसिक दबाव के बावजूद, देवांश और प्रिया ने एक चौंकाने वाली खोज की थी। कातिल, जिसने उन्हें अपने जाल में फंसाया था, वह कोई बाहरी व्यक्ति नहीं था। वह कोई और नहीं, बल्कि देवांश के आसपास का ही एक परिचित चेहरा था। यह सिर्फ एक अपराधी नहीं था, बल्कि वह किसी के साथ मिलकर एक बड़ी साजिश रच रहा था। अब देवांश के सामने एक सवाल था—क्या वह इस व्यक्ति को अपनी जीवन की सबसे बड़ी गलती मानने वाला था?
“हमने उसे ढूंढ लिया है, प्रिया,” देवांश ने कहा, उसकी आवाज में अब एक स्पष्टता और दृढ़ता थी। “अब इसे समाप्त करने का वक्त आ गया है।”
प्रिया ने उसके चेहरे को देखा, और महसूस किया कि देवांश अब केवल एक पुलिस अधिकारी नहीं, बल्कि एक आदमी था जो अपने जीवन के सबसे बड़े झूठ का सामना करने के लिए तैयार था। यह झूठ उसका अपना अतीत था, और उसके भीतर छुपी हुई सच्चाई, जो अब सामने आ रही थी। कातिल ने उसे मानसिक रूप से इतना कमजोर किया था कि वह अपनी पत्नी मीरा की गुमशुदगी के कारण कई सालों से असमंजस में था। अब उसे समझ में आ रहा था कि वह जो समझ रहा था, वह गलत था। मीरा का गायब होना और यह हत्या का खेल, दोनों आपस में जुड़े हुए थे।
देवांश ने आखिरकार कातिल को पकड़ने की योजना बनाई। कातिल एक पुराने औद्योगिक क्षेत्र में छुपा हुआ था, जिसे अब किसी ने भी नहीं देखा था। यह जगह पूरी तरह से वीरान और अंधेरी थी, जहां खंडहर और जंगली रास्ते थे। पुलिस टीम ने कातिल की मौजूदगी के बारे में सूचना पाई थी, और अब देवांश और प्रिया को यह समझ में आ रहा था कि यह उनका आखिरी मौका था।
वे वहाँ पहुंचे, और जैसे ही कातिल को देखकर वह दोनों उसकी तरफ बढ़े, कातिल हंसा। उसकी हंसी में वही पैटर्न था, जो पहले देवांश और प्रिया ने सुनी थी। कातिल जानता था कि वह अब उनकी पकड़ में था, लेकिन वह इसे भी एक और खेल मानता था।
“तुमने मुझे ढूंढ लिया,” कातिल ने कहा, उसकी आवाज में एक गहरी ठंडक थी। “लेकिन तुम क्या करते हो, देवांश? तुम और प्रिया मुझे पकड़कर क्या समझते हो? इस खेल का अंत तुम्हारे लिए कभी अच्छा नहीं हो सकता। तुम अपने अतीत को बदल नहीं सकते, और न ही तुम उस सच्चाई से भाग सकते हो जो तुम्हारे सामने खड़ी है।”
देवांश की आँखों में गुस्सा और दुःख दोनों थे। कातिल ने उसे झकझोर दिया था, लेकिन अब देवांश जान चुका था कि वह कातिल को नहीं छोड़ने वाला। “तुम क्या चाहते हो, कातिल?” देवांश ने पूछा, उसकी आवाज में ठंडक थी। “तुमने मेरे साथ खेल खेला, मेरी जिंदगी को उलझा दिया, लेकिन अब तुमसे बचने का कोई रास्ता नहीं है।”
कातिल ने हंसी को रोकते हुए कहा, “तुम्हें लगता है कि मैं एक खेल खेल रहा था? नहीं देवांश, यह सिर्फ तुम्हारी और मीरा की कहानी थी। तुम्हारा अतीत, तुम्हारी भूल, वह सब मैंने जानबूझकर तुम्हारे सामने रखा। मीरा कहीं और नहीं, बल्कि मेरे पास थी। उसने तुम्हें धोखा दिया, उसने तुम्हारी पत्नी का नाटक किया, और तुम… तुम बस एक खोई हुई आत्मा की तरह ढूंढते रहे।”
यह सुनकर देवांश की आँखों में गुस्से और निराशा के भाव उभर आए। वह जानता था कि मीरा उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा राज़ है, और अब वह उसकी सच्चाई का सामना करने के लिए तैयार था। “तुमने मीरा को मेरे खिलाफ मोड़ा, है ना?” देवांश ने सवाल किया। “तुम्हारे पास उसकी जिंदगी को पूरी तरह से नियंत्रित करने का खेल था, और तुम मुझे सिर्फ इस जाल में फंसा रहे थे।”
कातिल ने सिर झुकाया और कहा, “तुम गलत समझ रहे हो, देवांश। मीरा ने खुद मुझसे जुड़ने का फैसला किया था। उसे तुमसे कोई प्यार नहीं था। और तुम… तुम सिर्फ उसके द्वारा दिखाए गए झूठे मार्ग पर चलते रहे। अब तुम दोनों की सच्चाई बाहर आ चुकी है।”
प्रिया और देवांश दोनों को अब यह समझ में आ गया था कि कातिल सिर्फ एक मानसिक खेल नहीं खेल रहा था। वह उन्हें व्यक्तिगत तौर पर चोट पहुँचाना चाहता था, उनके सबसे गहरे डर को उजागर करना चाहता था। वह जानता था कि देवांश के भीतर कुछ ऐसा था जिसे वह कभी भूल नहीं सकता—उसकी पत्नी की गुमशुदगी, उसकी उलझनें, और उसकी गलत समझें।
लेकिन अब देवांश जान चुका था कि कातिल को हराने का सबसे अच्छा तरीका उसे उसकी ही मानसिकता में फंसा देना था। उसने कातिल से कहा, “तुम जितना चाहो हमें मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश करो, लेकिन तुम कभी हमारी कमजोरी को नहीं समझ पाओगे। हम तुम्हारी तरह नहीं हैं, कातिल। हम सच्चाई का सामना करेंगे, और तुमसे पहले सच्चाई को हम सामने लाएंगे।”
सही वक्त आने पर, देवांश ने कातिल को पूरी तरह से घेर लिया, और पुलिस ने उसे पकड़ लिया। अब कातिल की चालें खत्म हो चुकी थीं, और वह सजा का सामना करने के लिए तैयार था। लेकिन देवांश को अब अपने सबसे बड़े राज़ का सामना करना था—क्या वह अपनी पत्नी के बारे में सच्चाई को स्वीकार कर पाएगा, और क्या वह उस सच्चाई को अपने जीवन का हिस्सा बना सकेगा?
अंत में, देवांश और प्रिया ने कातिल को गिरफ्तार किया, लेकिन यह जीत केवल एक अपराधी की गिरफ्तारी नहीं थी। यह देवांश के लिए अपनी निजी सच्चाई से जूझने और अपने अतीत से मुक्ति पाने की शुरुआत थी।
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