रागिनी जैन
अध्याय १:
शालिनी और विशाल, दिल्ली से एक नई शुरुआत करने के लिए सिक्किम के एक छोटे से गांव में आकर बस गए थे। यह फैसला उन्होंने बहुत सोच-समझ कर लिया था। दोनों का मानना था कि शहर की भीड़-भाड़ और व्यस्तता से दूर, पहाड़ों में एक शांत जीवन जीना उनके लिए सबसे सही था। विशाल एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और शालिनी एक डिजाइनर, जिनके पास अब अपने सपनों को पूरा करने का समय था। सिक्किम के प्राकृतिक सौंदर्य ने उन्हें आकर्षित किया था, लेकिन इस जगह का ठंडा और घना मौसम, यहाँ के कठिन रास्ते, और अलग-अलग संस्कृति भी दोनों के लिए एक चुनौती साबित होने वाली थी। एक पुराने, खंडहर जैसे घर में रहने का विचार उन्हें रोमांचक लगा था, जो गांव के किनारे स्थित था। यह घर एक समय में काफी आलीशान था, लेकिन अब इसके फर्श की लकड़ी सड़ी हुई थी, दीवारों पर मटमैले धब्बे थे, और किचन का चूल्हा कब का बंद हो चुका था। इस घर में रहने के लिए उनके पास न तो कोई जरूरी सामान था और न ही किसी की मदद। लेकिन वे इस बदलाव के लिए तैयार थे, मानो यह उनका भाग्य था। घर का माहौल खौ़फनाक था, लेकिन साथ ही इसमें एक आकर्षण भी था, जो दोनों को इस अद्भुत यात्रा की ओर खींच रहा था।
गांव वाले इस घर के बारे में बहुत सी कहानियाँ सुनाते थे, जिनमें से अधिकतर भयावह थीं। शालिनी और विशाल ने सोचा कि ये सिर्फ अंधविश्वास हैं, क्योंकि वे दोनों तर्कशील थे और हर चीज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करते थे। लेकिन, जैसे-जैसे उन्होंने घर में रात बितानी शुरू की, अजीब घटनाएँ घटने लगीं। पहली रात को ही शालिनी को लगा कि किसी ने उसके कमरे का दरवाजा हल्के से खटखटाया। शुरुआत में वह यह सोचकर अनदेखा करती रही कि शायद यह हवा का असर होगा, लेकिन जब यह आवाज बार-बार होने लगी, तो उसे घबराहट महसूस होने लगी। विशाल ने इसे सामान्य ठंडक और पुरानी दीवारों की आवाज़ माना और उसे शांत करने की कोशिश की। अगले दिन सुबह जब शालिनी ने विशाल से अपनी बात की, तो वह हंसी में टालते हुए बोला, “तुम थक गई हो, शायद तुम्हें कोई सपना आया होगा।” शालिनी को यकीन था कि यह कोई सपना नहीं था, लेकिन वह विशाल की बातों को नजरअंदाज करने की कोशिश करती रही। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह घर और उसके आसपास के वातावरण में आखिर ऐसा क्या था, जो उसे बेचैन कर रहा था।
शालिनी की बेचैनी बढ़ने लगी। घर की दीवारों में सीलन और फर्श की आवाजें भी अब उसे परेशान करने लगीं थीं। रात के अंधेरे में, जब पूरे घर में सन्नाटा छा जाता, तो उसे अजीब सी आवाजें सुनाई देतीं। वह आवाज़ कभी एक खांसी की, कभी एक धीमी सी फुसफुसाहट की, और कभी लगता जैसे कोई धीरे-धीरे उसके नाम को पुकार रहा हो। एक रात जब यह आवाज़ और भी तेज़ हो गई, तो शालिनी अपने कमरे से बाहर निकली और चारों ओर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। विशाल सो चुका था और उसे यह सब बेतुका लगने लगा। शालिनी ने सोचा, “क्या यह मेरे मन का डर है, या सच में कुछ गड़बड़ है?” वह जानती थी कि इस घर में कुछ तो था, जो उसे डरा रहा था, लेकिन उसे यह भी समझ में आ रहा था कि वह अगर इस डर को न पहचान पाए, तो यह और बढ़ जाएगा। यही सोचकर उसने विशाल से फिर बात करने की कोशिश की, लेकिन विशाल का जवाब वही था – “यह सिर्फ तुम्हारा डर है, कुछ नहीं।” ऐसे में शालिनी ने खुद को अकेला महसूस किया और रात के अंधेरे में आवाजों के बारे में और अधिक सोचने लगी। क्या यह घर सच में भूतिया था, जैसा गांव वाले कहते थे? या फिर यह सिर्फ उसका मानसिक दबाव था? इन सवालों का जवाब उसे जल्दी ही मिलने वाला था।
अध्याय २:
अगली सुबह, शालिनी ने खुद को थोड़ा शांत करने का फैसला किया। वह जानती थी कि अगर वह हर छोटे से संकेत पर घबराकर सोचने लगेगी, तो यह स्थिति और बिगड़ सकती है। लेकिन रात की घटनाओं ने उसके मन में एक अजीब सा डर और बेचैनी छोड़ दी थी। विशाल के साथ बैठकर चाय पीते हुए उसने धीरे-धीरे उन आवाज़ों के बारे में फिर से बात की। “विशाल, क्या तुम सच में नहीं सुनते? मुझे लगता है कि कुछ तो है, जो हमें इस घर में परेशान कर रहा है।” विशाल ने चाय का कप अपने हाथ में थामते हुए एक लंबी सांस ली और मुस्कुराया। “शालिनी, तुम बहुत ज्यादा सोच रही हो। यह पुराना घर है, और इनकी दीवारों में पुराने रेशे और लकड़ी से कई तरह की आवाजें आ सकती हैं। तुम खुद ही देखो, कोई भी नहीं है।” उसने शालिनी को यकीन दिलाने की कोशिश की, लेकिन शालिनी का दिल इस तर्क से संतुष्ट नहीं था। वह जानती थी कि यह सिर्फ दीवारों की आवाज़ नहीं थी, यह कुछ और था।
शाम के समय, जब सूरज की रोशनी धीरे-धीरे अस्त होने लगी और चारों ओर अंधेरा फैलने लगा, शालिनी को फिर वही खौ़फनाक आवाज़ें सुनाई दीं। इस बार वह आवाज़ और भी स्पष्ट थी, जैसे कोई उसके नाम को पुकार रहा हो। “शालिनी… शालिनी…”। वह आवाज़, जो पहले हल्की और दूर से आती थी, अब एकदम पास से सुनाई दी, जैसे किसी ने उसके कमरे के ठीक बाहर खड़े होकर पुकारा हो। शालिनी ने डरते-डरते खिड़की से बाहर देखा, लेकिन वहां कुछ भी नहीं था। उसका दिल धड़कने लगा, और उसकी धड़कन तेज़ हो गई। वह अब इस आवाज़ को और अनदेखा नहीं कर सकती थी। उसने तुरंत विशाल को पुकारा, “विशाल! क्या तुम सुन रहे हो? ये आवाजें फिर से आ रही हैं!” विशाल, जो उस वक्त किताब पढ़ रहा था, उसकी घबराई हुई आवाज़ सुनकर दौड़ते हुए उसके पास पहुंचा। “क्या हुआ, शालिनी?” उसने घबराई हुई शालिनी को देखा और फिर बाहर का वातावरण देखा, लेकिन कुछ भी असामान्य नहीं था। “देखो, शालिनी, तुम फिर से वही सब सोच रही हो, जो तुमने पहले सुना था। यह सब तुम्हारी मानसिक स्थिति का असर है।” विशाल ने फिर से उसे शांत करने की कोशिश की, लेकिन शालिनी को अब यकीन हो गया था कि यह कुछ और था।
रात को शालिनी ने फिर से वही आवाज सुनी। इस बार, यह आवाज़ ज्यादा डरावनी थी और जैसे उसके कानों के पास गूंज रही थी। “शालिनी… शालिनी…”। इस बार शालिनी ने डरते हुए बिस्तर से उठकर कमरे के बाहर जाने की ठानी। वह सीधे उस जगह पर पहुंची, जहाँ से आवाज आ रही थी। जैसे ही वह सीढ़ियाँ चढ़ती हुई दरवाजे के पास पहुंची, वह अचानक रुक गई। सामने पुराने घर के किवाड़ पर एक हल्की सी छाया दिखी। वह छाया एक स्त्री की थी, जो धीमे-धीमे झूल रही थी। शालिनी की आँखें विस्मय से फैल गईं। उसने जोर से आँचल से अपना मुँह ढ़क लिया और धीरे-धीरे कदम पीछे खींचे। उस महिला की छाया मद्धिम रोशनी में और भी डरावनी दिख रही थी। वह छाया लगातार हिल रही थी, जैसे वह किसी अदृश्य शक्ति द्वारा खींची जा रही हो। शालिनी के दिल में एक घबराहट और भय समा गया, और वह बिना कुछ कहे दौड़ती हुई वापस अपने कमरे में चली गई। उसकी सांसें तेज़ हो रही थीं और हाथों में पसीना आ गया था। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह छाया क्या थी। क्या यह द्रूपदी का भूत था, जैसा गांव वाले कहते थे? या फिर कोई और अदृश्य शक्ति थी जो इस घर को अपने कब्जे में लिए हुए थी? इन सवालों ने शालिनी को पूरी तरह से घेर लिया था, और अब वह और ज्यादा तड़पने लगी थी।
जब विशाल ने शालिनी को डरते हुए देखा, तो उसकी आँखों में चिंता की लकीरें दिखाई दीं। “क्या हुआ, शालिनी? तुम कुछ कह रही हो, लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा।” शालिनी ने डरते हुए बताया, “विशाल, मैं देख सकती थी… मुझे वह छाया दिखी। एक महिला की छाया, जो मुझे पुकार रही थी। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि क्या हो रहा है।” विशाल की चेहरा कुछ पलों के लिए खामोश रहा। फिर उसने धीरे से कहा, “शालिनी, तुम्हें मुझे कुछ और बताने की जरूरत नहीं है। यह सब सिर्फ तुम्हारी कल्पना का परिणाम हो सकता है। तुम्हें सच्चाई जानने के लिए इस घर के बारे में और कुछ खोजना होगा।”
यह बात सुनकर शालिनी का दिल और भी घबराया। क्या वह अपनी कल्पना में यह सब देख रही थी, या फिर यह सच में कोई भूतिया शक्ति थी? अब यह सवाल शालिनी को और परेशान कर रहा था। वह रात को सोने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसकी आँखों में वही डर और भय था। वह जानती थी कि अब उसे इस रहस्य का सामना करना ही होगा, चाहे वह कितना भी भयावह क्यों न हो।
अध्याय ३:
अगले दिन शालिनी का मन बहुत उलझन में था। रात की घटनाओं ने उसे पूरी तरह से परेशान कर दिया था, और वह किसी भी कीमत पर इसका हल चाहती थी। वह जानती थी कि अगर उसे इस घर में शांति चाहिए, तो उसे इस अजीब सी स्थिति का सामना करना होगा। शालिनी ने निर्णय लिया कि वह इस घर के अतीत के बारे में अधिक जानकारी जुटाएगी, ताकि वह द्रूपदी की आत्मा या उन आवाजों का कारण जान सके, जो उसे परेशान कर रही थीं। इस निर्णय के साथ, शालिनी ने विशाल से फिर से बात करने की कोशिश की, लेकिन विशाल ने फिर से उसे यही समझाने की कोशिश की कि यह सब केवल उसकी मानसिक स्थिति का परिणाम है। हालांकि, शालिनी ने अब तय कर लिया था कि वह अकेले ही इस रहस्य को सुलझाएगी।
शालिनी ने सुबह-सुबह घर के पुराने अलमारियों और संदूकों की सफाई शुरू कर दी। उसे किसी पुराने दस्तावेज़ या पत्र की तलाश थी, जो इस घर के इतिहास के बारे में कुछ भी बताता हो। जब वह एक पुराने संदूक को खंगाल रही थी, तो उसकी नजर एक बहुत पुरानी डायरी पर पड़ी। यह डायरी किसी महिला की थी और उसके कवर पर धूल और पुराने निशान थे। शालिनी ने उसे धीरे से खोला और पढ़ना शुरू किया। डायरी में एक महिला की आत्मकथा जैसी कुछ लिखी हुई थी, और यह बहुत ही दुखद और दर्दनाक कहानी थी। डायरी में लिखा था कि एक महिला, जिसका नाम द्रूपदी था, इस घर में एक नौकरानी के रूप में काम करती थी। वह एक बहुत ही सुंदर, परंतु सरल और निहायत दयालु महिला थी। लेकिन उसके साथ एक ऐसा हादसा हुआ, जो उसे इस घर के भीतर हमेशा के लिए बंद कर गया।
द्रूपदी की कहानी पढ़ते हुए शालिनी को एहसास हुआ कि यह वही महिला है, जिसकी आत्मा उसे रात को आवाज़ों के रूप में पुकारती थी। द्रूपदी की मृत्यु एक भयानक साजिश का परिणाम थी। उसे एक झूठे आरोप में फंसा दिया गया था, जिसमें उसे एक हत्या का दोषी ठहराया गया था। उसे इस घर में, जहां वह काम करती थी, घेर लिया गया और उसे मारा गया। द्रूपदी का कोई दोष नहीं था, लेकिन उसे किसी ने छल और धोखे से फंसा दिया। डायरी में यह भी लिखा था कि द्रूपदी की मौत के बाद उसकी आत्मा इस घर में बंध गई थी, और वह हर किसी से बदला लेना चाहती थी, जो उसके खिलाफ थे। शालिनी के हाथों में डायरी थम गई और वह पूरी तरह से हिल गई। यह सब कुछ इतना भयानक था कि शालिनी के मन में डर और विश्वास का मिलाजुला भाव था। क्या यह सच था? क्या द्रूपदी की आत्मा अब भी इस घर में बसी हुई थी?
शालिनी ने डायरी को वापस रख दिया और बाहर आकर विशाल से फिर से बात की। वह अब उसे पूरी कहानी बताना चाहती थी। विशाल ने पहले तो इसे मजाक समझा, लेकिन शालिनी की आंखों में जो गहरी चिंता और डर था, उसे देखकर वह चुप हो गया। “क्या तुम सच में मानती हो कि द्रूपदी की आत्मा इस घर में है?” विशाल ने सवाल किया। शालिनी ने गंभीरता से जवाब दिया, “मैं नहीं जानती, विशाल। लेकिन मुझे लगता है कि यह सब कुछ सिर्फ संयोग नहीं है। यह सब कुछ बहुत सच लग रहा है।” विशाल ने थोड़ी देर तक शालिनी को देखा, फिर वह बोला, “अगर तुम्हें सच में यह मानना है, तो हमें और जानकारी जुटानी होगी। हमें इस घर के अतीत के बारे में और पता करना होगा।” शालिनी और विशाल दोनों ने तय किया कि वे इस रहस्य को सुलझाने के लिए और प्रयास करेंगे।
वह दोनों गांव के बुजुर्गों से मिले, जो द्रूपदी के बारे में जानते थे। गांव के लोग इस मामले को लेकर बहुत ही सतर्क थे। कुछ ने इसे पुरानी कहानी मान लिया था, जबकि कुछ का मानना था कि द्रूपदी का भूत सच में इस घर में है और उसकी आत्मा अब भी शांति नहीं पा सकी है। एक बुजुर्ग महिला ने शालिनी से कहा, “तुम्हें इस घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। द्रूपदी की आत्मा को शांति नहीं मिल सकती, जब तक वह बदला नहीं ले लेती।” शालिनी को यह सुनकर और भी डर लगने लगा, लेकिन उसने खुद से वादा किया कि वह इस रहस्य का समाधान निकालेगी।
शालिनी और विशाल ने तय किया कि वे इस मामले का गहरा अध्ययन करेंगे और द्रूपदी की आत्मा को शांति दिलाने का रास्ता ढूंढेंगे। लेकिन शालिनी का दिल यह मानने को तैयार नहीं था कि वह अकेले ही यह भूतिया ताकतों का सामना कर सकती है। वह जानती थी कि अब यह घर सिर्फ एक रहस्य नहीं था, बल्कि एक खौ़फनाक सच था, जो उसे और विशाल दोनों को खतरे में डाल सकता था।
अध्याय ४:
शालिनी और विशाल दोनों ही इस रहस्य के गहरे छोर तक पहुंचने के लिए दिन-रात एक किए हुए थे, लेकिन जितना वे अतीत के बारे में जानते गए, उतना ही अधिक डर और उलझन उनके सामने आने लगा। शालिनी का मन अब यह स्वीकार नहीं कर पा रहा था कि वे एक ऐसे घर में रह रहे थे, जो अतीत के भूतिया राज़ों और छल के बीच बसा हुआ था। गांव के बुजुर्गों से मिली जानकारी और डायरी में पढ़ी घटनाओं ने उनके दिलों में डर और जिज्ञासा का एक अजीब मिश्रण उत्पन्न कर दिया था। द्रूपदी के बारे में जितना अधिक वे जानते, उतना ही सच्चाई का पर्दा और घना होता जा रहा था। अब शालिनी और विशाल ने फैसला किया था कि वे इस घर के पुराने रिकॉर्ड्स को खंगालेंगे, ताकि द्रूपदी की मृत्यु और उसके बाद की घटनाओं का सही पता चल सके।
विशाल ने स्थानीय पब्लिक रिकॉर्ड्स ऑफिस में जाने का निर्णय लिया। वहां के दस्तावेज़ों में वे कई पुराने कागजात और अनुबंधों के बारे में जानकारी हासिल करने की उम्मीद रखते थे। पब्लिक रिकॉर्ड्स ऑफिस की दीवारों पर लगी धूल और पुराने कागजों की गंध ने उन्हें ऐसा महसूस कराया जैसे वे किसी और समय में लौट आए हों। विशाल ने रजिस्टर में दर्ज पुराने रिकॉर्ड्स को पलटा और एक के बाद एक दस्तावेजों पर अपनी नजरें डालता गया। अचानक उसकी नजर एक कागज़ पर पड़ी, जिसमें एक जंगली स्याही से लिखा था: “द्रूपदी – कामकाजी महिला – हत्या का आरोप – आत्महत्या का प्रयास – अंत में मृत्यु।” यह पढ़कर विशाल के हाथ से कागज़ गिर पड़ा। उसकी आँखें फैल गईं। उसने यह कागज उठाया और गहरी निगाहों से पढ़ने लगा।
द्रूपदी के बारे में यह नया खुलासा उसे पूरी तरह चौंका गया। वह जान गया था कि द्रूपदी की मौत सिर्फ एक साधारण दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी साजिश का परिणाम थी। उसे यह महसूस हुआ कि उस पर आरोप लगाकर उसे ग़लत तरीके से फंसाया गया था। “यह तो साफ है कि उसे जानबूझकर मारने की कोशिश की गई थी,” विशाल ने गहरे सर्द स्वर में कहा। उसने शालिनी से यह सब जानकारी साझा की, और दोनों ने एक निर्णय लिया कि अब उन्हें इस साजिश के मुख्य कर्ता-धर्ताओं का पता लगाना होगा।
शालिनी की चिंता और भी बढ़ गई थी। उसकी आँखों में अब द्रूपदी की आत्मा की पीड़ा और बेचैनी स्पष्ट दिखाई देने लगी थी। वह जानती थी कि द्रूपदी की हत्या सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि यह एक बहुत बड़ी साजिश थी, जिसमें किसी ने जानबूझकर उसे दोषी ठहराया था। शालिनी अब समझ चुकी थी कि यह आत्मा शांत नहीं हो सकती जब तक कि वह अपने अपमान का बदला न ले ले। लेकिन क्या द्रूपदी की आत्मा सचमुच बदला लेने की कोशिश कर रही थी, या फिर यह सिर्फ उसका भय था जो उसे अतीत से बाहर खींच रहा था?
जब वे दोनों घर लौटे, तो शालिनी ने वह डायरी फिर से खोली। उसने ध्यान से हर शब्द को पढ़ा, और एक एक पंक्ति में छिपे हुए दर्द को महसूस किया। “द्रूपदी,” उसने धीरे से कहा, “तुमसे बहुत गलत हुआ था। तुम्हारी आत्मा तब तक शांत नहीं हो सकती जब तक तुम उन लोगों से बदला नहीं ले लेते जिन्होंने तुम्हारे साथ इतनी नाइंसाफी की।” शालिनी की आवाज़ में घबराहट थी, लेकिन अब वह यह जान चुकी थी कि उसे द्रूपदी की आत्मा को शांति दिलाने के लिए कुछ करना होगा। वह एक नई ताकत से भरी हुई थी।
विशाल को अब समझ में आ गया था कि वे दोनों सिर्फ एक घर के रहस्य का पता नहीं लगा रहे थे, बल्कि वे एक पुरानी अनकही कहानी का हिस्सा बन चुके थे। उसे अब यह एहसास हुआ कि द्रूपदी का भूत सिर्फ उन्हें डराने के लिए नहीं था, बल्कि एक संदेश देने के लिए था। “शालिनी,” उसने धीमे से कहा, “हमें अब इस रहस्य को सुलझाना ही होगा। लेकिन हमें एक और कदम और बढ़ाना होगा – हमें उन लोगों का पता लगाना होगा जिन्होंने द्रूपदी की हत्या की थी।”
लेकिन यह आसान नहीं था। पुराने समय की गवाहियों को ढूंढना और जीवित बचे हुए लोगों से सही जानकारी निकालना एक कठिन कार्य था। शालिनी और विशाल दोनों जानते थे कि वे केवल अपने हाथों में हाथ डालकर इस रहस्य को सुलझा सकते थे। और अब, जब द्रूपदी की आत्मा के काले बादल उनके ऊपर मंडरा रहे थे, तो उन्हें डर के बजाय सच की ओर बढ़ना था। वे अब द्रूपदी की आत्मा को शांति देने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे।
रात होते ही, शालिनी और विशाल ने एक योजना बनाई। वे दोनों गांव के और पुरानी पीढ़ी के लोगों से मिलकर द्रूपदी के मामले में और जानकारी जुटाएंगे। साथ ही, वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि वे किसी भी तरह से द्रूपदी के भूत को शांति दे सकें, ताकि इस घर में फिर से कभी ऐसा डर और उथल-पुथल न हो।
अध्याय ५:
शालिनी और विशाल ने इस घर में अजीब घटनाओं के बारे में बहुत कुछ जान लिया था, लेकिन अब उन्हें यह महसूस हो रहा था कि उन दोनों को एक और चुनौती का सामना करना होगा। द्रूपदी की आत्मा का रहस्य अब उन पर पूरी तरह से हावी हो चुका था। जैसे ही वे घर में रहने लगे, घर की पुरानी दीवारों और मंजिलों से अजीब-अजीब आवाजें आने लगीं, जो उन्हें डराने के लिए काफी थीं। लेकिन अब यह आवाजें सिर्फ एक भयावह याद नहीं रह गईं, बल्कि एक साक्षात चेतावनी बन चुकी थीं। शालिनी और विशाल के बीच अब एक अजीब सी चुप्प थी। दोनों जानते थे कि यह घटनाएँ अब केवल अनहोनी नहीं, बल्कि एक चेतावनी थीं, जो द्रूपदी की आत्मा के रुकने के संकेत दे रही थीं।
शालिनी की रातों की नींद उड़ चुकी थी। उसे अब लगातार वही आवाजें सुनाई देती थीं। एक रात जब विशाल ऑफिस के काम में व्यस्त था, शालिनी अकेली थी। रात का वक्त था, और घर की पुरानी दीवारों से खांसने, फुसफुसाने और खटखटाने की आवाजें आ रही थीं। यह आवाजें इतनी स्पष्ट थीं कि जैसे वह कमरे के अंदर किसी के साथ बैठी हो। शालिनी का दिल तेजी से धड़कने लगा। अचानक, वह आवाजें और भी करीब से सुनाई देने लगीं। इस बार, शालिनी को यह महसूस हुआ कि वह आवाज सिर्फ एक सामान्य आवाज नहीं थी, बल्कि किसी ने जानबूझकर उसे बुलाने की कोशिश की थी। “शालिनी… शालिनी…”। आवाज को पहचानने में शालिनी का दिल और भी तेजी से धड़कने लगा। वह बिल्कुल नहीं जान पाई कि वह किससे बात कर रही थी, लेकिन वह निश्चित थी कि यह द्रूपदी की आत्मा थी।
शालिनी ने डरते हुए एक कदम बढ़ाया और आवाज की दिशा में देखने के लिए कमरे के दरवाजे को खोला। बाहर की सन्नाटा और अंधेरे में, वह आवाजें जैसे उसका पीछा कर रही थीं। “शालिनी… तुम मुझे जानती हो…” यह आवाज और भी तेज़ हो गई। शालिनी के कदम बुरी तरह से कांप रहे थे, लेकिन उसने दिल मजबूत करके बाहर कदम रखा। जैसे ही वह बाहर गई, उसने देखा कि उस पुराने घर के दीवारों पर हल्की सी आंधी चल रही थी, जो हवा के साथ दरवाजे को हिला रही थी।
शालिनी ने आवाज का पीछा किया, लेकिन उसने देखा कि सामने कोई नहीं था। वह समझ नहीं पा रही थी कि ये आवाजें कहाँ से आ रही हैं। अचानक उसे कुछ दिखाई दिया। वह एक कमरे में घुसी और वहां के पुराने खंडहर में पड़ी वस्तुओं के बीच से एक पुराने कागज को देखा। कागज में वही नाम था, “द्रूपदी”। कागज में लिखा हुआ था, “तुम कभी नहीं जान पाओगे कि मैंने क्या भुगता था, जब तक तुम मेरे साथ नहीं चलोगे।” यह शब्द शालिनी को और भी परेशान करने लगे। क्या यह संकेत था कि द्रूपदी अब उसे खुद के अतीत के रहस्य से मिलाने के लिए तैयार थी?
शालिनी ने कागज़ को बड़े ध्यान से पढ़ा और उस स्थान को और अच्छे से खोजा। वहां उसे एक पुरानी संदूक दिखी, जिसमें कुछ और कागज़ और रेशमी कपड़े थे। जैसे ही शालिनी ने संदूक खोला, वह अंदर से कुछ कंकड़ और पुरानी मूर्तियां निकालने लगी। अचानक, किसी ने उसकी पीठ पर हाथ रखा। शालिनी ने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। उसका दिल और भी तेजी से धड़कने लगा। वह समझ गई कि अब द्रूपदी की आत्मा खुद उससे संपर्क करना चाहती थी। शालिनी ने बड़े डर के साथ संदूक को वापस बंद किया और कमरे से बाहर भाग गई। लेकिन जैसे ही उसने दरवाजा खोला, फिर से वही आवाजें आईं।
शालिनी अब और भी परेशान हो चुकी थी। वह जानती थी कि द्रूपदी की आत्मा अब उसे सचेत करने के लिए हर पल उसे तंग करने वाली थी। शालिनी कमरे में बैठी हुई थी और सोच रही थी कि क्या अब यह आवाजें उसे इस घर से बाहर करने के लिए थीं या फिर इसे खत्म करने का तरीका कुछ और था। अब वह केवल एक सवाल का जवाब चाहती थी – क्या वह इस घर और द्रूपदी के रहस्यों से छुटकारा पा सकेगी, या फिर उसे अपना पूरा जीवन इस भूतिया शक्ति के साथ जीना होगा?
विशाल को जब शालिनी की चिंता और घबराहट का पता चला, तो वह भी हैरान हो गया। वह अब इस बात को मान चुका था कि इस घर में कुछ न कुछ गड़बड़ है। वह भी जानने लगा कि यह रहस्य उन्हें किसी भी हालत में सुलझाना होगा। साथ ही, वह जानता था कि शालिनी अब इसे अपने अकेले के दम पर नहीं सुलझा सकती। अब यह दोनों का सामूहिक संघर्ष था, और वे दोनों मिलकर द्रूपदी की आत्मा को शांति देने के रास्ते पर आगे बढ़ने वाले थे। लेकिन शालिनी का डर और विशाल की चुप्प ने यह सवाल उठाया – क्या वे द्रूपदी को शांति दे पाएंगे या फिर वह उनका पीछा करने में और भी ताकतवर हो जाएगी?
अध्याय ६:
रात का समय था, और शालिनी और विशाल दोनों के दिलों में एक अजीब सी बेचैनी थी। घर के भीतर का माहौल अब पहले से कहीं ज्यादा डरावना और गहरे रहस्यों से भरा हुआ था। शालिनी अब तक जितने भी संकेतों और आवाजों का सामना कर चुकी थी, वह उसे और भी अधिक परेशान कर रहे थे। वह जानती थी कि द्रूपदी की आत्मा अब उसे छेड़ने के लिए नहीं, बल्कि उसे सचमुच अपना संदेश देने के लिए आई थी। लेकिन क्या वह संदेश वह पूरी तरह से समझ पा रही थी?
विशाल ने शालिनी की घबराहट को देखकर उसे दिलासा देने की कोशिश की, लेकिन उसे भी यह अहसास होने लगा था कि यह सिर्फ शालिनी का डर नहीं, बल्कि कुछ और था। “शालिनी, हम दोनों को अब इसे सीधे तौर पर सामना करना होगा।” विशाल ने कहा, “यह सब सिर्फ डर है, लेकिन हमें द्रूपदी से बात करने का एक तरीका ढूंढना होगा।” शालिनी ने उसकी बात मानी, लेकिन उसके भीतर का डर अब और बढ़ चुका था। क्या वे सच में द्रूपदी की आत्मा से बात कर पाएंगे? क्या वह सचमुच अपनी मृत्यु के बाद इस घर में भटक रही थी, या फिर यह सिर्फ उनका भ्रम था?
रात के गहरे सन्नाटे में, जब सब कुछ शांत था, शालिनी ने एक बार फिर वही आवाज सुनी। “शालिनी…” यह आवाज बिल्कुल पास से आई थी, और यह अब और भी स्पष्ट हो चुकी थी। शालिनी का दिल एक बार फिर जोर से धड़कने लगा। उसकी आँखें फैल गईं और वह धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकलने लगी। विशाल ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन शालिनी ने उसे बिना कुछ कहे आगे बढ़ने दिया। वह आवाज अब उसके करीब आ चुकी थी।
जैसे ही शालिनी कमरे के बाहर आई, उसे वही छाया दिखी – वही रूप, वही महिला जो उसे पहले भी दिखी थी। इस बार वह छाया मद्धिम रोशनी में और भी स्पष्ट हो गई। शालिनी का दिल बंद हो गया, और वह एक पल के लिए स्थिर हो गई। यह वही द्रूपदी थी, जिसकी आत्मा उसे परेशान कर रही थी। शालिनी ने उस महिला से अपनी आँखें मिलाईं और फिर डरते-डरते पूछा, “तुम कौन हो?”
“मैं द्रूपदी हूँ,” महिला की आवाज़ में एक ठंडी सी करुणा थी। “तुम मुझसे क्यों डर रही हो, शालिनी? क्या तुम सच में मुझे समझ पाई हो?” शालिनी का दिल तेजी से धड़कने लगा, और वह धीरे-धीरे उस महिला के पास कदम बढ़ाने लगी। यह पहली बार था जब द्रूपदी की आत्मा ने उसे सीधे तौर पर अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाया था।
“तुम… तुम मेरी मदद क्यों चाहती हो?” शालिनी ने थके हुए स्वर में पूछा।
“तुमने सही कहा,” द्रूपदी ने सिर झुका कर कहा। “मैं भटक रही हूँ, लेकिन मेरी आत्मा शांत नहीं हो सकती। मैं तुमसे अपनी कहानी बताना चाहती हूँ, शालिनी। यह घर मेरा घर था, लेकिन मुझे इसे कभी अपना घर नहीं मिला। मुझे धोखे से फंसाया गया, और मेरी हत्या कर दी गई। मुझे न्याय नहीं मिला, लेकिन अब मुझे यह न्याय मिलना चाहिए।”
द्रूपदी के शब्दों में एक अजीब सा दर्द और करुणा थी। शालिनी को अब यह एहसास हो गया कि वह सिर्फ एक बदला लेने वाली आत्मा नहीं थी, बल्कि एक निर्दोष महिला थी जिसे छल से मार दिया गया था।
“तुम क्यों इस घर में भटक रही हो?” शालिनी ने सशंकित होकर पूछा।
“क्योंकि मैं जानना चाहती हूँ कि वह लोग कौन थे जिन्होंने मुझे मारा। मैं यह भी जानती हूँ कि मेरे साथ क्या हुआ, लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुम यह जानो, शालिनी। तुम मेरी कहानी को सही से समझ सको, ताकि मैं शांति पा सकूं,” द्रूपदी की आवाज़ में एक अदृश्य द्रवित भावना थी।
शालिनी ने गहरी सांस ली और द्रूपदी के सामने खड़ी होकर उसकी बातों को ध्यान से सुना। अब उसे एहसास हुआ कि द्रूपदी ने अपनी पूरी ज़िन्दगी केवल यातना में बिता दी थी और उसकी आत्मा अब तक शांति की तलाश कर रही थी। लेकिन इस आत्मा के सामने एक और सवाल था – वह किससे बदला लेना चाहती थी, और क्यों उसे खुद को इस घर में बंधा हुआ महसूस हो रहा था?
शालिनी ने धीरे-धीरे पूछा, “क्या तुम अब भी उन लोगों से बदला लेना चाहती हो?”
“हाँ, लेकिन इस बार यह बदला सिर्फ मुझसे नहीं, बल्कि उनके अपमान और छल के खिलाफ है। मैं नहीं चाहती कि कोई और द्रूपदी जैसे निर्दोष इंसान की मौत के बाद भटकता रहे,” द्रूपदी ने कहा।
शालिनी ने अपने मन में एक दृढ़ संकल्प बनाया। वह द्रूपदी की आत्मा को शांति देना चाहती थी, लेकिन इसके लिए उसे वह सत्य जानना था जो द्रूपदी के लिए सबसे महत्वपूर्ण था। वह जानती थी कि अगर वह सच में द्रूपदी की मदद करना चाहती है, तो उसे इस घर के अतीत की और गहराई से पड़ताल करनी होगी।
विशाल अब पूरी तरह से जाग चुका था और शालिनी को देखता हुआ बोला, “क्या तुम ठीक हो?”
शालिनी ने सिर झुका लिया और फिर विशाल से कहा, “हमें द्रूपदी के बारे में और अधिक जानने की जरूरत है, विशाल। यह सिर्फ एक भूतिया कहानी नहीं है, यह एक दुखभरी सत्य है।”
विशाल ने उसे आश्वस्त किया, “मैं तुम्हारे साथ हूँ, शालिनी। हम इस रहस्य का हल जरूर निकालेंगे।”
अब यह दोनों की जिम्मेदारी थी – द्रूपदी की आत्मा को शांति दिलाने के लिए वे क्या कदम उठाते हैं, और क्या वे उसकी दर्दनाक कहानी के सच तक पहुँचने में सफल हो पाएंगे?
अध्याय ७:
शालिनी और विशाल दोनों को अब यह समझ में आ गया था कि इस घर के भूतिया घटनाओं का कारण सिर्फ अंधविश्वास या मानसिक दबाव नहीं था, बल्कि यह एक पुरानी दर्दनाक सच्चाई थी जो द्रूपदी की आत्मा के साथ जुड़ी हुई थी। द्रूपदी की आत्मा ने शालिनी को साफ तौर पर अपनी कहानी बताई थी, और अब वह दोनों यह जानने के लिए तैयार थे कि वह कौन लोग थे जिन्होंने द्रूपदी को धोखे से फंसा दिया और उसकी हत्या की। शालिनी को यह महसूस हो रहा था कि यह एक गंभीर मामला था और उसे द्रूपदी को शांति दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा।
विशाल और शालिनी ने अब एक कदम और आगे बढ़ने का निर्णय लिया। वे दोनों अब इस घर के इतिहास को और गहरे से समझने के लिए पुराने दस्तावेज़ और रिकॉर्ड्स खंगालने में जुट गए थे। उन्हें यकीन था कि इस घर के पुराने मालिकों, जमींदारों और आसपास के लोगों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। वे जानते थे कि जो कुछ भी द्रूपदी के साथ हुआ, वह न केवल उसके लिए अन्याय था, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक कड़ी चेतावनी थी जो कभी उसके खिलाफ थे।
एक दिन, जब शालिनी और विशाल पुराने रिकार्ड्स खंगाल रहे थे, उन्होंने एक बहुत ही पुराना और धुंधला हुआ दस्तावेज़ पाया। यह एक जमींदार के नाम पर था, जो इस घर का पहले मालिक था। दस्तावेज़ में लिखा था कि जमींदार ने द्रूपदी को अपने घर में काम करने के लिए रखा था, लेकिन एक दिन उसे किसी गंभीर मामले में फंसा दिया गया। दस्तावेज़ में यह भी लिखा था कि द्रूपदी ने आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन उसे बचा लिया गया था। हालांकि, उसके बाद उसे एक झूठे आरोप में फंसा दिया गया और जमींदार के परिवार के खिलाफ उसकी हत्या की साजिश रची गई। शालिनी और विशाल ने यह दस्तावेज़ पढ़कर एक गहरी सांस ली। यह सब बहुत ही भयावह था। क्या वह जमींदार वही था जिसने द्रूपदी की हत्या की थी?
इससे पहले कि शालिनी और विशाल इस दस्तावेज़ के और विवरण पर विचार करते, उन्होंने कुछ और दस्तावेज़ों को भी खंगालना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्हें कुछ और रिकॉर्ड मिले जो यह सिद्ध कर रहे थे कि द्रूपदी की हत्या वास्तव में एक साजिश थी। जमींदार और उसके कुछ कर्मचारियों ने मिलकर उसे झूठे आरोपों में फंसाया था। और जब द्रूपदी को अपने बचाव का कोई मौका नहीं मिला, तो उसे मार डाला गया और उसके शव को बिना किसी सम्मान के घर में ही दफन कर दिया गया था। अब शालिनी और विशाल को यह स्पष्ट हो चुका था कि द्रूपदी की आत्मा शांत नहीं हो सकती थी जब तक वह इन अपराधियों से बदला नहीं ले लेती।
“अब हमें द्रूपदी को शांति दिलाने के लिए यह सच्चाई सभी को बतानी होगी,” शालिनी ने कहा। “हमें उन लोगों का नाम उजागर करना होगा जिन्होंने उसकी हत्या की साजिश रची थी।”
विशाल ने सिर हिलाया और कहा, “हाँ, अब हमें द्रूपदी की आत्मा को न्याय दिलाने का समय आ गया है। हमें उसकी कहानी को पूरी दुनिया तक पहुँचाना होगा, ताकि उसके दोषियों को सजा मिल सके।”
शालिनी और विशाल ने इस योजना पर काम करना शुरू किया। उन्होंने द्रूपदी की हत्या से जुड़े सभी दस्तावेज़ों और साक्ष्यों को एकत्र किया और गाँव के बुजुर्गों, वकीलों और स्थानीय प्रशासन से मिलकर मामले की गंभीरता को उजागर किया। धीरे-धीरे, गाँव में यह खबर फैलने लगी कि द्रूपदी के साथ कितना बड़ा अन्याय हुआ था, और अब वह न्याय के लिए लड़ाई लड़ने वाली थी।
इस बीच, शालिनी और विशाल ने यह भी महसूस किया कि द्रूपदी की आत्मा अब उनके साथ थी, लेकिन उसे अब शांति मिलनी शुरू हो गई थी। द्रूपदी की आत्मा को उन लोगों से बदला नहीं लेना था, बल्कि यह लड़ाई उसके नाम पर सच्चाई की थी। अब जब सच्चाई बाहर आ चुकी थी, शालिनी और विशाल दोनों ने महसूस किया कि द्रूपदी की आत्मा के लिए शांति का मार्ग खुल चुका था।
अंत में, जब यह मामला पूरी तरह से उजागर हुआ, तो जमींदार और उसके सहयोगियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की गई। न्याय का फैसला हुआ, और द्रूपदी की आत्मा को आखिरकार शांति मिल गई। शालिनी और विशाल ने महसूस किया कि यह उनकी ज़िम्मेदारी थी, और वे दोनों इस लड़ाई में जीतकर अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने में सफल रहे। द्रूपदी का नाम अब केवल एक दर्दनाक याद नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन चुका था, जो सभी को यह सिखाती थी कि कभी भी सत्य और न्याय से मुंह मोड़ने का परिणाम क्या हो सकता है।
रात के अंधेरे में अब वह डर और घबराहट नहीं थी, बल्कि शांति थी। शालिनी और विशाल ने महसूस किया कि यह रहस्य अब हल हो चुका था, और उनका घर फिर से सुरक्षित और शांत था।
अध्याय ८:
गांव में अब सब कुछ सामान्य हो चुका था। द्रूपदी की आत्मा को न्याय मिल चुका था, और वह शांति के साथ उस संसार से विदा ले चुकी थी। शालिनी और विशाल के दिलों में अब एक गहरी राहत थी, जैसे किसी भारी बोझ से उनका मन मुक्त हो गया हो। यह उनके जीवन का सबसे कठिन और डरावना दौर था, लेकिन वे दोनों इस अनुभव से ज्यादा मजबूत और परिपक्व बनकर उभरे थे। अब घर में हर कोने में शांति थी। दीवारों से आती डरावनी आवाजें और अंधेरे में महसूस होने वाली भूतिया सिहरनें अब पूरी तरह से गायब हो चुकी थीं। शालिनी और विशाल जानते थे कि यह शांति सिर्फ द्रूपदी की आत्मा के शांति मिलने की वजह से नहीं थी, बल्कि यह उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति और सच्चाई की तलाश का परिणाम थी।
विशाल ने शालिनी से कहा, “हमने यह सब मिलकर किया है, शालिनी। यह संघर्ष हमें यह सिखाता है कि कभी भी सही के साथ खड़े रहना चाहिए, चाहे स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।” शालिनी ने उसकी तरफ देखा और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “हाँ, विशाल। यह अनुभव हमेशा मेरे दिल में रहेगा। मैंने यह सीखा कि डर का सामना करने और सच को सामने लाने की ताकत हमारे भीतर होती है।”
उनके जीवन में अब एक नई शुरुआत हो रही थी। शालिनी ने अपना सारा ध्यान अब अपने डिजाइनिंग करियर पर लगाया और गांव के स्थानीय लोगों के लिए काम करना शुरू किया। उसने अपनी कला के जरिए न केवल अपनी आत्मा को शांति दी, बल्कि पूरे गांव को भी एक नई दिशा दिखाने की कोशिश की। विशाल ने भी अपने काम में पूरी लगन के साथ मन लगाया और नए प्रोजेक्ट्स पर काम करने लगा।
एक शाम, जब शालिनी और विशाल घर के आंगन में चाय पी रहे थे, शालिनी ने दूर पहाड़ों की ओर देखा और कहा, “क्या तुम कभी सोचते हो कि हम यहां क्यों आए थे?” विशाल ने चाय की चुस्की लेते हुए मुस्कुराते हुए कहा, “शायद हम यहां इसलिए आए थे, ताकि हम द्रूपदी की मदद कर सकें। लेकिन साथ ही, यह यात्रा हमें खुद को जानने और इस दुनिया के एक अलग पहलू को समझने का अवसर भी देती है।”
शालिनी ने सहमति में सिर हिलाया और फिर आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को देखा। उसे लगा कि अब उस घर और इस गांव में कोई भी भय नहीं था, बल्कि एक गहरी शांति थी, जो हर कोने में बसी हुई थी। वह जानती थी कि द्रूपदी की आत्मा अब विश्राम में थी, और उसकी विदाई के बाद यहां एक नई ऊर्जा और जीवन का प्रवाह था।
गांव वाले अब उन्हें एक नई दृष्टि से देखने लगे थे। शालिनी और विशाल ने न केवल द्रूपदी की आत्मा को शांति दी थी, बल्कि उन्होंने गांव में अपने कार्यों और संघर्षों के जरिए एक नई उम्मीद भी जगाई थी। लोग अब उन्हें न केवल अपनी कला और ज्ञान के लिए सम्मान देते थे, बल्कि उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्य को भी सराहते थे।
एक दिन, जब शालिनी और विशाल गांव के पास स्थित झील के किनारे चल रहे थे, तो शालिनी ने कहा, “क्या तुम जानते हो, विशाल, द्रूपदी का दर्द सिर्फ उसकी मौत तक नहीं था। वह अपने जीवन में भी बहुत कुछ सहन कर चुकी थी। लेकिन अब, उसकी आत्मा को शांति मिल गई है, और हम दोनों को भी कुछ तोकते हुए, उसे एक सच्ची श्रद्धांजलि देनी चाहिए।” विशाल ने शालिनी की बातों को सुना और फिर उसने उसकी ओर देखा, “हमने उसे न्याय दिलाया, और हम दोनों ने उसे उसकी आवाज़ दे दी, शालिनी। यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है।”
अंत में, शालिनी और विशाल ने यह समझ लिया कि यह यात्रा केवल द्रूपदी के बारे में नहीं थी, बल्कि यह उनके खुद के आत्म-संवर्धन और शांति की खोज की थी। यह एक कठिन, डरावनी और दर्दनाक यात्रा थी, लेकिन इसने उन्हें अपने जीवन के बारे में बहुत कुछ सिखाया।
अब, जब वे झील के किनारे बैठकर सूरज को अस्त होते हुए देख रहे थे, तो उन्हें महसूस हुआ कि दुनिया में हर जीवित आत्मा को एक दिन शांति मिलती है। द्रूपदी की आत्मा को आखिरकार वह शांति मिल गई थी, जिसे वह इतने वर्षों से खोज रही थी। और वे दोनों, शालिनी और विशाल, अब इस जीवन में एक नई दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार थे, जहां उन्हें कोई भय नहीं था, केवल विश्वास और शांति थी।
सूरज की आखिरी किरणें झील के पानी पर रिफ्लेक्ट हो रही थीं, जैसे यह सारा दृश्य द्रूपदी की आत्मा को अंतिम श्रद्धांजलि दे रहा हो। शालिनी और विशाल ने एक दूसरे को देखा, और इस बार उनकी आंखों में सिर्फ शांति और संतोष था। अब, यह उनका जीवन था, और वे इसे पूरी तरह से जीने के लिए तैयार थे।




