सौरभ मिश्रा
भाग 1
लक्ष्मी नगर की गली नंबर सात में एक बड़ा ही विचित्र मामला हुआ। बाबूलाल जी की घड़ी चोरी हो गई।
अब आप सोचेंगे, इसमें क्या बड़ी बात है? लेकिन जनाब, ये कोई मामूली घड़ी नहीं थी। ये वही ‘ओमेगा’ घड़ी थी जो बाबूलाल जी ने अपने रिटायरमेंट के समय खुद को गिफ्ट दी थी—पेंशन के पैसों से। और पूरे मोहल्ले में उन्होंने इसे ऐसे दिखाया था जैसे वो NASA के सैटेलाइट का कंट्रोल रूम हो।
घड़ी में अलार्म, रेडियो, तापमान, चाँद की स्थिति, और ना जाने क्या-क्या सुविधाएँ थीं। सबसे बड़ी बात, घड़ी ‘ब्लू टूथ’ से उनके पुराने नोकिया फोन से जुड़ सकती थी—भले ही वो ब्लूटूथ खुद ही कभी कनेक्ट न होता।
घड़ी सुबह-सुबह उनके बाएं हाथ से रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई। और उसी समय से शुरू हुआ लक्ष्मी नगर में हंगामा।
“घड़ी नहीं मिली तो मैं थाने जाऊंगा!” बाबूलाल जी ने चिल्लाते हुए अपने पोते गोलू को धमकाया, जो उस समय अपनी नई टिक-टॉक रील बना रहा था।
गोलू बोला, “दादू, आप पहले ये बताओ कि घड़ी पहन कर सोए क्यों थे?”
“घड़ी मेरे खून में है! सोते-जागते, खाने में, नहाने में—हर वक्त मेरे साथ रहती है। और अब वो नहीं है!” बाबूलाल जी ने आँसू निकालते हुए कहा।
इधर मोहल्ले की शांति समिति ने तुरंत एक आपात बैठक बुलाई। समिति के अध्यक्ष बनवारीलाल जी, जो अपनी खुद की चश्मा अक्सर भूल जाते थे, गंभीर मुद्रा में बोले—“ये घड़ी चोरी नहीं, साज़िश है!”
अब सभा में एक-एक करके सबने अपने मत रखने शुरू किए।
सुषमा आंटी ने कहा, “मुझे शक है कमलेश पे। कल ही उसने कहा था कि ऐसी घड़ी होती तो लाइक-शाइक बढ़ते।”
कमलेश, जो पास में बैठा था, बोला—“सुषमा आंटी, आप तो पहले अपना इंस्टाग्राम ठीक करो। आपकी बिरयानी की फोटो पर भी कोई लाइक नहीं करता।”
माहौल गरमा गया।
बबली भाभी, जो मोहल्ले की व्हाट्सएप ग्रुप की एडमिन थीं, बोलीं—“मैंने तो आज सुबह 5:47 पर देखा था कि बाबूलाल जी छत पर योग कर रहे थे। और घड़ी उनकी कलाई पर थी।”
“फिर घड़ी गायब कब हुई?” सब चौंके।
“6:05 पर मैंने ‘सत्यमेव जयते’ के म्यूजिक पर एक स्टोरी डाली थी। उसमें उनके हाथ खाली थे।”
अब यह मिस्ट्री गहराती जा रही थी।
इसी बीच गोलू ने एलान किया—“मैं इस मामले को सुलझाऊंगा! मैं खुद डिटेक्टिव बनूंगा। इंस्टाग्राम पर सीरीज़ भी चलाऊंगा—‘घड़ी के पीछे कौन?’”
बबली भाभी ने तुरंत जवाब दिया—“तू चुप कर, तेरा पिछला वीडियो अब तक 20 व्यूज़ भी नहीं लाया!”
लेकिन गोलू ने हार नहीं मानी। उसने छानबीन शुरू कर दी।
पहली संदिग्ध: कामवाली शकुंतला।
शकुंतला सुबह-सुबह आती थी और चाय पीते-पीते पूरे घर को झाड़ू-पोंछा करके चली जाती थी। गोलू ने उससे पूछा—
“आंटी, आपने घड़ी देखी?”
शकुंतला ने चप्पल निकालते हुए कहा, “अबे ओइ गोलू! घड़ी मैं पहनूँगी? मेरे पास खुद टाइम देखने का टाइम नहीं है!”
दूसरे संदिग्ध: बिल्ला—मोहल्ले का बिल्ली नुमा कुत्ता।
किसी ने देखा कि वो बाबूलाल जी के बिस्तर के नीचे से कुछ चबाकर भागा था।
गोलू बोला, “अगर घड़ी उसने चबाई है, तो अब तक उसके पेट से घंटी की आवाज़ आनी चाहिए!”
मोहल्ले के पंडित रमाशंकर बोले, “संकेत अच्छे नहीं हैं। घड़ी गायब होना अशुभ होता है!”
इतने में ही एक खबर आई जिसने सबको चौंका दिया।
मोहल्ले के कोने वाले कबाड़ी वाले ने एक ‘अद्भुत घड़ी’ दिखाते हुए अपनी दुकान पर डिस्प्ले किया था—जिसमें रेडियो, अलार्म, और ‘ब्लूटूथ’ भी था।
सबकी निगाहें वहीं गईं।
“अरे ये तो बाबूलाल जी की घड़ी है!” कमलेश चिल्लाया।
अब मोहल्ला तैयार हो गया—‘रेड ऑन कबाड़ी वाला!’
बाबूलाल जी अपने धोती को कमर में कसते हुए बोले—“आज मैं इस घड़ी को वापिस लाऊंगा—चाहे इसके लिए मुझे अपना ब्लूटूथ चालू करना पड़े!”
भाग 2
बाबूलाल जी ने धोती कस ली, चप्पल ढूंढ ली, और गुस्से में गरजते हुए बोले, “आज मैं अपनी घड़ी नहीं—अपनी इज़्ज़त वापिस लेने जा रहा हूँ।”
उनके साथ गए गोलू, बबली भाभी, कमलेश, सुषमा आंटी और पंडित रमाशंकर। पूरा मोहल्ला जैसे किसी दंगल देखने जा रहा हो।
कबाड़ीवाला सलीम अपनी दुकान के बाहर बैठा था। दुकान क्या, कबाड़ का महाकुंभ था—टूटे हुए मिक्सर, बिना रिमोट के टीवी, एक आंख वाली गुड़िया, और उसके बगल में चमचमाती बाबूलाल जी की घड़ी।
“सलीम भाई!” बाबूलाल जी ने गरजते हुए कहा, “ये घड़ी मेरी है! इसे यहां कैसे बेचा गया?”
सलीम ने चश्मा समेटते हुए घड़ी को उठाया, “अरे ये? ये तो एक नौजवान बेच गया आज सुबह।”
“कैसा नौजवान?” सब चिल्लाए।
सलीम बोला, “पतला-सा लड़का, आंखों में मोबाइल की लत वाली चमक थी। बोला, ये घड़ी पुरानी हो गई है—नकदी चाहिए।”
गोलू फुसफुसाया, “कहीं… रिंकू तो नहीं?”
रिंकू—मोहल्ले का एकमात्र बेरोजगार शातिर, जो दो बार मोबाइल गिरवी रख चुका था और एक बार अपनी माँ की साड़ी तक बेच आया था।
“तो घड़ी बेचने वाला रिंकू था?” सुषमा आंटी दंग।
कमलेश बोला, “रिंकू और बाबूलाल जी में क्या रिश्ता?”
गोलू बोला, “रिंकू कल मेरे साथ गेम खेलने आया था… दादू के कमरे से गुजरते वक्त बोला था—‘क्या स्मार्ट घड़ी है!’ और फिर दादू ने सिगरेट लाने भेजा था। शायद वहीं से…!”
बाबूलाल जी का चेहरा लाल हो गया। “मैंने उस लौंडे पर भरोसा किया! और वो मेरी घड़ी लेकर चंपत!”
सलीम ने नाक खुजलाते हुए कहा, “अगर सबूत है तो घड़ी ले जाओ, वरना… मैं इसे शाम तक बेच दूंगा। वैसे भी दो कस्टमर लाइन में हैं—एक साइकिल वाला और दूसरा जो सिर्फ रेडियो के लिए खरीदना चाहता है।”
बबली भाभी तमतमाई—“अरे घड़ी कोई सब्ज़ी है जो नाप-तोल के बेचोगे?”
गोलू बोला, “सलीम चाचा, एक बार CCTV देख लो। सामने वाला पान वाला तो कैमरा लगाए है न?”
सब दौड़ पड़े ‘बनवारी पान भंडार’ की ओर।
बनवारी ने जब फुटेज खोला तो सभी ने देखा—रिंकू, धीरे से खिसकते हुए, बाबूलाल जी के कमरे में गया, कुछ ढूंढा, और फिर घड़ी लेकर बाहर निकला। फिर उसी फुटेज में वो सलीम की दुकान की तरफ जाते हुए भी दिखा।
सबूत मिल गया।
अब शुरू हुआ मोहल्ला पुलिस स्टाइल में ऑपरेशन “रिंकू पकड़ो”।
गोलू इंस्टाग्राम लाइव चला चुका था।
“हेलो दोस्तों! हम हैं ‘घड़ी के पीछे कौन?’ की टीम और आज करेंगे रिंकू का पर्दाफाश LIVE!”
कमलेश ने कहा, “चलो बनाओ एक टीम—मैं आगे से जाऊंगा, सुषमा आंटी पीछे से। गोलू, तू ऊपर से मोबाइल घुमा।”
सभी ने ऐसे तैयारी की जैसे CID की शूटिंग हो।
रिंकू मोहल्ले के कोने पर बंटी चायवाले के स्टूल पर बैठा भुने चने खा रहा था, कानों में हेडफोन, आँखों में सपने।
सुषमा आंटी ने दूर से चिल्लाया, “घड़ी चोर! भागा रे!”
रिंकू उछल कर भागा। लेकिन यह मोहल्ला है, मैराथन नहीं।
दो मिनट में ही बबली भाभी की फेंकी चप्पल उसकी कमर पर लगी और वो सीधे गिरा चायवाले के भगोने पर।
गोलू ने वीडियो का टाइटल डाला—“Live Arrest of Watch Chor! #Viral!”
बाबूलाल जी उसकी कॉलर पकड़कर बोले, “मेरी घड़ी क्यों ली रे कमीने!”
रिंकू बोला, “दादू, सच्ची कसम! मुझे लगा वो घड़ी काम नहीं कर रही थी। मैंने सोचा कबाड़ी वाला ही सुधारेगा!”
“तू सुधर जा, घड़ी की चिंता छोड़!” बाबूलाल जी बोले।
सलीम ने हँसते हुए घड़ी उन्हें लौटाई—“लो साहब, ये आपकी ‘ब्लूटूथ घड़ी’। वैसे एक बात कहूँ—इसमें जो पसीने की खुशबू है ना, वो आपके अलावा किसी को सूट नहीं करती।”
बाबूलाल जी ने मुस्कराते हुए घड़ी पहनी और बोले, “अब समय आया है सही टाइम देखने का।”
गोलू ने कैमरे की ओर घूरते हुए कहा, “मामला हुआ सॉल्व! देखिए अगले एपिसोड में—जब बिल्ला कुत्ते की पूंछ से मिलेगा गायब हुआ रिमोट!”
भाग 3
घड़ी की वापसी के बाद लक्ष्मी नगर में थोड़ी राहत ज़रूर आई, लेकिन चैन नहीं। क्योंकि अब रिंकू का रोना और गोलू की ‘गुप्तचर’ बनने की सनक सबके जी का जंजाल बन गई थी।
रिंकू अब मोहल्ले में सबको देखकर झेंपता, गली के कोने में बैठा डायरी लिखता, और सबको नमस्कार कर-करके परेशान करता।
“दादाजी, फिर कभी भरोसा तोड़ूंगा नहीं। आपकी घड़ी ने ही मुझे जिंदगी की टिक-टिक समझाई है,” उसने बाबूलाल जी के पैर पकड़ते हुए कहा।
बाबूलाल जी बोले, “अबे हट! मेरे नाखून मत छू! पर चल, सुधर गया तो अच्छा है। अगली बार मेरी जुराबें मत चुराना।”
गोलू, जो अब अपने आपको ‘इंस्टाग्राम डिटेक्टिव गोलू 007’ कहता था, ने अपने फॉलोअर्स से वादा किया कि अगला केस और भी रोमांचक होगा। और केस था—
“बिल्ला की पूंछ में छुपा रिमोट कंट्रोल!”
बात ये थी कि पंडित रमाशंकर जी का टीवी रिमोट गायब था। वो बोले, “हर रविवार ‘रामायण’ देखता हूँ, आज रिमोट ही नहीं है। ये तो धर्म संकट हो गया।”
सबसे पहला शक—फिर से बिल्ला कुत्ते पर। मोहल्ले का एकमात्र ऐसा जानवर जो म्याऊं करता है, पर दिखता है कुत्ते जैसा।
गोलू ने तुरंत ‘जांच टीम’ बना डाली। उसके सदस्य थे—
गोलू (टीम लीडर, गुप्तचर)
बबली भाभी (फील्ड एक्शन एंड कमेंट्री)
रिंकू (प्रशिक्षु पश्चातापी)
पिंकी (गोलू की बहन, जो हमेशा कुछ गिरा देती है)
और एक कैमरा मैन—गोलू का पुराना ट्राइपॉड
टीम ने बिल्ला को पकड़ा—बिस्कुट का लालच देकर।
बिल्ला ने एकदम भावहीन चेहरा रखा। उसकी पूंछ हिलती रही।
गोलू बोला, “इस पूंछ में ही है रहस्य! भाभी, स्कैनर लाओ।”
बबली भाभी बोलीं, “बेटा स्कैनर तो स्कूल के प्रोजेक्ट में लगा है। चलो छूकर देखते हैं।”
पिंकी ने डरते डरते पूंछ के पास हाथ लगाया, और अचानक—
“पचाक!”
बिल्ला ने झटके से पूंछ घुमा दी और पिंकी के हाथ से बर्फी गिरा दी।
लेकिन तभी—पंडित जी चिल्लाए, “अरे रिमोट! रिमोट मिल गया!”
पता चला, रिमोट बिल्ला के बिस्तर के नीचे था—जहां वो रोज़ दोपहर की नींद लेता है।
“रिमोट मेरे अधोवस्त्र के पास पड़ा था! बहुत ही शर्म की बात थी,” पंडित जी बोले।
गोलू मुस्कराया—“मामला सॉल्व्ड! और वो भी बिना पूंछ पकड़ कर!”
रिंकू, जो अब संस्कारों से भर गया था, हर जगह कहता फिर रहा था—“मैं तो अब समाज सेवा करूंगा। मोहल्ले के हर दरवाज़े पर घंटी लगवाऊंगा।”
कमलेश बोला, “पहले खुद पर ताला लगवा ले, तभी मोहल्ला बचेगा।”
सब हँसने लगे।
बबली भाभी ने मोहल्ले की WhatsApp ग्रुप पर लिखा—
“Watchgate केस सॉल्व हो चुका है। अब नया केस आने तक सब आराम से रह सकते हैं। कृपया कोई अपनी चीज़ें खोए नहीं—वरना गोलू फिर इंस्टाग्राम लाइव चला देगा।”
उसी रात बाबूलाल जी ने अपने पुराने रेडियो पर गाना लगाया—
“वक़्त ने किया क्या हसीं सितम…”
और गोलू ने अगली रील का टाइटल तैयार कर लिया—
“Coming Soon: चायवाले के समोसे में मिला सस्पेंस!”
भाग 4
लक्ष्मी नगर शांत था… कुछ ज़्यादा ही शांत।
लेकिन जितनी देर मोहल्ला शांत रहता, उतनी ही ज़ोरदार एंट्री होती अगली आफ़त की।
और इस बार आफ़त का नाम था—“समोसे वाला सस्पेंस!”
बनवारी चायवाले के यहाँ सुबह से ही भीड़ थी। मगर आज भीड़ चाय पीने नहीं, शिकायत करने आई थी।
बबली भाभी ने सबसे पहले आवाज़ उठाई—
“बनवारी! तेरे समोसे में आज कुछ था… कुछ गड़बड़!”
“क्या बात कर रही हैं, भाभी? वो तो मेरे पसीने की मेहनत का स्वाद है!” बनवारी चौंका।
“मेहनत की बात छोड़! समोसे में कुछ लोहे जैसी चीज़ थी। देख, मेरे दाँत का फिलिंग निकल गया!” भाभी ने मुंह खोल कर सबको दिखा दिया।
पीछे से पंडित रमाशंकर बोले—“मेरे समोसे में तो स्क्रू निकला! पहले टीवी का रिमोट गायब हुआ, अब ये! ये मोहल्ला नहीं, मर्डर मिस्ट्री का सेट हो गया है!”
गोलू, जो अपनी छत पर नए माइक्रोफोन के साथ Reels बना रहा था, तुरंत कूदकर आया।
“नया केस! समोसे में स्क्रू केस! मैं तैयार हूं!” उसने कैमरा ऑन किया।
रिंकू, अब गोलू का “डिटेक्टिव असिस्टेंट”, बोला—
“इस बार तो चाय वाले की दुकान बंद हो जाएगी!”
बनवारी चीखा, “मेरी दुकान बंद नहीं होगी! मैं शपथ लेता हूं कि समोसे में जानबूझकर कुछ नहीं डाला!”
“तो फिर स्क्रू कहाँ से आया?” बबली भाभी गरजीं।
गोलू ने तुरंत अपना नायाब गैजेट निकाला—“मेटल डिटेक्टर ऐप”।
(जो असल में गूगल से डाउनलोड किया गया था और 50% समय ही काम करता था)
“इससे हम जानेंगे—अगले समोसे में क्या छिपा है!”
सभी को लाइन में खड़ा किया गया। बनवारी के हाथ से समोसे लिए गए और स्कैन शुरू हुआ।
पहले समोसे से—”बीप बीप!”
“इसमें कुछ है!” गोलू ने सबको घूरा।
भाभी ने समोसा चीरकर देखा—भीतर से निकला एक छोटा सा पेंच!
बनवारी गिड़गिड़ाया—“बच्चों की कसम! मेरा समोसा नहीं, मेरी कढ़ाई गड़बड़ हो गई होगी। पिछली बार मेकेनिक ने कढ़ाई की मरम्मत की थी।”
तभी पिंकी भागी-भागी आई—“भइया! स्टोररूम में वो फटा हुआ बक्सा मिला जिसमें सब पुराने पुर्ज़े रखे थे… और उसमें से समोसे वाले आलू गिर गए थे!”
पूरे मोहल्ले ने एक साथ कहा—“ओह्ह्ह्ह्ह!”
कमलेश बोला, “तो समोसे में स्क्रू, पेंच और नट… सब बक्से का कमाल!”
पंडित जी बोले, “इसका मतलब है कि हमारा पेट फिलहाल सिर्फ लोहे से नहीं, तकनीकी समस्याओं से भी भर रहा था।”
बनवारी रोने लगा—“मेरे समोसे की इज्ज़त मिट्टी में मिल गई! अब कौन खाएगा मेरे मसालेदार स्क्रू समोसे!”
गोलू मुस्कराया—“चिंता न करो बनवारी चाचा। अगली रील होगी—‘समोसे में जो निकला, दिल को छू गया!’ इसमें हम दिखाएंगे कि कैसे एक मामूली दुकानदार ने गलती मानी और कढ़ाई को नया जीवन दिया।”
रिंकू बोला, “मैं स्टोरी लिख दूंगा—‘एक समोसे की आत्मकथा।’”
बबली भाभी भी पिघल गईं—“ठीक है, बनवारी! इस बार माफ़ किया। लेकिन अगली बार समोसे में स्क्रू नहीं, किशमिश होना चाहिए!”
सब ठहाका मारकर हँस पड़े।
और गोलू ने ऐलान कर दिया—
“आज से मैं बनाऊंगा मोहल्ला मैगज़ीन—‘मसालेदार मिस्ट्रीज़’! जिसमें हर हफ्ते एक नया केस और मेरी जासूसी।”
बाबूलाल जी बोले, “बस बेटा, अब हमारी ज़िंदगी भी ‘नेटफ्लिक्स’ हो गई!”
भाग 5
लक्ष्मी नगर में जब लोग सोचने लगे कि अब कुछ दिन चैन से रहेंगे, तभी एक और घटना हो गई—मोहल्ले से चप्पलें गायब होने लगीं!
पहली शिकायत आई पंडित रमाशंकर जी की ओर से—
“मेरी पूजा वाली खड़ाऊँ नहीं मिल रही। सुबह उठकर देखा तो खाली चटाई!”
फिर कमलेश बोला—“मेरी ऐडीडास की नकली चप्पल भी गायब है। जो असली दिखती थी, लेकिन दिल से देसी थी।”
बबली भाभी चिल्लाईं—“मेरी गुलाबी फूलदार हवाई चप्पल! जो मैं हर इतवार पहनती हूँ!”
अब यह कोई साधारण मामला नहीं था। पूरे मोहल्ले में चप्पल संकट फैल गया।
गोलू, जो अब हर सुबह इंस्टाग्राम पोल से दिन की शुरुआत करता था, नए केस की घोषणा कर चुका था—
“Coming Soon: चप्पल चोर का चमत्कार—Case No. 4!”
रिंकू बोला, “इस बार चोर बहुत ही चालाक है। कुछ नहीं छोड़ता—ना साइज, ना ब्रांड!”
गोलू ने तुरंत अपनी “गुप्तचर जलेबी योजना” शुरू की।
“जलेबी योजना?” बबली भाभी हँसी रोकते हुए बोलीं।
“हां भाभी, देखिए। मैंने जलेबियाँ बाहर रखी हैं—एकदम ताज़ा, दुकान से लाया हूँ। उसके पास रखी है नकली चप्पल। जैसे ही चप्पल हिलेगी, हम वीडियो में देख लेंगे।”
“मतलब तुम सोच रहे हो कि चप्पल चोर को जलेबी खानी है?”
“नहीं भाभी! असली चोर कोई जानवर भी हो सकता है। मोहल्ले की बिल्ली बिल्ला पर शक है।”
बनवारी चायवाले ने बीच में टोका—“बिल्ला बिल्ली नहीं, ‘हाइब्रिड’ है। कभी दूध पीता है, कभी समोसा चुराता है, अब चप्पलें!”
गोलू ने अपनी Insta-Stories पर लिखा—
Operation ChappalTrap begins!
रात को पूरी टीम छत पर छुप गई—गोलू, रिंकू, पिंकी, और बनवारी चाचा।
सबके हाथ में बायनोक्युलर (जो असल में पिंकी की टूटे लेंस वाली चश्मा थी), और मुंह पर टॉवल बाँधा हुआ।
अचानक 12:47 AM पर, कुछ हिला।
किसी की पूंछ झलकी… कुछ उठा और भागा।
गोलू फुसफुसाया—“चप्पल गई!”
रिंकू भागा पीछे-पीछे। और सब उसके पीछे। दौड़ते हुए मोहल्ले के उस खाली मकान तक पहुँचे जहां से अक्सर रात में अजीब-अजीब आवाज़ें आती थीं।
दरवाज़ा धक्का मारकर खोला तो सामने थी—चप्पलों की एक पूरी गुफा!
चार लाइन में रखी थी—
पूजा वाली खड़ाऊँ
नकली एडीडास
हवाई चप्पलें
एक टूटी हुई बेली—जो शायद खुद चोर ने छोड़ी थी
और वहीं, कोने में आराम से बैठा था—बिल्ला कुत्ता, अपने नए बिस्तर पर… जो कि हवाई चप्पलों से बना था।
सबकी आँखें फटी की फटी।
गोलू ने बोला, “मामला सॉल्व्ड! बिल्ला चप्पल चोर निकला!”
कमलेश बोला, “ये तो कोई Netflix शो बन सकता है—‘द पिल्ला ऑफ बिल्ला!’”
पंडित जी बोले, “इसका मतलब यह हुआ कि मेरा खड़ाऊँ, जिसके नीचे तुलसी दल रखा था, उस पर ये कुत्ता बैठा है?”
बबली भाभी बोलीं, “कम से कम वो इंसान नहीं निकला, वरना मोहल्ला पूरी तरह फुटपाथ बन जाता।”
रिंकू चुपचाप बिल्ला के लिए बिस्कुट रखकर बोला—“तू चप्पल रख ले, भाई। बस मेरी इज्जत वापस कर।”
गोलू मुस्कराया—“अगली बार हम उसके लिए चप्पलों का बिस्तर बना देंगे। लेकिन पहले मोहल्ले की अमानत तो वापिस मिल गई!”
बाबूलाल जी ने सबकी तरफ देखकर कहा, “अब जब सब मिल गया है, तो चलो मेरी घड़ी का अलार्म सेट करते हैं। कल सुबह 7 बजे अगला केस!”
भाग 6
लक्ष्मी नगर जैसे-तैसे चप्पल संकट से उबरा ही था कि एक और अफ़त ने दरवाज़ा खटखटा दिया।
बल्कि… कई दरवाज़े खटखटाए।
क्योंकि अब शुरू हो गया था —
“रहस्यमयी घंटी कांड!”
मोहल्ले के हर घर की घंटी आधी रात के समय बजने लगी थी।
समय – ठीक 2:03 AM।
रोज़।
बिना रुके।
बिना किसी को दिखाई दिए।
पहली रात, बनवारी चायवाले के यहाँ घंटी बजी।
बनवारी उठा, दरवाज़ा खोला, कोई नहीं।
दूसरी रात—बबली भाभी।
तीसरी रात—पंडित रमाशंकर।
अब यह आम समस्या नहीं, भूतिया चिंता बन चुकी थी।
पंडित जी बोले, “लगता है कोई अपशकुन है। हो सकता है, चप्पल की आत्मा रुष्ट हो!”
कमलेश बोला, “नहीं पंडित जी, ये तो कोई इंसानी शरारत है। या फिर बिल्ला की आत्मा… जो अब माफी चाहता है।”
गोलू ने तुरंत ‘मसालेदार मिस्ट्रीज़: एपिसोड 5’ की स्क्रिप्ट लिख दी—
“भूत या बिल्ला? घंटी कौन बजाता है?”
रिंकू, जो अब पूरी तरह ‘संस्कार सेना’ का सदस्य बन चुका था, बोला,
“मैं आज रात पूरी निगरानी रखूंगा। कोई भी बजे—मैं देख लूंगा कौन है।”
गोलू ने पूरे मोहल्ले में अपना नया आविष्कार बाँटा—“घंटी मोशन कैमरा” (असल में पुराना स्मार्टफोन जिसमें रिकॉर्डिंग ऐप चालू करके घंटी के ऊपर चिपका दिया गया था)
पिंकी ने डरते-डरते पूछा, “अगर सच में भूत निकला तो?”
बबली भाभी बोलीं, “भूत भी अगर घंटी बजा के भागे, तो वो बहुत ही तहज़ीब वाला भूत होगा।”
रात आई।
घड़ी ने 2:03 बजाए।
सारी घंटियाँ एक साथ बजीं—“ट्रिन! ट्रिन! टर्न! ट्रिन!”
सबके घरों में हड़कंप।
गोलू, कैमरा लेकर भागा।
पंडित जी माला लेकर,
रिंकू बेलन लेकर,
और कमलेश… मोबाइल पर लाइक गिनते हुए।
अब देखो कमाल—गोलू के सेट किए गए कैमरे में एक फुटेज कैद हुई।
एक परछाई… लंबी, झुकी हुई, और बहुत फुर्तीली।
उसके हाथ में एक डंडा था… जिसके आगे टेप से चिपकाया गया था घंटी दबाने वाला रबर का टुकड़ा!
मतलब… घंटी दूर से दबाई जा रही थी!
गोलू चिल्लाया—“यह तो टेक्नोलॉजी का आतंक है!”
कैमरे में परछाई ने बनवारी चायवाले की घंटी दबाई, फिर दौड़ी और अदृश्य हो गई।
रिंकू बोला, “मुझे तो ये स्टाइल किसी की जान-पहचान की लग रही है… ये चाल, ये लचक… ये तो…”
गोलू बोला, “ये तो… गप्पू भैया की चाल है!”
गप्पू भैया—मोहल्ले का वो एक्स-प्रैंकस्टर, जो एक बार पूरे मोहल्ले में नकली ईसीएल टेस्ट की अफवाह फैला चुका था।
पिंकी बोली, “पर वो तो देहरादून शिफ्ट हो गया था!”
बबली भाभी बोलीं, “कल ही आया है छुट्टी पर… और आते ही घंटी पर हमला!”
गोलू ने सुबह होते ही गप्पू भैया के घर दस्तक दी।
“भैया, आपने मोहल्ले की नींद और नींद की आत्मा दोनों को परेशान किया है। माफ़ी माँगिए, वरना हम आपको रात में बिल्ला के साथ बांध देंगे!”
गप्पू हँसते हुए बोला, “अरे यार! मैं तो बस चेक कर रहा था कि मोहल्ले में अभी भी जान है या सब मोबाइल में घुसे हुए हैं!”
पंडित जी बोले, “हमारी नींद में तो अब भूत भी ना घुसे।”
गोलू ने कैमरे का वीडियो अपलोड किया, टाइटल—
“घंटी वाला भूत निकला गप्पू!”
और हैशटैग: #घंटी_के_पीछे_कौन, #भूत_या_भाई, #GappuReturns
भाग 7
घंटी प्रकरण शांत हुआ ही था कि लक्ष्मी नगर में अब एक और भयानक और व्यक्तिगत त्रासदी घट गई—
गोलू का रिपोर्ट कार्ड… गायब हो गया!
और यह कोई मामूली गायब होना नहीं था। ये सीधा एक पारिवारिक संकट में बदल गया।
बात शुरू हुई शनिवार की सुबह, जब बाबूलाल जी चाय के साथ बैठे थे और बोले,
“गोलू, रिपोर्ट कार्ड ले आ। आज स्कूल से आना था न?”
गोलू, जो दरवाज़े के पीछे छुपा हुआ था, धीरे से बुदबुदाया,
“आई… पर खो गया।”
बाबूलाल जी ने चश्मा उठाया—“क्या कहा?”
“वो… रिपोर्ट कार्ड कहीं… दिख नहीं रहा।”
“तूने छुपाया है ना? सच-सच बता! मार्क्स कम आए होंगे, इसलिए ग़ायब कर दिया!”
गोलू की माँ भी तमतमा गईं—“बोल! कितने आए मैथ में?”
गोलू बोला, “मैथ में बहुत कम… यानी… मै बहुत कम आया!”
बाबूलाल जी गुस्से में बोले—“अब इस पर भी केस खोल दे! ‘मामला नंबर 6: रिपोर्ट कार्ड रहस्य’!”
और सच में, गोलू ने इस पर केस खोल दिया।
Insta पर लिखा गया:
“The Missing Marks Mystery – रिपोर्ट कार्ड का रहस्य”
रिंकू बोला, “तू खुद केस खोल रहा है जो तूने ही छुपाया है?”
गोलू बोला, “सिद्धांत है डिटेक्टिव का—अगर खुद पर भी शक हो, तो सबसे पहले खुद की जांच करनी चाहिए।”
अब शुरू हुई तलाश।
टेबल के नीचे देखा गया
सोफे के अंदर हाथ डाला गया
टिफिन बॉक्स खोलकर सूँघा गया (क्योंकि एक बार रिंकू ने उसमें मोबाइल छुपाया था)
बिल्ला के नए चप्पल बिस्तर में भी खोजबीन हुई
रिपोर्ट कार्ड का कहीं पता नहीं।
तभी पिंकी चिल्लाई—“भैया! एक लिफ़ाफा मिला है चाय की पेटी में!”
गोलू दौड़ा।
लिफाफा खोला…
रिपोर्ट कार्ड!
लेकिन यह देख कर सबके होश उड़ गए।
गोलू के मार्क्स:
गणित: 17/100
विज्ञान: 23/100
अंग्रेजी: 35/100
समाज विज्ञान: ‘Present but not attentive’
कला: 92/100
“सामाजिक व्यवहार”: ‘Very Talkative but Entertaining’
बबली भाभी बोलीं, “इतना टैलेंटेड बच्चा और इतनी फिसड्डी रिपोर्ट! ये तो सोशल मीडिया का प्रभाव है।”
बाबूलाल जी बोले, “गोलू! तू रिपोर्ट कार्ड को चाय की पेटी में क्यों रख के भूल गया?”
गोलू बोला, “मैंने सोचा वहाँ मम्मी कभी नहीं देखेगी। और चाय भी अब मुझे पसंद नहीं!”
रिंकू हँसते हुए बोला, “कम से कम तूने छुपाया रिपोर्ट—not जैसे मैं घड़ी!”
गोलू की माँ गुस्से में बेलन लेकर दौड़ी, पर तभी पंडित जी आ गए—“रुकिए! ये बच्चा देश का पहला ऐसा डिटेक्टिव है जिसने खुद की पिटाई के लिए सबूत खुद खोजा!”
गोलू बोला, “तो क्या मैं अब अपनी बेलन से खुद को मार लूं?”
बबली भाभी ने कहा, “चिंता मत कर! मैं तुझे पढ़ाने आऊंगी, लेकिन Instagram डिटेक्टिवी छोड़ दे!”
गोलू ने हाथ जोड़कर कहा,
“मैं कसम खाता हूं कि पढ़ाई भी करूंगा… पर केस सॉल्व करना नहीं छोड़ूंगा। आखिर मोहल्ले का शेर हूं मैं—गोलू 007!”
भाग 8
लक्ष्मी नगर को शायद शांति से चिढ़ थी।
क्योंकि जैसे ही गोलू ने पढ़ाई शुरू की, मोहल्ले ने एक नई चिल्लाहट सुनी—
“गैस सिलिंडर गायब हो गया!”
यह आवाज़ थी बबली भाभी की।
“सुबह उठते ही देखा, चूल्हा ठंडा, और सिलिंडर ग़ायब! ये तो गृहस्थी का अपमान है!”
मोहल्ले में हड़कंप मच गया।
अब तक घड़ी, चप्पल, समोसा, रिपोर्ट कार्ड… और अब रसोई गैस!
गोलू, जिसने अभी-अभी होमवर्क शुरू किया था, उठ खड़ा हुआ।
“मोहल्ला पुकारे और गोलू ना आए? ये हो नहीं सकता!”
Insta स्टोरी डाल दी गई—
“Final Case: द गैस गॉन गाथा! #सिलिंडर_संक्रांति”
पंडित जी बोले, “बिना गैस के जीवन अधूरा है! ये अपशगुन से भी बड़ा संकट है!”
बबली भाभी शक कर रही थीं कि—“बिल्ला” ने फिर कोई कमाल किया होगा।
गोलू ने जांच शुरू की—
सिलिंडर चोरी का समय: रात 3:12 AM
पिछली बार भरवाया गया था: चार दिन पहले
आखिरी बार देखा गया था: सब्ज़ी बनाने के बाद, जिसमें आलू जले थे
“इसका मतलब है… सिलिंडर ग़ायब नहीं, गायब करवाया गया है!” गोलू ने नाटकीय अंदाज़ में कहा।
रिंकू बोला, “कहीं गप्पू भैया का प्रैंक तो नहीं?”
“नहीं,” पिंकी बोली, “गप्पू भैया तो खुद बनवारी से मोमबत्ती लेकर जा रहे थे!”
गोलू को तब याद आया—उसने बनवारी को किसी से फुसफुसाते हुए देखा था।
सब भागे बनवारी चायवाले की दुकान की ओर।
बनवारी सकपकाया—“अरे… मैं तो सिर्फ…”
“सिर्फ क्या?”
“सिर्फ गैस बचा रहा था! दरअसल… मेरा सिलिंडर खत्म हो गया था, और नया सिलिंडर आने में टाइम लग रहा था। मैंने सोचा भाभी का तो दो दिन से नहीं जल रहा था, तो किसी को पता भी नहीं चलेगा!”
बबली भाभी गरजीं—“अरे! तूने मेरी रसोई को चाय की भट्टी बना दिया?”
बनवारी हाथ जोड़ने लगा—“माफ कर दो भाभी! मैं भूखा नहीं रह सकता… समोसे भी सेंकने थे!”
गोलू बोला, “चाचा, चोरी तो चोरी होती है। अब भाभी को दो दिन तक फ्री चाय पिलानी पड़ेगी। और समोसे में किशमिश डालनी पड़ेगी।”
कमलेश ने ठहाका लगाया—“सजा मुकर्रर की जाती है! कोर्ट ऑफ मोहल्ला के अनुसार!”
बबली भाभी बोलीं, “ठीक है! पर अगली बार मेरी रसोई में घुसने से पहले घंटी बजाना!”
बनवारी ने गर्दन झुकाई—“जी भाभी।”
गोलू ने केस सॉल्व होते ही मोहल्ले में ऐलान कर दिया—
“मसालेदार मिस्ट्रीज़ का पहला सीज़न समाप्त! कुल 8 केस, 8 रहस्य, और 1 गोलू!”
बाबूलाल जी बोले, “अब स्कूल की किताबें खोल बेटा!”
गोलू मुस्कराया—“अब खोलूँगा किताबें भी, पर कहानी बंद नहीं होगी!”
सब लोग ताली बजाने लगे।
पंडित जी बोले, “इस बच्चे को पद्म श्री मिलना चाहिए… मोहल्ला श्री भी चलेगा!”
और गोलू ने रिंकू, पिंकी, बबली भाभी और बिल्ला के साथ मिलकर एक नया बोर्ड टाँग दिया—
“गोलू डिटेक्टिव एजेंसी – ‘घंटा भी बजेगा, केस भी सुलझेगा!’”
समाप्त – लेकिन शायद नहीं…