Hindi - क्राइम कहानियाँ

डिलीवरी कोड

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बारिश की हल्की बूँदें बेंगलुरु की सड़कों पर नाचती हुई बह रही थीं। रात लगभग साढ़े बारह बज रहे थे और सड़कें दिनभर के ट्रैफिक के बाद अब शांत थीं, बस कहीं-कहीं गाड़ियों की हेडलाइट्स और चाय की दुकानों की मद्धम रोशनी दिख रही थी। आर्यन मल्होत्रा अपनी पुरानी लेकिन भरोसेमंद स्कूटी पर सवार, एक आख़िरी डिलीवरी करने के इरादे से निकला था। उसके फोन की स्क्रीन पर फ़ूड डिलीवरी ऐप खुला था, और ऊपर से आती बारिश की बूंदें स्क्रीन पर गिरकर फैल रही थीं। तभी अचानक ऐप की लाइट थीम धीरे-धीरे काली हो गई—जैसे किसी ने अंदर से स्विच बदल दिया हो। स्क्रीन पर “डार्क मोड एक्टिवेटेड” का मैसेज आया, लेकिन यह फीचर आर्यन ने कभी इस्तेमाल नहीं किया था। वह थोड़ा हैरान हुआ, लेकिन उसने सोचा कि शायद कंपनी ने कोई नया अपडेट किया होगा। पर अगले ही पल, उसके सामने मेन्यू लिस्ट उभरी, जिसमें न तो बर्गर था, न पिज़्ज़ा, न बिरयानी—बल्कि अजीब नाम वाली डिशें थीं। पहली डिश के नाम पर उसकी नजर ठहर गई—“ब्लैक करी – हॉट सर्व”। नाम सुनकर उसे अजीब-सा लगा, पर रेटिंग और प्राइस की जगह एक कोड जैसा कुछ लिखा था: C1-KH/24. ऑर्डर आइकन के पास एक लाल बिंदु चमक रहा था, जैसे इसे तुरंत डिलीवर करना जरूरी हो। वह हिचकिचाया, लेकिन सोचकर कि यह शायद कोई नया हाई-प्रायोरिटी डिलीवरी सिस्टम होगा, उसने ‘एक्सेप्ट’ पर क्लिक कर दिया।
ऑर्डर डिटेल खुलते ही उसे पिकअप लोकेशन दिखाई दी—एक पुराना, कम-रोशनी वाला रेस्टोरेंट जो रात में भी खुला रहता था। वह उस इलाके को जानता था, वहाँ कभी-कभी देर रात के डिलीवरी ऑर्डर मिल जाते थे, लेकिन इस बार माहौल अलग लग रहा था। बारिश और कोहरे के बीच से गुजरते हुए वह वहाँ पहुँचा। दुकान के बाहर कोई बोर्ड नहीं था, बस आधी टूटी-सी ट्यूब लाइट झिलमिला रही थी। अंदर एक लंबा-चौड़ा आदमी, काले रेनकोट में, उसका इंतज़ार कर रहा था। बिना एक शब्द बोले उसने काउंटर के नीचे से एक भारी-सा पैकेट निकाला, जिस पर कोई ब्रांडिंग नहीं थी—सिर्फ सफेद टेप से लिपटा हुआ और ऊपर वही कोड C1-KH/24 लिखा हुआ। आर्यन ने पैकेट लेते हुए सोचा कि यह तो खाने के पैकेट जैसा बिल्कुल नहीं है, लेकिन उसने कुछ पूछा नहीं। जैसे ही उसने अपने ऐप में ‘पिकअप कन्फर्म’ किया, स्क्रीन पर डिलीवरी लोकेशन फ्लैश हुई—और अगले ही सेकंड उसकी सांसें थम गईं। एड्रेस पढ़कर वह यकीन नहीं कर पा रहा था—यह वही बिल्डिंग थी जहाँ उसका छोटा भाई रवि एक रूम लेकर रहता था। उसके गले में एक अजीब-सी गांठ बन गई, और दिल की धड़कन तेज़ हो गई। बारिश की आवाज़ अब कानों में और गहरी गूँजने लगी थी।
स्कूटी का हैंडल कसते हुए उसने रूट सेट किया, लेकिन दिमाग में सवालों का तूफ़ान उमड़ रहा था—यह क्या हो सकता है? रवि के लिए कोई डिलीवरी क्यों? और यह पैकेट इतना रहस्यमयी क्यों है? उसने फोन से रवि को कॉल करने की कोशिश की, लेकिन लाइन लगातार बिज़ी जा रही थी। यह भी अजीब था, क्योंकि रवि इस वक्त जाग रहा होता तो कॉल जरूर उठाता। सड़कें अब और सुनसान थीं, सिर्फ बीच-बीच में किसी कुत्ते के भौंकने की आवाज़ या दूर से आती मोटरसाइकिल के साइलेंसर की गूँज सुनाई दे रही थी। लोकेशन के करीब पहुँचते-पहुँचते उसके पेट में बेचैनी का गोला और भारी हो गया। बिल्डिंग के बाहर एक गली थी, जहाँ स्ट्रीट लाइट टूटी हुई थी, और बारिश का पानी छोटे-छोटे गड्ढों में जमा हो गया था। आर्यन ने स्कूटी रोकी, हेलमेट उतारा और पैकेट को बांह में दबाए सीढ़ियों की तरफ बढ़ा। तभी उसने देखा—गली के कोने पर दो-तीन बाइकर्स हेलमेट पहने खड़े थे, उनकी नज़रें लगातार उसकी तरफ उठ रही थीं। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह सब इत्तेफ़ाक है या कुछ बड़ा खेल चल रहा है। लेकिन एक बात साफ़ थी—आज की यह आधी रात का ऑर्डर, उसके जीवन की सबसे खतरनाक डिलीवरी बनने वाला था।
गली में कदम रखते ही आर्यन को एक अजीब-सा तनाव महसूस हुआ। बारिश की बूंदें अब बारीक धार में बदल चुकी थीं और स्ट्रीट लाइट के बिना गली लगभग अंधेरे में डूबी हुई थी, बस दूर से आती किसी ट्यूब लाइट की टिमटिमाहट पत्थरों पर गिरती बारिश में झिलमिला रही थी। पैकेट उसके बाएं हाथ में था, और दाहिना हाथ वह अपने फोन के पास रखे हुए था, जैसे किसी भी वक्त कॉल करने या फ्लैशलाइट जलाने की जरूरत पड़ सकती थी। गली के कोने पर खड़े तीनों बाइकर्स अब साफ दिख रहे थे—सभी ने काले हेलमेट पहने थे और उनकी मोटरसाइकिलें साइलेंसर बंद करके स्टैंड पर खड़ी थीं। उनमें से एक ने सिगरेट जलाई और उसकी लाल चमक ने कुछ पल के लिए उसके चेहरे का एक हिस्सा उजागर किया, लेकिन फिर वह तुरंत मुंह घुमा कर धुएं में छुप गया। आर्यन के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। वह बिना उन पर नज़र टिकाए, सीधे सीढ़ियों की तरफ बढ़ा, लेकिन उसकी पीठ पर उनकी निगाहें जैसे चुभ रही थीं। सीढ़ियों के ऊपर तीसरी मंज़िल पर वह फ्लैट था, जिसमें रवि पिछले छह महीनों से रह रहा था। यहाँ तक आते-आते बारिश का पानी उसकी टी-शर्ट में उतर चुका था, लेकिन अब उसे ठंड से ज्यादा डर महसूस हो रहा था।
जैसे ही वह दरवाज़े के सामने पहुँचा, उसने देखा कि दरवाज़ा आधा खुला है। अंदर अंधेरा था और हल्की-सी सीलन की गंध आ रही थी। यह अजीब था, क्योंकि रवि हमेशा दरवाज़ा बंद रखता था, खासकर रात में। आर्यन ने धीरे से आवाज़ लगाई—”रवि?” लेकिन कोई जवाब नहीं आया। उसने दरवाज़ा और खोला, तभी भीतर कहीं गहराई में एक धातु जैसी आवाज़ गूंजी—जैसे कोई भारी चीज़ फर्श पर गिरी हो। इसके अगले ही पल, तेज़ धमाका हुआ—इतना अचानक कि आर्यन के हाथ से पैकेट लगभग गिर ही गया। उसका दिल जैसे गले में आ गया। उसने पलटकर देखा तो गली में खड़े तीनों बाइकर्स अचानक अपनी मोटरसाइकिलों की इग्निशन ऑन कर रहे थे, और एक के बाद एक गड़गड़ाहट के साथ वे तेज़ी से गली से बाहर निकल गए। उनके पीछे पानी के छींटे और टायरों की चीखती आवाज़ रह गई। यह सब इतना तेज़ हुआ कि आर्यन को समझने का मौका ही नहीं मिला कि यह महज़ इत्तेफ़ाक है या बाइकर्स किसी इशारे का इंतज़ार कर रहे थे, और धमाके के बाद जानबूझकर चले गए।
अब गली में सन्नाटा था, बस दूर से आती बारिश की लगातार सरसराहट और कहीं से टपकते पानी की टप-टप सुनाई दे रही थी। आर्यन ने साहस जुटाकर कमरे के अंदर कदम रखा। फर्श पर बारिश के पानी के निशान थे, जैसे कोई गीले जूतों के साथ भीतर आया हो और फिर जल्दी में बाहर गया हो। टेबल पर एक खाली गिलास रखा था, जिसमें आधा पानी भरा था और किनारे पर हल्की मिट्टी जमी थी। दीवार पर टंगे रवि के जैकेट हुक से गायब थे। कमरे में ज़्यादा सामान नहीं था—एक पुराना बेड, एक अलमारी, और कोने में छोटा-सा लैपटॉप टेबल। लेकिन लैपटॉप का ढक्कन खुला हुआ था और स्क्रीन काली थी, जैसे अभी-अभी बंद किया गया हो। आर्यन ने पैकेट को टेबल पर रखा और चारों तरफ नज़र दौड़ाई, लेकिन रवि का कोई अता-पता नहीं था। उसके सीने में बेचैनी की लहर दौड़ गई—यह सिर्फ खाना डिलीवर करने का मामला बिल्कुल नहीं था। यह कुछ और था, और शायद बहुत बड़ा। बाहर गली में बारिश अब और तेज़ हो चुकी थी, लेकिन आर्यन को लग रहा था कि असली तूफ़ान तो अभी शुरू ही हुआ है।
आर्यन रात भर करवटें बदलता रहा, लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। गली में जो कुछ हुआ था, वह किसी भी तरह समझ में नहीं आ रहा था—रवि का गायब होना, अजनबी बाइकर्स का धमाके के तुरंत बाद भाग जाना, और सबसे बढ़कर वह रहस्यमय पैकेट, जो खाने के पैकेट जैसा बिल्कुल नहीं था। सुबह होते-होते उसने तय कर लिया कि अब सिर्फ अंदाज़े लगाने से काम नहीं चलेगा, उसे जवाब चाहिए। उसके दिमाग में तुरंत एक नाम उभरा—सोनिया डिसूज़ा। वह कॉलेज के दिनों में उसकी जान-पहचान में थी, और तब से उसे पता था कि सोनिया कंप्यूटर और नेटवर्क की दुनिया में कमाल की खिलाड़ी है। पिछले कुछ सालों में वह साइबर सिक्योरिटी के काम में गई थी, लेकिन अफवाह थी कि वह बीच-बीच में ‘ब्लैक-हैट’ हैकिंग के काम भी करती है। आर्यन ने हिचकिचाते हुए उसे मैसेज किया—”मदद चाहिए। इमरजेंसी है।” कुछ ही मिनटों में रिप्लाई आ गया—”पुराने गोदाम के पास वाले कैफे में मिलो।” यह जवाब जितना सीधा था, उतना ही आर्यन को तसल्ली देने वाला।
कैफे में दाख़िल होते ही उसने सोनिया को कोने की टेबल पर बैठे देखा। उसके सामने लैपटॉप खुला था, और स्क्रीन पर हरे-नीले रंग के कोड तेजी से स्क्रॉल हो रहे थे। सोनिया ने बिना ऊपर देखे कहा—”तुम्हारे मैसेज से लगा था कुछ सीरियस है, लेकिन यह तो… बहुत गड़बड़ लग रही है।” आर्यन ने बैग से फोन निकाला और उसे वो ऐप दिखाया, जो अचानक डार्क मोड में चला गया था और जिसमें “ब्लैक करी – हॉट सर्व” का ऑर्डर आया था। सोनिया की भौंहें तन गईं। उसने फटाफट अपने लैपटॉप को आर्यन के फोन से कनेक्ट किया और कोड ट्रेस करने लगी। कुछ ही मिनटों में उसकी स्क्रीन पर अजीब-से लॉग फाइल्स, एनक्रिप्टेड पाथ और सर्वर पते दिखने लगे। “ये तुम्हारा नॉर्मल डिलीवरी ऐप नहीं है अब,” सोनिया ने धीमी आवाज़ में कहा, “किसी ने इसके बैकएंड में ‘ओवरले मेन्यू’ इंजेक्ट किया है—एक छिपा हुआ इंटरफेस, जो सिर्फ खास यूजर्स को दिखता है।” आर्यन ने उलझन में पूछा, “और इन डिश के नाम?” सोनिया ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया, “ये डिश नहीं, टार्गेट कोड हैं। हर नाम एक ‘कॉन्ट्रैक्ट किल’ का प्रतिनिधित्व करता है। ‘ब्लैक करी’ का मतलब है ब्लैकलिस्ट टार्गेट—यानी तुरंत खत्म करो। ‘हॉट सर्व’ का मतलब है इमरजेंसी हिट।”
आर्यन के पेट में जैसे किसी ने बर्फ डाल दी हो। उसने कांपते हुए कहा, “तो… इसका मतलब जिस रात मैंने यह ऑर्डर उठाया, वह असल में किसी को मारने का ऑर्डर था? और लोकेशन… वो तो रवि का घर था!” सोनिया ने गंभीर चेहरा बनाकर उसकी तरफ देखा, “हाँ, और इसका मतलब यह भी है कि किसी ने तुम्हारे भाई को टार्गेट लिस्ट में डाला है। सवाल यह है—क्यों?” आर्यन के दिमाग में गली के बाइकर्स की तस्वीर ताज़ा हो गई, और धमाके की आवाज़ कानों में फिर से गूंजने लगी। सोनिया ने लैपटॉप स्क्रीन की तरफ इशारा किया, “यह नेटवर्क बहुत बड़ा है, आर्यन। डिलीवरी बॉयज़ को बिना बताए हिट-डिलीवरी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। असली पैकेट में कभी-कभी सबूत, हथियार या ज़हर भी हो सकता है—और लोकेशन हमेशा टार्गेट के घर की होती है।” आर्यन ने पैकेट याद किया, जो उसने रवि के फ्लैट में टेबल पर रखा था, और अचानक उसे महसूस हुआ कि उसने शायद अनजाने में अपने भाई के लिए मौत पहुंचा दी हो। उसकी सांसें तेज़ हो गईं। सोनिया ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, “अभी पैनिक मत करो। हमें पहले यह पता लगाना होगा कि तुम्हारा भाई किस मुसीबत में है और यह ‘ब्लैक मेन्यू’ किसके कंट्रोल में है।” लेकिन आर्यन के भीतर एक बात साफ़ हो चुकी थी—यह सिर्फ एक डिलीवरी का मामला नहीं था, बल्कि एक ऐसे खेल की शुरुआत थी जिसमें हर चाल ज़िंदगी और मौत के बीच फंसी थी।
आर्यन ने अगले चौबीस घंटे शहर के हर उस कोने में भटककर बिताए, जहाँ उसे लगा कि रवि हो सकता है—पुराना पीजी, कॉलेज के दोस्त, जिम, और वह गैराज जहाँ वह कभी-कभी बाइक रिपेयर करने जाता था। बेंगलुरु की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में भी उसके कदम जैसे धीमे हो गए थे, क्योंकि हर गली, हर मोड़ उसे इस डर में डाल देता था कि कहीं अगली नज़र में वह अपने भाई को न पाए। तीसरे दिन की सुबह, वह बस स्टैंड के पास वाले पुराने फुटपाथ मार्केट से गुजर रहा था, जब अचानक भीड़ में उसे एक परिचित कंधा और चाल नज़र आई। “रवि!” आर्यन ने पुकारा। भीड़ में वह शख्स ठिठका, फिर धीमे-धीमे पीछे मुड़ा। यह वही था—चेहरे पर हल्की दाढ़ी, आँखों में थकान, और शरीर पर ऐसा दबाव जैसे पिछले कई दिनों से नींद न आई हो। रवि ने एक पल के लिए मुस्कुराने की कोशिश की, लेकिन आर्यन की आंखों में सवाल देख कर वह चुपचाप पास की गली में मुड़ गया। आर्यन भी पीछे-पीछे चला गया, और दोनों एक सुनसान कोने पर आकर रुके। “कहाँ था तू? क्या चल रहा है?” आर्यन की आवाज़ में गुस्सा और बेचैनी दोनों थे। रवि ने नजरें चुरा लीं और कहा, “कुछ नहीं, बस… काम में फंसा था।”
आर्यन ने उसका हाथ पकड़ लिया, “झूठ मत बोल। मैंने तेरे घर में वो पैकेट छोड़ा था, और उसी वक्त तीन बाइकर वहाँ मंडरा रहे थे। धमाका हुआ और तू गायब। और ये मत कहना कि ये सब इत्तेफाक है।” रवि के होंठ सूखे थे, और वह कुछ कहने से पहले गहरी सांस लेने लगा। “ठीक है,” उसने धीमे से कहा, “तू सच जानना चाहता है, तो सुन। मैं यहाँ कुछ महीनों पहले आया था, और पैसों की तंगी में छोटे-मोटे पैकेज रन करने लगा—बस चीज़ें एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना। लेकिन यह कोई साधारण डिलीवरी का काम नहीं था। धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि ये पैकेज किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा हैं।” आर्यन ने भौंहें चढ़ाईं, “कौन-सा नेटवर्क?” रवि ने चारों तरफ देखा, जैसे कोई सुन न रहा हो, और फिर फुसफुसाया, “इमरान शेख का।” यह नाम सुनते ही आर्यन का खून ठंडा पड़ गया। इमरान शेख बेंगलुरु के अंडरवर्ल्ड का जाना-माना नाम था—जिसका नेटवर्क ड्रग्स, हथियारों और अवैध पैसों के लेन-देन तक फैला हुआ था।
“मैं सिर्फ पैकेज रन करता था, लेकिन जल्द ही उन्होंने मुझे एक और काम में धकेल दिया—पैसे-लॉन्ड्रिंग,” रवि ने कहा, उसकी आवाज़ अब कांप रही थी। “यह सब डिजिटल ट्रांजैक्शन और नकली इनवॉइस के जरिए होता है। मैं बस कंप्यूटर पर एंट्री करता था, लेकिन मुझे पता था कि यह गंदा खेल है।” आर्यन ने पूछा, “तूने निकलने की कोशिश क्यों नहीं की?” रवि कड़वी हंसी हंस पड़ा, “निकालना इतना आसान नहीं है, भाई। एक बार इस नेटवर्क में घुसने के बाद, तू बस दो रास्तों पर जा सकता है—या तो उनकी तरह बन जा, या फिर गायब हो जा… हमेशा के लिए।” उसकी आंखों में डर साफ़ झलक रहा था, जैसे वह जानता हो कि उस पर नजर रखी जा रही है। “और वो ब्लैक करी वाला ऑर्डर?” आर्यन ने धीमे से पूछा। रवि ने पलभर के लिए नजरें झुका लीं, “मुझे लगता है… वो मेरे लिए था।” यह सुनकर आर्यन के सीने में भारीपन उतर आया। उसे अब साफ़ लग रहा था कि जो खेल शुरू हुआ है, वह सिर्फ पैसों और नेटवर्क का नहीं, बल्कि सीधी-सीधी जान की बाज़ी है—और इसमें वह और उसका भाई दोनों ही फंस चुके हैं, बिना किसी आसान रास्ते के।
आर्यन पिछले कुछ दिनों से हर डिलीवरी पॉइंट, हर सस्पेक्टेड लोकेशन पर नज़र रख रहा था, ताकि रैकेट के किसी बड़े आदमी तक पहुंच सके। उसे पता था कि इस खेल में ऊपर बैठे लोग सीधे सामने नहीं आते—उन तक पहुंचने के लिए बीच के चैनल को तोड़ना पड़ता है। एक शाम, जब वह एक पुराने गोदाम के पास छिपकर बाइकर गैंग की हरकतें देख रहा था, उसकी नज़र एक लंबे, चौड़े कद वाले आदमी पर पड़ी, जिसके हाथ में टैबलेट था और जो बेहद ठंडे अंदाज़ में हर डिलीवरी का डेटा चेक कर रहा था। उसके आसपास लोग उसे “कोड” कहकर बुला रहे थे, और तभी आर्यन को सोनिया की दी हुई जानकारी याद आई—कबीर “कोड” नाइक, इस पूरे नेटवर्क का डिलीवरी कोऑर्डिनेटर। यह वही आदमी था जो तय करता था कि किस “डिश” को किस पते पर भेजना है और किस डिलीवरी बॉय के जरिए। अगर ब्लैक मेन्यू इस रैकेट का दिल था, तो कबीर उसका धड़कता हुआ दिमाग था। आर्यन ने तय कर लिया कि आज वह इसका सामना करेगा। वह धीरे-धीरे अपनी छिपने की जगह से बाहर निकला और कबीर के रास्ते में खड़ा हो गया।
कबीर ने एक नज़र ऊपर से नीचे तक आर्यन को देखा, जैसे उसे पहचानने में एक पल भी न लगा हो। उसकी आंखों में न तो गुस्सा था, न हैरानी—बस एक अजीब-सी ठंडी चेतावनी। “तू वही है जिसने ब्लैक करी वाला ऑर्डर उठाया था, है न?” कबीर ने धीमे लेकिन तेज़ लहजे में कहा। आर्यन ने सीधा उसकी आंखों में देखा और जवाब दिया, “हाँ, और मैं जानता हूँ कि ये सिर्फ खाना नहीं था।” कबीर हल्का-सा मुस्कुराया, लेकिन उस मुस्कान में कोई गर्माहट नहीं थी। “सुन, लड़के,” उसने आगे झुककर कहा, “इस शहर में हर कोई कुछ न कुछ डिलीवर कर रहा है—कोई पार्सल, कोई मौत। फर्क सिर्फ इतना है कि तू ये तय नहीं करता कि तुझे क्या डिलीवर करना है। अगर ज़्यादा गहराई में गया, तो अगली डिश तू खुद होगा। समझा?” उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन हर शब्द जैसे आर्यन के सीने में धंसा जा रहा था। आसपास खड़े गुंडों की आंखों में भी वही सन्नाटा था, जो किसी शिकारी के शिकार से पहले होता है।
आर्यन ने कबीर की चेतावनी सुनी, लेकिन उसके भीतर कुछ और ही पक रहा था। डर अब भी था, लेकिन साथ में गुस्सा भी उतना ही था—गुस्सा अपने भाई के लिए, उन बेगुनाहों के लिए जो शायद इस रैकेट का शिकार हो चुके थे, और अपने ऊपर भी कि वह इतने दिनों तक एक मोहरे की तरह इस्तेमाल होता रहा। उसने कबीर से नज़रें हटाए बिना कहा, “मैं नहीं रुकूंगा। अगर ये खेल तुमने शुरू किया है, तो इसे खत्म मैं करूँगा।” कबीर की आंखों में पहली बार हल्की-सी चमक आई—जैसे वह सामने वाले की हिम्मत को परख रहा हो—फिर वह पीछे हटा और बस इतना कहा, “तू बहुत जल्दी जानेगा कि इस कोड का रखवाला कौन है।” कबीर अपनी टीम के साथ आगे बढ़ गया, लेकिन आर्यन जानता था कि अब उसने खुलकर जंग का एलान कर दिया है। और इस जंग में या तो वह कोड तोड़ेगा… या खुद किसी “डिश” के नाम में बदल जाएगा।
आर्यन कई दिनों से कबीर “कोड” नाइक की चेतावनी के बावजूद पीछे नहीं हटा था। वह समझ चुका था कि सिर्फ रवि को बचाना काफी नहीं है—इस पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करना जरूरी है। लेकिन अकेले करना नामुमकिन था। तभी उसे सोनिया की एक पुरानी सलाह याद आई—“अगर सच में किसी बड़े को पकड़ना है, तो सिस्टम के अंदर से खेलना पड़ेगा।” इसी सोच के साथ वह शहर के क्राइम ब्रांच ऑफिस के बाहर खड़ा था, बारिश की हल्की बूँदें उसके जैकेट पर गिर रही थीं। अंदर जाते ही उसकी मुलाक़ात हुई ACP मीरा वर्मा से—एक सख़्त, सीधे और बारीक नज़रों से सामने वाले को परखने वाली अफ़सर। मीरा के ऑफिस में शहर के नक्शे, केस फाइलें और ऑपरेशन बोर्ड पर लाल निशान लगे थे, जिनमें से कई नाम आर्यन पहले ही सुन चुका था। मीरा ने बिना समय गंवाए पूछा, “तुम्हें इस रैकेट के बारे में कितना पता है?” आर्यन ने संक्षेप में ब्लैक मेन्यू, कबीर, और रवि की स्थिति बताई। उसकी बात खत्म होते ही मीरा ने कुर्सी पर पीछे झुकते हुए कहा, “हम सालों से इस नेटवर्क के पीछे हैं, पर हर बार सबूत की कमी के चलते इमरान शेख बच निकलता है।”
मीरा की आंखों में एक तेज़ चमक थी, जो यह साफ़ कर रही थी कि वह इस रैकेट को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। उसने धीरे से कहा, “तुम्हारे पास एक फायदा है—तुम अंदर से उन्हें जानते हो, उनकी डिलीवरी चैन को देख चुके हो। हमारे पास लोग हैं, संसाधन हैं, लेकिन हमारे पास उनकी ‘कोडेड डिलीवरी सिस्टम’ में घुसने का रास्ता नहीं है।” फिर उसने मेज़ पर एक पतली फाइल खिसकाई, जिसमें कुछ फोटो और ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड थे। “ये उनके पिछले तीन बड़े ‘ऑर्डर्स’ के रिकॉर्ड हैं। सब फूड डिलीवरी ऐप के जरिए भेजे गए, और सब के बाद एक टार्गेट की मौत हुई। हम जानते हैं कि ब्लैक मेन्यू असली मर्डर लिस्ट है, लेकिन इसे कोर्ट में साबित करने के लिए हमें लाइव ट्रैक और इन-ऐप कोड का डिकोडेड डेटा चाहिए।” आर्यन ने फाइल के पन्ने पलटते हुए महसूस किया कि यह मिशन आसान नहीं होगा। हर ऑर्डर के पीछे लेयर्स में छुपा एक नेटवर्क था—डिलीवरी बॉय से लेकर मिडिलमैन, फिर कबीर, और अंत में इमरान।
मीरा ने आखिरी दांव सामने रखा—“मैं तुम्हें एक अंडरकवर मिशन पर भेज सकती हूँ। तुम अगला ब्लैक मेन्यू ऑर्डर उठाओ, लेकिन इस बार हमारी निगरानी में। हम तुम्हारे फोन, बैग, और बाइक में ट्रैकर्स लगाएंगे। तुम्हें डिलीवरी लोकेशन तक जाना होगा, लेकिन असली मकसद होगा उस ऑर्डर को फॉलो करते हुए नेटवर्क के बड़े लेवल तक पहुंचना। अगर किस्मत अच्छी रही, तो हम कबीर के ऊपर बैठे लोगों तक सीधे पहुँच जाएंगे।” आर्यन के लिए यह फैसला आसान नहीं था—एक तरफ वह अपने भाई की सुरक्षा को लेकर चिंतित था, दूसरी तरफ यह उसका एकमात्र मौका था उस सिस्टम को गिराने का, जिसने उसकी जिंदगी उलट दी थी। कुछ देर चुप रहने के बाद उसने मीरा की आंखों में देखते हुए कहा, “ठीक है… मैं तैयार हूँ।” मीरा ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी आवाज़ में चेतावनी थी, “एक बात याद रखना, आर्यन—एक बार अंदर गए तो वापसी का रास्ता नहीं होगा। अगर पकड़े गए, तो हम आधिकारिक तौर पर तुम्हें बचा नहीं पाएंगे।” बाहर बारिश तेज़ हो चुकी थी, और आर्यन जानता था कि अगला तूफान अब उसके अंदर उतरने वाला है।
आर्यन अब पूरी तरह अंडरकवर मोड में था। ACP मीरा की टीम ने उसके लिए एक नई, फर्जी डिलीवरी प्रोफ़ाइल तैयार की थी—नकली नाम, नकली फोटो, और एक अलग बाइक नंबर। इस प्रोफ़ाइल से वह सीधे कबीर के नेटवर्क में घुसने की कोशिश कर रहा था। सिस्टम में घुसने के लिए उसने मामूली डिलीवरीज़ उठानी शुरू कीं, जिनमें सामान्य खाने के ऑर्डर थे, ताकि उस पर किसी को शक न हो। लेकिन जैसे ही ऐप के “डार्क मोड” का गेटवे खुला, उसने जानबूझकर एक हाई-प्रायोरिटी ऑर्डर सेलेक्ट किया—“रेड सूप – साइलेंट सर्व”। सोनिया पहले ही बता चुकी थी कि इस कोड का मतलब है टार्गेट को बिना शोर किए खत्म करो। डिलीवरी एड्रेस और टाइमिंग देखकर वह सन्न रह गया—टार्गेट एक लोकल इन्वेस्टिगेटिव पत्रकार, राजीव सक्सेना था, जिसने कुछ हफ्ते पहले ही इमरान के ड्रग और मनी-लॉन्ड्रिंग नेटवर्क पर एक स्टोरी चलाई थी। इस ऑर्डर को उठाना और फेल करना मतलब सीधा नेटवर्क से टकराना था, लेकिन आर्यन जानता था कि यही वो कदम है जो खेल को असली दिशा देगा।
डिलीवरी के नाम पर आर्यन राजीव के ऑफिस तक पहुंचा, लेकिन पैकेज अंदर देने से पहले उसने राजीव को एक कोडेड मैसेज भेजा—“आपकी जान खतरे में है, पुलिस से संपर्क करें।” राजीव पहले तो हैरान हुआ, लेकिन आर्यन की गंभीरता देखकर तुरंत समझ गया कि मामला सिर्फ खाना डिलीवर करने का नहीं है। इस बीच, दूर से दो बाइकर्स उस पर नज़र रखे हुए थे—शायद नेटवर्क के मॉनिटरिंग गैंग के लोग। आर्यन ने पैकेज को इमारत के गेट के पास छोड़ने का नाटक किया और जल्दी से वहां से निकल गया, लेकिन साथ ही मीरा की टीम को लाइव लोकेशन भेज दी। ऑपरेशन को सावधानी से मैनेज करते हुए पुलिस ने राजीव को सुरक्षित निकाल लिया और पैकेज को डिफ्यूज़ कर दिया। पैकेज में एक माइक्रो-एक्सप्लोसिव डिवाइस था, जो खाने के कंटेनर में फिट किया गया था—यह देखकर आर्यन को समझ आया कि यह नेटवर्क सिर्फ गन या चाकू से नहीं, बल्कि तकनीक और क्रिएटिव तरीकों से भी हत्या करता है।
लेकिन खेल यहीं नहीं रुका। ऑर्डर के फेल होते ही ऐप में उसकी प्रोफ़ाइल पर एक ब्लिंकिंग नोटिफिकेशन आया—“डिलीवरी ब्रेच। आइडेंटिटी वेरिफिकेशन इन प्रोग्रेस।” इसका मतलब साफ था कि सिस्टम अब उसकी जांच कर रहा है, और कबीर या उसके लोग उसकी असली पहचान तक पहुंच सकते हैं। अगले ही घंटे, उसके फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आया—आवाज़ में वही ठंडी धार थी जिसे वह कबीर में महसूस कर चुका था। “बहुत चालाक बन रहा है तू… रेड सूप कोई खेल नहीं था। तूने गेम बिगाड़ा है, अब तेरा नाम मेन्यू में ऊपर जाएगा।” कॉल कटते ही आर्यन ने समझ लिया कि वह अब सिर्फ अंडरकवर एजेंट नहीं, बल्कि रैकेट के लिए सीधा टार्गेट बन चुका है। वह जानता था कि अगला कदम और भी खतरनाक होगा—क्योंकि अब खेल “ब्लैक मेन्यू” से निकलकर “ब्लड लिस्ट” में आ चुका था।
आर्यन पिछले 24 घंटों से लगातार भाग रहा था। रेड सूप वाले फेल ऑर्डर के बाद कबीर का नेटवर्क पागल हो गया था, और शहर में हर मोड़, हर गली में उसे ढूंढने वाले लोग फैले हुए थे। ACP मीरा ने उसे एक सेफ़ हाउस में शिफ्ट कराया था—एक जर्जर लेकिन सुरक्षित अपार्टमेंट, जिसकी खिड़कियों पर मोटे परदे और दरवाज़ों पर डबल लॉक लगे थे। लेकिन उसी रात, जब वह कुछ देर चैन की सांस लेने की कोशिश कर रहा था, बाहर बाइक के ब्रेक लगाने की आवाज़ आई और खिड़की से एक हल्की लाल रोशनी झलकी। आर्यन तुरंत सतर्क हो गया। अगले ही पल, बिल्डिंग के नीचे से तेज़ कदमों की आवाज़ आई—जैसे कोई सीधे उसकी मंज़िल की तरफ बढ़ रहा हो। वह मीरा की टीम को कॉल करने ही वाला था कि बाहर गली में एक बाइक इंजन स्टार्ट हुआ और दूर चला गया। हालाँकि खतरा टल गया था, लेकिन सवाल था—इस छिपने की जगह का पता उन्हें कैसे चला? यह लोकेशन सिर्फ मीरा, सोनिया, और रवि को पता थी। और इस लिस्ट में एक नाम था जो उसे खटकने लगा—सोनिया।
अगली सुबह, आर्यन ने सोनिया से मुलाक़ात की। वह एक छोटे-से साइबर कैफ़े के बैक रूम में थी, जहाँ मॉनिटर पर कोड की लाइनें तेजी से चल रही थीं। जैसे ही आर्यन अंदर आया, उसकी नज़र सीधी सोनिया की आंखों में थी—कठोर, शक से भरी। “तूने मेरा लोकेशन लीक किया, सोनिया?” आर्यन के सवाल में गुस्सा कम और निराशा ज्यादा थी। सोनिया एक पल के लिए ठिठकी, फिर कुर्सी पीछे खिसकाते हुए बोली, “क्या पागलपन है ये? अगर मैं तेरे खिलाफ होती, तो तुझे ब्लैक मेन्यू में डालना मेरे लिए एक क्लिक का काम था।” उसने जल्दी-जल्दी सिस्टम लॉग्स खोलकर दिखाए, जिसमें मीरा के नेटवर्क से आने-जाने वाले डेटा ट्रैक थे। “देख, तेरे सेफ़ हाउस की लोकेशन हमारे किसी भी सर्वर से लीक नहीं हुई। या तो किसी ने सीधा फिज़िकली ट्रैक किया, या फिर…”—वह वाक्य अधूरा छोड़ देती है, जैसे आगे कहना उसके लिए भी मुश्किल हो।
उसी वक्त, दरवाज़े के कोने में बैठा रवि चुपचाप सब सुन रहा था। उसकी आंखों में बेचैनी थी, लेकिन वह कुछ बोल नहीं रहा था। आर्यन ने गौर किया कि सोनिया के हर सफाई वाले शब्द पर रवि की भौंहें थोड़ी सिकुड़ रही थीं—जैसे वह खुद तय कर रहा हो कि किस पर भरोसा किया जाए। रवि के मन में एक डर घर करने लगा था—अगर सच में सोनिया निर्दोष है, तो इसका मतलब है कि खतरा और भी करीब है… शायद घर के अंदर। वह सोच रहा था कि हो सकता है उसके भाई के भरोसे वाले ही अब दुश्मन बन गए हों। आर्यन, सोनिया की सफाई सुनने के बावजूद, मन ही मन तय कर चुका था—अब हर कदम पर खुद की निगरानी खुद करनी होगी। खेल में गद्दार कौन है, यह साफ़ हुए बिना आगे बढ़ना, मौत को न्योता देने जैसा था।
बरसात के बाद की उमस भरी शाम थी, जब इमरान शेख का संदेश पूरे नेटवर्क में फैल गया—”स्पेशल डिलीवरी, सिर्फ़ एक नाम के लिए।” आर्यन जानता था कि यह इशारा उसी की तरफ है। मैसेज में लोकेशन साफ़ लिखी थी—वही पुरानी गली जहाँ यह खेल शुरू हुआ था, जहाँ पहली बार उसने “ब्लैक करी – हॉट सर्व” का ऑर्डर उठाया था और अपने भाई का नाम डिलीवरी पते पर देखा था। यह सिर्फ़ इत्तेफ़ाक़ नहीं हो सकता था; इमरान शायद चाहता था कि कहानी उसी जगह खत्म हो। इस बार, डर के बजाय आर्यन के अंदर एक अजीब-सी ठंडक थी—वह जानता था कि अब भागने का वक्त नहीं, बल्कि पलटवार का समय है। रवि भी इस बार उसके साथ था, चेहरे पर अपराधबोध और दृढ़ता दोनों का मिश्रण। उन्होंने एक ही रात में प्लान तैयार किया—सीधा कबीर को जिंदा पकड़ना, उसका फोन और ऐप डेटा हासिल करना, और ACP मीरा तक पहुंचाकर पूरे नेटवर्क को एक झटके में उजागर करना।
प्लान खतरनाक था, लेकिन जरूरी भी। सोनिया ने आर्यन के लिए कबीर की डिलीवरी रूट हैक करके निकाली, जिसमें उस रात की “स्पेशल डिलीवरी” भी शामिल थी। कबीर हमेशा की तरह बाइक पर अकेला चलता था, लेकिन उसके आस-पास दो और बाइकर उसकी सुरक्षा के लिए रहते थे। रवि का काम था गली के एक साइड से शॉर्टकट लेकर कबीर का रास्ता रोकना, जबकि आर्यन सामने से उसकी बाइक को स्लो करने के लिए एक फर्जी ऑर्डर के बहाने खड़ा होगा। बारिश की हल्की बूंदें फिर से शुरू हो चुकी थीं, सड़क पर स्ट्रीट लाइट्स की पीली रोशनी में गड्ढों में पानी चमक रहा था। जैसे ही कबीर उस गली में दाखिल हुआ, रवि ने पीछे से एक लोहे की रॉड सड़क के बीच डाल दी, जिससे उसकी बाइक का बैलेंस बिगड़ गया। कबीर गिरा, लेकिन फुर्ती से उठ खड़ा हुआ—उसकी आंखों में नफरत और हैरानी दोनों थे।
आर्यन ने एक पल भी गंवाए बिना उसे जकड़ लिया, दोनों के बीच जोरदार हाथापाई शुरू हो गई। कबीर ने जेब से चाकू निकालने की कोशिश की, लेकिन रवि ने पीछे से पकड़कर उसका हाथ मरोड़ दिया। उस संघर्ष में कबीर का फोन जमीन पर गिरा, स्क्रीन पर वही ब्लैक मेन्यू खुला हुआ था—जैसे ऑर्डर लाइव ट्रैक हो रहा हो। रवि ने फोन उठा लिया, जबकि आर्यन ने कबीर को काबू में रखकर मीरा की टीम को सिग्नल भेजा। दूर से पुलिस के सायरन की आवाज़ गूंजने लगी, और कबीर के चेहरे पर पहली बार डर झलकने लगा। बारिश अब तेज़ हो चुकी थी, और उस गली में, जहां से यह कहानी शुरू हुई थी, आर्यन ने महसूस किया कि शायद अब इसका अंत भी यहीं लिखा जाएगा—लेकिन इस बार, शिकारी वही होगा जिसने अब तक शिकार बनने का नाटक किया था।
१०
बारिश अब तूफ़ान का रूप ले चुकी थी—आसमान में बिजली की चमक, और हर चमक के साथ गली की दीवारों पर पानी की धारियां चमक उठतीं। कबीर को पकड़ने के बाद आर्यन और रवि वहीं खड़े थे, लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ था। इमरान शेख के आदमी तेजी से दोनों सिरों से गली में दाखिल हो रहे थे—हाथों में पिस्तौलें और आंखों में खून का उबाल। बिजली कड़कने की आवाज़ के साथ पहली गोली चली, और सीमेंट की दीवार पर चिंगारियां उभरीं। आर्यन ने कबीर को एक पुरानी कार के पीछे घसीट लिया, जबकि रवि ने गली के एक कोने से जवाबी फायर शुरू किया। पानी से भीग चुकी सड़क अब कीचड़ और गोलियों के खोल से भर चुकी थी। इसी बीच, ACP मीरा वर्मा की जीप तेज़ी से गली में दाखिल हुई—उसके पीछे पुलिस की गाड़ियां और सायरनों की तीखी आवाज़ें। पुलिस ने बिना वक्त गंवाए घेराबंदी शुरू की, और पलभर में गोलीबारी एक असली जंग में बदल गई।
मीरा ने अपनी टीम को आदेश दिया—”कबीर और फोन को सुरक्षित करो, बाकी सबको गिरफ़्तार करो!” पुलिस के टैक्टिकल मूवमेंट्स ने इमरान के आदमियों को तेजी से दबा दिया, और एक के बाद एक हथियार सड़क पर गिरते गए। खुद इमरान, जो एक समय इस रैकेट का बादशाह माना जाता था, बारिश में भीगी अपनी महंगी शर्ट में कीचड़ में घुटनों के बल गिरा हुआ था, हथकड़ियों में जकड़ा हुआ। कबीर के फोन से मीरा की टेक टीम ने तुरंत ब्लैक मेन्यू का पूरा डेटाबेस निकालना शुरू किया—सैकड़ों “डिश” जिनके पीछे असली इंसानों के नाम और लोकेशन थे। वह फाइल एक सबूत नहीं, बल्कि पूरे अंडरवर्ल्ड के खिलाफ एक हथियार थी। सोनिया, जो दूर से यह सब देख रही थी, ने आर्यन की तरफ एक छोटा-सा सिर हिलाया—जैसे कह रही हो, खेल खत्म हुआ, दोस्त।
बारिश धीरे-धीरे थम रही थी, लेकिन गली में माहौल अभी भी भारी था। रवि, जो अपने किए के बोझ से दबा हुआ था, मीरा के सामने आकर बोला, “मैं जानता हूं कि मैंने गलत किया है… मुझे जो सज़ा बनती है, मैं भुगतूंगा।” आर्यन ने उसके कंधे पर हाथ रखा, लेकिन कुछ नहीं कहा—कभी-कभी खामोशी ही सबसे सही जवाब होती है। मीरा ने रवि को हिरासत में लिया, लेकिन उसके चेहरे पर कठोरता से ज्यादा सम्मान का भाव था, जैसे वह जानती हो कि यह कदम रवि के लिए नया आरंभ भी हो सकता है। आर्यन, जो कभी दिन-रात डिलीवरी बॉक्स के पीछे भागता था, अब तय कर चुका था—वह इस गली, इस शहर, और इस अंधेरे खेल से दूर जाकर एक साफ़-सुथरा जीवन शुरू करेगा। मगर जैसे ही वह वहां से निकलने की तैयारी कर रहा था, उसकी जेब में रखा पुराना फोन वाइब्रेट हुआ। स्क्रीन पर एक नोटिफिकेशन चमका—”नया ऑर्डर: ब्लू स्टू – कोल्ड सर्व”। आर्यन ने स्क्रीन को कुछ देर तक देखा, बारिश की आखिरी बूंदें उस पर गिर रही थीं, और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान के साथ बेचैनी लौट आई—कहानी खत्म नहीं हुई थी, बस अगला अध्याय इंतज़ार कर रहा था।
समाप्त

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