अमितेश ठाकुर
एपिसोड 1 — बारिश की गवाही
रात की बारिश समंदर से उठी हवा में नमक घोल रही थी। सिवरी के जर्जर डॉक पर पीली रोशनी के नीचे धरती काली चमकती थी, जैसे किसी ने डामर पर तेल उँडेल दिया हो। कंटेनर नंबर 7C-319 की मुहर टूटते ही लोहे की चरमराहट से हवा काटती हुई निकली और चुप्पी के बीच आर्यन भोसले ने आधी नज़र घड़ी पर डाली—01:47। उसके साथ तीन और लोग थे—दारू का कैप उल्टा लगाए योगी, चुपचाप रहने वाला शागिर्द समीर, और सांवला, ठिगना ड्राइवर जग्गू। सब हथियारबंद, सबकी उँगलियाँ ट्रिगर की खाल से दोस्ती करती हुई। आज माल था अलग—पचास ग्रे क्रेट, जिनमें न गोलियाँ थीं, न सोना; आर्यन के बॉस नवाब मिर्ज़ा ने इसे “काग़ज़ का ख़ज़ाना” कहा था। फर्जी पासपोर्ट, सरकारी सीलों की डुप्लीकेट प्लेटें, और शहर की कुछ मेनफ्रेम फाइलों के मास्टर-प्रिंट—युद्ध अब बारूद से नहीं, डेटा से जीतना था।
सड़क की ओर से कोई सायरन नहीं, कोई जहाज़ की हूटर नहीं—बस बारिश। आर्यन ने जग्गू को इशारा किया, “क्रेट नंबर पाँच से शुरू।” जैसे ही कटर की चिंगारियाँ उड़ीं, हवा में अजीब खंदक-सी बन गई। उसे एहसास हुआ कि कोई देख रहा है; निगाहों की एड़ी पीठ पर घिसी। उसने टॉर्च घूमाकर टावर क्रेन की नंगी गर्दन पर रोशनी फेंकी—कुछ नहीं। पर इतनी सावधानी भी कभी-कभी काफ़ी नहीं होती। शॉट की आवाज़ आई ही नहीं—पहले बस समीर का सिर पीछे झटका, फिर बालों के नीचे एक पतली-सी साबुन झाग जैसी धूसर रेखा, और वह गीली ज़मीन पर बैठता-सा ढह गया। साइलेंसर। पलक झपकते आर्यन ने योगी को नीचे खींचा, खुद कंटेनर के पीछे लुढ़का, और जग्गू को दबी आवाज़ में गाली दी कि लाइट बंद कर। रोशनी बुझते ही अँधेरा और भी कड़ा हो गया; बारिश एक परदा बन गई जिसमें से कोई अदृश्य हाथ गोलियाँ डाल रहा था।
दो और फायर। इस बार आर्यन ने दिशा पकड़ ली—डॉक के पुराने सिग्नल टावर के प्लेटफॉर्म पर। उसने अपनी ग्लॉक निकाली, सांस रोकी, दो शॉट चलाए। जवाबी फायर नहीं आया, पर धातु पर किसी के ठोकर खाने की आवाज़ ज़रूर आई। योगी घिसटते हुए समीर तक पहुँचा, “भाई—” शब्द वहीं पानी में घुल गए। समीर की आँखें खुले आसमान में कुछ ढूंढती रह गईं, जैसे इस शहर में कोई सितारा बाकी रह गया हो।
“जग्गू, ट्रक पीछे ले जा। योगी, कवर,” आर्यन ने कहा। उसने टावर की दिशा में दौड़ लगाई, पर वहाँ कुछ नहीं था—सिर्फ़ लोहे की सीढ़ियों पर बारिश का झाग और प्लेटफॉर्म के किनारे एक सिक्का। उसने उठाकर देखा—काले रंग का धातु का टोकन, जिस पर उभरा हुआ गुलाब बना था—काला गुलाब। उसकी पसलियों के बीच ठंडा धुआँ-सा भर गया। काला गुलाब—जिस सिंडिकेट को शहर ने सात साल पहले मरा मान लिया था, उन पर एक आख़िरी केस दर्ज़ हुआ था और leader “बहार” को एनकाउंटर में ढेर घोषित किया गया था। पर यह टोकन पुराने अफ़साने की राख से निकला अंगारा था। किसी ने आज के सौदे में तीसरा मोर्चा खोल दिया था।
इधर, दक्षिण ज़ोन क्राइम ब्रांच के कंट्रोल-रूम में एसीपी अनन्या राठौर अपनी काली कॉफी के कप में बरसते पानी की आवाज़ सुन रही थी। दो घंटे पहले एक मुखबिर ने सूचना दी थी कि सिवरी पर “काग़ज़” उतरने वाला है। आदेश ऊपर से साफ़ नहीं थे; कमिश्नर का कहना था—“देखो, पर छेड़ो मत।” चुनाव सर पर थे, और बड़े लोग नहीं चाहते थे कि बंदूकें अभी अख़बार में छपें। अनन्या ने वायरलेस पर टीम-टू को स्टैंडबाय रखा था, पर निकलने का आदेश रोक दिया। अब स्कैनर पर अचानक एक एम्बुलेंस चैनल की रोशनी टिमटिमा उठी—“अज्ञात शख्स घायल—डॉक 12 के पास।” उसने होंठ भींचे। अगर गोली चली है, तो चुप रहना सबसे बड़ा अपराध है। उसने बस इतना कहा—“यश, गाड़ी निकलो। बिना सायरन।”
आर्यन ने योगी को खड़ा किया। “हम निकल रहे हैं। समीर…” वह रुक गया। ऐसी रातों में शोक का कोई ठिकाना नहीं होता। उसने समीर की जेब से फोन, चाबी, और एक छोटा सा घर का फोटो निकाला; फोटो में एक बूढ़ी औरत मुस्कुरा रही थी—समीर की अम्मी। आर्यन ने फोटो वापस रख दिया। “मैं भेज दूँगा। अभी जाओ।” उन्होंने समीर के शरीर को कंटेनर की आड़ में खिसकाया, प्लास्टिक की शीट डालकर बारिश से ढाँप दिया। युद्ध में सम्मान अक्सर अनौपचारिक होता है।
ट्रक जब बाहर की ओर मोड़ा, तो डॉक-गेट पर एक और परछाई भूखी बिल्ली की तरह उग आई—शेर का भाई, चिराग। शेर—यानी शेखर राय—मुंबई के पुरानी सब्ज़ी मंडी से उठकर शहर के पाँच बाज़ारों का बादशाह बन चुका था, और चिराग उसका तेज़ दज्जाल-सा दाहिना हाथ। “आर्यन,” वह मुस्कुराया, “बारिश में काम? हिम्मत है।” उसके पीछे पाँच लोग खड़े थे, सबकी जैकेटों के नीचे उभार। आर्यन ने कंधे के पास से जग्गू को संकेत दिया—क्लच दबाकर तैयार। “हिम्मत तो तुम्हारे पास भी है, चिराग,” आर्यन बोला, “पर आज रात वक्त कम है।”
चिराग की नज़र ज़मीन पर पड़ी प्लास्टिक शीट पर गई, फिर वापिस आर्यन की आँखों में अटक गई। “किसका?” उसने पूछा। “हमारा आदमी,” आर्यन ने बिना पलक झपकाए कहा, “और हत्यारा—तुम्हारा नहीं, किसी तीसरे का। काला गुलाब।” चिराग एक पल को हँसा, फिर हँसी ऐसे टूट गई जैसे कांच पर हथौड़ा लगा हो। “काला गुलाब—कहानी सुनाता है? चल हट।” वह आगे बढ़ा ही था कि टावर की दिशा से अचानक एक और साइलेंट शॉट निकला। चिराग की गर्दन के ठीक नीचे छोटी-सी धुआँ-रेखा खिंची, और वह उसी बारिश में धप्प से गिरा, जैसे शहर ने उसे वापस अपने पेट में खींच लिया हो। उसके लोग समझते-समझते देर कर गए। आर्यन ने ट्रक को झटका दिलवाया; पहिए भीगे कंक्रीट पर चीखे और गेट फाड़ते हुए सड़क पकड़ ली। पीछे गोलियाँ चलीं, पर रात ने उनकी आवाज़ चबा ली।
दस मिनट बाद, वे भायखला के पुराने गोदाम पहुँचे। नवाब मिर्ज़ा ने ऊपर के कमरे की खिड़की से धुएँ के धागे जैसा पर्दा हटाकर नीचे देखा और बिना हड़बड़ी के सीढ़ियाँ उतरीं। सफ़ेद कुर्ता-पायजामा, हाथ में माला, और आँखों में अजीब-सा समंदर—गहरा और ठंडा। “समीर?” उन्होंने पूछा। आर्यन ने सिर हिलाया। नवाब ने दूर देखना चुना, जैसे दुःख को दूसरे कमरे में भेज दिया हो। “कौन?” “काला गुलाब,” आर्यन ने टोकन उनकी हथेली पर रखा। नवाब की उँगलियाँ एक पल को काँपीं। “यह खेल फिर से शुरू होगा,” उन्होंने बुदबुदाया, “और इस बार… नियम किसी और के होंगे।”
उसी वक्त, शहर के आधे एरिया में व्हाट्सऐप पर एक वीडियो घूमने लगा—डॉक की धुंधली फुटेज, जिसमें एक आदमी गिरता दिखता था, और कैप्शन: “शेर का वारिस बरसात में बह गया।” क्लिप के नीचे एक काले गुलाब का इमोजी। यह किसी किशोर का मज़ाक नहीं था; यह युद्ध का पोस्टर था। एसीपी अनन्या के फोन में भी वही वीडियो आया; साथ ही एक फॉरेंसिक पिंग—“रिकवर्ड बुलेट: 7.62, मिलिट्री स्पेक, हेड-स्टैम्प MPF-12।” उसने माथे पर हाथ फेरा। MPF—Mumbai Police Force जैसी मिलती-जुलती मुहरें बाज़ार में बनाना मुश्किल नहीं, पर किसी ने चाहा था कि उँगली पुलिस पर उठे। अनन्या ने ड्राइविंग सीट पर पांव ज़्यादा दबा दिए। “जो भी खेल रहा है, फ्रेमिंग पर पैसा बहा रहा है,” उसने धीमे से कहा, “पर बारिश के बाद मिट्टी में कुछ न कुछ रह ही जाता है।”
गोदाम के भीतर नवाब ने आर्यन से कहा, “आज रात से तुम ज़मीन के कप्तान हो। योगी तुम्हारे साथ रहेगा। पहले चिराग की मौत का इल्ज़ाम हम पर आएगा—शेर बदला लेगा। उससे पहले हमें यह समझना होगा कि गुलाब कहाँ खिल रहा है। यह टोकन फैक्ट्री नहीं, संस्कृति का निशान है; इसका मतलब है लोगों का नेटवर्क, नींद में भी चलने वाले लोग। हमें बाजार, बंदरगाह, और स्टेशन—तीनों पर आँख रखनी होगी।” आर्यन ने संक्षेप में योजना बताई—डॉक के कैमरे, टावर का एंगल, और आसपास के मोबाइल टॉवर का डंप। नवाब ने उसकी बात काट दी, “डेटा आएगा। पर दिल का डेटा क्या कहता है, आर्यन?” आर्यन ने कुछ नहीं कहा। उसके दिल में अभी भी समीर का फोटो गीला पड़ा था।
दरवाजे पर अचानक तीन बार खटखट हुई—एक लय के साथ: टुक-टुक-टुक—रुक—टुक-टुक-टुक। यह उनकी दुनिया का पुराना पासकोड था, जब फोन नहीं थे और भरोसा आँखों से लिखा जाता था। योगी ने दरवाज़ा खोला। बाहर एक बौना-सा आदमी, फटे रेनकोट में, आँखें स्याही की तरह काली। उसने बिना अंदर आए हवा में काला गुलाब का वही टोकन उछाला, जो नवाब की हथेली में रखा था—जैसे आइना हवा में तैर गया हो। “बहार सलाम कहता है,” उसने कहा, “और एक बात और—खेल सिर्फ़ दो तरफ़ा नहीं है। तीसरी तरफ़ आपके घर के भीतर है।” इतना कहकर वह जैसे आया था वैसे ही बारिश में घुल गया।
नवाब की नज़रों ने आर्यन को छुआ—बिना आरोप, पर सवाल के काँटे के साथ। घर के भीतर कौन? योगी? जग्गू? या ऊपर वाले कमरे में बैठा कोई पुराना मुंशी? आर्यन ने महसूस किया कि अनिश्चितता का पहला पत्थर जेब में रख दिया गया है—वही पत्थर जो कुछ समय बाद किसी की खोपड़ी फोड़ेगा। उसने अपने भीतर एक वादा किया—समीर की तस्वीर सूखाने से पहले वह गुलाब की जड़ें ढूँढ निकालेगा।
उसी क्षण, शेर—शेखर राय—ने अपने अड्डे नागपाड़ा में दीवार पर लटकी तलवार के नीचे शपथ ली। उसके सामने चिराग की लाश पर चादर थी, और कमरे में राख की गंध। किसी ने उसके फोन में वह डॉक वाला वीडियो फिर चला दिया। उसने बिना देखे फोन मेज़ पर पटक दिया। “आर्यन भोसले,” उसने नाम को चाकू की तरह चाटा, “बरसात में जो खून बहा है, उसकी कीमत लूँगा।” बाहर, बिजली चमकी; भीतर, खामोशी ने दीया बुझा दिया।
रात के अंत में, शहर ने अपने को सूखा दिखाने के लिए सुबह का नकाब पहन लिया। मगर सड़कों के किनारे छोटे-छोटे खून के पानी जमा थे—जिनमें काला गुलाब तैरता दिखाई देता था। एसीपी अनन्या ने स्टेशन पर गाड़ी रोकी, नोटबुक खोली, पहला वाक्य लिखा—“बारिश याद रखती है।” और नीचे—“काला गुलाब = अंदर का हाथ?” उसने पन्ना बंद किया और फोन उठाया। स्क्रीन पर अज्ञात नंबर चमका। दूसरी तरफ़ वही कर्कश, धीमी आवाज़ आई, जो गोदाम के दरवाज़े पर थी—“एसीपी साहिबा, आप पूछेंगी तो रास्ता दिखेगा। पर सावधान—सबूत उसी की ओर इशारा करेंगे जिसको आप बचाना चाहेंगी।” कॉल कट गया। उसने शीशे में अपनी आँखें देखीं—बहुत कुछ जानना एक बोझ है, पर कुछ न जानना भारी अपराध।
पहली रात ने सिद्ध कर दिया था: युद्ध शुरू हो चुका था, पर गोलियाँ नहीं, संकेत चल रहे थे। और संकेतों की भाषा में सबसे पहला शब्द था—गद्दारी।
एपिसोड 2 — बदले की गंध
मुंबई की सुबह हमेशा किसी न किसी हल्ले से शुरू होती है—रेल की सीटी, ठेलों की पुकार, ट्रैफिक का पागलपन। पर आज नागपाड़ा की गली में एक अजीब चुप्पी थी। वहाँ सिर्फ़ शेर का अड्डा था और उसके बाहर सैकड़ों आँखें, जो आँसू और ग़ुस्से के बीच फँसी थीं। चिराग की लाश अब भी सफ़ेद चादर के नीचे रखी थी, और अगरबत्ती की महक भी उस खून की गंध को दबा नहीं पा रही थी।
शेर—यानी शेखर राय—फर्श पर बैठा था, पीठ दीवार से टिकाए, हथेलियों में चेहरे को दबाए। उसकी आँखें लाल थीं, पर रोने से नहीं—बदले की आग से। “मेरे भाई का कातिल अगर आज जिंदा है, तो कल तक वो साँस नहीं लेगा,” उसने दाँत भींचते हुए कहा। उसके दाएँ हाथ बाबू ने चुपचाप सिर झुकाया, “बॉस, सब लोग कह रहे हैं कि आर्यन ने मारा। वीडियो भी घूम रहा है।”
शेर ने आँखें उठाईं। “वीडियो सिर्फ़ कहानी है, बाबू। असली सच गोली में है। और मुझे गोली का जवाब चाहिए।” उसने चादर उठाकर चिराग के चेहरे पर आख़िरी बार नज़र डाली। हल्की मुस्कान जैसे अब भी ठहरी हुई थी, मानो मौत ने भी उसकी आदत नहीं बदली। शेर ने धीरे से फुसफुसाया—“तेरा बदला मेरा खून है।”
गोदाम का सच
इधर, भायखला के गोदाम में माहौल और भी भारी था। समीर की मौत ने आर्यन के दिल पर पत्थर रख दिया था। योगी बार-बार पूछ रहा था—“भाई, ये गुलाब वाले कौन हैं? सात साल से कोई नाम तक नहीं लिया, और आज सीधे गोली?”
नवाब मिर्ज़ा खिड़की से बाहर देखते रहे। “बच्चों, गुलाब सिर्फ़ फूल नहीं होता। इसके काँटे शहर का ख़ून चूसते हैं। बहार ज़िंदा है या नहीं, पता नहीं। पर ये टोकन बताते हैं कि उसके लोग अब भी ज़िंदा हैं। और अगर वो लौटे हैं, तो इसका मतलब है कि सिर्फ़ बाज़ार पर कब्ज़ा नहीं, पूरा शहर चाहिये।”
आर्यन ने मेज़ पर मुट्ठी मारी। “हमारा आदमी मारा गया। शेर का भाई गिरा। और लोग हमें दोषी मानेंगे। हमें पहले साफ़ करना होगा कि गोली किसकी थी।”
“गोली का पता चलेगा,” नवाब ने गहरी साँस ली, “पर ध्यान रखना, पुलिस भी इसी बहस में कूदेगी। और जब पुलिस खेल में कूदती है, तो खेल और गंदा हो जाता है।”
एसीपी अनन्या की चाल
उधर, एसीपी अनन्या राठौर के ऑफिस में काग़ज़ों का ढेर बिखरा था। सामने लैपटॉप पर वही वायरल वीडियो बार-बार चल रहा था। उसने रिवाइंड करके फ़्रेम रोका। धुंधली स्क्रीन पर टावर का प्लेटफॉर्म दिखा, और उसके किनारे पर एक काली परछाई। “यहीं से चली थी गोली…” उसने खुद से कहा।
उसके जूनियर इंस्पेक्टर यश ने रिपोर्ट रखी। “मैडम, बुलेट की फॉरेंसिक रिपोर्ट आ गई है। यह आर्मी स्पेक है, लेकिन मार्किंग बदल दी गई। किसी के पास फैक्ट्री लेवल मशीनरी है। मतलब ये लोग सिर्फ़ सड़क वाले गुंडे नहीं हैं।”
अनन्या ने सिर हिलाया। “मुझे पता था। और सबसे अहम बात—ये जो गुलाब का निशान है, यह किसी गैंग का प्रतीक नहीं, यह एक बयान है। कोई पुराना खिलाड़ी लौट रहा है। हमें उसके कदम पकड़ने होंगे, इससे पहले कि वो पूरे शहर को खून से रंग दे।”
यश ने झिझकते हुए कहा, “मैडम, ऊपर से आदेश है कि अभी किसी बड़े नाम को मत छेड़ो। चुनाव हैं…”
अनन्या की आवाज़ तल्ख़ हो गई। “शहर का खून बह रहा है, और ये लोग वोट गिन रहे हैं? मुझे परवाह नहीं। अगर आर्यन या शेर लड़ रहे हैं, तो कोई तीसरा उन्हें नचा रहा है। और मैं उस तीसरे को बेनक़ाब करूँगी।”
आर्यन और शेर आमने-सामने
शाम को जब शहर फिर से जाम में डूबा, उसी समय नागपाड़ा की गली में शेर के लोग आग की तरह फैल गए। हर नुक्कड़ पर, हर दुकान पर, एक ही खबर—“आर्यन ने चिराग को मारा।” और जब अफ़वाह बार-बार दोहराई जाती है, तो सच बन जाती है।
आर्यन ने यह सुना और तय किया कि अब सीधे सामना करना होगा। उसने योगी और दो बंदों को साथ लिया और शेर के अड्डे की ओर निकल पड़ा।
दरवाज़े पर बाबू ने रास्ता रोका। “आर्यन, यहाँ घुसना मौत को गले लगाना है।”
आर्यन ने आँखों में आँखें डालकर कहा, “मौत को आज ही गले लगाना पड़ेगा। शेर से मिलना है।”
भीतर धुएँ और ग़ुस्से से भरा कमरा था। शेर कुर्सी पर बैठा, और सामने आर्यन को घूरता रहा। एक पल को खामोशी रही, फिर शेर गरजा—“तूने मेरे भाई को मारा।”
आर्यन ने ठंडे स्वर में कहा, “अगर मैं मारता, तो यहाँ खड़ा नहीं होता। ये काम किसी और का है। किसी ने हमें भिड़ाने का जाल बुना है।”
शेर ने मेज़ पर हथेली पटकी। “मुझे बहाने मत सुना। मेरे भाई का खून ताज़ा है। और मुझे उसका सौदा तेरे खून से करना है।”
आर्यन ने जेब से वही काला टोकन निकाला और मेज़ पर फेंक दिया। “ये देख। जिसने चिराग को मारा, उसने ये छोड़ दिया। काला गुलाब। याद है? जिसको तुमने और हमने दोनों ने मरा मान लिया था। अब वो वापस आ गया है।”
शेर की आँखें एक पल को काँपीं। उसने टोकन उठाया, पलटा, और फिर कमरे में सन्नाटा भर गया। “अगर ये सच है,” उसने धीरे से कहा, “तो शहर को एक नई आग निगलने वाली है।”
भीतर का गद्दार
पर बाहर अड्डे की गली में, एक और साया खड़ा सब सुन रहा था। योगी का फोन उसकी जेब में बजा, उसने चुपचाप उठाया और किसी को फुसफुसाया—“हाँ, आर्यन शेर से मिल गया है। दोनों अभी भी शक में हैं। तुम्हारा नाम नहीं आया।” फोन काटते ही उसने जेब कसकर बंद की और चेहरे पर वही मासूमियत चढ़ा ली।
आर्यन को पता नहीं था कि उसका सबसे क़रीबी ही उसके खिलाफ़ खेल खेल रहा है।
खेल की नई बिसात
रात गहराते ही शहर में अफ़वाह और डर फैल गया। जगह-जगह छोटी मुठभेड़ें हुईं। दुकानें समय से पहले बंद होने लगीं। और इस अफ़रातफ़री में किसी ने सोशल मीडिया पर एक नया वीडियो डाला—एक नकाबपोश आदमी, हाथ में काला गुलाब लिए, कह रहा था:
“शहर का नया मालिक लौट आया है। शेर और नवाब सिर्फ़ मोहरे हैं। असली सौदा अब हमारे हाथ में है। जो भी हमारे खिलाफ़ जाएगा, उसका अंजाम चिराग जैसा होगा।”
वीडियो के नीचे सिर्फ़ एक लाइन थी—“गुलाब खिल चुका है।”
एसीपी अनन्या ने वीडियो देखा और अपनी डायरी में लिखा—“गुलाब सिर्फ़ खून नहीं, दगा भी बोता है।”
गोदाम में नवाब ने स्क्रीन पर वही वीडियो देखा, और धीमे स्वर में कहा—“खेल शुरू हो चुका है, आर्यन। अब या तो हम डूबेंगे, या शहर।”
आर्यन ने खिड़की से बाहर झाँका। बाहर फिर बारिश होने लगी थी। उसके मन में समीर का चेहरा आया, और उसने कसमें खाते हुए फुसफुसाया—“मैं इस गुलाब की जड़ तक पहुँचूँगा। चाहे कितनी भी क़ीमत चुकानी पड़े।”
एपिसोड 3 — शहर में धधकती राख
मुंबई की रात जितनी रंगीन दिखती है, उतनी ही स्याह होती है। लोकल ट्रेनें थमने लगती हैं, सड़कें थक कर खाली हो जाती हैं, पर अपराध की नसों में खून और तेज़ दौड़ता है। इस बार शहर की हवा में सिर्फ़ बारिश नहीं थी, बल्कि बदले की गंध भी घुल चुकी थी।
नवाब का डर और योजना
भायखला के गोदाम में नवाब मिर्ज़ा अपनी बड़ी कुर्सी पर टिके बैठे थे। उनकी आँखें गहरी थीं, जैसे समंदर में डूबा हुआ जहाज़। आर्यन उनके सामने खड़ा था, और योगी एक कोने में मोबाइल की स्क्रीन पर स्क्रोल करता रहा।
“आर्यन,” नवाब ने धीमी आवाज़ में कहा, “हमारे पास वक्त कम है। शेर अपने भाई की मौत के ग़ुस्से में अंधा हो चुका है। और काला गुलाब हमें एक-दूसरे से भिड़ाना चाहता है। अगर हमने सच पकड़ने में देर की, तो पूरा शहर युद्धभूमि बन जाएगा।”
आर्यन ने सिर हिलाया। “मैंने शेर से बात की। उसने टोकन देखा। एक पल को चौंका भी। पर उसके ग़ुस्से को ठंडा करना मुश्किल है। वो मानेगा तभी, जब हमारे पास ठोस सबूत होगा कि गोली गुलाब के लोगों ने चलाई।”
नवाब ने लंबी साँस छोड़ी। “सबूत ढूँढना तुम्हारा काम है। लेकिन ध्यान रखना—अब गद्दारी घर के भीतर भी है। जो आदमी हमारे बीच बैठा है, वही बाहर खबर पहुँचा रहा है। तुम्हें आँखें खोलकर चलना होगा।”
आर्यन ने योगी की ओर देखा। उसकी नज़रें बेपरवाह थीं, लेकिन भीतर कहीं चिंगारी छिपी थी। आर्यन को अंदाज़ा नहीं था कि वही उसका सबसे क़रीबी धीरे-धीरे उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खींच रहा है।
पुलिस की गुत्थी
एसीपी अनन्या राठौर उस रात भी अपनी कुर्सी पर बैठी, पुराने नक्शों और फाइलों से जूझ रही थी। उसके सामने दीवार पर एक बड़ा बोर्ड था, जिसमें अलग-अलग गैंग के नाम, फोटो और तीर के निशान लगे थे। अब उस बोर्ड पर एक नया नाम चिपका था—काला गुलाब।
उसने रेड पेन से लिखा—“WHO?”
यश ने रिपोर्ट रखी। “मैडम, डॉक के पास वाले मोबाइल टावर से जो कॉल-डेटा मिला है, उसमें तीन अज्ञात नंबर एक्टिव थे। उनमें से एक नंबर, शहर के अंदरूनी पुलिस विभाग का पुराना रजिस्टर दिखा रहा है। मतलब कोई अंदर से जुड़ा हुआ है।”
अनन्या ने भौंहें चढ़ाईं। “यानी गुलाब सिर्फ़ सड़क पर नहीं, सिस्टम के भीतर भी खिल रहा है। और जब सिस्टम बेच देगा, तो सच पकड़ना और भी मुश्किल हो जाएगा।”
उसने बोर्ड पर लाल धागा खींचा—पुलिस → गुलाब। फिर खुद से बोली, “अगर मैंने इस धागे का सिरा पकड़ लिया, तो खेल खुल जाएगा।”
शेर की कसम
नागपाड़ा के अड्डे में, शेर अपने भाई चिराग की तस्वीर सामने रखे बैठा था। कमरे में दर्जनों हथियार पड़े थे—एके, पिस्तौल, कारतूस। बाबू ने धीरे से कहा, “भाई, आर्यन कह रहा है कि ये किसी तीसरे का काम है। क्या पता सच हो?”
शेर की आँखें अंगारे जैसी चमकीं। “सच वही है जो खून कहता है। और मेरे भाई का खून चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा है कि बदला लो। चाहे गुलाब हो या कोई और, आर्यन मेरी लिस्ट में सबसे ऊपर है। जब तक उसका खून ज़मीन पर नहीं गिरेगा, मेरा भाई चैन से नहीं सोएगा।”
शेर ने हथेली उठाकर कसम खाई—“मुंबई की हर गली में सिर्फ़ मेरा नाम गूँजेगा। और अगर गुलाब बीच में आया, तो उसे भी आग में जला दूँगा।”
भीतर का विश्वासघात
रात के अँधेरे में योगी ने फिर मोबाइल उठाया। नंबर मिलाया और धीमे स्वर में कहा—“हाँ, सब ठीक है। आर्यन ने शेर से मुलाकात की। दोनों अभी भी एक-दूसरे को शक की नज़र से देख रहे हैं। कल तक हालात और बिगड़ जाएँगे। तुम्हारा नाम अभी तक सामने नहीं आया।”
दूसरी तरफ़ से बस एक ही जवाब आया—“अच्छा। खेल को आगे बढ़ाओ। और ध्यान रहे, आर्यन को आख़िर में अकेला करना है।”
योगी ने फोन काट दिया और चुपचाप सिगरेट जला ली। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी—एक ऐसी मुस्कान जो किसी खंजर की धार से भी ज्यादा ख़तरनाक थी।
पहला हमला
अगली सुबह शहर में पहला बड़ा धमाका हुआ। धारावी के पास एक गोदाम अचानक आग की लपटों में घिर गया। पुलिस की रिपोर्ट में लिखा गया—“गैस सिलेंडर ब्लास्ट।” लेकिन सच्चाई यह थी कि उस गोदाम में शेर के हथियार रखे थे। आग ने सब राख कर दिया।
खबर सुनते ही शेर पागल हो उठा। “ये आर्यन का काम है। उसने सीधा मेरे दिल पर वार किया।”
पर उसी समय एक गुमनाम वीडियो वायरल हुआ। उसमें एक नकाबपोश खड़ा था, हाथ में काला गुलाब लिए। उसके पीछे जलता हुआ वही गोदाम दिख रहा था। आवाज़ आई—“शेर और नवाब, दोनों सिर्फ़ खिलौने हैं। शहर अब गुलाब का है।”
शेर का चेहरा पत्थर हो गया। बाबू ने कहा, “भाई, अब साफ़ है कि तीसरा खेल रहा है।”
शेर ने दाँत भींचते हुए कहा, “तीसरा हो या चौथा, पर सबसे पहले आर्यन की गर्दन मेरे हाथ में होनी चाहिए।”
आर्यन का संकल्प
आर्यन ने जब गोदाम की जलती तस्वीर देखी, तो उसकी मुट्ठियाँ कस गईं। समीर का चेहरा उसके सामने घूम गया। “पहले मेरे भाई को छीना, अब शहर को आग में झोंकना चाहता है। गुलाब, मैं तुझे जड़ से उखाड़ फेंकूँगा।”
नवाब ने उसे रोका। “आर्यन, जल्दबाज़ी मत करो। गुलाब चाहता है कि तुम और शेर सीधे भिड़ जाओ। वही उसकी जीत होगी।”
आर्यन ने शांत स्वर में कहा, “मैं भिड़ूँगा नहीं, पर चुप भी नहीं रहूँगा। हमें उसकी जड़ ढूँढनी होगी। वो कहाँ से ताक़त पा रहा है, किससे पैसा और हथियार मिल रहा है। जब तक ये नहीं समझेंगे, तब तक सिर्फ़ लाशें गिरेंगी।”
नवाब ने पहली बार मुस्कुराने की कोशिश की। “यही तेरी सबसे बड़ी ताक़त है, आर्यन। तू ग़ुस्से से नहीं, दिमाग़ से लड़ता है।”
पुलिस और अपराधी का टकराव
उस रात एसीपी अनन्या को अचानक कॉल आया—“मैडम, नागपाड़ा में शेर और आर्यन आमने-सामने हैं।”
वह तुरंत टीम लेकर निकली। पर वहाँ पहुँचने तक हालात बदल चुके थे। गली में दर्जनों गाड़ियाँ खड़ी थीं, हवा में बारूद की गंध थी, और ज़मीन पर दो लाशें पड़ी थीं—दोनों शेर के आदमी।
लोग कह रहे थे—“आर्यन ने हमला किया।”
अनन्या ने चारों तरफ़ देखा। खून के धब्बे, टूटी बोतलें, और दीवार पर स्प्रे से बना वही निशान—काला गुलाब। उसने गहरी साँस ली। “ये लड़ाई सिर्फ़ गैंगों की नहीं, ये किसी बड़े खेल की शुरुआत है।”
परछाइयों का खेल
रात के अंत में योगी ने फिर किसी को फोन मिलाया। “हाँ, सब योजना के हिसाब से हो रहा है। शेर और आर्यन दोनों ग़ुस्से में हैं। पुलिस भी उलझ गई है। बस कुछ दिनों में सब टूट जाएगा।”
दूसरी तरफ़ वही कर्कश आवाज़ आई—“बहुत अच्छा। याद रखना, जब दोनों गिरेंगे, तो शहर सिर्फ़ गुलाब का होगा।”
योगी ने खिड़की से बाहर झाँका। बारिश थम चुकी थी, लेकिन सड़कों पर अब भी पानी जमा था। उसमें टिमटिमाती लाइटों का अक्स पड़ रहा था, और हर अक्स में उसे गुलाब की परछाई दिखाई दी।
अंत की आहट
एसीपी अनन्या ने अपनी डायरी में आख़िरी लाइन लिखी—“जब दोस्त गद्दार हो और दुश्मन छुपा हो, तब सच्चाई ढूँढना सबसे मुश्किल होता है।”
वहीं आर्यन ने हथियार साफ़ करते हुए मन ही मन कसम खाई—“चाहे पुलिस बीच में आए, चाहे शेर हमला करे, मैं गुलाब की जड़ तक पहुँचूँगा। समीर की मौत का हिसाब मैं खुद लूँगा।”
और शेर, अपने भाई की तस्वीर के सामने बैठा, फुसफुसाया—“आर्यन, तेरा खून मेरी तलवार का इंतज़ार कर रहा है।”
शहर सोने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी नसों में युद्ध की आहट और तेज़ दौड़ रही थी।
एपिसोड 4 — पहली भिड़ंत
मुंबई का दिल कभी नहीं सोता। पर उस रात, भीड़ और गाड़ियों के शोर से ऊपर, शहर की नसों में युद्ध का संगीत बज रहा था। काला गुलाब की परछाई अब खुली सड़कों पर दिखाई देने लगी थी। हर नुक्कड़ पर लोग फुसफुसा रहे थे—“शेर और आर्यन भिड़ेंगे।”
शेर की तैयारी
नागपाड़ा के अड्डे में माहौल गाढ़ा था। शेर ने अपने सामने हथियार सजवाए—एके-47, कार्बाइन, 9 एमएम पिस्तौल। बाबू ने नक्शा फैलाया। “भाई, आर्यन का गोदाम भायखला में है। अगर आज रात हमला करें तो उसका काम तमाम।”
शेर ने ठंडी आँखों से नक्शा देखा। “मैं हमला तभी करूँगा जब मुझे यक़ीन हो कि आर्यन ही चिराग का कातिल है। लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि सबूत की ज़रूरत नहीं। शहर यही मान रहा है। और भीड़ की आवाज़ ही सच होती है।”
उसने बंदूक उठाई, लोड की, और कहा—“आज रात खून का हिसाब होगा।”
आर्यन की बेचैनी
भायखला के गोदाम में आर्यन हथियार साफ़ कर रहा था। योगी पास बैठा हँसते हुए बोला, “भाई, शेर ज़रूर हमला करेगा। हमें भी पहले वार करना चाहिए।”
आर्यन ने सिर उठाकर उसे देखा। “युद्ध हमेशा पहले वार से नहीं जीता जाता। हमें सही वक्त चुनना होगा। गुलाब चाहता है कि हम बिना सोचे भिड़ें। लेकिन मैं उसके जाल में नहीं फँसूँगा।”
नवाब मिर्ज़ा ने अपनी छड़ी ज़मीन पर ठकठकाई। “आर्यन सही कह रहा है। लेकिन सावधान रहना। शेर का ग़ुस्सा अंधा है। अगर वो आया, तो खून बहना तय है।”
आर्यन ने धीरे से कहा—“अगर लड़ाई आई, तो मैं पीछे नहीं हटूँगा।”
पुलिस की चाल
एसीपी अनन्या राठौर अपने कंट्रोल रूम में वायरलेस सुन रही थी। इनफॉर्मर ने खबर दी—“आज रात नागपाड़ा और भायखला के बीच ज़रूर भिड़ंत होगी।”
अनन्या ने टीम को बुलाया। “हम किसी गैंग का पक्ष नहीं लेंगे। हमारा काम है शहर को बचाना। लेकिन अगर आज रात खून बहा, तो दोनों गैंग खत्म हो सकते हैं। हमें बीच में घुसना होगा।”
यश ने पूछा—“मैडम, अगर गोलियाँ चल पड़ीं तो?”
अनन्या की आँखों में सख्ती थी। “तो हमें गोली का जवाब देना होगा। लेकिन सिर्फ़ सच पकड़ने के लिए, किसी का खेल खेलने के लिए नहीं।”
भिड़ंत की शुरुआत
रात के ग्यारह बजे, नागपाड़ा से शेर की गाड़ियाँ निकलीं। दर्जनों हथियारबंद आदमी, कारों की हेडलाइटें बुझी हुईं। दूसरी ओर, आर्यन ने भी अपने लोगों को तैयार किया।
जग्गू ने गाड़ी की चाबी घुमाते हुए कहा, “भाई, लगता है आज खून की बारिश होगी।”
आर्यन ने जवाब दिया, “आज अगर खून बहा, तो उसका रंग सच्चाई बताएगा।”
दोनों काफिले भायखला और नागपाड़ा के बीच एक सुनसान गली में आमने-सामने आ गए। सन्नाटा ऐसा था कि बारिश की बूँदें भी डरकर रुक गईं।
शेर गाड़ी से उतरा, उसके पीछे बाबू और बाकी आदमी। आर्यन भी उतरा, हाथ में ग्लॉक पकड़े।
“आर्यन!” शेर गरजा। “मेरे भाई का खून तेरा हिसाब माँग रहा है।”
आर्यन ने ठंडी आवाज़ में कहा, “मैंने नहीं मारा। गुलाब ने खेला है।”
“गुलाब का नाम मत ले,” शेर चीखा। “तू झूठा है। आज तू मरेगा।”
और जैसे ही उसने बंदूक उठाई, गोलियों की बारिश शुरू हो गई।
मौत की नृत्यशाला
गली एकदम बारूद से भर गई। दोनों तरफ़ से गोलियाँ चलने लगीं। गाड़ियाँ ढाल बन गईं। काँच टूटकर बरसने लगे। आर्यन ज़मीन पर लुढ़ककर योगी को कवर देता रहा। शेर का आदमी बाबू सामने से गोलियाँ चला रहा था।
एक शॉट ने आर्यन की बाजू छू दी। खून की धार निकली, पर उसने दाँत भींचकर फायर वापस किया। शेर के दो आदमी गिर पड़े।
अचानक ऊपर की छत से भी फायर शुरू हुआ। नकाबपोश लोग, हाथ में वही काला गुलाब का निशान वाला स्कार्फ़ बाँधे। उन्होंने दोनों तरफ़ पर गोलियाँ बरसाईं।
आर्यन चिल्लाया—“देखा! यही है असली दुश्मन।”
पर उस वक्त किसी ने नहीं सुना। शेर ग़ुस्से में अंधा हो चुका था।
पुलिस का दखल
सायरन की आवाज़ गूँजी। एसीपी अनन्या अपनी टीम के साथ पहुँच गई। “रुको! हथियार नीचे रखो!”
पर कौन सुनता? गोलियाँ अब भी चल रही थीं। अनन्या ने मेगाफोन फेंककर खुद बंदूक उठाई। उसकी टीम ने दोनों तरफ़ पर फायरिंग रोकने की कोशिश की।
यश ने चिल्लाया—“मैडम, ऊपर से फायर हो रहा है! नकाबपोश हैं!”
अनन्या ने तुरन्त छत पर गोलियाँ दागीं। एक नकाबपोश गिर पड़ा। उसके चेहरे से कपड़ा हटते ही सब दंग रह गए—वो शेर के ही एक पुराने आदमी का भाई था।
शेर की आँखें चौड़ी हो गईं। “ये… ये मेरे ही घर का?”
आर्यन ने चीखा, “यही है गुलाब का खेल। हमें आपस में भिड़ाकर अपने आदमी भेजता है।”
मुठभेड़ का अंत
पुलिस की भारी फायरिंग से नकाबपोश भाग खड़े हुए। शेर और आर्यन दोनों के कई आदमी घायल पड़े थे। अनन्या ने गुस्से में कहा, “अगर तुम दोनों ने होश नहीं संभाला, तो ये शहर कब्रिस्तान बन जाएगा।”
शेर ने आर्यन को घूरा। उसकी आँखों में अब भी ग़ुस्सा था, लेकिन कहीं न कहीं शक भी टूटा था। “अगर तू सच कह रहा है, तो गुलाब ने मेरे भाई को मारा। लेकिन अगर झूठा निकला, तो तेरी जान मेरी मुट्ठी में होगी।”
आर्यन ने शांत स्वर में कहा, “सच जल्द सामने आएगा।”
भीतर की दरार
सब शांत होते ही योगी चुपचाप कोने में गया और मोबाइल निकाला। फुसफुसाकर बोला—“हाँ, खेल और गंदा हो गया है। पुलिस भी कूद पड़ी। शेर और आर्यन दोनों घायल हैं। सब योजना के मुताबिक़।”
दूसरी तरफ़ वही कर्कश आवाज़ आई—“बहुत अच्छा। अब अगला वार और बड़ा होगा। शहर को पूरी तरह खून में डुबो दो।”
योगी ने फोन काटा और वापस जाकर मासूमियत से कहा—“भाई, सब ठीक है। पुलिस ने बचा लिया।”
आर्यन ने उसकी पीठ थपथपाई। उसे पता नहीं था कि गद्दार उसके सबसे पास खड़ा है।
रात की गवाही
एसीपी अनन्या अपने ऑफिस लौटी और डायरी में लिखा—“आज मैंने पहली बार देखा कि दुश्मन सिर्फ़ एक-दूसरे को नहीं, हमें भी इस्तेमाल कर रहा है। काला गुलाब की जड़ें गहरी हैं। अगर इन्हें नहीं काटा, तो पूरा शहर राख हो जाएगा।”
शहर की सड़कों पर फिर बारिश शुरू हो गई। और हर बूँद जैसे फुसफुसा रही थी—“युद्ध अभी शुरू हुआ है।”
एपिसोड 5 — गुलाब का जाल
मुंबई की हवा इन दिनों बारूद और अफ़वाहों से भरी थी। हर अख़बार की सुर्ख़ी—“गैंग वॉर ने शहर को दहला दिया”। लोग दुकानों को जल्दी बंद कर रहे थे, बच्चे स्कूल जाते समय खौफ़ में थे। पर अपराध की दुनिया में यह सिर्फ़ शुरुआत थी।
नवाब की चिंता
भायखला के गोदाम में माहौल भारी था। नवाब मिर्ज़ा खिड़की से बाहर सड़क देख रहे थे। आर्यन उनकी मेज़ के सामने खड़ा था। उसकी बाजू पर पट्टी बँधी थी, पिछली भिड़ंत का ज़ख़्म अभी ताज़ा था।
“आर्यन,” नवाब ने धीमी आवाज़ में कहा, “शहर का माहौल बिगड़ रहा है। अगर पुलिस ने चाहा तो हम सब सलाखों के पीछे होंगे। गुलाब ने हमें ठीक वहीं पहुँचा दिया है, जहाँ वो चाहता था।”
आर्यन ने सख़्त स्वर में कहा, “गुलाब चाहता है कि हम और शेर एक-दूसरे को मार दें। लेकिन अब हमें खेल पलटना होगा। हमें पता लगाना होगा कि गुलाब को पैसा और हथियार कौन दे रहा है।”
नवाब ने सिर हिलाया। “ठीक है। इस शहर में इतना बड़ा नेटवर्क अकेला नहीं बना सकता। कोई बड़ा आदमी, कोई नेता या कारोबारी उसके पीछे है। उसकी पहचान ही असली कुंजी है।”
शेर का शक
नागपाड़ा में शेर अपने ज़ख़्मी आदमियों के बीच बैठा था। बाबू ने कहा, “भाई, उस रात नकाबपोश में से एक हमारा ही आदमी निकला। इसका मतलब गुलाब हमारे घर के भीतर तक घुस चुका है।”
शेर ने दीवार पर मुक्का मारा। “मैंने आर्यन को शक की नज़र से देखा। लेकिन अब लग रहा है, शायद सच वही कह रहा था। अगर गुलाब ने मेरे भाई को मारा, तो मैं उसका नाम शहर से मिटा दूँगा।”
उसकी आँखों में आग थी, पर भीतर कहीं धुंध भी थी। क्या सच में दुश्मन आर्यन नहीं, कोई और है?
पुलिस की गुत्थी
एसीपी अनन्या राठौर अब तक सारे सबूत जोड़ रही थी। उसके सामने बोर्ड पर तीन नाम लिखे थे—आर्यन, शेर, गुलाब।
यश ने रिपोर्ट दी। “मैडम, फॉरेंसिक से जो हथियार मिला, वह पाकिस्तान की सीमा से तस्करी करके आया था। इसका मतलब गुलाब का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय है।”
अनन्या ने गहरी साँस ली। “इसका मतलब है कि यह सिर्फ़ गैंग वॉर नहीं, शहर को अस्थिर करने की साज़िश है। कोई चाहता है कि मुंबई का तंत्र टूट जाए। हमें जल्द ही इस गुलाब की जड़ें पकड़नी होंगी।”
योगी का खेल
उधर, योगी अब भी अपने असली मालिक को रिपोर्ट दे रहा था। फोन पर बोला—“हाँ, आर्यन अब भी गुलाब का पता लगाने में लगा है। उसे शक तक नहीं कि मैं ही तुम्हारा आदमी हूँ।”
दूसरी तरफ़ से हँसी गूँजी। “बहुत अच्छा। अब अगले कदम में हमें आर्यन और शेर को एक ही जगह लाना है। वहाँ खून की नदी बहेगी, और पुलिस भी फँस जाएगी।”
योगी ने मुस्कुराते हुए कहा—“बस आदेश दीजिए।”
एक रहस्यमयी मुलाक़ात
रात के दो बजे आर्यन गोदाम से निकला। अकेला, सिर्फ़ अपनी गाड़ी और पिस्तौल के साथ। वह एक पुरानी हवेली पहुँचा, जहाँ उसका मुखबिर इंतज़ार कर रहा था। मुखबिर ने फुसफुसाकर कहा—“गुलाब का ठिकाना शहर के बाहर है, ठाणे के जंगलों में। वहाँ एक फैक्ट्री चल रही है। असली हथियार वहीं से आ रहे हैं।”
आर्यन ने आँखें सिकोड़ीं। “और मालिक कौन है?”
मुखबिर ने जवाब दिया—“नाम तो नहीं, लेकिन एक आदमी अक्सर वहाँ जाता है। वह कोई पुलिस वाला है। बहुत ऊँचे दर्जे का।”
आर्यन का दिल धक से रह गया। अगर यह सच है, तो खेल कहीं ज़्यादा खतरनाक है।
शेर और आर्यन की गुप्त मुलाक़ात
अगले दिन शेर और आर्यन गुपचुप मिले। यह पहली बार था कि दोनों आमने-सामने बिना हथियार उठाए बैठे।
शेर ने कहा, “आर्यन, मैं अब भी तुझ पर भरोसा नहीं करता। लेकिन अगर गुलाब ने सच में मेरे भाई को मारा, तो हमें मिलकर लड़ना होगा।”
आर्यन ने ठंडी आवाज़ में कहा, “हम दोनों के पास ज़्यादा वक्त नहीं। अगर हम भिड़ते रहे, तो गुलाब हँसता रहेगा। हमें उसका ठिकाना ढूँढना होगा।”
दोनों की नज़रें मिलीं। पहली बार उनमें दुश्मनी से ज्यादा एक अजीब-सा समझौता दिखा।
पुलिस का दबाव
उधर अनन्या को ऊपर से कॉल आया। “राठौर, यह गैंग वॉर बहुत बढ़ गया है। हमें किसी बड़े को गिरफ़्तार करना होगा। चाहे आर्यन हो या शेर।”
अनन्या ने विरोध किया। “सर, असली खेल कोई और खेल रहा है। अगर हमने जल्दबाज़ी की, तो असली अपराधी बच निकलेगा।”
लेकिन आदेश साफ़ था। “तुम्हें दिखाना होगा कि पुलिस काबू में है।”
अनन्या ने फोन काटा और कुर्सी पर सिर टिकाकर आँखें बंद कीं। उसे पता था, अगर उसने गलत क़दम उठाया, तो पूरा शहर और गहरे अंधेरे में चला जाएगा।
पहली बड़ी ग़लती
इसी बीच, योगी ने आर्यन को झूठी जानकारी दी—“भाई, खबर है कि शेर का अगला हथियारों का सौदा धारावी में है। अगर हम वहाँ पहुँचे, तो गुलाब का आदमी मिल जाएगा।”
आर्यन ने तुरंत तैयारी की। लेकिन असलियत यह थी कि धारावी का ठिकाना एक जाल था। जैसे ही आर्यन वहाँ पहुँचा, चारों तरफ़ से नकाबपोशों ने हमला कर दिया।
गोलीबारी शुरू हो गई। आर्यन ने पूरी ताक़त से मुकाबला किया, पर जल्द ही समझ गया कि यह सब उसे मारने की साज़िश थी। तभी अचानक शेर भी अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँच गया।
शेर ने गरजकर कहा, “ये गुलाब के लोग हैं, मेरे नहीं।”
दोनों तरफ़ से गोलियाँ चलीं, लेकिन इस बार आर्यन और शेर एक साथ लड़े। दर्जनों नकाबपोश गिर पड़े, बाकी भाग निकले।
गुलाब का संदेश
लड़ाई खत्म होते ही दीवार पर खून से लिखा हुआ एक वाक्य दिखाई दिया—“गद्दार तुम्हारे घर के भीतर है।”
आर्यन और शेर ने एक-दूसरे की ओर देखा। दोनों जानते थे कि अब यह खेल सिर्फ़ सड़क पर नहीं, उनके दिलों और घरों के भीतर खेला जा रहा है।
अंत की गंध
रात को नवाब ने आर्यन से कहा, “यह लड़ाई अब खून से ज़्यादा गद्दारी की है। गुलाब हमें बाहर से नहीं, भीतर से तोड़ रहा है।”
आर्यन ने मुट्ठी भींचते हुए जवाब दिया—“तो हमें भी भीतर झाँकना होगा। जो भी गद्दार है, मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा।”
शहर की सड़कों पर उस रात फिर बारिश हुई। और हर बूँद जैसे कह रही थी—“गुलाब अब खिल चुका है।”
एपिसोड 6 — गद्दार का चेहरा
मुंबई इन दिनों ज्वालामुखी के मुहाने पर खड़ी थी। हर रोज़ कोई नया ब्लास्ट, कोई नई लाश, कोई नया वीडियो। और हर वीडियो के पीछे वही काला गुलाब। लोग अब सोचने लगे थे कि यह शहर किसी अपराधी नहीं, किसी भूत का शिकार है।
पुलिस पर दबाव
एसीपी अनन्या राठौर सुबह ही कमिश्नर के दफ़्तर बुलायी गई। कमिश्नर की मेज़ पर अख़बार फैले थे—“गैंग वॉर ने ली 14 जिंदगियाँ”, “काला गुलाब का आतंक”।
कमिश्नर ने गुस्से में कहा—“राठौर, यह सब तुम्हारी नाक के नीचे हो रहा है। हमें किसी बड़े को गिरफ़्तार करना होगा। या तो शेर, या आर्यन। जनता को संदेश चाहिए कि पुलिस कमज़ोर नहीं है।”
अनन्या ने गहरी साँस ली। “सर, असली खेल कोई और खेल रहा है। अगर हम अभी आर्यन या शेर को पकड़ेंगे, तो गुलाब जीत जाएगा।”
कमिश्नर ने मेज़ पर हाथ पटका। “बहाने मत बनाओ। तीन दिन में नतीजा चाहिए।”
अनन्या जानती थी कि यह सिर्फ़ अपराधियों की लड़ाई नहीं रही। अब यह राजनीति, पुलिस और गैंग सबको खींचने वाला तूफ़ान था।
शेर और आर्यन की गुप्त बैठक
रात को एक परित्यक्त गोदाम में आर्यन और शेर आमने-सामने बैठे। दोनों थके हुए, दोनों घायल, पर दोनों की आँखों में अब दुश्मनी कम और बेचैनी ज़्यादा थी।
शेर बोला, “आर्यन, मैंने तुझ पर शक किया। पर धारावी की लड़ाई ने साफ़ कर दिया कि असली दुश्मन कोई और है। गुलाब ने हमें कठपुतली बना दिया है।”
आर्यन ने सिर हिलाया। “गुलाब बाहर से वार नहीं करता। वह हमारे ही बीच से हम पर हमला करवाता है। यही उसका असली खेल है।”
शेर ने मेज़ पर मुट्ठी मारी। “तो अब हमें मिलकर लड़ना होगा। लेकिन सवाल यह है—गद्दार कौन है?”
दोनों चुप हो गए। कमरे की खामोशी में सिर्फ़ खून और बदले की गंध थी।
योगी का नया वार
इसी बीच, योगी अपने असली मालिक को फोन कर रहा था। “हाँ, दोनों अब साथ आने लगे हैं। हमें कुछ ऐसा करना होगा कि उनका भरोसा टूट जाए। अगर वे मिल गए, तो खेल बिगड़ जाएगा।”
दूसरी तरफ़ वही कर्कश आवाज़ बोली—“तो ऐसा करो कि शेर को यक़ीन हो जाए कि आर्यन उसे धोखा दे रहा है। और आर्यन को लगे कि शेर ने उसे बेच दिया। यही सबसे आसान रास्ता है।”
योगी ने मुस्कुराकर कहा, “समझ गया। अगला वार कल होगा।”
पुलिस का जाल
अनन्या ने गुप्त टीम बनायी। उसने यश से कहा, “हमें गुलाब की जड़ों तक पहुँचना है। खबर है कि ठाणे के जंगलों में उसकी फैक्ट्री है। लेकिन वहाँ जाना आसान नहीं। हमें किसी मुखबिर की ज़रूरत है।”
यश बोला, “मैडम, एक नाम है—जग्गू। वह आर्यन का ड्राइवर है। वह सब जानता है।”
अनन्या ने नोटबुक में नाम लिखा। “ठीक है। अगर जग्गू ने मुँह खोला, तो खेल पलट सकता है।”
धोखे की रात
अगले दिन योगी ने आर्यन को खबर दी—“भाई, शेर पुलिस को जानकारी दे रहा है। उसने कल रात कमिश्नर से मुलाक़ात की। अगर हम अभी कदम नहीं उठाएँगे, तो पकड़े जाएँगे।”
आर्यन का चेहरा सख़्त हो गया। “क्या तू पक्का कह रहा है?”
योगी ने नकली वीडियो क्लिप दिखाया, जिसमें शेर जैसे किसी पुलिस अधिकारी से हाथ मिलाते दिख रहा था।
आर्यन का खून खौल उठा। “अगर यह सच है, तो शेर ने हमें बेच दिया।”
उधर योगी ने शेर को भी खबर दी—“भाई, आर्यन ने पुलिस को डील ऑफर की है। कह रहा है कि शेर को पकड़वाकर खुद बच जाएगा।”
शेर की आँखें अंगारे बन गईं। “तो आर्यन यही खेल खेल रहा था?”
योगी की चाल काम कर रही थी। दोनों फिर एक-दूसरे को दुश्मन मानने लगे।
गुलाब का असली चेहरा दिखा
उसी रात, काला गुलाब का नया वीडियो वायरल हुआ। नकाबपोश आदमी कैमरे के सामने आया, उसके पीछे जलती हुई गाड़ियाँ थीं। उसने कहा—
“शहर का नया मालिक मैं हूँ। शेर और आर्यन अब मेरे मोहरे हैं। और जल्द ही, पुलिस भी मेरे पैरों में होगी। गद्दार तुम्हारे घर में है, पर तुम पहचान नहीं पा रहे।”
वीडियो खत्म होते ही शहर में अफ़वाह फैल गई कि गुलाब का अगला निशाना पुलिस है।
अनन्या की समझ
अनन्या ने वीडियो देखा और फुसफुसायी, “गद्दार… यही सबसे बड़ा हथियार है। अगर मैंने उसे पकड़ लिया, तो गुलाब की जड़ें खुल जाएँगी।”
उसने डायरी में लिखा—“गुलाब = अंदरूनी आदमी + पुलिस लिंक।”
गुप्त वार
इसी बीच, योगी ने एक और खेल खेला। उसने आर्यन की गाड़ी में नकली फाइलें रख दीं, जिनमें पुलिस से डील के काग़ज़ थे। और वही काग़ज़ उसने शेर तक पहुँचा दिए।
शेर ने फाइल देखी और उसका धैर्य टूट गया। “आर्यन गद्दार है। अब उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा।”
टकराव की तैयारी
रात को खबर फैली कि शेर और आर्यन फिर आमने-सामने होंगे। इस बार जगह थी—मझगाँव का बंदरगाह। वहाँ पुराने गोदाम खड़े थे, जहाँ कभी अंग्रेज़ों का माल उतरता था।
दोनों गैंग अपनी-अपनी गाड़ियों में वहाँ पहुँचे। हवा में पहले से ही डर तैर रहा था।
आर्यन ने गुस्से में कहा, “शेर, तूने मुझे धोखा दिया।”
शेर गरजा, “धोखा मैंने नहीं, तूने दिया। अब यह हिसाब खून से होगा।”
दोनों ने हथियार निकाले। पर तभी ऊपर से गोलियों की बौछार हुई। दर्जनों नकाबपोश छतों से उतर आए। उनके हाथों में वही काला गुलाब का निशान था।
गोलियाँ बरसने लगीं। आर्यन और शेर ने अपनी पीठ से पीठ जोड़ ली। यह विडंबना थी—दोनों एक-दूसरे को मारने आए थे, पर अब एक साथ लड़ रहे थे।
पुलिस की एंट्री
सायरन गूंजा। अनन्या अपनी टीम के साथ पहुँची। उसने चिल्लाकर कहा—“हथियार नीचे रखो! असली दुश्मन वही हैं!”
पर नकाबपोश गोलियाँ चलाते रहे। पुलिस, आर्यन और शेर—तीनों मिलकर मुकाबला करने लगे।
लड़ाई भयंकर थी। बारूद से हवा भारी हो गई। समुद्र किनारे लहरें भी डर से पीछे हट गईं।
एक नकाबपोश पकड़ा गया। उसका नकाब हटाते ही सब सन्न रह गए—वह योगी का पुराना दोस्त निकला। और उसकी जेब से निकला फोन सीधे योगी से जुड़ रहा था।
आर्यन के दिल में बिजली गिरी। “तो गद्दार मेरे सबसे पास है?”
अंत की आहट
लड़ाई थमते ही अनन्या ने आर्यन और शेर को घूरा। “तुम दोनों समझ लो। असली गद्दार तुम्हारे घर के भीतर है। और गुलाब उसी के ज़रिये तुम्हें नचा रहा है।”
आर्यन की आँखों में आग थी। उसने मन ही मन कसम खाई—“योगी, अगर तू ही गद्दार है, तो मैं तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा।”
शेर ने भी मुट्ठी भींची। “अब यह सिर्फ़ गैंग वॉर नहीं रहा। यह हमारी इज़्ज़त का सवाल है।”
मुंबई की रात फिर बारिश में डूब गई। पर इस बार हर बूँद में खून की गंध थी। गुलाब का खेल और गहरा हो चुका था।
एपिसोड 7 — नकाब उठने लगा
मुंबई की गलियाँ अब हथियारों की खनक और चीख़ों की आहट से काँपने लगी थीं। अख़बारों में हर दिन सिर्फ़ यही ख़बरें—“गैंग वॉर में 8 और मरे”, “काला गुलाब का आतंक फैला”। पुलिस, नेता और जनता—तीनों के बीच डर का रिश्ता गाढ़ा हो गया था। लेकिन असली खेल परदा हटाने वाला था।
आर्यन का शक
भायखला के गोदाम में आर्यन देर रात बैठा सोच रहा था। उसकी बाजू का ज़ख्म अब भी ताज़ा था। मेज़ पर रखे पिस्तौल को घूरते-घूरते उसके ज़ेहन में बार-बार वही सवाल गूँज रहा था—गद्दार कौन है?
समीर की मौत याद आती, शेर की शक़ी निगाहें याद आतीं, और फिर अचानक योगी का चेहरा सामने आ जाता। लेकिन तुरंत ही वह शक झटक देता। “नहीं, योगी बचपन से मेरे साथ है। अगर वह गद्दार हुआ तो फिर दोस्ती का मतलब ही क्या है?”
पर दिल की गहराई में हल्की-सी आवाज़ उठती—सबसे बड़ा गद्दार वही होता है, जिस पर सबसे ज़्यादा भरोसा हो।
योगी की चाल
उधर योगी अपने असली मालिक से फोन पर बात कर रहा था।
“हाँ, आर्यन को अभी भी यक़ीन नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे मैं उसके दिमाग़ में ज़हर घोल दूँगा। अगला कदम है उसे शेर से पूरी तरह भिड़ाना।”
दूसरी तरफ़ वही कर्कश आवाज़ बोली—“अच्छा। लेकिन याद रखो, जल्द ही तुम्हारा चेहरा भी दिखाना पड़ेगा। गुलाब हमेशा छुपकर नहीं खिलता। सही समय पर सबको हमारी असली ताक़त दिखानी होगी।”
योगी ने मुस्कुराकर कहा—“वक़्त आने दो। तब तक मैं आर्यन की नसों में जहर बनकर दौड़ता रहूँगा।”
शेर का संकट
नागपाड़ा के अड्डे में शेर अपने जख़्मी आदमियों के बीच बैठा था। बाबू बोला, “भाई, अब लोग भी कहने लगे हैं कि शेर कमजोर हो गया है। गुलाब का नाम हर गली में गूँज रहा है। अगर हमने जल्दी जवाब नहीं दिया, तो हमारी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी।”
शेर ने गुस्से से तलवार दीवार पर दे मारी। “कमज़ोर? मैं? अभी इस शहर की धड़कन मेरा नाम सुनते ही काँपती है। गुलाब सोचता है कि वह मुझे मिटा देगा? मैं उसकी जड़ों को आग लगा दूँगा।”
पर उसके चेहरे पर चिंता साफ़ थी। उसे पहली बार लग रहा था कि यह लड़ाई सिर्फ़ गोली और बारूद की नहीं, बल्कि भरोसे और दगा की भी है।
पुलिस की गुत्थी
एसीपी अनन्या अपने ऑफिस में फाइलें उलट-पलट रही थी। बोर्ड पर उसने नया नाम जोड़ा—योगी?
यश ने चौंककर पूछा, “मैडम, यह तो आर्यन का सबसे भरोसेमंद आदमी है। आपको क्यों लगता है कि वही गद्दार है?”
अनन्या ने धीरे-धीरे कहा, “क्योंकि हर जानकारी गुलाब तक सबसे पहले पहुँचती है। और वह जानकारी वही दे सकता है, जो आर्यन के सबसे करीब है। अभी सबूत नहीं है, पर धुआँ वहीं से उठ रहा है।”
यश ने गंभीर होकर सिर हिलाया। “अगर यह सच है, तो खेल और गहरा है।”
ठाणे का सफ़र
आर्यन और शेर ने तय किया कि वे गुलाब का असली ठिकाना ढूँढेंगे। दोनों अपने-अपने आदमियों के साथ गुप्त रूप से ठाणे के जंगलों की ओर निकले।
रास्ते भर दोनों के बीच खामोशी रही। कभी-कभी शेर कहता, “अगर तेरी कोई चाल निकली, तो मैं तुझे यहीं मार दूँगा।”
आर्यन ठंडी नज़र से जवाब देता, “और अगर तेरी निकली, तो मैं तुझे।”
जंगल में पुराने कारख़ाने का खंडहर था। वहाँ हल्की रोशनी और जनरेटर की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी। वे धीरे-धीरे अंदर बढ़े।
अचानक मशीनों की आवाज़ गूँजी। दर्जनों लोग हथियार बना रहे थे—क्लोन पिस्तौल, नकली सील, और गोलियों के कार्टन। दीवार पर काले गुलाब का बड़ा-सा निशान बना था।
शेर ने दाँत भींचे। “यही है उसका अड्डा।”
हमला
जैसे ही वे आगे बढ़े, अलार्म बज उठा। चारों तरफ़ से नकाबपोश आ गए। गोलियों की बारिश शुरू हो गई। आर्यन और शेर ने पीठ से पीठ मिलाकर लड़ाई शुरू की। दोनों की बंदूकें गरज रही थीं।
एक नकाबपोश को आर्यन ने पकड़ा। जब उसका नकाब खींचा गया, तो सब चौंक गए। वह पुलिस की वर्दी पहने था।
शेर दहाड़ा, “तो यह खेल पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है?”
आर्यन ने खून में सना चेहरा घूरा। “अब समझ आया कि यह सिर्फ़ गैंग वॉर नहीं, यह सिस्टम की साज़िश है।”
पुलिस की दुविधा
इसी समय, अनन्या और उसकी टीम भी जंगल में पहुँची। उसने नकाबपोशों और पुलिस के वर्दीधारियों को साथ देखकर आँखें तरेरीं।
“तो यह है असली सच—गुलाब ने पुलिस के भीतर भी जड़ें जमा ली हैं।”
उसने वायरलेस पर कहा, “टीम, सबको जिंदा पकड़ो। हमें चेहरों की ज़रूरत है।”
लेकिन नकाबपोश ज़्यादातर भाग निकले। बस दो को पकड़ा जा सका।
योगी की परछाई
लड़ाई के बाद जब आर्यन अपने गोदाम लौटा, तो उसे दरवाज़े पर पड़ा एक लिफ़ाफ़ा मिला। अंदर सिर्फ़ एक गुलाब था—काला, मुरझाया हुआ। और एक लाइन लिखी थी—
“गद्दार की परछाई हमेशा सबसे करीब खड़ी होती है।”
आर्यन के हाथ काँप उठे। उसकी नज़रें धीरे-धीरे योगी पर पड़ीं, जो अंदर आराम से बैठा हुक्का खींच रहा था।
आर्यन ने सोचा—क्या सचमुच वही है?
अनन्या का संदेह
थाने लौटकर अनन्या ने पकड़े गए नकाबपोश से पूछताछ की। वह सिर्फ़ इतना बोला—“गुलाब कभी अपना चेहरा नहीं दिखाता। उसके लिए काम करने वाले बस मोहरे हैं। लेकिन उसके सबसे करीब का आदमी आर्यन के पास ही है।”
अनन्या की कलम थम गई। उसने डायरी में लिखा—“योगी = मुख्य संदिग्ध।”
आर्यन का तूफ़ान
रात को आर्यन ने योगी को बुलाया। “कल ठाणे में हमने गुलाब का ठिकाना देखा। वहाँ पुलिस वाले भी थे। मुझे बताओ, यह खबर पहले से किसे थी?”
योगी ने मासूम चेहरा बनाया। “भाई, मुझे क्या पता। मैं तो तेरे साथ ही था। शायद शेर के लोगों ने भेद दिया हो।”
आर्यन ने गहरी निगाह से उसे देखा। कुछ बोला नहीं। पर उसके दिल में अब तूफ़ान उमड़ रहा था।
शेर की कसम
नागपाड़ा लौटकर शेर ने बाबू से कहा, “अब साफ़ है कि पुलिस भी इसमें मिली हुई है। और जब पुलिस बिक जाए, तो शहर का भगवान सिर्फ़ हथियार होता है। मैं गुलाब को ढूँढकर उसकी जड़ें काट दूँगा।”
उसकी आँखों में खून उतर आया था।
अंत की गंध
रात ढली। शहर पर फिर बारिश बरसने लगी। लेकिन इस बार हर बूँद में दगा की गंध थी।
आर्यन ने खिड़की से बाहर देखते हुए मन ही मन कहा—“अगर योगी सचमुच गद्दार निकला, तो दोस्ती की क़सम भी मैं तोड़ दूँगा। अब यह लड़ाई सिर्फ़ गुलाब से नहीं, अपने ही ख़ून से है।”
और अनन्या ने अपनी डायरी में लिखा—“अगला कदम योगी तक पहुँचना है। उसके बिना यह जाल नहीं टूटेगा।”
मुंबई की रात खामोश थी, लेकिन हर खामोशी के पीछे गोलियों की गूँज छुपी थी। गुलाब का नकाब धीरे-धीरे उठ रहा था।
एपिसोड 8 — गद्दारी का चेहरा
मुंबई की रात हमेशा भीड़, रोशनी और सपनों से भरी रहती है, लेकिन इन दिनों उस पर बारूद और खून का साया था। हर नुक्कड़ पर पुलिस तैनात, हर अख़बार में सुर्ख़ी—“गैंग वॉर ने शहर को घेरा”। पर असली सवाल अब भी वही था—काला गुलाब कौन है?
पुलिस का दबाव
एसीपी अनन्या राठौर अपनी मेज़ पर बैठी फाइलें पलट रही थी। उसके सामने बोर्ड पर तीन नाम बड़े अक्षरों में लिखे थे—आर्यन, शेर, और योगी।
यश ने अंदर आकर कहा, “मैडम, हमें कमिश्नर से नया आदेश मिला है। अगर अगले चालीस घंटे में कोई बड़ा चेहरा सामने नहीं आया, तो वे आर्यन और शेर दोनों को गिरफ़्तार करने का आदेश देंगे।”
अनन्या ने भौंहें चढ़ाईं। “अगर हमने इन्हें पकड़ा, तो गुलाब हँसता रहेगा। असली गद्दार तक पहुँचना होगा। मुझे सबूत चाहिए… और वह सबूत जल्द।”
आर्यन की बेचैनी
भायखला के गोदाम में आर्यन अकेला बैठा सिगरेट पी रहा था। हर कश के साथ उसकी आँखों में समीर का चेहरा उभरता, और फिर योगी का चेहरा भी।
उसके मन में सवाल गूँज रहा था—क्या योगी ही गद्दार है?
पर तुरंत ही वह सोच झटक देता। “नहीं… योगी तो बचपन से साथ है। उसने कई बार मेरी जान बचाई है।” लेकिन दिल की गहराई में शक अब कांटे की तरह चुभने लगा था।
योगी की नई चाल
दूसरी तरफ़, योगी अपने असली मालिक से फोन पर बात कर रहा था।
“हाँ, अब आर्यन भी मुझ पर शक करने लगा है। लेकिन वह सीधे कुछ नहीं कहेगा। मुझे सिर्फ़ इतना करना है कि शेर और आर्यन का भरोसा पूरी तरह टूट जाए। इसके बाद गुलाब का नाम पूरे शहर पर छा जाएगा।”
फोन के उस पार से वही भारी आवाज़ गूँजी—“ठीक है। लेकिन अब वक़्त आ गया है कि तेरा चेहरा भी दिखे। गुलाब हमेशा परदे के पीछे नहीं रहता।”
योगी की मुस्कान खतरनाक हो गई। “तब तो खेल और मज़ेदार होगा।”
शेर की बेचैनी
नागपाड़ा में शेर अपने आदमियों के बीच बैठा था। बाबू ने कहा, “भाई, लोग कह रहे हैं कि शेर अब कमजोर हो गया है। गुलाब का नाम हर गली में गूँज रहा है।”
शेर ने दाँत भींचे। “कमज़ोर मैं नहीं हूँ। लेकिन अब आर्यन पर भरोसा करना मुश्किल है। अगर वह सचमुच मेरे खिलाफ़ है, तो उसे जिंदा नहीं छोड़ूँगा। और अगर वह निर्दोष निकला, तो गुलाब की जड़ें मैं काट डालूँगा।”
उसकी आँखों में अंधेरा और आग दोनों जल रहे थे।
अनन्या की खोज
अनन्या ने अपनी टीम को गुप्त आदेश दिया। “मुझे योगी की पूरी हिस्ट्री चाहिए। उसके फोन, उसके बैंक अकाउंट, उसके कॉल रिकॉर्ड—सब।”
यश ने अगले दिन रिपोर्ट रखी। “मैडम, योगी के फोन से कई बार एक अज्ञात नंबर पर कॉल गया है। और वह नंबर दुबई से लिंक हो रहा है।”
अनन्या ने साँस खींची। “यानी गुलाब का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय है। और योगी उसी का मुखौटा।”
उसने डायरी में लिखा—“योगी = गुलाब का एजेंट”।
गद्दारी का सबूत
इसी बीच आर्यन को एक गुमनाम लिफ़ाफ़ा मिला। अंदर एक पेन-ड्राइव थी। जब उसने लैपटॉप में डाली, तो वीडियो खुला।
वीडियो में साफ़ दिख रहा था—योगी गुलाब के नकाबपोश आदमी से मिल रहा है। हाथ मिलाते हुए कह रहा है—“आर्यन को शेर से भिड़ाने का काम मैंने कर दिया है। अगला कदम पुलिस पर वार होगा।”
आर्यन का दिल सुन्न हो गया। दोस्ती की दीवार ढह गई।
उसने बंदूक उठाई और मन ही मन कहा—“योगी, तू ही गद्दार निकला।”
शेर और आर्यन की मुलाक़ात
रात को आर्यन ने शेर से गुप्त मुलाक़ात की। उसने पेन-ड्राइव का वीडियो दिखाया।
शेर ने हैरानी से कहा, “तो यही है गद्दार? यह तो तेरा सबसे करीबी है!”
आर्यन की आँखों में खून उतर आया। “हाँ। और अब इसे जिंदा छोड़ना गुनाह होगा।”
शेर ने मुट्ठी भींची। “अगर गुलाब का चेहरा यही है, तो हमें मिलकर इसका खेल ख़त्म करना होगा।”
पुलिस का जाल
अनन्या को भी वही वीडियो मिला। उसका शक सही साबित हुआ। उसने फौरन टीम को आदेश दिया—“कल रात योगी की गिरफ्तारी होगी। लेकिन याद रहे, वह अकेला नहीं। उसके पीछे पूरा नेटवर्क है।”
निर्णायक रात
उस रात योगी एक पुराने वेयरहाउस में अपने आदमियों के साथ मीटिंग कर रहा था। उसके सामने काले गुलाब का बड़ा सा झंडा टंगा था। उसने अपने लोगों से कहा—“अब वक्त आ गया है कि शहर पर हमारा झंडा लहराए। आर्यन और शेर कल तक खत्म होंगे। पुलिस भी हमारी जेब में होगी।”
तभी दरवाज़ा टूटा। बाहर से आर्यन, शेर और अनन्या तीनों अपनी-अपनी टीम के साथ घुस आए।
“योगी!” आर्यन गरजा। “तेरा खेल खत्म।”
योगी हँस पड़ा। “आख़िरकार तुम्हें सच्चाई समझ आई। पर अब देर हो चुकी है।”
उसने बंदूक निकाली और फायर कर दिया।
खून और आग
गोलीबारी शुरू हो गई। दोनों तरफ़ से गोलियाँ चलीं। आर्यन और शेर पीठ से पीठ जोड़कर लड़े। पुलिस भी फायरिंग कर रही थी।
योगी बार-बार चिल्ला रहा था—“गुलाब अमर है! चाहे मैं मर जाऊँ, पर गुलाब कभी नहीं मरेगा!”
लड़ाई भयंकर थी। कई नकाबपोश गिरे, पुलिस के भी कुछ लोग घायल हुए।
आख़िरकार आर्यन ने योगी को काबू में कर लिया। उसने उसकी बंदूक दूर फेंक दी और गुस्से से बोला—“क्यों? तूने दोस्ती का सौदा क्यों किया?”
योगी हँसा। “दोस्ती पेट नहीं भरती, आर्यन। गुलाब ने मुझे ताक़त और पैसा दिया। और तू? तूने मुझे बस अपना साया बनाए रखा।”
आर्यन की आँखों में आँसू थे, पर हाथ काँप नहीं रहा था। उसने ट्रिगर दबाया। गोली सीने के आर-पार हो गई।
योगी गिरते-गिरते फुसफुसाया—“मैं तो मोहरा था… असली गुलाब अभी ज़िंदा है।”
सन्नाट
गोदाम में खामोशी छा गई। आर्यन ने खून में सने अपने दोस्त की लाश को देखा। आँखों से आँसू बहे, लेकिन चेहरे पर सख़्ती बनी रही।
शेर ने उसके कंधे पर हाथ रखा। “तूने गद्दार को खत्म किया। लेकिन अगर यह सच है कि असली गुलाब अभी ज़िंदा है, तो हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई।”
अनन्या ने भी गंभीर स्वर में कहा, “योगी तो सिर्फ़ चेहरा था। अब हमें असली दिमाग़ ढूँढना होगा। वरना यह शहर हमेशा खून से नहाता रहेगा।”
अंत की गंध
रात गहरी हो चुकी थी। बाहर बारिश फिर शुरू हो गई थी। आर्यन खिड़की से बाहर देख रहा था। उसके हाथ में अब भी वही काला गुलाब का सूखा टोकन था।
उसने मन ही मन कहा—“दोस्ती की लाश उठाकर भी मैं यह युद्ध जीतूँगा। गुलाब की जड़ चाहे जहाँ हो, उसे उखाड़ फेंकूँगा।”
बारिश की हर बूँद अब फुसफुसा रही थी—“युद्ध अभी बाकी है।”
एपिसोड 9 — मास्टरमाइंड की परछाई
मुंबई की रात एक बार फिर भारी थी। शहर थककर सोना चाहता था, पर हर गली, हर कोना अब भी खून और बारूद से जाग रहा था। योगी की मौत ने आर्यन का दिल तोड़ दिया था, लेकिन उसकी आख़िरी फुसफुसाहट—“असली गुलाब अभी ज़िंदा है”—अब भी आर्यन के कानों में गूंज रही थी।
आर्यन का संकल्प
भायखला के गोदाम में आर्यन खामोश बैठा था। उसके सामने योगी की पुरानी तस्वीर रखी थी—दोनों बचपन में गली में क्रिकेट खेलते हुए। तस्वीर पर खून के छींटे अब भी चिपके थे।
आर्यन ने गहरी साँस ली। “दोस्ती का खून मेरे हाथों से बहा है, लेकिन यह खेल यहीं खत्म नहीं होगा। असली गुलाब चाहे जिस गुफा में छुपा हो, मैं उसे ढूँढ निकालूँगा।”
नवाब मिर्ज़ा धीरे से पास आए। “बेटा, दुश्मन अब सामने नहीं, परदे के पीछे है। उसका हाथ राजनीति, पुलिस और कारोबार—तीनों में फैला है। अकेला तू लड़ने गया, तो टूट जाएगा।”
आर्यन ने ठंडी नज़र से कहा, “फिर भी लड़ूँगा। क्योंकि अब यह लड़ाई सिर्फ़ मेरी नहीं, पूरे शहर की है।”
शेर का बदला
नागपाड़ा के अड्डे में शेर चुपचाप अपने भाई चिराग की तस्वीर के सामने बैठा था। बाबू ने कहा, “भाई, योगी तो मर गया। लेकिन गुलाब अभी जिंदा है। अगर हमने अब हमला नहीं किया, तो लोग हमें डरपोक समझेंगे।”
शेर ने धीरे-धीरे सिर उठाया। उसकी आँखों में आग जल रही थी। “चिराग का खून अब भी ताज़ा है। गुलाब ने मेरे घर को तोड़ा, और मैं उसकी जड़ों को राख कर दूँगा। चाहे इसके लिए मुझे पुलिस या नेताओं से भिड़ना पड़े।”
पुलिस का रहस्य
एसीपी अनन्या ने अपने बोर्ड पर नया धागा खींचा। अब उस पर नाम जुड़ा था—मंत्री शेखावत।
यश ने हैरानी से पूछा, “मैडम, यह तो राज्य का बड़ा मंत्री है। क्या आपको लगता है कि वह गुलाब के पीछे है?”
अनन्या ने गंभीर स्वर में कहा, “सबूत साफ़ हैं। गुलाब को हथियार, पैसा और सुरक्षा किसी बड़े आदमी से मिल रही है। और शेखावत वही कड़ी है। उसकी पार्टी चुनाव से पहले शहर को अराजकता में झोंकना चाहती है, ताकि लोग डरकर उनके झंडे के पीछे खड़े हों।”
यश बोला, “लेकिन सबूत पुख़्ता नहीं हैं।”
अनन्या ने मुट्ठी भींची। “हमें सबूत जुटाने होंगे। और जल्दी।”
गुप्त मुलाक़ात
एक रात, आर्यन और शेर फिर गुप्त रूप से मिले। इस बार दोनों के बीच न दुश्मनी थी, न शक—बस गुस्सा और बदला।
आर्यन ने कहा, “योगी मर चुका है, लेकिन उसने साफ़ कहा कि असली गुलाब जिंदा है। मुझे शक है कि उसके पीछे कोई बड़ा नेता है।”
शेर ने सिर हिलाया। “मैंने भी सुना है कि मंत्री शेखावत का पैसा इस खेल में लग रहा है। अगर यह सच है, तो हम दोनों को एकजुट होना पड़ेगा।”
आर्यन ने ठंडी आवाज़ में कहा, “लेकिन याद रखना, अगर तूने मुझे धोखा दिया, तो मैं तुझे भी उसी खून में डुबो दूँगा।”
शेर मुस्कुराया। “और अगर तूने किया, तो तेरा भी वही हाल।”
दोनों ने हथेलियाँ मिलाईं। यह समझौता खून से भी गाढ़ा था।
शेखावत की परछाई
उधर, एक आलीशान बंगले में मंत्री शेखावत अपने महफ़िल में बैठे थे। शराब के गिलास टकरा रहे थे, और महंगे सूट पहने लोग उनके चारों तरफ़ थे।
एक नकाबपोश आदमी अंदर आया, झुका और बोला—“योगी मर गया।”
शेखावत हँस पड़े। “मरना ही था। मोहरे ज़्यादा देर तक ज़िंदा नहीं रहते। लेकिन गुलाब सिर्फ़ एक नाम है। असली ताक़त मेरे हाथ में है। जब तक मैं हूँ, गुलाब अमर है।”
कमरे में ठहाका गूँजा। बाहर गार्ड्स की कतार थी। यह वही ताक़त थी, जिससे आर्यन और शेर टकराने वाले थे।
अनन्या का जाल
अनन्या ने गुप्त मिशन शुरू किया। उसने अपने सबसे भरोसेमंद अफ़सर को भेजा, जो शेखावत की पार्टियों में शामिल होकर जानकारी जुटा सके।
कुछ ही दिनों में रिपोर्ट आई—“मैडम, शेखावत और उसके लोगों का सीधा कनेक्शन दुबई के खातों से है। और वहीं से गुलाब को हथियार भेजे जाते हैं।”
अनन्या ने गहरी साँस ली। “यानी योगी मोहरा था, पर असली मास्टरमाइंड यही है।”
पहला वार
आर्यन और शेर ने शेखावत के एक गोदाम पर हमला किया। वहाँ से दर्जनों हथियार और नकली पासपोर्ट बरामद हुए।
शेर ने बंदूक उठाकर कहा, “अब तो साफ़ है। गुलाब का असली चेहरा यही है।”
पर अचानक चारों तरफ़ से फायरिंग शुरू हो गई। शेखावत के लोग पहले से तैयार बैठे थे। आर्यन और शेर दोनों मुश्किल से जान बचाकर निकले।
गोदाम से निकलते वक्त दीवार पर फिर वही निशान दिखा—काला गुलाब।
जनता का डर
अगले दिन अख़बारों में तस्वीरें छपीं—गोदाम का मलबा, खून से लथपथ सड़कें। लोग अब और ज़्यादा डर गए। दुकानदारों ने बाज़ार बंद कर दिया। बच्चे स्कूल नहीं गए।
गली-गली में सिर्फ़ एक ही नाम गूँज रहा था—“काला गुलाब।”
मास्टरमाइंड का संदेश
उसी शाम सोशल मीडिया पर एक नया वीडियो वायरल हुआ। उसमें नकाबपोश आदमी था, पर उसकी आवाज़ बदली नहीं थी।
“तुम सब सोचते हो कि गुलाब सिर्फ़ एक गैंग है। लेकिन गुलाब एक विचार है। जब तक लालच और खून इस शहर में है, गुलाब अमर रहेगा। आर्यन और शेर चाहे जितना शोर मचाएँ, असली ताक़त मेरे हाथ में है। और जल्द ही पूरा शहर मेरे पैरों तले होगा।”
वीडियो के अंत में एक चेहरा धुंधला होकर झलक गया। वह मंत्री शेखावत का था।
अनन्या का निर्णय
अनन्या ने वीडियो बार-बार देखा। उसने फौरन आदेश दिया—“हम शेखावत को गिरफ़्तार करेंगे। लेकिन खुला वारंट अभी नहीं। पहले हमें जनता के सामने उसका सच रखना होगा।”
उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी। “अगर यह काम न हुआ, तो गुलाब हमेशा छुपा रहेगा।”
अंत की आहट
रात ढली। आर्यन खिड़की पर खड़ा था। उसके हाथ में बंदूक थी और आँखों में बदले की आग।
उसने धीरे से कहा—“योगी तो बस मोहरा था। अब असली बादशाह से खेलना है। शेखावत… मैं तेरा ताज तोड़ दूँगा।”
शेर भी अपने अड्डे पर वही कसम खा रहा था। और अनन्या ने अपनी डायरी में लिखा—“अगला वार सीधा शेखावत पर होगा।”
मुंबई की बारिश फिर शुरू हुई। लेकिन इस बार हर बूँद में सिर्फ़ एक ही आवाज़ थी—“मास्टरमाइंड सामने है।”
एपिसोड 10 — अंतिम सौदा
मुंबई की सड़कों पर उस रात बारिश ऐसे बरस रही थी, जैसे आसमान भी इस युद्ध का गवाह बनना चाहता हो। हर गली, हर मोड़ पर लोग फुसफुसा रहे थे—“आज कुछ बड़ा होगा… आज काला गुलाब गिरेगा या शहर जल जाएगा।”
अनन्या की तैयारी
एसीपी अनन्या राठौर अपने कंट्रोल रूम में खड़ी थी। उसके सामने शहर का नक्शा फैला था, जिस पर लाल बिंदु चमक रहे थे—शेखावत के गोदाम, फैक्ट्री और ठिकाने।
उसने टीम को आदेश दिया—“आज रात ऑपरेशन ‘गुलाब’ होगा। आर्यन और शेर दोनों हमारे साथ हैं। लेकिन याद रखना, यह सिर्फ़ गिरफ़्तारी नहीं, यह शहर को बचाने की लड़ाई है। कोई ढील नहीं।”
यश ने हथियार सँभालते हुए कहा, “मैडम, अगर शेखावत ने पुलिस के अंदर हाथ डाले हैं, तो हमें खुद अपने ही विभाग से टकराना पड़ेगा।”
अनन्या ने ठंडी आवाज़ में कहा, “तो टकराएँगे। पर सच को मरने नहीं देंगे।”
शेखावत का आख़िरी खेल
उधर, मंत्री शेखावत अपने आलीशान बंगले में बैठा था। चारों ओर उसके वफ़ादार लोग और नकाबपोश गार्ड खड़े थे।
वह हँसते हुए बोला, “आज रात शहर मेरे पैरों तले होगा। पुलिस, माफ़िया, सब मेरी मुट्ठी में। काला गुलाब सिर्फ़ एक निशान है। असली ताक़त मैं हूँ। और जब तक मैं हूँ, गुलाब अमर है।”
उसके सामने मेज़ पर करोड़ों के नकली पासपोर्ट और सोने की ईंटें रखी थीं। उसने गिलास उठाकर कहा, “खून का सौदा हमेशा फ़ायदे का होता है।”
आर्यन और शेर का गठबंधन
भायखला के गोदाम में आर्यन और शेर पहली बार खुले तौर पर साथ खड़े थे। दोनों की आँखों में थकान थी, लेकिन इरादे चट्टान जैसे।
आर्यन बोला, “आज की रात या तो हम जिंदा रहेंगे या शेखावत। लेकिन अब पीछे मुड़ना नहीं।”
शेर ने बंदूक लोड करते हुए कहा, “भाई का खून आज तक ताज़ा है। गुलाब ने मेरी रगों में आग भर दी है। आज मैं उसे राख कर दूँगा।”
दोनों ने हथेलियाँ मिलाईं। यह समझौता खून और बदले से भी गाढ़ा था।
हमला
आधी रात को पुलिस, आर्यन और शेर की संयुक्त टीम ने शेखावत के बंगले को घेर लिया। सायरन बंद, हथियार सज्ज।
अनन्या ने वॉकी पर कहा, “सब तैयार? अंदर घुसते ही फायर-ऑर्डर।”
दरवाज़ा तोड़ा गया। और फिर गूँजी गोलियों की गड़गड़ाहट। बंगले का हॉल युद्धभूमि बन गया।
शेखावत के नकाबपोश गार्ड चारों ओर से फायरिंग कर रहे थे। पुलिस और माफ़िया दोनों मिलकर मुकाबला कर रहे थे। बारूद की गंध हवा में घुल गई।
आमना-सामना
हंगामे के बीच आर्यन और शेर सीधे शेखावत तक पहुँच गए। वह अपने निजी गार्ड्स के बीच खड़ा था, चेहरे पर वही अहंकार।
शेखावत हँसकर बोला, “तो आखिरकार मोहरे मेरे दरवाज़े तक आ ही गए। सोचते हो मुझे मार दोगे तो गुलाब मर जाएगा? गुलाब एक नाम नहीं, एक सोच है। लालच और खून जब तक रहेगा, गुलाब भी रहेगा।”
शेर गरजा, “तेरी सोच आज खून में डूबेगी।”
आर्यन ने बंदूक तानते हुए कहा, “योगी तेरे लिए मरा। मेरे भाई जैसे दोस्त की मौत का हिसाब तू देगा।”
निर्णायक लड़ाई
फायरिंग शुरू हुई। गार्ड्स गिरते गए। आर्यन की बाजू पर गोली लगी, पर उसने दाँत भींचकर जवाबी फायर किया। शेर ने दो गार्ड्स को धराशायी किया।
शेखावत भागकर ऊपर की मंज़िल पर गया। उसके हाथ में अब भी पिस्तौल थी। उसने पीछे मुड़कर गोली चलाई, जो आर्यन के कान के पास से गुज़री।
आर्यन और शेर उसके पीछे-पीछे सीढ़ियाँ चढ़े। ऊपर के कमरे में खिड़की खुली थी, बाहर बारिश गरज रही थी।
शेखावत ने बंदूक तानी और चिल्लाया, “तुम मुझे मार भी दोगे तो क्या होगा? चुनाव में मेरी पार्टी जीतेगी। पुलिस मेरी जेब में है। गुलाब फिर खिलेगा।”
आर्यन ने उसकी आँखों में झाँका। “आज नहीं। अब यह शहर तेरे खून से आज़ाद होगा।”
उसने गोली चलाई। शेर ने भी एक साथ फायर किया। शेखावत चीखते हुए गिर पड़ा। खून से उसकी सफ़ेद शेरवानी लाल हो गई।
अंत का सन्नाटा
कमरा खामोश हो गया। बाहर बारिश की आवाज़ गूँज रही थी। शेर ने खिड़की से बाहर झाँककर कहा, “आख़िरकार चिराग का बदला पूरा हुआ।”
आर्यन ने गहरी साँस ली। “और समीर की मौत का भी।”
अनन्या कमरे में पहुँची। उसने शव को देखकर कहा, “खून का सौदा आज खत्म हुआ। लेकिन याद रखना—अगर हम चौकन्ने न रहें, तो कोई और गुलाब फिर खिल जाएगा।”
जनता की राहत
अगले दिन अख़बारों में बड़ी हेडलाइन थी—“मंत्री शेखावत का काला साम्राज्य ढहा, काला गुलाब गिरा”। लोग राहत की साँस लेने लगे। दुकानदारों ने दुकानें खोलीं, बच्चे स्कूल लौटे।
शहर ने थोड़ी देर के लिए चैन महसूस किया।
आख़िरी मोड़
शाम को आर्यन अकेला बैठा था। उसके सामने योगी का फोटो रखा था। उसने धीरे से कहा, “दोस्ती की कीमत खून से चुकाई। लेकिन अब शहर सुरक्षित है।”
पर तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया—
“गुलाब कभी नहीं मरता। यह सिर्फ़ शुरुआत थी।”
आर्यन की आँखों में आग चमकी। उसने बंदूक उठाई और खिड़की से बाहर बारिश को देखा।
“अगर गुलाब फिर खिलेगा, तो मैं फिर उसकी जड़ें काटूँगा। यह शहर मेरा है। और कोई इसे खून से रंग नहीं सकेगा।”
बारिश की हर बूँद अब गवाही दे रही थी—“खून का सौदा खत्म हुआ, लेकिन युद्ध अभी बाकी है।”
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