विशाल कुमार
बड़ा कागज संकट
ऑफिस के माहौल में एक हलचल थी। Hopeful Hearts की छोटी सी टीम किसी न किसी वजह से हमेशा उधड़ी रहती थी। आज ऑफिस का एक नया दिन था, और जैसे ही अर्विंद, ऑफिस के मैनेजर, ने दरवाजा खोला, उसे एक चिठ्ठी मिली जो सीधे विनोद सर के केबिन से आई थी।
“सर्वेक्षण रिपोर्ट के लिए सभी कागज़ों को एकजुट करो!” यह संदेश था। अर्विंद ने सोचा कि इस दिन का काम तो बस चुटकियों में निपट जाएगा।
लेकिन, जब उसे यकीन हो गया कि रिपोर्ट का काम करना होगा, तो उसने इस चिठ्ठी का मतलब ग़लत समझ लिया। उसने सोचा कि वह रिपोर्ट पर सिर्फ एक नज़र डालेगा, कागज़ों को ठीक से इकट्ठा करने का काम तो उसके पास है। अर्विंद ने सभी कर्मचारियों से कहा, “सभी कागज़ों की मात्रा बढ़ानी होगी, जितना हो सके उतना कागज़ इकट्ठा करो!”
कागज़ों की जरूरत को लेकर अचानक ऑफिस में हड़कंप मच गया। रानी, रिसेप्शनिस्ट, को सख्त हिदायत दी गई कि वह ऑफिस के स्टोर से पूरे दिन भर कागज़ों का इंतज़ाम करें। ग़ौरव, अकाउंटेंट, भी कागज़ के ढेर में डूब गया।
लेकिन, सबसे बड़ी समस्या थी मीराकी। वह न केवल तीव्र बुद्धिमानी वाली थी, बल्कि वह उस दिन बोर हो रही थी। उसने देखा कि अर्विंद तो कागज़ों के इकट्ठा होने के लिए परेशान हो रहा है, लेकिन असल में उसके पास ही सारे रिपोर्ट्स थे! यह देखते हुए मीराकी ने अर्विंद से पूछा, “तुमने तो कागज़ों के बजाय खुद के बिना किसी काम के कागज़ों का इकट्ठा करने का फैसला किया है न?”
अर्विंद जवाब देने से पहले ही ग़ौरव अपने पास से एक बडे़ से ढेर को दिखा कर बोला, “हमारे पास बहुत कागज़ है, पर सच कहूं तो किसी काम का नहीं!”
अर्विंद के माथे पर पसीना था। ऑफिस का माहौल असमंजस से भरा हुआ था। आखिरकार, रानी का स्टोर से आना हुआ और उसने कागज़ों के पूरे बॉक्स को लेकर ऑफिस में घुसते हुए कहा, “अब सभी के पास ज्यादा कागज़ है।”
लेकिन अर्विंद ने इस सारे कागज़ को देखकर पूछा, “कहाँ हैं वो रिपोर्ट्स जो विनोद सर ने भेजी थीं?”
मीराकी हंसी रोकते हुए बोली, “वह रिपोर्ट्स तो तुम्हारे पास ही हैं!”
अर्विंद को कुछ समझ में नहीं आया, और वह बेमन से कागज़ों का ढेर जमा करने में लग गया, जबकि मीराकी और ग़ौरव ने धीरे-धीरे सभी कागज़ों को बिना किसी उद्देश्य के इधर-उधर फैला दिया।
उस दिन, Hopeful Hearts के सारे कर्मचारी कागज़ के ढेर में खो गए, लेकिन कोई भी नहीं जानता था कि उनका काम क्या था। क्या कागज़ों की अनावश्यक तलाश सही दिशा में जाएगी? यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा।
अराजक ईमेल
ऑफिस का माहौल आज भी एकदम वैसा ही था। कागज़ों के ढेर में खोने के बाद अब सबका ध्यान किसी और ही चीज़ पर था। यह कोई और नहीं बल्कि ग़ौरव था, जो फिर से अपनी लापरवाह आदतों के कारण ऑफिस को परेशानी में डालने वाला था।
ग़ौरव, जो अकाउंट्स का काम संभालता था, हमेशा किसी न किसी वजह से सुस्त और आलसी रहता था। आज भी उसने कुछ ऐसा किया, जो किसी के गले नहीं उतर सका। ग़ौरव अपनी पुरानी आदतों से जूझते हुए एक बार फिर अपने लैपटॉप पर बैठा हुआ था, ग़लत मेल भेजने का एक और कदम उठा रहा था।
इस बार उसने एक पर्सनल मेल लिखा था। यह मेल उसने अपने दोस्त को भेजा था, जिसमें वह अपनी बोरियत और ऑफिस के बारे में बात कर रहा था। वह मेल एकदम निजी था, कुछ भी ऐसा नहीं था जो ऑफिस से संबंधित हो। लेकिन जैसे ही ग़ौरव ने “सेंड” बटन दबाया, उसे यह एहसास हुआ कि उसने गलत मेल भेजा है।
“ओ नहीं!” ग़ौरव ने जोर से कहा। “यह क्या कर दिया?”
अर्विंद, जो पास ही अपने कागज़ों को सहेजने की कोशिश कर रहा था, फौरन उसकी तरफ दौड़ते हुए बोला, “क्या हुआ ग़ौरव?”
“यही हुआ अर्विंद, मैंने ईमेल भेज दिया है और वह गलत मेल था!” ग़ौरव बुरी तरह से घबराया हुआ था।
“क्या मतलब?” अर्विंद ने अपनी चश्मे के ऊपर से घूरते हुए पूछा।
ग़ौरव ने सिर झुकाते हुए कहा, “वो मेल मेरे दोस्त के लिए था। लेकिन गलती से मैं वह मेल… पूरे ऑफिस को भेज दिया!”
अर्विंद का चेहरा सफेद हो गया। यह उस ऑफिस के लिए एक बड़ा संकट था। अब पूरी टीम को ग़ौरव के आलसी और बेवकूफाना मेल का सामना करना था।
अर्विंद ने फौरन ऑफिस के बाकी कर्मचारियों को मेल चेक करने के लिए कहा। थोड़ी देर बाद सभी के पास अपने लैपटॉप थे, और हर किसी की स्क्रीन पर वही मेल चमक रही थी।
“विनोद सर को यह सब क्या समझ में आएगा?” रानी ने हलके में कहा, जबकि वह मेल की विषय-वस्तु को देखकर हंस रही थी।
ग़ौरव के चेहरे पर लाली छाई हुई थी। “यह तो पूरी तरह से अराजक हो गया,” उसने निराश होकर कहा।
“क्या था उस मेल में?” मीराकी ने पूछा।
ग़ौरव ने सिर झुकाते हुए कहा, “कुछ खास नहीं था। बस, मैंने लिखा था कि ‘ऑफिस में कोई काम नहीं है, और मैं बस अपनी बोरियत को खत्म करने के लिए खेल खेल रहा हूं। ऑफिस के लोग अजीब हैं, और मैं खुद भी।'”
“क्या?” मीराकी चौंकी। “तुमने यह लिखा था?”
“हाँ, और अंत में मैंने लिखा था, ‘मैं उम्मीद करता हूँ कि ऑफिस में फिर से कुछ अच्छा काम मिले। लेकिन फिर भी, यह जगह वाकई मजेदार है।'”
मीराकी ने अपनी हंसी छुपाने की कोशिश की, जबकि रानी ने हंसते हुए कहा, “अरे वाह, यह तो किसी को भी पागल बना सकता है।”
अर्विंद ने ग़ौरव की ओर घूरते हुए कहा, “ग़ौरव, तुमने एक बार फिर हम सबको मुसीबत में डाल दिया है। अब क्या करेंगे?”
ग़ौरव, जो पहले से ही शर्मिंदा था, चुप रहा। उसका चेहरा लाल हो गया था। “क्या कर सकता हूँ? अब तो मेल भेज चुका हूँ। अब हम सिर्फ इंतजार कर सकते हैं कि लोग क्या प्रतिक्रिया देंगे।”
सभी कर्मचारियों ने एक दूसरे को देखा, लेकिन कोई हल नहीं मिला। तभी विनोद सर ने अपना आकर ऑफिस में कदम रखा। वे सामने आए और उन्होंने सभी कर्मचारियों को अपनी स्क्रीन की ओर इशारा किया, “क्या चल रहा है यहां? क्या यह मेल मेरे लिए था?”
अर्विंद ने ग़ौरव की तरफ देखा और फिर विनोद सर को घबराए हुए कहा, “विनोद सर, यह… यह ग़ौरव की गलती थी। यह मेल पूरी ऑफिस को ग़लती से भेज दिया गया है।”
विनोद सर ने गंभीर मुद्रा में चश्मा ठीक किया और मेल खोलकर पढ़ने लगे। थोड़ी देर के बाद उन्होंने अपनी मुस्कान छुपाते हुए कहा, “वाह, क्या बात है। इस मेल में तो सारी सच्चाई है। ऑफिस में किसी को काम नहीं मिलता है और सब बोर हो जाते हैं। यह सब मुझे समझ में आ गया।”
यह सुनकर सभी हक्के-बक्के रह गए। ग़ौरव ने राहत की सांस ली, लेकिन एक और सवाल उसके मन में था। “तो सर, क्या अब हमें इस मेल के कारण कोई दंड मिलेगा?”
विनोद सर ने आराम से मुस्कराते हुए कहा, “नहीं, तुमने जो लिखा है वह सच है। लेकिन अगले समय से मेल भेजने से पहले दो बार सोचना। और हाँ, अगले वीकेंड पर हम सब ऑफिस पिकनिक पर जाएंगे। थोड़ा मजा लेंगे।”
“सच?” सभी कर्मचारी एक साथ बोले।
“हाँ,” विनोद सर ने मुस्कराते हुए कहा। “लेकिन अगर तुम लोग पिकनिक पर जाना चाहते हो, तो अगले हफ्ते से अपना काम सही से करना होगा।”
ग़ौरव और बाकी सभी कर्मचारी राहत की सांस लेते हुए चुपचाप अपने-अपने काम में लग गए, सोचते हुए कि कभी-कभी एक गलत मेल भी सही दिशा में जा सकता है।
जन्मदिन का मिक्स-अप
ऑफिस में एक नई हलचल शुरू हो गई थी। ग़ौरव का ईमेल संकट अभी तक सबके दिमाग में ताजा था। लेकिन अब अगला संकट सामने था—अर्विंद का जन्मदिन। जी हाँ, अर्विंद का जन्मदिन आ गया था, और रानी, जो हमेशा किसी न किसी बहाने से ऑफिस में उत्सव का माहौल बनाना चाहती थी, उसे लग गया था कि अर्विंद का जन्मदिन दो दिन बाद है।
“अर्विंद का जन्मदिन तो कल है न?” रानी ने मीराकी से पूछा, जबकि दोनों चाय पी रही थीं।
मीराकी ने चाय का कप रुकते हुए कहा, “क्या? तुम्हें कैसे पता?”
“अरे, अर्विंद ने जब से चश्मा पहना है, उसके बाद से मैं समझ गई थी कि कुछ खास होने वाला है,” रानी ने अपने अंदाज में कहा और अपनी उंगलियों को मोड़ते हुए जोड़ा, “मैं तो पूरी तैयारी कर चुकी हूँ!”
“क्या तैयारी?” मीराकी ने हैरान होकर पूछा। “तुम फिर से एक और ऑफिस पार्टी करने जा रही हो क्या?”
“बिलकुल!” रानी ने कहा, “मुझे तो लगता है कि इस बार हम सबको कुछ बड़ा और अच्छा करना चाहिए। क्या कहती हो?”
मीराकी थोड़ा घबराते हुए बोली, “अरे रानी, तुम फिर से कुछ ऐसी बड़ी गड़बड़ करोगी, जिसे हम सबको संभालना पड़ेगा।”
रानी ने फिर से मुस्कराते हुए कहा, “कुछ गड़बड़ नहीं, हम सब साथ मिलकर एक बहुत ही सुंदर और यादगार पार्टी करेंगे। अर्विंद का जन्मदिन है, वो भी इस ऑफिस में कितना अकेला महसूस करता है।”
रानी के मन में यह विचार था कि अर्विंद को खुश करने का यह सबसे अच्छा तरीका होगा। उसने अपनी पूरी तैयारी शुरू कर दी। और जब अर्विंद ऑफिस पहुंचा, तो वह पूरी तरह से अनजान था कि उसके लिए एक बड़ी पार्टी योजना बनाई जा चुकी थी।
अर्विंद अपने डेस्क पर बैठते हुए सोच रहा था, “आज तो कुछ भी अलग नहीं होगा। शायद काम ही करना पड़ेगा।”
तभी रानी ने चिल्लाकर कहा, “अर्विंद, तुम्हारा जन्मदिन है न?”
“क्या?” अर्विंद चौंका, “नहीं, मेरा जन्मदिन तो तीन महीने बाद है।”
“क्या?” रानी चौंकी, “तुम्हारा जन्मदिन तो कल है न?”
अर्विंद सिर झुका कर बोला, “नहीं, रानी, मेरा जन्मदिन अगले तीन महीने बाद है।”
रानी ने चौंकते हुए कहा, “तो फिर क्यों तुमने अपने चश्मे को लेकर ऐसा इशारा किया था कि तुम्हारा जन्मदिन पास है?”
“क्या?” अर्विंद ने मजाक करते हुए कहा, “मेरे चश्मे के बारे में इतना क्या सोच रही हो, रानी?”
इस बीच, ग़ौरव ने रानी को देख कर कहा, “तुम फिर से पार्टी की तैयारी करने जा रही हो क्या?”
“हां!” रानी ने उत्साह से कहा, “मैंने सोचा था कि अर्विंद के जन्मदिन पर एक शानदार पार्टी होगी, लेकिन अब लगता है कि मैं गलत थी।”
अर्विंद के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी, क्योंकि उसे अब रानी की गलतफहमी का एहसास हो चुका था। “कोई बात नहीं,” अर्विंद ने कहा, “अब तुम लोग इस पार्टी को जितना मर्जी हो, उतना बढ़ा लो, क्योंकि अब तो हमें सच्ची पार्टी चाहिए!”
रानी ने इसे एक शेर की तरह महसूस किया और पार्टी की तैयारी में जुट गई। लेकिन अर्विंद को पहले से ही समझ में आ गया था कि ये पार्टी अब उसकी पूरी तरह से नाकाम योजना बन चुकी है। हालांकि, वह भी इसे पूरी तरह से सही दिशा में मोड़ने के लिए तैयार था।
वह विनोद सर के पास गया और उनसे कहा, “सर, रानी ने मेरे जन्मदिन के लिए पार्टी तैयार करने की सोची है, लेकिन हकीकत में मेरा जन्मदिन अगले तीन महीने बाद है।”
विनोद सर हंसी रोकते हुए बोले, “क्या? जन्मदिन नहीं है, फिर भी पार्टी हो रही है?”
“हाँ, और अब मैं क्या करूँ?” अर्विंद ने हंसते हुए कहा।
विनोद सर ने अपनी चश्मा ठीक किया और मुस्कराते हुए बोले, “चलो, इस ऑफिस की सबसे बड़ी पार्टी करो। लेकिन ध्यान रखना, पार्टी के बाद काम भी बढ़ जाएगा!”
अर्विंद और विनोद सर दोनों हंसी में डूब गए। लेकिन यह पार्टी अब एक मजेदार स्थिति में बदलने वाली थी।
शाम को, जब ऑफिस में पार्टी का आयोजन किया गया, तो कोई भी यह नहीं समझ पाया कि यह पार्टी अर्विंद के जन्मदिन पर नहीं, बल्कि सिर्फ रानी की गलतफहमी के कारण हो रही थी। चाय, केक, और रंग-बिरंगे गुब्बारे ऑफिस के चारों ओर छाए हुए थे।
पार्टी में रानी ने सभी से कहा, “आओ, आओ! यह हमारे प्यारे अर्विंद का जन्मदिन है!” जबकि अर्विंद सिर झुकाए खड़ा था और खुद को बर्बाद होते हुए महसूस कर रहा था।
ग़ौरव ने एक मजेदार टिप्पणी की, “अरे, अर्विंद, अब तेरा जन्मदिन तो बस अभी शुरू हुआ है!”
अर्विंद मुस्कुराया, “कम से कम अब मैं तीन महीने तक किसी पार्टी के बारे में नहीं सोचने वाला!”
ऑफिस के सभी कर्मचारी पार्टी में शामिल हो गए और कुछ समय के लिए तो सब कुछ सही था। लेकिन अंत में अर्विंद ने एक गहरी सांस ली और कहा, “कम से कम इस पार्टी ने हमें सबको एक साथ लाकर कुछ अच्छा किया!”
रानी ने हंसते हुए कहा, “तुम्हें किसने कहा था कि ऐसा होगा, लेकिन खुशी में ही असली मजा है!”
कॉफी मशीन का संघर्ष
ऑफिस का माहौल फिर से चाय और कॉफी के लिए एक नई समस्या का सामना कर रहा था। रानी के जन्मदिन की पार्टी के बाद सभी ने सोच लिया था कि अब कोई और संकट नहीं आएगा। लेकिन ऑफिस के एकमात्र कॉफी मशीन ने उन्हें फिर से एक नया सिरदर्द दे दिया।
सामान्य दिनों में अगर आप Hopeful Hearts में काम कर रहे होते, तो आपको यह समझने में ज्यादा समय नहीं लगता कि ऑफिस में एकमात्र खुशी का स्रोत कॉफी मशीन ही था। वह कॉफी मशीन—जिसके बिना लोग किसी भी काम में अपना मन नहीं लगा पाते थे—आज सुबह अचानक काम करना बंद कर चुकी थी। जैसे ही अर्विंद ने मशीन को चालू करने के लिए बटन दबाया, मशीन ने गहरी सांस ली और फिर चुप हो गई।
“क्या हुआ?” अर्विंद ने मशीन की ओर देखकर कहा। “क्यों तुम भी मुझे आज परेशान कर रहे हो?”
ग़ौरव जो उस वक्त आलसी मूड में था, कुर्सी पर झूलते हुए बोला, “क्या तुम फिर से उसकी मरम्मत करना चाहोगे? तुम खुद समझ सकते हो, वह तो अब केवल दिखावा है।”
अर्विंद ने ग़ौरव की बातों को नजरअंदाज किया और मशीन को फिर से चालू करने की कोशिश की। लेकिन मशीन ने अब भी कोई हलचल नहीं दिखाई। उसके बाद अर्विंद ने रानी को बुलाया, जो हमेशा हर छोटी-मोटी समस्या को बड़ी बात बना देती थी।
“रानी!” अर्विंद ने उसकी ओर इशारा करते हुए कहा, “यह मशीन फिर से काम नहीं कर रही है।”
रानी ने अपनी चश्मा उठाई और मशीन की ओर देखा। “यह तो सचमुच मुसीबत बन चुकी है,” उसने कहा। “लेकिन अरे, कोई बात नहीं, हम सब मिलकर इसे ठीक कर देंगे!”
“क्या?” मीराकी ने चौंकते हुए पूछा। “क्या तुम लोग इसे ठीक कर सकते हो?”
“बिलकुल!” रानी ने चिढ़ते हुए कहा। “क्या तुमने सुना नहीं, हम सब किसी भी मुसीबत को हल कर सकते हैं!”
रानी ने फिर से मशीन को देखा, जैसे वह मशीन से वार्ता कर रही हो। “तुम फिर से मुझे हर बार परेशान क्यों करती हो?” उसने बड़बड़ाते हुए कहा। फिर वह मशीन के बगल में खड़ी होकर बोली, “कोई तकनीकी जीनियस यहां है?”
ग़ौरव और मीराकी दोनों ने एक-दूसरे को देखा। ग़ौरव ने कहा, “नहीं, मुझे लगता है हम सब इस मशीन से हार चुके हैं। यह हमारी ताकत से बाहर है।”
तभी, अचानक विनोद सर का प्रवेश हुआ। वह कॉफी की खोज में आए थे, लेकिन देखा कि मशीन खामोश पड़ी थी और ऑफिस के सभी कर्मचारी उसके चारों ओर खड़े थे। उन्होंने देखा कि सभी कर्मचारी बहुत ही बेमन से मशीन को घेर कर खड़े हैं।
“क्या हुआ?” विनोद सर ने पूछा। “यह मशीन क्यों नहीं चल रही?”
“सर, यह मशीन बुरी तरह से टूट गई है,” रानी ने जवाब दिया। “लेकिन हमने सोचा है कि हम इसे ठीक करेंगे।”
“ठीक है, तो फिर इस मशीन को ठीक करने का काम मैं खुद करूंगा।” विनोद सर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा और बिना किसी और से सलाह लिए वह मशीन के पास पहुंचे।
विनोद सर को देखकर ऐसा लगा जैसे वह खुद एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हों। वह मशीन को खोलने लगे, और ऑफिस के सारे कर्मचारी उनका पीछा करते हुए खड़े हो गए। मशीन की अंदर की हालत देखने के बाद विनोद सर ने कहा, “यह तो बहुत जटिल मामला है। अगर हमें इसे ठीक करना है, तो कुछ खास पार्ट्स की जरूरत होगी।”
“पार्ट्स?” अर्विंद ने सिर खुजाते हुए पूछा। “कहाँ से आएंगे पार्ट्स?”
“तो फिर हम क्या करेंगे?” रानी ने चिंता करते हुए पूछा। “ऑफिस में काम तो चलता नहीं, अगर कॉफी की कमी हो गई तो।”
ग़ौरव ने अपने अंदाज में कहा, “हम तो मशीन की मरम्मत को इग्नोर करेंगे। बुरा क्या है अगर हमें थोड़े समय के लिए बिना कॉफी के रहना पड़े।”
रानी ने उसे घूरते हुए कहा, “तुम बहुत ही आलसी हो, ग़ौरव। बिना कॉफी के तुम कुछ भी नहीं कर सकते। मुझे तो लगता है कि तुम बिना अपनी चाय के बिना ऑफिस में काम भी नहीं कर सकते।”
ग़ौरव ने सिर हिलाया और कहा, “सच में, रानी, तुम बिलकुल सही कह रही हो। बिना कॉफी के मेरी दुनिया वीरान हो जाती है।”
अब तक, विनोद सर ने मशीन की मरम्मत शुरू कर दी थी। वह पूरी तन्मयता से उस पर काम कर रहे थे, जबकि बाकी सभी कर्मचारी इंतजार कर रहे थे कि क्या वह इस मशीन को ठीक कर पाएंगे। बीच-बीच में वह थोड़ा रुकते और किसी को भी अपनी बातों से खुश करने के लिए मुस्कराते हुए कहते, “थोड़ा और समय लगेगा, लेकिन हम इसे ठीक कर लेंगे।”
कुछ समय बाद, विनोद सर ने मशीन को ठीक कर लिया। उन्होंने बड़ी गर्व से कहा, “देखो, अब यह काम कर रहा है!”
“वाह, सर, आप तो सच में जादूगर हैं!” रानी ने खुशी से कहा। “आपने हमारी कॉफी मशीन को फिर से जिंदा कर दिया!”
“तुम लोग भी कभी-कभी बहुत ज्यादा उत्साहित हो जाते हो,” विनोद सर ने मुस्कराते हुए कहा, “लेकिन मैं खुश हूं कि मशीन ठीक हो गई। अब सब लोग आराम से अपनी कॉफी का मजा ले सकते हैं।”
ऑफिस में सब लोग खुशी से अपनी कॉफी लेने के लिए खड़े हो गए, और अर्विंद ने एक गहरी सांस ली। “इस दिन के बाद,” उसने कहा, “कोई भी समस्या छोटी नहीं होगी।”
“बिलकुल!” रानी ने कहा, “कोई भी मुसीबत आए, हम सब उसे मिलकर हल कर लेंगे।”
और इस तरह, Hopeful Hearts में कॉफी मशीन के पुनर्जीवन के साथ ही सबकुछ ठीक हो गया। अब तक ऑफिस का माहौल फिर से खुशहाल था, लेकिन कौन जानता था कि अगले ही दिन एक नई समस्या सामने आ जाएगी।
फॅक्स आपदा
ऑफिस में एक नई हलचल आ गई थी। कॉफी मशीन की बहाली के बाद, सब कुछ ठीक-ठाक लग रहा था, लेकिन यह कोई स्थिर स्थिति नहीं थी। क्या ऑफिस में काम करना कभी आसान हो सकता था? खासकर जब ग़ौरव जैसे कर्मचारी हों जो हमेशा नए तरीके से समस्याएं उत्पन्न करने का कोई न कोई तरीका ढूंढ लेते हैं।
आज ऑफिस में एक नया संकट आ खड़ा हुआ था—फॅक्स मशीन का संकट। यह मशीन, जो सामान्यत: किसी काम का नहीं था, आज अचानक से काम करने लगी थी। लेकिन एक बार फिर, ग़ौरव की आलसी आदतों ने उसे मुश्किल में डाल दिया था।
अर्विंद अपने डेस्क पर बैठा हुआ था और एक रिपोर्ट तैयार कर रहा था, जब अचानक ग़ौरव उसके पास आया और बोला, “यार, अर्विंद, ये फॅक्स मशीन का क्या हाल है? पूरी रिपोर्ट की कॉपी भेजनी है विनोद सर को और मशीन जाम पड़ी है!”
“क्या?” अर्विंद ने चौंकते हुए कहा, “फॅक्स मशीन तो ठीक है, मैंने तो कल चेक किया था।”
“क्या पता?” ग़ौरव ने जवाब दिया, “शायद मैं कुछ जादा कर रहा था। अब देखो, बटन दबाया और मशीन चुप हो गई।”
अर्विंद ने सिर झुका लिया। “ग़ौरव, क्या तुमने फिर से किसी फॅक्स को गलत नंबर पर भेज दिया?” उसने उम्मीद के साथ पूछा।
“नहीं, नहीं! मैंने इस बार कुछ सोचा और सही जगह भेजा था,” ग़ौरव ने कहा, “लेकिन अब फॅक्स मशीन तो इस हालत में है कि…अच्छा, अब देखो।”
अर्विंद मशीन की तरफ बढ़ा और देखा कि मशीन पर ‘SEND ERROR’ लिखा था। वह मशीन को घूरते हुए बोला, “ग़ौरव, तुमने फिर से क्या किया?”
“मैंने तो बस एक रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन शायद ग़लत नंबर में डाल दिया। अब तो… लगता है पूरी ऑफिस का सिस्टम खत्म कर दिया है!” ग़ौरव ने खुद को कोसते हुए कहा।
“तुम फिर से किसी काम को बिगाड़ने में माहिर हो!” अर्विंद ने ग़ुस्से में कहा। “हमें तो नहीं पता था कि फॅक्स मशीन इतनी हलचल पैदा कर सकती है!”
सभी कर्मचारी एक-एक करके पास आ गए और मशीन के पास खड़े हो गए। अब मशीन ने एक नॉन-स्टॉप ‘SENDING’ सिग्नल देना शुरू कर दिया था। रानी ने मशीन को घेरते हुए कहा, “क्या यह मशीन किसी को फॅक्स भेजने के बजाय हम सभी के सामने एक नया तमाशा बनाना चाहती है?”
मीराकी, जो हमेशा हर परेशानी को एक ठंडे दिल से देखती थी, बोली, “हमने तो इस फॅक्स को उस नंबर पर भेज दिया है, अब क्या हमें उस नंबर तक पहुंचने की जरूरत है?”
“क्या तुम सच में यह नहीं समझ पा रहे हो?” अर्विंद ने उसे ग़ौरव की गलती को लेकर समझाया, “ग़ौरव ने फॅक्स को एक ऐसे नंबर पर भेज दिया है जिसे उसे नहीं भेजना था। अब वह नंबर किसी विदेशी कंपनी का हो सकता है।”
“क्या?” रानी ने कहा, “कहीं यह कोई खुफिया कंपनी का फॅक्स तो नहीं गया?”
“क्या?” ग़ौरव चौंका, “नहीं, नहीं। मैंने तो बस किसी को रिपोर्ट भेजी थी, और वह किसी भी महत्वपूर्ण जगह पर नहीं जाएगी।”
अर्विंद ने अपनी आँखों से ग़ौरव को घूरते हुए कहा, “ग़ौरव, तुम कभी कुछ ठीक से करते हो?”
ग़ौरव ने मुस्कराते हुए कहा, “अरे, क्या होगा अगर फॅक्स किसी दूसरी कंपनी को चला गया है? हम तो इस फॅक्स से जरा भी परेशान नहीं हैं।”
लेकिन यह समस्या केवल ग़ौरव की गलती नहीं थी। इस फॅक्स के कारण पूरी ऑफिस में गड़बड़ हो गई थी। अर्विंद को यह चिंता सता रही थी कि इस ग़लत फॅक्स के कारण कहीं कंपनी का नाम खराब न हो जाए।
तभी अचानक विनोद सर का आना हुआ। उन्होंने देखा कि पूरी ऑफिस एक घेराबंदी में खड़ी थी, और यह सब देखकर वे सीधे ग़ौरव की तरफ बढ़े।
“क्या चल रहा है?” विनोद सर ने पूछा।
“विनोद सर,” अर्विंद ने कहकर सारा मामला बताया, “ग़ौरव ने फॅक्स भेजा था और वह गलत नंबर पर चला गया है। अब हम नहीं जानते कि यह कहाँ गया है।”
“तो इसका मतलब?” विनोद सर ने पूछा।
“यह कोई विदेशी कंपनी का फॅक्स हो सकता है,” रानी ने कहा। “शायद हमें उस कंपनी से संपर्क करना चाहिए।”
“क्या?” ग़ौरव चौंका। “नहीं, नहीं, यह कुछ बड़ा नहीं हुआ है। यह तो सिर्फ एक रिपोर्ट थी जो किसी दूसरे नंबर पर चली गई।”
विनोद सर ने अपनी चश्मा ठीक किया और फिर गंभीरता से कहा, “देखो, इस तरह के अनावश्यक मुद्दे न बनने दो। अब तुम लोग इस फॅक्स को ढूंढने के बजाय इसे शांति से हल करो। क्या तुम सब इसे सुलझा सकते हो?”
ग़ौरव, जो अपनी गलती से थोड़ा घबराया हुआ था, बोला, “हाँ, सर, हम इसे ठीक कर देंगे।”
यह कहकर उसने अपने मोबाइल से उस नंबर को ट्रैक करना शुरू किया, जहां फॅक्स भेजा गया था। थोड़ी देर बाद ग़ौरव ने बताया, “मैंने उस नंबर से बात की और उनका कहना है कि यह सिर्फ एक साधारण फॅक्स था।”
“क्या?” अर्विंद चौंका। “यह तो अच्छे से हल हो गया!”
“जी हां,” ग़ौरव ने मुस्कराते हुए कहा, “अब हमें और किसी से डरने की जरूरत नहीं।”
फॅक्स के इस गड़बड़ के बाद ऑफिस में कुछ समय के लिए शांति लौट आई। सभी कर्मचारी यह सोचने लगे कि अगर ग़ौरव फिर से कुछ गलती करता है तो वे क्या करेंगे। लेकिन इसी बीच एक और नई समस्या उनके सामने आ सकती थी। कौन जानता था?
अनचाहा आगंतुक
ऑफिस में एक अजीब सा शांति का माहौल था। सभी कर्मचारी अपनी-अपनी जगह पर काम में व्यस्त थे, किसी ने नहीं सोचा था कि अगला संकट क्या होगा। लेकिन तभी अचानक ऑफिस के दरवाजे पर एक अजनबी व्यक्ति ने दस्तक दी, और एक नया हंगामा खड़ा हो गया।
यह आदमी बिल्कुल साधारण दिखने वाला था, लेकिन उसकी आँखों में कुछ अलग ही बात थी। वह सटीक समय पर ऑफिस में आया, जब सब कुछ शांति से चल रहा था। जब उसने दरवाजा खोला, तो रानी ने तुरंत उसे देखा और एक उत्सुकता से पूछा, “क्या आप हमारी कंपनी के किसी ग्राहक हैं?”
आदमी ने मुस्कराते हुए सिर झुकाया और कहा, “नहीं, मैं एक जरूरी व्यक्ति हूँ। मुझे आपसे कुछ बात करनी है।”
“आपसे?” रानी ने अपनी चश्मा ठीक करते हुए कहा, “आप कौन हैं और आपको क्या चाहिए?”
आदमी ने जवाब दिया, “मुझे अर्विंद से मिलना है। क्या वह मौजूद हैं?”
रानी ने इशारे से अर्विंद को बुलाया, जो अपनी डेस्क पर बैठा हुआ था। अर्विंद को देखते ही वह आदमी उसकी तरफ बढ़ा।
“क्या बात है?” अर्विंद ने हैरान होकर पूछा, “क्या आपको किसी से मिलना है?”
आदमी ने सीधे अर्विंद की आँखों में देखा और बोला, “मैं आपकी कंपनी का सबसे महत्वपूर्ण ग्राहक हूँ।”
“क्या?” अर्विंद को पहले तो कुछ समझ नहीं आया। “क्या आप सच में हमारी कंपनी के ग्राहक हैं?”
“हाँ, बिल्कुल,” आदमी ने कहा, “मुझे यह ऑफिस बहुत पसंद आया, और मैंने आपके काम की बहुत सराहना की है। मैं यहाँ आपके लिए एक विशेष काम लेकर आया हूँ।”
“लेकिन…” अर्विंद अब भी उलझा हुआ था, “आपने हमें बताया क्यों नहीं कि आप कौन हैं और यह विशेष काम क्या है?”
“बस, इस ऑफिस में आकर आपको सब कुछ समझा दूंगा।” आदमी ने मुस्कराते हुए कहा और अर्विंद की तरफ बढ़ा। “आपका काम बहुत अच्छा है, और मुझे उम्मीद है कि हम साथ में कुछ बड़ा करेंगे।”
अर्विंद ने ग़ौरव और मीराकी की तरफ देखा, जो अब तक इस पूरी स्थिति को देख रहे थे। उन्हें भी यह आदमी थोड़ा संदिग्ध लग रहा था।
“क्या आप सच में हमें बता सकते हैं कि आप कौन हैं?” मीराकी ने सावधानी से पूछा। “हमारे पास बहुत सारी मीटिंग्स और प्रोजेक्ट्स हैं, इसलिए हमें यह जानना ज़रूरी है।”
आदमी ने मुस्कराते हुए कहा, “मुझे बहुत खेद है, मुझे अपना नाम नहीं बताना चाहिए था। मेरा नाम राहुल है, और मैं एक बड़े कॉर्पोरेट इंवेस्टर का प्रतिनिधि हूँ।”
“अच्छा!” अर्विंद ने हैरान होते हुए कहा, “आप एक इंवेस्टर हैं? तो फिर, क्या आप हमसे कुछ बात करना चाहते हैं?”
राहुल ने अपनी पोशाक ठीक करते हुए कहा, “हाँ, बिल्कुल। मैं चाहता हूँ कि हम एक साथ एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करें। आपके ऑफिस को मैं काफी पसंद करता हूँ, और मुझे लगता है कि हम इस पर बहुत काम कर सकते हैं।”
अब तक अर्विंद और मीराकी दोनों पूरी तरह से उलझ चुके थे। क्या यह आदमी सच में एक बड़ा निवेशक था, या फिर वह किसी और उद्देश्य से आया था?
रानी, जो पहले से ही किसी नई परियोजना को लेकर उत्साहित थी, बोल पड़ी, “क्या आप हमसे कोई प्रोजेक्ट लेकर आए हैं? क्या हम कुछ नया करने जा रहे हैं?”
राहुल ने मुस्कराते हुए कहा, “बिलकुल, हम एक नया प्रोजेक्ट शुरू करेंगे, और आपके काम के लिए मैं पर्याप्त निवेश करूंगा।”
अर्विंद ने थोड़ी देर सोचा और फिर राहुल से पूछा, “क्या आप सच में इस ऑफिस के बारे में कुछ जानते हैं? हमें समझ में नहीं आ रहा कि यह प्रोजेक्ट क्या हो सकता है।”
राहुल ने फिर से मुस्कराते हुए कहा, “आपके काम को देखकर मुझे लगा कि आप लोग हर समस्या का हल निकालने में सक्षम हैं। मैं चाहता हूँ कि हम साथ मिलकर कुछ नया शुरू करें।”
“क्या?” ग़ौरव ने चौंकते हुए पूछा, “आप सच में हमारी कंपनी के साथ जुड़ने की सोच रहे हैं?”
राहुल ने हंसी के साथ कहा, “हाँ, और मैं चाह रहा हूँ कि आप लोग मुझे दिखाएं कि आप किस तरह से अपने काम को बेहतर बना सकते हैं। मैं आपको अपनी कंपनी का हिस्सा बनाना चाहता हूँ।”
लेकिन इसके बाद एक और उलझन सामने आ गई। राहुल की बातों में कुछ ऐसा था जो अर्विंद को बिल्कुल समझ में नहीं आया। क्या वह सच में कोई बड़ा इंवेस्टर था, या फिर यह कोई शरारत थी?
अर्विंद ने एक पल के लिए सोचा और फिर कहा, “राहुल, अगर आप सच में हमारे साथ काम करना चाहते हैं, तो हमें और जानकारी चाहिए होगी। हमें यह जानने की जरूरत है कि आप किस प्रकार के निवेश की बात कर रहे हैं।”
राहुल ने बिना हिचकिचाए कहा, “आपको यह सब जल्द ही समझ में आ जाएगा। मैं चाहता हूँ कि आप लोग मुझे अपना प्रस्ताव दें। मैं आपके साथ काम करने के लिए तैयार हूँ।”
अब तक, सभी ऑफिस कर्मचारी एक दूसरे को देख रहे थे, समझ नहीं पा रहे थे कि यह आदमी कौन था और क्या वह सच में कोई मदद कर सकता है। रानी ने कहा, “क्या हमें इसे ऑफिस में और समय देना चाहिए, या फिर इसे जाने देना चाहिए?”
अर्विंद ने ग़ौरव और मीराकी की तरफ देखा, फिर राहुल की ओर मुड़ते हुए कहा, “ठीक है, हम आपके प्रस्ताव को गंभीरता से लेंगे। लेकिन पहले हमें कुछ समय चाहिए।”
राहुल मुस्कराते हुए बोला, “बिलकुल, मैं समझता हूँ। आप लोग जल्द ही मेरे साथ संपर्क करेंगे। धन्यवाद!”
यह कहकर राहुल बिना किसी और सूचना के ऑफिस से बाहर चला गया। सभी कर्मचारी अब एक दूसरे को देखकर सिर झुका रहे थे, यह सोचते हुए कि क्या यह आदमी वास्तव में कोई बड़ा निवेशक था, या फिर वह कोई फर्जी व्यक्ति था।
कंफ्रेंस कॉल की अराजकता
ऑफिस में एक नई हलचल शुरू हो गई थी। पिछले कुछ दिनों से Hopeful Hearts का माहौल हल्का-फुल्का था, लेकिन अब एक और संकट सामने था, और वह संकट था—कंफ्रेंस कॉल!
सभी कर्मचारियों ने पहले तो यह सुना था कि विनोद सर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कंफ्रेंस कॉल की योजना बना रहे थे। यह कॉल एक बड़े विदेशी क्लाइंट से होने वाली थी और किसी भी कीमत पर यह कॉल सही से होनी चाहिए थी। लेकिन जैसे ही अर्विंद को पता चला कि वह कॉल में शामिल होने वाला था, उसका दिल धड़कने लगा। उसका इंटर्नल सिस्टम पूरी तरह से घबराया हुआ था, और उसका मन कर रहा था कि वह इस कॉल को कहीं से भी काट दे।
रानी, जो हमेशा किसी न किसी आयोजन को लेकर उत्साहित रहती थी, उसे यह सुनकर बहुत खुशी हुई। “अरे वाह! अब तो हमें सही में कोई ज़रूरी कॉल करनी है। देखो, हम सब कंफ्रेंस कॉल के दौरान क्या नहीं करेंगे!” उसने उत्साह से कहा।
“क्या तुम समझ रही हो?” मीराकी ने चुटकी लेते हुए कहा, “तुम अगर सही से सुनने बैठी तो शायद कॉल का कोई फायदा हो!”
रानी ने हंसी मजाक में कहा, “क्या? मैं तो बस सोच रही थी कि शायद इस बार कुछ तो नया होगा!”
ग़ौरव ने अपनी चाय का कप थामते हुए कहा, “कंफ्रेंस कॉल के बारे में बात मत करो। मुझे तो नहीं लगता कि इस ऑफिस में कोई सही से कॉल कर पाता है। जो लोग टेक्नोलॉजी का नाम लेते हैं, वो खुद ही धोखा खा जाते हैं!”
सभी कर्मचारी हंसी में डूब गए, लेकिन अब विनोद सर का सख्त आदेश था कि यह कॉल ठीक से हो, और कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए। “अर्विंद!” विनोद सर ने अपने केबिन से बुलाया, “तुम ही इसे देखो। हम सबको कॉल में भाग लेना है। क्या तुम इसकी तैयारी कर रहे हो?”
अर्विंद ने थोडा घबराकर कहा, “सर, मैं पूरी कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन इसमें कुछ तकनीकी मुद्दे हो सकते हैं। हम यह सब कैसे संभालेंगे?”
विनोद सर मुस्कराए और कहा, “कोई बात नहीं। तुम्हारे ऊपर पूरा विश्वास है।” फिर उन्होंने अर्विंद को कुछ निर्देश दिए, और अर्विंद ने काम करना शुरू किया।
कंफ्रेंस कॉल का समय जैसे-जैसे पास आता गया, अर्विंद को और घबराहट होने लगी। वह बैठकर अपने कंप्यूटर के सामने सही से कॉल कनेक्ट करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तकनीकी समस्याओं ने उसका पीछा छोड़ने का नाम नहीं लिया।
“क्या तुम कनेक्ट हो पाए?” रानी ने अर्विंद से पूछा, जो अपनी स्क्रीन पर झुका हुआ था।
“नहीं, यह नेटवर्क की समस्या है,” अर्विंद ने जवाब दिया, “कनेक्शन बार-बार कट जा रहा है।”
ग़ौरव, जो हमेशा किसी परेशानी में उलझने की बजाय शांति से बैठना पसंद करता था, ने कहा, “अरे, यह तो गड़बड़ हो रही है। हम कभी नहीं कर पाएंगे यह कॉल!”
इस बीच, मीराकी ने अपनी चाय का कप रखते हुए कहा, “तुम लोग तो बड़े अजीब हो। तुम अगर थोड़ा धैर्य रखो तो कनेक्शन ठीक हो जाएगा। तुम सब तो बिन बात के घबराए जा रहे हो।”
कंफ्रेंस कॉल शुरू होने में बस कुछ मिनट बाकी थे, और अर्विंद ने फौरन एक बार फिर से इंटरनेट कनेक्शन चेक किया। लेकिन यह कोई साधारण काम नहीं था। एक बार फिर नेटवर्क पूरी तरह से डाउन हो गया था।
“क्या करें?” अर्विंद ने चिढ़ते हुए कहा, “कुछ समझ नहीं आ रहा। कॉल समय से पहले ही कट जाएगी!”
तभी, अचानक विनोद सर का कॉल आया। “अर्विंद, क्या हो रहा है? तुम लोग किस्मत का खेल खेलने में लगे हो या कॉल में शामिल हो पाओगे?”
अर्विंद ने झेंपते हुए कहा, “सर, नेटवर्क से कोई समस्या आ रही है। हम कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है।”
“क्या?” विनोद सर चौंक गए। “अगर कंफ्रेंस कॉल समय पर नहीं हुई, तो फिर क्या होगा? तुम तो जानते हो कि यह हमारी सबसे महत्वपूर्ण मीटिंग है!”
“सर, हम… हम और कोशिश करेंगे,” अर्विंद ने जल्दी से कहा, “बस थोड़ा और समय दीजिए।”
इस बीच, रानी ने कहा, “मुझे लगता है कि हमें कुछ अन्य उपाय अपनाने चाहिए। क्या हम ज़रा डिवाइस को रीस्टार्ट करने की कोशिश करें?”
ग़ौरव ने हंसी मजाक में कहा, “क्या तुम रीस्टार्ट करके ये सब ठीक करने की सोच रही हो? लगता है कि इस ऑफिस को कोई बचा नहीं सकता!”
विनोद सर ने अब तक चिंता जताते हुए कहा, “देखो, जल्दी करो! मैं अब कॉल से जुड़ रहा हूँ। हमें इसमें कोई देरी नहीं करनी चाहिए।”
अर्विंद घबराए हुए थे, लेकिन उन्होंने एक आखिरी बार कंप्यूटर को रीस्टार्ट किया। और जैसे ही मशीन ने दोबारा काम करना शुरू किया, अर्विंद ने फौरन कंफ्रेंस कॉल कनेक्ट किया।
“क्या हुआ?” रानी ने पूछा, “क्या कॉल हो रही है?”
अर्विंद ने खुशी से कहा, “हाँ, अब हो रही है! अब हम कंफ्रेंस कॉल में शामिल हो गए हैं।”
सभी लोग राहत की सांस लेते हुए कॉल में जुड़ गए। विनोद सर भी कॉल से जुड़े थे, और क्लाइंट से बातचीत शुरू हो चुकी थी। लेकिन जैसे ही बातचीत शुरू हुई, अर्विंद ने अचानक देखा कि ग़ौरव ने अपनी चाय का कप उधर से ही गिरा दिया था, और उसका सारा ध्यान चाय की चिपचिपी स्थिति पर था।
“ग़ौरव, क्या तुम गड़बड़ कर रहे हो?” अर्विंद ने झुंझलाते हुए कहा। “तुम तो ऐसे लग रहे हो जैसे किसी फिल्म के सीन में हो!”
ग़ौरव ने हंसी में कहा, “क्या करूँ, मैं तो बस एक चाय प्रेमी हूँ!”
इस बीच, रानी ने शांत स्वर में कहा, “आखिरकार, सब कुछ ठीक हो गया।”
कंफ्रेंस कॉल के दौरान कोई और समस्या नहीं आई, और सभी ने चैन की सांस ली। क्लाइंट से सफल बैठक के बाद, विनोद सर ने खुशी जताते हुए कहा, “हमने यह कॉल बिना किसी समस्या के पूरी की। अब तो हम सब शांत हो सकते हैं।”
लेकिन तभी, ग़ौरव ने कहा, “सर, अगली बार अगर कॉल हो तो मुझे अपनी चाय को दूर रखना पड़ेगा, वरना हर बार यही होगा।”
सभी हंसी में डूब गए, और अर्विंद ने कहा, “अब लगता है कि हम किसी समस्या से बचने के बजाय नई समस्याओं में उलझने का रास्ता अपनाएंगे!”
ऑफिस रिट्रीट
ऑफिस में कुछ समय के लिए शांति का माहौल था, लेकिन हर किसी को पता था कि यह शांति सिर्फ एक छोटे से तूफान के बाद थी। अर्विंद, जो अब तक हर समस्या से जूझते हुए ऑफिस के कामकाजी माहौल को संभाल रहा था, अब एक और बड़ी जिम्मेदारी से जूझने वाला था। और यह जिम्मेदारी थी—ऑफिस रिट्रीट!
विनोद सर ने ऐलान किया था कि टीम को एक ऑफिस रिट्रीट पर भेजा जाएगा ताकि सभी कर्मचारियों के बीच में सहयोग और टीमवर्क बढ़ सके। हालांकि, इस निर्णय का स्वागत करने वाले कर्मचारियों की संख्या बहुत कम थी। रानी, जो हमेशा किसी न किसी इवेंट के लिए तैयार रहती थी, वह इस प्रस्ताव से पूरी तरह से उत्साहित थी। “यह तो शानदार है!” उसने खुश होकर कहा, “हम सब एक साथ कुछ समय बिता सकते हैं और कुछ नए अनुभव ले सकते हैं!”
“क्या?” ग़ौरव ने सिर झुकाते हुए कहा, “अब हम सबको एक साथ जंगल में भेज दिया जाएगा?”
“जंगल?” अर्विंद ने चौंकते हुए कहा, “तुम्हें क्या लगता है कि यह रिट्रीट कोई एडवेंचर है?”
“अरे, क्या पता!” ग़ौरव ने कहा, “मुझे तो लगता है कि यह सब कुछ मजेदार होने के बजाय किसी हादसे की ओर बढ़ने वाला है।”
मीराकी, जो अब तक इस सबको चुपचाप देख रही थी, बोली, “ग़ौरव, तुम हमेशा ऐसा क्यों सोचते हो? कभी तो सकारात्मक सोचने की कोशिश करो।”
रानी ने सभी को उत्साहित करते हुए कहा, “चलो, सब लोग तैयार हो जाओ! यह रिट्रीट हमारे ऑफिस की समस्याओं को खत्म कर देगा!”
कुछ दिन बाद, ऑफिस रिट्रीट के दिन की शुरुआत हुई। कर्मचारी सुबह-सुबह ऑफिस पहुंचे और बस में बैठने के लिए तैयार हो गए। ग़ौरव ने देखा कि सभी लोग एक-एक करके अपनी सीट पर बैठने लगे थे। उसने अपनी सीट पर बैठते हुए कहा, “इस रिट्रीट में कितने हादसे हो सकते हैं, यह सोच कर मुझे डर लग रहा है!”
रानी ने उसकी तरफ मुंह करके कहा, “ग़ौरव, तुम्हारी हर बात में कुछ न कुछ नया अजनबी डर होता है।”
बस ने ऑफिस को छोड़ते हुए रिट्रीट स्थल की ओर रुख किया। रास्ते में अर्विंद और मीराकी ने बीच-बीच में बातें की, जबकि ग़ौरव चुपचाप अपनी सीट पर बैठा रहा। वह कुछ न कुछ सोचने में व्यस्त था, जैसे कि किसी तूफान के आने का इंतजार कर रहा हो।
“क्या तुम लोग समझते हो कि हमें अच्छा समय मिलेगा?” अर्विंद ने मीराकी से पूछा।
मीराकी ने मुस्कराते हुए कहा, “अगर सब ठीक रहा, तो हाँ। लेकिन ऑफिस के लोग जब तक अपना पूरा मस्ती का जोश दिखाएंगे, तब तक कुछ न कुछ जरूर होगा।”
रानी ने उत्साह में कहा, “हमारे पास नए अनुभव और खुशियाँ हैं, बस हमें डरना नहीं चाहिए!”
रिट्रीट स्थल पहुंचते ही सब लोग हलचल में आ गए। यह एक खूबसूरत हिल स्टेशन था, जहां बर्फीले पहाड़, घने जंगल और ताजगी से भरी हवा थी। हालांकि रानी ने जैसे ही देखा कि वहाँ की कुछ सादगी के बावजूद पूरे परिसर में कोई खास ऐलान नहीं किया गया, वह थोड़ी चौंकी।
“यह क्या जगह है?” रानी ने हड़बड़ी से पूछा। “यह तो बिल्कुल भी वैसा नहीं है जैसा मैंने सोचा था।”
“क्या उम्मीद थी तुम्हें?” मीराकी ने कहा। “यह कोई लग्जरी होटल नहीं है।”
“लेकिन यह तो कुछ खास नहीं दिखता!” रानी ने कहा, “क्या हमें कहीं और जाना चाहिए था?”
अर्विंद ने हल्के से कहा, “यहाँ आकर काम नहीं करने का मजा है। हम सभी को यहाँ कुछ समय का विश्राम मिल सकता है।”
विनोद सर ने सभी को इकट्ठा करते हुए कहा, “यहाँ सबको अपना ध्यान केंद्रित करना है। हम सब को कुछ टीम एक्टिविटी करने हैं। यह सब एक साथ करने से हमारी टीम को और मज़बूती मिलेगी।”
जैसे ही एक्टिविटी शुरू हुई, ग़ौरव ने सबका ध्यान खींच लिया। वह हमेशा की तरह किसी भी कार्य से बचने के लिए बहाने बनाने में माहिर था। लेकिन इस बार, उसे अपने डर से बाहर निकलना पड़ा।
“अर्विंद, क्या तुम समझते हो कि मैं यह कर सकता हूँ?” ग़ौरव ने घबराकर पूछा।
अर्विंद ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम क्या कुछ नहीं कर सकते? बस कोशिश करो।”
“क्या तुम्हें लगता है कि मैं एक टीम एक्टिविटी कर पाऊँगा?” ग़ौरव ने पूछा, “कहीं ऐसा न हो कि मैं इस बार फिर से गड़बड़ कर दूं।”
विनोद सर ने देखा कि सब लोग एक साथ एक्टिविटी करने के लिए तैयार हैं, तो उन्होंने कहा, “चलो, आज हम एक खेल खेलेंगे, जहां हम सब को टीम बनाकर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना होगा। इस खेल में सबको अपना हुनर दिखाना होगा।”
ग़ौरव को यह सुनकर और भी घबराहट हुई। उसने अपने दोस्तों से कहा, “क्या हमें सच में ये सब करना चाहिए?”
रानी ने हंसी में कहा, “अब तो तुमको करना ही होगा!”
जैसे ही खेल की शुरुआत हुई, सब लोग मैदान में पहुँच गए। ग़ौरव, जो खुद को कभी किसी खेल में भागीदार नहीं मानता था, अब एक टीम में था। सब लोग खुशी-खुशी अपनी टीमों को लेकर खेल में लगे हुए थे।
खेल की शुरुआत होते ही सबको अपनी-अपनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ग़ौरव ने खुद को हर बार किसी ना किसी परेशानी में पाया, लेकिन जब उसकी टीम ने उसे उत्साहित किया, तो वह खुद को थोड़ा मजबूत महसूस करने लगा।
कुछ समय बाद, सबने देखा कि ग़ौरव ने अपनी टीम के लिए एक बड़ा कदम उठाया। उसने अपना डर जीत लिया और सबको दिखाया कि वह भी किसी से कम नहीं है।
“देखा?” रानी ने मीराकी से कहा, “ग़ौरव ने तो कमाल कर दिया!”
मीराकी ने मुस्कराते हुए कहा, “अब कोई उसे घबराया हुआ नहीं कह सकता!”
दिन खत्म होने के बाद, सभी कर्मचारियों ने एक साथ बैठकर देर रात तक बात की और हंसी मजाक में बिताया। रिट्रीट ने ऑफिस की टीम को एक साथ जोड़ा, और सभी को यह महसूस हुआ कि उनके बीच की तालमेल और भी मजबूत हो सकती है।
प्रस्ताव का फियास्को
ऑफिस रिट्रीट के बाद सभी कर्मचारी थोड़े हलके-फुल्के हो गए थे, और उनके बीच का सामंजस्य पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो चुका था। ग़ौरव, जो पहले किसी भी टीम एक्टिविटी से बचता था, अब खुद को और अपने साथियों को एक नई रोशनी में देख रहा था। उसकी शंकाएँ कम हो गईं थीं, और अब वह ऑफिस के कामों में ज्यादा उत्साही था। रानी, जो हमेशा कुछ ना कुछ आयोजन करती रहती थी, अब सोच रही थी कि अगला कदम क्या होगा।
लेकिन अर्विंद को इस शांति का फायदा उठाने का एक और तरीका सूझा। उसे लगा कि यह सही समय है, जब वह अपने दिल की बात मीराकी से कह सके। हालाँकि, अर्विंद को मीराकी से अपने दिल की बात कहने में बहुत समय लग गया था, और वह लगातार अपने मन में ये सोचता रहा कि कैसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करे। वह जानता था कि रिट्रीट के बाद ऑफिस के माहौल में थोड़ी सी बदलापरिवर्तन आई है, तो अब क्या वो खुद को उस बदलाव का हिस्सा बना पाएगा?
लेकिन अर्विंद को पता नहीं था कि उसका यह प्रस्ताव एक बड़े फियास्को में बदलने वाला था।
एक दिन, जब ऑफिस में सन्नाटा था और बाकी कर्मचारी अपने-अपने काम में व्यस्त थे, अर्विंद ने तय किया कि अब उसे मीराकी से बात करनी ही चाहिए। उसने रानी से थोड़ी मदद ली और फिर मीराकी को लंच ब्रेक के बाद एक मीटिंग में बुलाया।
“क्या बात है?” मीराकी ने अर्विंद से पूछा, जब वे दोनों एकांत में बैठे थे। “तुम काफी गंभीर क्यों लग रहे हो?”
“कुछ नहीं,” अर्विंद ने हल्का सा मुस्कराते हुए कहा, “बस, कुछ बात करनी थी।”
“क्या बात?” मीराकी ने पूछा, उसकी आवाज में हल्की उत्सुकता थी।
अर्विंद ने गहरी सांस ली और धीरे-धीरे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना शुरू किया, “मीराकी, तुम जानती हो कि इस ऑफिस में रहते हुए मैंने बहुत कुछ सीखा है। हम सब मिलकर क्या कुछ कर सकते हैं, और एक-दूसरे की मदद करने में हम कितने अच्छे हैं। मैं भी यह सोच रहा था कि हम दोनों के बीच एक और रिश्ता हो सकता है।”
मीराकी ने अर्विंद की बातों को गौर से सुना और फिर उसने मुस्कराते हुए कहा, “अर्विंद, तुम्हें लगता है कि यही वक्त है यह सब कहने का?”
अर्विंद ने थोड़ी घबराहट के साथ कहा, “मुझे लगता है कि हम एक-दूसरे को समझते हैं, और मुझे लगता है कि तुम भी मुझसे कुछ खास महसूस करती हो।”
मीराकी ने फिर से चश्मे के ऊपर से उसे देखा और कहा, “क्या तुम गंभीर हो रहे हो, अर्विंद? तुम क्या वाकई सोचते हो कि हम इस ऑफिस के माहौल में ऐसा कुछ कर सकते हैं?”
अर्विंद को जैसे ही समझ में आया कि मीराकी की प्रतिक्रिया उतनी उत्साही नहीं थी जितनी वह उम्मीद कर रहा था, वह और घबराया हुआ महसूस करने लगा। उसने अपना सिर झुका लिया, और फिर बोला, “मुझे नहीं पता था कि तुम इसे इस तरह से देखोगी। शायद मैंने समय से पहले ही यह बात कह दी।”
इस बीच, रानी, जो इस पूरी स्थिति को देख रही थी, चुपचाप कमरे में आकर खड़ी हो गई। उसने अर्विंद को और मीराकी को एक दूसरे की ओर देखते हुए कहा, “तुम दोनों क्या कुछ खास चर्चा कर रहे हो?”
अर्विंद और मीराकी ने एक दूसरे को देखा और फिर अर्विंद ने कहा, “कुछ नहीं, बस थोड़ी देर के लिए विचार साझा कर रहा था।”
रानी ने हंसी में कहा, “तुम दोनों का चेहरा देखकर तो मुझे लगता है कि कोई बुरी बात हो गई है।”
अर्विंद ने मुस्कराते हुए कहा, “रानी, तुम कभी सही समय पर आती हो!”
“क्या तुम दोनों के बीच कोई रोमांटिक जाल है?” रानी ने मजाक करते हुए कहा।
“रानी, तुम क्या बात कर रही हो?” मीराकी ने हंसते हुए कहा, “यह सिर्फ अर्विंद का छोटा सा प्रस्ताव था, लेकिन लगता है कि मुझे इसे ठुकराना होगा।”
रानी ने हंसी में कहा, “अरे यार, तुम दोनों को भी! देखो, क्या मजा आ रहा है! तुम दोनों के बीच की समझ इतनी अच्छी है कि मुझे तो लगता है इसे मौका दिया जाना चाहिए।”
लेकिन अर्विंद के लिए यह स्थिति एक काफ़ी अप्रत्याशित थी। वह खुद को खोया हुआ महसूस कर रहा था। उसने सोचा था कि वह मीराकी से कुछ खास कह सकेगा, लेकिन अब यह पूरी तरह से एक मजाक में बदल गया था।
“रानी, तुम तो फिर से पूरी बात खराब कर देती हो!” अर्विंद ने मुस्कराते हुए कहा, “शायद मुझे अब मीराकी से बात नहीं करनी चाहिए।”
मीराकी ने अर्विंद को चिढ़ाते हुए कहा, “अब तुम सोच रहे हो कि क्या हम इसे एक मजाक बना दें?”
अर्विंद ने हल्के से कहा, “हाँ, लगता है कि अब इसे मजाक ही बना दिया जाएगा।”
इस बीच, रानी ने दोनों की बातों को सुनते हुए कहा, “तो क्या तुम दोनों को यह महसूस नहीं हो रहा कि कुछ खास हुआ है?”
अर्विंद ने सिर झुका लिया और कहा, “मुझे नहीं पता, रानी। शायद मैं बहुत जल्दी ही कुछ उम्मीदें लगा बैठा।”
मीराकी ने हंसते हुए कहा, “कोई बात नहीं, अर्विंद। हम दोनों को इस ऑफिस की तरह से काम करना अच्छा लगता है।”
यह कहते हुए मीराकी ने अपना चेहरा चिढ़ाते हुए अर्विंद से कहा, “तो क्या तुम अब अपनी गलती को सुधारने के बजाय इसे एक मजाक बना दोगे?”
अर्विंद ने घबराकर कहा, “मुझे नहीं पता था कि यह सब इतना बड़ा मुद्दा बन जाएगा।”
रानी ने हंसते हुए कहा, “तो तुम दोनों अब इससे ज्यादा अच्छा क्या कर सकते हो? इसे एक मजेदार और हल्की स्थिति बनाओ, ताकि सब इसे हंसी-खुशी देख सकें।”
अर्विंद और मीराकी ने एक-दूसरे को देखा और फिर यह महसूस किया कि शायद उनके बीच की यह हलकी बातचीत ही उनके बीच की सबसे बड़ी ताकत थी।
वार्षिक दिन की आपदा
ऑफिस में अब तक बहुत कुछ घट चुका था। कंफ्रेंस कॉल की अराजकता, कॉफी मशीन का संघर्ष, और ग़ौरव के अजीबोगरीब अंदाज़ से लेकर मीराकी और अर्विंद की प्रस्तावित दिलचस्प स्थिति तक, Hopeful Hearts ने सभी समस्याओं को बड़ी ही हलकी-फुल्की स्थिति में संभाल लिया था। लेकिन अब जो नया संकट आ खड़ा हुआ था, वह कुछ और ही था।
यह संकट था—वार्षिक दिन का आयोजन!
विनोद सर ने ऐलान किया था कि इस साल का वार्षिक दिन कुछ खास होगा, और इसमें कर्मचारियों की प्रतिभा को मंच पर लाकर उसे प्रदर्शित किया जाएगा। सभी को उम्मीद थी कि यह आयोजन बहुत ही शानदार और यादगार होगा, लेकिन जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहा था, समस्याएं बढ़ती जा रही थीं।
“तुम लोगों ने तैयारियां कैसे की हैं?” विनोद सर ने एक दिन सभी को इकट्ठा कर पूछा। “क्या हम इस बार सच में कोई अच्छा शो आयोजित कर पाएंगे?”
रानी, जो हमेशा इवेंट्स के लिए तैयार रहती थी, सबसे पहले बोली, “सर, हमने सब कुछ योजना के हिसाब से तैयार किया है। हम सभी को एक शानदार शो देंगे!”
“क्या?” अर्विंद ने चौंकते हुए कहा, “हमने तो अब तक कुछ भी तैयार नहीं किया है।”
ग़ौरव, जो हमेशा किसी आयोजन से बचने की कोशिश करता था, उसने मुँह चिढ़ाते हुए कहा, “अगर ये शो अच्छा हुआ, तो मुझे लगता है कि मुझे इससे बचने का एक और तरीका मिल जाएगा!”
“क्या?” रानी ने ग़ौरव को चिढ़ाते हुए कहा, “क्या तुम हमेशा दूसरों के साथ मजाक करते रहोगे?”
अर्विंद ने थोड़ा घबराते हुए कहा, “हमने तो कुछ भी तय नहीं किया। हम क्या करेंगे?”
रानी ने आश्वासन देते हुए कहा, “बिलकुल, सब कुछ प्लान के हिसाब से होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि यह सब अच्छे से होगा।”
“ठीक है,” विनोद सर ने कहा, “अब देखना है कि क्या यह सब तय किया हुआ आयोजन हमारी उम्मीदों पर खरा उतरता है।”
लेकिन जितना समय नजदीक आता गया, उतना ही आयोजन की स्थिति खराब होती चली गई। पहले तो रानी ने अपने उत्साह में बिना सोचे-समझे एक टैलेंट शो की योजना बनाई थी, जिसमें सभी कर्मचारियों को अपनी छिपी हुई प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने का अवसर दिया जाना था। लेकिन बाद में यह पता चला कि किसी के पास कोई खास प्रतिभा नहीं थी!
अर्विंद ने मीराकी से कहा, “क्या तुम सच में समझती हो कि यह आयोजन सफल होगा? हम सब इतने अजीब हैं कि हमें यह शो कैसे सही से करना चाहिए?”
मीराकी ने हंसी में कहा, “तुम तो हमेशा घबराते रहते हो! सब कुछ अच्छे से होगा।”
लेकिन जैसे ही दिन करीब आया, संगठन में और भी समस्याएं सामने आने लगीं। ग़ौरव ने, जो अब तक सभी तैयारियों में किसी न किसी बहाने से लापता था, अचानक से अपना नाम शो के लिए जोड़ लिया। “मैं भी कुछ खास कर सकता हूँ,” उसने कहा, “पर मैं इसे बड़े धूमधाम से करना चाहता हूँ।”
अर्विंद ने उसे देखकर कहा, “तुम? क्या तुम सच में अपने आपको स्टेज पर ले आ रहे हो?”
“हाँ, मैं। मुझे लगता है कि मुझे सबको दिखाना चाहिए कि मैं भी कुछ कर सकता हूँ!” ग़ौरव ने आत्मविश्वास से कहा।
दिन फिर से आया, और वार्षिक दिन की शाम आ पहुँची। ऑफिस में सभी तैयारियां चल रही थीं, लेकिन एक अजीब सी घबराहट भी थी। किसी को भी यह यकीन नहीं हो रहा था कि यह आयोजन सच में उतना अच्छा हो पाएगा जितना सोचा गया था।
“क्या तुम तैयार हो?” रानी ने मीराकी से पूछा, जबकि वह अपने बालों में कंघी कर रही थी। “यह शो अब सबको चौंका देगा!”
मीराकी ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम और तुम्हारा आत्मविश्वास!”
जब शो शुरू हुआ, तो पहले से ही सब कुछ अजीब सा होने लगा। सबसे पहले रानी ने डांस किया, लेकिन वह डांस कुछ ज्यादा ही तेजी से किया और वह गिर पड़ी। फिर ग़ौरव ने स्टेज पर अपनी स्केचिंग दिखाई, लेकिन अचानक से उसकी स्केच गुम हो गई। अब वो कुछ और ढूंढने में लगा था, जबकि दर्शक लोग हंसी से लोटपोट हो रहे थे।
“क्या हो रहा है?” अर्विंद ने मीराकी से पूछा, “क्या हम सच में इस शो से कुछ हासिल कर पाएंगे?”
मीराकी ने हंसी में कहा, “दिखो, सब मजे ले रहे हैं! क्या तुम इसे अपनी आँखों से नहीं देख सकते?”
“मैं तो इसे किसी तरह से खत्म होते हुए देख रहा हूँ!” अर्विंद ने घबराते हुए कहा, “अब क्या होगा?”
सभी के प्रदर्शन के बाद, अचानक से विनोद सर का वक्त आ गया। उन्होंने स्टेज पर आकर घोषणा की, “सभी ने शानदार प्रदर्शन किया है, और आज की रात हमारे लिए यादगार बनी है। हम सभी ने मिलकर यह शो एक साथ किया। अब, इस शो के बारे में ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है।”
लेकिन अचानक एक अजीब सा कुछ हुआ! जैसे ही विनोद सर ने अपने भाषण की शुरुआत की, मंच पर झूलते हुए एक बड़ा पर्दा गिरा और सब कुछ अंधेरे में छा गया। सब लोग डरकर इधर-उधर देखने लगे।
“क्या हो रहा है?” रानी ने घबराते हुए पूछा, “यह तो बहुत अजीब हो गया!”
ग़ौरव ने मुस्कराते हुए कहा, “क्या हम सच में इसे संभाल पाएंगे?”
आखिरकार, कुछ ही देर में लाइट्स वापस आ गईं और सबको समझ में आ गया कि यह सब एक मजाक था। विनोद सर ने सबको देखकर कहा, “कभी-कभी, जो हम सोचते हैं, वह नहीं होता। लेकिन क्या फर्क पड़ता है? सब मिलकर हंसी मजाक में अपनी मेहनत दिखा पाए!”
यह सुनकर सभी कर्मचारी मुस्कराए और एक-दूसरे से कहा, “कम से कम हम सब एक साथ थे!”
अब यह वार्षिक दिन ऑफिस की सबसे बड़ी आपदा के रूप में याद किया जाएगा, लेकिन सब कुछ ठंडा होने के बाद, सभी को महसूस हुआ कि इसने ऑफिस के माहौल को हल्का किया और टीम को एकजुट किया।
				
	

	


